मौनी अमावस्या का आरंभ- 21 जनवरी, शनिवार- सूर्य, शनि व शुक्र की युति होने से खप्पर योग का संयोग
मौनी अमावस्या का आरंभ 21 जनवरी, शनिवार को सुबह 06 बजकर 17 मिनट पर होगा, जो कि 22 जनवरी को सुबह 02 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार मौनी अमावस्या 21 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य, शनि व शुक्र की युति होने से खप्पर योग का संयोग बन रहा है। #21 जनवरी को मौनी अमावस्या है. 20 साल बाद मौनी अमावस्या पर शनिवार का शुभ संयोग बन रहा है. फरवरी 2003 में मौनी अमावस्या पर शनि अमावस्या थी. 30 साल बाद मौनी #मौनी अमावस्या पर चार राजयोग भी बन रहे हैं, जिसकी वजह से इस साल की मौनी अमावस्या और भी विशेष हो गई है. इस दिन गंगा स्नान से मोक्ष तो मिलेगा ही, शनि देव की कृपा से भक्तों के कष्ट भी दूर होंगे.
इस साल 17 जनवरी को शनि देव अपने मूल त्रिकोण राशि कुंभ में प्रवेश कर गए हैं. इस वजह से पांच राशियों मकर, कुंभ और मीन पर शनि की साढ़ेसाती तथा कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है. इन राशि के जातकों को विशेष रूप से शनि अमावस्या पर शनि आराधना करनी चाहिए. शनि से जुड़ी समस्याएं झेल रहे लोगों को पितरों को याद करते हुए पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना लाभदायक है. शनि देव के कुंभ राशि में आने से मकर राशि, कुंभ राशि और धनु राशि के लोगों को लाभ प्राप्त होगा. इन राशि वालों के जो बिगड़े काम थे वह बनने लगेंगे और इनका भाग्य भी उनका साथ देगा.
By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030
फरवरी 2003 में मौनी अमावस्या के दिन शनिवार था. उस दिन शनि अमावस्या का संयोग बना था. उसके 20 साल बाद 21 जनवरी को मौनी अमावस्या पर शनि अमावस्या का सुंदर संयोग बना है. इस दिन गंगा स्नान के बाद शनि देव की पूजा करने से साढ़ेसाती और ढैय्या में लाभ मिलता है.
साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि दोष के उपायों को करने के लिए खप्पर योग बहुत ही अच्छा माना जाता है. इस साल मौनी अमावस्या के दिन आप स्नान के बाद शनि देव की पूजा करें. खप्पर योग के कारण इस दिन छाया दान, काले तिल का दान, काली उड़द का उपाय, शनि रक्षा कवच का पाठ आदि कर सकते हैं.
इस साल मौनी अमावस्या पर सत्कीर्ति, हर्ष, भारती और वरिष्ठ नाम चार राजयोग बन रहे हैं. इसके अलावा इस दिन मकर राशि में सूर्य तथा शुक्र के होने से खप्पर योग भी बनेगा. इस तरह से देखा जाएगा तो मौनी अमावस्या बने ये 5 योग दुर्लभ हैं.
21 जनवरी शनिवार को शनि अमावस्या है, जिसे शनिश्चरी अमावस्या या शनिचरी अमावस्या भी कहते हैं. यह साल 2023 की पहली शनि आमवस्या है. इस दिन 30 साल बाद खप्पर योग बना है, जो शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से परेशान लोगों के लिए शुभ है क्योंकि इस योग में शनि देव के दुष्प्रभावों को कम करने का उपाय प्रभावी होता है. इस योग में शनि के उपाय करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है. शनि अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद शनि देव की पूजा अवश्य करनी चाहिए.
शनि अमावस्या के दिन आप सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. उसके बाद शनि मंदिर में जाकर शनि देव की विधिपूर्वक पूजा करें. शनि देव को सरसों का तेल, काला तिल, नीले फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें. उसके बाद शनि चालीसा का पाठ करें. शनि देव की कृपा से आपके कष्ट दूर होंगे.
शनि अमावस्या के दिन आप शनि रक्षा स्तोत्र का पाठ करें. आप पर शनि की कड़ी दृष्टि है तो शनि देव आप को राहत देंगे. उनसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगकर सत्य मार्ग पर चलने का प्रण लें.
शनि अमावस्या पर आप शमी के पेड़ की पूजा करें. शाम के समय उसके नीचे सरसों के तेल या फिर तिल के तेल का दीपक जलाएं. शमी का पेड़ शनि देव को प्रिय है. आपका कल्याण होगा.
शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत पाने के लिए आप भगवान शिव की आराधना करें. शिव आराधना से भी आपके कष्ट दूर होंगे. शनि अमावस्या के दिन आप सुंदरकांड का पाठ करें. हनुमान जी की पूजा करें. शनि देव आप पर प्रसन्न रहेंगे.
शनि का कुंभ राशि में प्रवेश करना कर्क और वृश्चिक राशि के लिए थोड़ा मुश्किल समय ला सकता है. शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करने से कर्क और वृश्चिक राशि वालों को धन के साथ सेहत से संबंधित परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं. शनि की ढैय्या चल रही राशियों के लोगों को नौकरी में नुकसान मिल सकता है. इसलिए इन सभी राशि वालों को सावधान रहने की बहुत आवश्यकता है.
शनि एक राशि में साढ़े 7 साल रहते हैं. जिसे ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है. इस समय कुंभ, धनु और मकर राशि में शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंभ राशि में 24 जनवरी साल 2020 को शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ हुई थी और यह 3 जून 2027 को इस राशि को मुक्त करेंगे.
मकर राशि वालों पर 26 जनवरी साल 2017 से शनि की साढ़ेसाती शुरू हुई, जो कि 29 मार्च साल 2025 को समाप्त होगी.