मायावती ने सशर्त वारिस घोषित किया
बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने छोटे भाई आनंद कुमार को पार्टी उपाध्यक्ष बनाने का शुक्रवार को ऐलान भी किया; ”मैंने इस शर्त के साथ आनंद कुमार को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का फैसला ले लिया है कि वह पार्टी में हमेशा नि:स्वार्थ भावना से कार्य करता रहेगा और कभी भी सांसद, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री आदि नहीं बनेगा. इसी शर्त के आधार पर आज मैं उसे पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घोषित कर रही हूं.” (www.himalayauk.org) Web & Print Media
लखनऊ: बसपा ने अंबेडकर जयंती पर आयोजित पार्टी के कार्यक्रम में एक रहस्योद्घाटन किया. उन्होंयने खुद पर लिखे हुए भाषण पढ़ने के आरोपों का जवाब देते हुए खुलासा किया कि वर्ष 1996 में उनके गले का बड़ा ऑपरेशन हुआ था और पूरी तरह खराब हो चुका एक ‘ग्लैण्ड’ डॉक्टरों ने निकाल दिया था. उन्होंने कहा कि बिना लिखा भाषण देने में ऊंचा बोलना पड़ता है लेकिन डॉक्टरों ने ऐसा नहीं करने की सलाह दी है. इसलिए वह अपना लिखा हुआ भाषण ही पढ़ती हैं.
इसके साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने छोटे भाई आनंद कुमार को पार्टी उपाध्यक्ष बनाने का शुक्रवार को ऐलान भी किया और भाजपा के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाते हुए भाजपा विरोधी दलों से हाथ मिलाने के संकेत दिये. मायावती ने यहां अंबेडकर जयंती पर आयोजित पार्टी के एक कार्यक्रम में कहा, ”मैंने इस शर्त के साथ आनंद कुमार को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का फैसला ले लिया है कि वह पार्टी में हमेशा नि:स्वार्थ भावना से कार्य करता रहेगा और कभी भी सांसद, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री आदि नहीं बनेगा. इसी शर्त के आधार पर आज मैं उसे पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घोषित कर रही हूं.”
भाजपा पर वर्ष 2014 के लोकसभा और वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ईवीएम (इलेक्ट्रॉ निक वोटिंग मशीन) की गड़बड़ी करने का आरोप मढ़ते हुए उन्होंने कहा, ”देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए मैं कदम पीछे खींचने वाली नहीं हूं. हमारी पार्टी भाजपा द्वारा ईवीएम की गड़बड़ी के खिलाफ बराबर संघर्ष करेगी और इसके लिए भाजपा विरोधी दलों से भी हाथ मिलाना पड़ा तो अब उनके साथ भी हाथ मिलाने में परहेज नहीं है.” उन्होंने कहा कि पार्टी आंदोलन के हित में ‘जहर को जहर से मारने’ के आधार पर चलकर ईवीएम की गड़बड़ी को रोकना बहुत जरूरी है.
यूपी में बीजेपी के जीत के बाद छोटे दायरे में सिमट चुके राजनीतिक दल अपनी साख बचाने के लिए राजनीति की नई ईबारत लिखने की तैयारी में हैं. अंबेडकर जयंती के अवसर पर बसपा सुप्रिमो मायावती ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि वह लोकतंत्र बचाने के लिए अब किसी से भी हाथ मिला सकती हैं. हाल ही में हुए विधान सभा चुनाव में मायावती को करारी हार का सामना करना पड़ा है. राजनीतिक गलियारे में इस बयान को लेकर चर्चा गरम हो गई है. कहा जा रहा है कि पहले से ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मायावती के प्रति नरम रवैया अपनाया है. ऐसे में सामने आया यह बयान इस बात का संकेत है कि मायावती अपने धुर विरोधी समाजवादी पार्टी से भी हाथ मिला सकती हैं. इससे पहले भी बीजेपी विरोधी दल बिहार जैसे समीकरण की बात कर रहे थे, जिसमें दशकों तक एक-दूसरे के विरोधी रहे लालू यादव और नीतीश कुमार का गठबंधन शामिल है. मायावती ने यह कहा कि बीजेपी उन्हें परेशान करने के लिए सरकारी मशीनरी का उपयोग करेगी, लेकिन वे भी सामना करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए किसी भी दल के साथ मिलकर लड़ाई लड़ने को तैयार हैं. गौरतलब है कि यूपी में अभी उपचुनाव होने हैं जिसमें सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद को विधायक के लिए चुनाव लड़ना है क्योंकि वे वर्तमान में लोकसभा के सदस्य हैं. बड़े ऐलान के साथ ही मायावती ने ईवीएम में गड़बड़ी की बात भी दोहराई है. उन्होंने कहा कि ईवीएम को लेकर जबतक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं होती है वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगी. साथ ही पूरे प्रदेश में उन्होंने बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में ईवीएम में हुई गड़बड़ी को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. गौरतलब है कि सबसे पहले मायावती ने ही ईवीएम में गड़बड़ी की आलोचना की थी जिसका अन्य राजनीतिक दलों ने समर्थन किया था.
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