आज भाग्य और कर्म का 1500 वर्षों बाद अद्भुत संयोग -25 अगस्त को मिनी दिवाली -कुमायू में जलेगा आकाश दिया- दीपावली से 2 माह पूर्व
25 अगस्त,गुरुवार के दिन 10 महायोग के साथ गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग 1500 वर्षों बाद दोबारा बन रहा है। 25 अगस्त 22 को दश महायोग का ऐसा दुर्लभ संयोग पिछले 1500 साल में नहीं बना। 25 अगस्त,गुरुवार के दिन 10 महायोग के साथ गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग 1500 वर्षों बाद इस साल दीपावली 24 अक्टूबर को है। इससे ठीक 2 महीने पहले 25 अगस्त को दुर्लभ गुरु पुष्य नक्षत्र आ रहा है। दुर्लभ इसलिए क्योंकि इस दिन पूरे 10 शुभ योग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि दीपावली से दो माह पहले शुभकार्यों की शुरुआत के लिए यह महत्वपूर्ण तिथि वरदान की तरह है। इस अद्भुत शुभ संयोग से 25 अगस्त को मिनी दिवाली भी कहा जा सकता है। Exclusive Report by Chandra Shekhar Joshi Editor; www.himalayauk.org (Newsportal & Print Media)
5 ग्रहों के संयोग के साथ इस दिन सर्वार्थसिद्धि,अमृतसिद्धि और वरियान नाम के तीन बड़े और शुभ योग के साथ 10 योग भी बन रहे हैं। इन योगों में है शुभकर्तरी, वरिष्ठ, भास्कर, उभयचरी, हर्ष, सरल और विमल नाम जैसे राजयोग शामिल हैं। ऐसे में दिवाली से दो महीने पहले बने गुरु-पुष्य संयोग
इस दिन सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि और वरियान नाम के तीन बड़े योग रहेंगे। साथ ही शुभकर्तरी, वरिष्ठ, भास्कर, उभयचरी, हर्ष, सरल और विमल नाम के राजयोग भी बनेंगे। वर्ष में गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग दो से तीन दिन ही बनता है।
ज्योतिष गणना के मुताबिक 25 अगस्त को सूर्योदय के साथ ही सभी 27 नक्षत्रों में सबसे उत्तम और शुभ फल देने वाला पुष्य नक्षत्र शुरू हो जाएगा। यह पुष्य नक्षत्र शाम 4 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। 25 अगस्त को पूरे दिन शुभ गुरु पुष्य नक्षत्र होने से इस महामुहूर्त में सभी तरह के शुभ कार्य करना स्थाई शुभफलदायी रहने वाला होगा। ज्योतिष के अनुसार जब गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ता है तो गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग बनता है।
गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग साल भर में दो या तीन बार ही बनता है, लेकिन इस बार गुरु-पुष्य नक्षत्र के योग के साथ ग्रहों का ऐसा संयोग बन रहा है जो पिछले लगभग 1500 सालो बाद फिर से बन रहा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 25 अगस्त को गुरु-पुष्य नक्षत्र के संयोग के दिन सूर्य सिंह राशि, गुरु मीन राशि में, शनि मकर राशि में, बुध कन्या राशि में और चंद्रमा कर्क राशि में रहेंगे। ये सभी 5 ग्रह इस दिन स्वंय की राशि में मौजूद रहेंगे जोकि बहुत ही शुभ संयोग है। गुरु-पुष्य नक्षत्र के दिन शनि और गुरु दोनों ग्रह खास तरह का योग भी बना रहे हैं क्योंकि दोनों ग्रह स्वराशि में होने के साथ शनि ग्रह पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं और पुष्य नक्षत्र के देवता गुरु ग्रह हैं। शुभ ग्रहों का ऐसा संयोग कई सदियों के बाद बन रहा है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार चातु्र्मास में भगवान विष्णु की पूजा और आराधना करना श्रेष्ठ होता है। ऐसे में गुरु-पुष्य नक्षत्र खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना गया है।
बृहस्पति देव भी इसी नक्षत्र में पैदा हुए थे तैत्रीय ब्राह्मण में कहा गया है कि, बृहस्पतिं प्रथमं जायमानः तिष्यं नक्षत्रं अभिसं बभूव। नारदपुराण के अनुसार इस नक्षत्र में जन्मा जातक महान कर्म करने वाला, बलवान, कृपालु, धार्मिक, धनी, विविध कलाओं का ज्ञाता, दयालु और सत्यवादी होता है। आरंभ काल से ही इस नक्षत्र में किये गये सभी कर्म शुभ फलदाई कहे गये हैं किन्तु मां पार्वती विवाह के समय शिव से मिले श्राप के परिणामस्वरुप पाणिग्रहण संस्कार के लिए इस नक्षत्र को वर्जित माना गया है।
