ऋषिकेश ; महर्षि महेश योगी की तपस्थली ; उनकी मौजूदगी का अहसास
महर्षि महेश योगी की तपस्थली – Execlusive : www.himalayauk.org (Leading Web Media) विश्वविख्यात बीटल्स के गुरु महर्षि महेश योगी की तपस्थली ऋषिकेश स्थित चौरासी कुटिया के दीदार के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
पश्चम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था तो दुनिया भर में लाखों लोग महर्षि महेश योगी के दीवाने हो रहे थे। ये आज के दौर में मशहूर बाबा रामदेव और दूसरे योग गुरुओं से पहले की बात है। वो महर्षि महेश योगी ही थे जिन्हें योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में पहुँचाने का श्रेय दिया जाता है। ५ फरवरी, २००८ को महर्षि महेश योगी का नीदरलैंड्स स्थित उनके घर में ९१ वर्ष की आयु में निधन हो गया था। उन्होंने ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (अनुभवातीत ध्यान) के जरिए दुनिया भर में अपने लाखों अनुयायी बनाए थे।
साठ के दशक में मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्यों के साथ ही वे कई बडी हस्तियों के आध्यात्मिक गुरु हुए और दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गए। भावातीत ध्यान योग के प्रणेता महर्षि महेश योगी की तपस्थली स्वर्गाश्रम स्थित शंकराचार्य नगर चौरासी कुटिया में बीती सदी में १९६८ में अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त बैंडग्रुप बीटल्स के आगमन के बाद से तीर्थनगरी की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित हुआ और इसके बाद ही यहां विदेशी सैलानियों व जिज्ञासुओं की आमद बढनी शुरू हुई। शंकराचार्य नगर में आध्यात्मिक गतिविधियां बंद हुए लगभग ढाई दशक का समय अंतराल हो चुका है, इसके बावजूद आज भी तीर्थनगरी आने वाले विदेशी सैलानी यहां आकर चौरासी कुटिया के बारे में अपनी जिज्ञासाएं लोगों के सामने रखते हैं। ऋषिकेश चौरासी कुटिया में बीटल्स व महर्षि महेश योगी की दुर्लभ तस्वीरों के संग्रह की फोटो गैलरी के उद्घाटन अवसर पर मौजूद विदेशी पर्यटकों ने महर्षि महेश योगी की तपस्थली को लेकर अपने अनुभव साझा किए।
यूएसए के डॉनवोल्फ एलनॉर ने बताया कि महर्षि महेश योगी की तपस्थली शंकराचार्यनगर चौरासी कुटिया का वातावरण आज भी लोगों में योग और ध्यान की प्रेरणा का संचार करता है। बकौल एलनॉर वह आज इस दुनिया में नहीं हैं, मगर फिर भी यहां पर उनकी मौजूदगी का अहसास होता है। उन्होंने बताया कि महर्षि महेश योगी उनके गुरू रहे हैं, एलनॉर ने महर्षि के सानिध्य में वर्ष १९७१ से १९७५ तक शंकराचार्य नगर में योग और ध्यान की तालीम ली। एलनॉर बोले, उनकी तपस्थली में आकर शांति की अनुभूति होती है और इसीलिए बार-बार यहां पर आने को मन करता है। कैलीफोर्निया की जॉन सिनक्लीयर ने बताया कि उन्हें महेश योगी तपस्थली में दो बार आने का अवसर मिला है। उनकी तपस्थली अपने आप में शांति का एक अद्वुत केंद्र है। यहां पर आकर हमें ध्यान और योग की प्रेरणा मिलती है। इजराइल से आई ज्योतदर ने बताया कि महर्षि ध्यान, योग के प्रणेता रहे हैं। उनकी तपस्थली शंकचार्यनगर में आकर इसकी प्रेरणा आज भी मिलती है। बकौल ज्योतदर सच में जब उन्होंने ऐसे एकांत स्थान पर लोगों को ध्यान, योग की शिक्षा दी होगी, वह अपने आप में अविस्मरणीय अनुभूति रही होगी।
वही उत्तराखण्ड के वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के मुताबिक महर्षि की जयंती पर एक दिन और योग सप्ताह में सात दिन प्रवेश फ्री रखा जाएगा। वर्तमान में यहां जो पवेश दरें लागू की गई हैं, उनके पुनर्निर्धारण के पयास किए जाएंगे।
दुनियाभर में अपने गीतों से धूम मचा देने वाले पसिद्ध रॉक ग्रुप बीटल्स को लेकर आज भी विश्वभर की खासी रुचि है। इसी बीटल्स ग्रुप की चौरासी कुटी (ऋषिकेश) से जुडी ५० साल पुरानी यादों को लेकर पर्यटन विभाग की ओर से हाल में लंदन में आयोजित कार्यक्रम इसका प्रमाण है। बीटल्स ग्रुप के सदस्य योग साधना के लिए चौरासी कुटी आए और उन्होंने अपने प्रसिद्ध गीतों में से १७ की रचना यहीं की। इनसे जुडी यादों को चौरासी कुटी और ऋषिकेश में सहेजने के लिए सरकार गंभीरता से जुटी है।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि अगले माह अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के साथ ही बीटल्स की चौरासी कुटी की यात्रा पर केंद्रित कार्यक्रम भी होगा। चौरासी कुटी में जितने भी म्यूरल्स हैं, उन्हें संरक्षित किया जाएगा। बीटल्स से जुडी यादों के मद्देनजर लीवरपूल के साथ ऋषिकेश को ट्विन सिटी के रूप में विकसित करने के प्रयास हो रहे हैं। इसके तहत दोनों जगह बीटल्स से जुडे म्यूजियम बनाने पर भी विचार हो रहा है।
