आंगनवाडि़यों के कामकाज पर अत्यंत प्रतिकूल असर
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संबंधित खबर
यह एक राष्ट्रीय दैनिक में प्रकाशित एक समाचार के संदर्भ में है, जिसमें यह बताया गया है कि नोटबंदी के कारण आंगनवाडि़यों के कामकाज पर अत्यंत प्रतिकूल असर पड़ रहा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय उपर्युक्त उल्लेखित समाचार के परिप्रेक्ष्य में निम्नलिखित बातों का उल्लेख करना चाहता है:
एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) योजना केंद्र द्वारा प्रायोजित एक योजना है, जिसे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। योजना के प्रबंधन, विभिन्न वस्तुओं की खरीद एवं आपूर्ति की जिम्मेदारी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दी गई है।
भारत सरकार नीतिगत दिशा-निर्देश तय करती है, अपने हिस्से की धनराशि जारी करती है और योजना की निगरानी/समीक्षा करती है। वार्षिक कार्यक्रम क्रियान्वयन योजना के मुताबिक, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को धनराशि तय लागत के बंटवारे के अनुपात में जारी की जाती है।
6-36 माह की आयु के बच्चों और गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली माताओं (पीएंडएलएम) को पौष्टिक आहार घर ले जाने वाले राशन (टीएचआर) के रूप में मुहैया कराया जाता है। टीएचआर की खरीदारी राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन द्वारा की जाती है। इसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (एडब्ल्यूडब्ल्यू) की कोई भी भूमिका नहीं होती है।
3 से 6 साल की आयु के बच्चों को पौष्टिक आहार या तो एजेंसियों द्वारा मुहैया कराया जाता है अथवा आंगनवाड़ी केंद्रों (एडब्ल्यूसी) में ही तैयार किया जाता है। इस सामग्री की खरीद में एडब्ल्यूडब्ल्यू सीधे तौर पर शामिल नहीं होते हैं।
स्वयं सहायता समूहों को चेक/बैंक ड्राफ्ट/आरटीजीएस के जरिये धनराशि का भुगतान किया जाता है और उनके द्वारा थोक में माल की खरीदारी किये जाने एवं उसके अनुसार ही भुगतान किये जाने की उम्मीद की जाती है।
भारत सरकार को किसी भी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश से ऐसी कोई भी रिपोर्ट नहीं मिली है जिसमें ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संबंधित खबर में उल्लेखित कारणों से कोई कठिनाई हुई है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सूचित किया है कि पीएंडएलएम को हर महीने की निश्चित तारीख को टीएचआर मुहैया कराया जाता है। यह योजना सामान्य रूप से चल रही है और नोटबंदी का कोई भी असर नहीं पड़ा है क्योंकि भुगतान केवल आरटीजीएस के जरिये ही किया जाता है। बहराइच की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पार्वती देवी का वक्तव्य हौसला पोषण योजना से संबंधित है जिसका पूर्ण रूप से वित्त पोषण उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
बिहार सरकार ने सूचित किया है कि नोटबंदी के कारण नकदी की किल्लत के बारे में किसी भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की ओर से कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। यहां तक कि बिहार के मुख्यमंत्री के संबंधित क्षेत्र के दौरे के दौरान भी इस आशय की कोई रिपोर्ट पेश नहीं की गई थी।
छत्तीसगढ़ सरकार ने सूचित किया है कि न तो लाभार्थियों की संख्या में कोई कमी हुई है और न ही धनराशि की कोई कमी देखने को मिली है।