25 अगस्त 2022 को दुर्लभ गुरु-पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग बनने जा रहा है। ज्योतिषशास्त्र में गुरु-पुष्य योग का विशेष महत्व होता है। वर्ष में गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग दो से तीन दिन ही बनता है। गुरु-पुष्य नक्षत्र के संयोग में शुभ खरीदारी और शुभ कार्यों की शुरुआत करना बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है। जिस प्रकार से दीपावली में शुभ कार्य करने से और शुभ खरीदारी से जीवन में सुख-समृद्धि आती है उसी प्रकार से गुरु-पुष्य नक्षत्र के संयोग पर शुभ कार्य की शुरुआत करना और नई चीजों की खरीदारी करना अत्यंत ही शुभ फलदायी होता है। 25 अगस्त,गुरुवार के दिन 10 महायोग के साथ गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग 1500 वर्षों बाद दोबारा बन रहा है।
ज्योतिष गणना के मुताबिक 25 अगस्त को सूर्योदय के साथ ही सभी 27 नक्षत्रों में सबसे उत्तम और शुभ फल देने वाला पुष्य नक्षत्र शुरू हो जाएगा। यह पुष्य नक्षत्र शाम 4 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। 25 अगस्त को पूरे दिन शुभ गुरु पुष्य नक्षत्र होने से इस महामुहूर्त में सभी तरह के शुभ कार्य करना स्थाई शुभफलदायी रहने वाला होगा। ज्योतिष के अनुसार जब गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ता है तो गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग बनता है। इस शुभ संयोग पर मकान खरीदना, फ्लैट खरीदना, जमीन में निवेश करना, नए कार्यों का शुभारंभ करना, गृह प्रवेश करना, ज्वैलरी, वाहन और अन्य दूसरी लग्जरी चीजों की खरीदारी करना बहुत ही शुभकारी रहता है।
गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग साल भर में दो या तीन बार ही बनता है, लेकिन इस बार गुरु-पुष्य नक्षत्र के योग के साथ ग्रहों का ऐसा संयोग बन रहा है जो पिछले लगभग 1500 सालो बाद फिर से बन रहा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 25 अगस्त को गुरु-पुष्य नक्षत्र के संयोग के दिन सूर्य सिंह राशि, गुरु मीन राशि में, शनि मकर राशि में, बुध कन्या राशि में और चंद्रमा कर्क राशि में रहेंगे। ये सभी 5 ग्रह इस दिन स्वंय की राशि में मौजूद रहेंगे जोकि बहुत ही शुभ संयोग है। गुरु-पुष्य नक्षत्र के दिन शनि और गुरु दोनों ग्रह खास तरह का योग भी बना रहे हैं क्योंकि दोनों ग्रह स्वराशि में होने के साथ शनि ग्रह पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं और पुष्य नक्षत्र के देवता गुरु ग्रह हैं। शुभ ग्रहों का ऐसा संयोग कई सदियों के बाद बन रहा है।
5 ग्रहों के संयोग के साथ इस दिन सर्वार्थसिद्धि,अमृतसिद्धि और वरियान नाम के तीन बड़े और शुभ योग के साथ 10 योग भी बन रहे हैं। इन योगों में है शुभकर्तरी, वरिष्ठ, भास्कर, उभयचरी, हर्ष, सरल और विमल नाम जैसे राजयोग शामिल हैं। ऐसे में दिवाली से दो महीने पहले बने गुरु-पुष्य संयोग में खरीदारी और शुभ कार्य की शुरुआत करना शुभ अवसर है।
बृहस्पति देव भी इसी नक्षत्र में पैदा हुए थे तैत्रीय ब्राह्मण में कहा गया है कि, बृहस्पतिं प्रथमं जायमानः तिष्यं नक्षत्रं अभिसं बभूव। नारदपुराण के अनुसार इस नक्षत्र में जन्मा जातक महान कर्म करने वाला, बलवान, कृपालु, धार्मिक, धनी, विविध कलाओं का ज्ञाता, दयालु और सत्यवादी होता है। आरंभ काल से ही इस नक्षत्र में किये गये सभी कर्म शुभ फलदाई कहे गये हैं किन्तु मां पार्वती विवाह के समय शिव से मिले श्राप के परिणामस्वरुप पाणिग्रहण संस्कार के लिए इस नक्षत्र को वर्जित माना गया है।
ऐसी धार्मिक मान्यताएं हैं कि गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ने के कारण इस महत्व काफी बढ़ जाता है। इस शुभ योग में सोना और सोने से बने अभूषण की खरीदारी करना व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि के द्वार खोलती है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार चातु्र्मास में भगवान विष्णु की पूजा और आराधना करना श्रेष्ठ होता है। ऐसे में गुरु-पुष्य नक्षत्र खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना गया है।
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