विश्वविख्यात बीटल्स के गुरु महर्षि महेश योगी की तपस्थली ऋषिकेश स्थित चौरासी कुटिया के दीदार के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत करीब १५ एकड परिक्षेत्र में फैले चौरासी कुटिया शंकराचार्य नगर की स्थापना ६० के दशक में महर्षि महेश योगी ने की थी। बेजोड वास्तुकला का नमूना पेश करने वाली यह कुटिया देश-दुनिया से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करती थीं। विश्वविख्यात म्यूजिकल ग्रुप बीटल्स के चार सदस्य जॉन लीनोन, पॉल नकार्टनी, जॉर्ज टेरिसन और ङ्कशरगो स्टार ५० वर्ष पूर्व १६ फरवरी को यहां आए थे। करीब एक साल आश्रम में रहकर इन सितारों ने महर्षि महेश योगी से दीक्षा ली। वर्ष १९८३ में चौरासी कुटी को राजाजी नेशनल पार्क में शामिल कर लिया गया।
बीते एक वर्ष के दौरान चौरासी कुटिया में १६२१६ पर्यटकों की आमद हुई। इनसे २२ लाख २३ हजार ६३० रुपये का राजस्व मिला। राजाजी टाइगर रिजर्व की ओर से जो नया ब्रोशर तैयार किया गया है, उसका विमोचन वन मंत्री हरक सिंह रावत ने चौरासी कुटिया में आयोजित कार्यक्रम में किया। इसमें भी शुल्क को लेकर कोई रियायत नहीं दी गई है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय योग सप्ताह में पूरे सात दिन चौरासी कुटिया में पंजीकृत साधकों का प्रवेश फ्री होगा। भविष्य में यहां विदेशियों से ३०० और भारतीयों से प्रति व्यक्ति सौ रुपये शुल्क लिया जाएगा।
महर्षि महेश योगीका जन्म१२ जनवरी१९१८कोछत्तीसगढके राजिम शहर के पास पांडुका गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम महेश प्रसाद वर्मा था। उन्होने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की उपाधि अर्जित की। उन्होने तेरह वर्ष तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की। महर्षि महेश योगी ने शंकराचार्य की मौजूदगी में रामेश्वरम में १० हजार बाल ब्रह्मचारियों को आध्यात्मिक योग और साधना की दीक्षा दी। हिमालय क्षेत्र में दो वर्ष का मौन व्रत करने के बाद सन् १९५५ में उन्होने टीएम तकनीकी शिक्षा देना आरम्भ की। सन १९५७ में उन्होने टीएम आन्दोलन आरम्भ किया और इसके लिये विश्व के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। महर्षि महेश योगी द्वारा चलाया गए आंदोलन ने उस समय जोर पकडा जब रॉक ग्रुप बीटल्स ने १९६८ में उनके आश्रम का दौरा किया। इसके बाद गुरुजी का ट्रेसडेंशल मेडिटेशन अर्थात भावातीत ध्यान पूरी पश्चमी दुनिया में लोकप्रिय हुआ। उनके शिष्यों में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी से लेकर आध्यात्मिक गुरू दीपक चोपडा तक शामिल रहे। महर्षि महेश योगी ने वेदों में निहित ज्ञान पर अनेक पुस्तकों की रचना की। महेश योगी अपनी शिक्षाओं एवं अपने उपदेश के प्रसार के लिये आधुनिक तकनीकों का सहारा लेते हैं। उन्होने महर्षि मुक्त विश्वविद्यालय स्थापित किया जिसके माध्यम से आनलाइन शिक्षा दी जाती है।
अपनी विश्व यात्रा की शुरूआत १९५९ में अमेरिका से करने वाले महर्षि योगी के दर्शन का मूल आधार था, जीवन परम आनंद से भरपूर है और मनुष्य का जन्म इसका आनंद उठाने के लिए हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति में ऊर्जा, ज्ञान और सामर्थ्य का अपार भंडार है तथा इसके सदुपयोग से वह जीवन को सुखद बना सकता है। वर्ष १९९० में हॉलैंड के व्लोड्राप गाँव में ही अपनी सभी संस्थाओं का मुख्यालय बनाकर वह यहीं स्थायी रूप से बस गए और संगठन से जुडी गतिविधियों का संचालन किया। दुनिया भर में फैले लगभग ६० लाख अनुयाईयों के माध्यम से उनकी संस्थाओं ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति और प्राकृतिक तरीके से बनाई गई कॉस्मेटिक हर्बल दवाओं के प्रयोग को बढावा दिया। डच के स्थानीय समय के अनुसार एम्सटर्डम के पास छोटे से गाँव व्लोड्राप में स्थित अपने आवास में मंगलवार देर रात उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। पिछले महीने ११ जनवरी को महर्षि योगी ने ये कहते हुए अपने आपको सेवानिवृत्त घोषित कर दिया था कि उनका काम पूरा हो गया है और अपने गुरु के प्रति जो कर्तव्य था वो पूरा कर दिया है।
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