मिशन 2019 के लिए बीजेपी द्वारा जमीन तैयार करना शुरू

मिशन 2019 के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अभी से कमर कस ली है. नई टीमें बनाने और रणनीति तैयार करने का काम जोरशोर से किया जा रहा है. बीजेपी ने भी मिशन 2019 के लिए  जमीन तैयार करना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में बीजेपी ने यूपी में गठित नई टीम की घोषणा की है. इसमें प्रकोष्ठ, प्रकल्प और विभागों के प्रदेश स्तरीय नाम शामिल किए गए हैं.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि बंगाल में बीजेपी की जोरदार दस्तक के लिए वो हर महीने कोलकाता जाएंगे और उनके निशाने पर राज्य की 22 सीटें हैं जिसे जीतना उनका लक्ष्य है. जब शाह से पूछा गया कि वोटों का प्रतिशत तो बढ़ सकता है लेकिन उनकी पार्टी राज्य में 22 सीटें कैसे जीतेगी, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि किसी ने नहीं सोचा था कि बीजेपी त्रिपुरा जीतने वाली है. लेकिन पार्टी ने ये राज्य भी जीत लिया. शाह ने आगे कहा कि वो हर महीने वहां तीन दिनों तक रहेंगे और इसके लिए वो किराए पर कमरा लेने की भी सोच रहे हैं. बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि राज्य के लोगों ने उनकी पार्टी और उनके साथ अपना लगाव दिखाया है और वो उसी लगाव को लोगों के प्रति भी ज़ाहिर करना चाहते हैं. अमित शाह से जब पूछा गया कि वो बंगाल के लोगों के प्रति अपना ये प्यार कैसे जाहिर करेंगे तब इसके जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य में विकास नहीं हुआ है और वो राज्य का विकास करके लोगों के प्रति अपना ये प्यार ज़ाहिर करेंगे. शाह ने आगे बताया कि राज्य में मिस कॉल के जरिए मेंबरशिप ड्राइव चलाया जा रहा है और इसके लिए बीजेपी हर बूथ तक पहुंच रही है. सांप्रदायिकता की राजनीति के आरोपों पर शाह ने कहा कि बीजेपी सबका विकास चाहती है, लेकिन ममता बनर्जी एक समुदाय विशेष की राजनीति करती हैं. शाह ने आगे कहा कि राज्य का विकास होगा तो युवाओं को नौकरी मिलेगी. नौकरी मिलने पर युवा उस रास्ते पर नहीं जाएंगे जिसपर वो लेफ्ट के राज के समय से चले गए हैं. ऐसे में उन्हें व्हाइट कॉलर जॉब करने वाले युवाओं से राज्य का सम्मान बढ़ेगा.

राणा प्रताप की धरती मेवाण- इस बार किसको छप्‍पर फाड बहुमत देने जा रही है- चमत्‍कारिक धरती है- यहां की
पूरी छोड़ ने आधी खानी, पण मेवाड़ छोड़ने कठेई नि जानी’ यानी भले ही पूरा छोड़कर आधा ही खाओ, लेकिन मेवाड़ छोड़कर कहीं न जाओ….यह कहावत है मेवाड़ की. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मेवाड़ से अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की है. इसके पीछे का कारण है कि जब-जब मेवाड़ से उन्होंने चुनावी यात्रा की शुरूआत की तब-तब राजस्थान की सत्ता में वापसी की. यह यात्रा करीब 40 दिन चलेगी. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इस यात्रा की शुरुआत के दौरान मौजूद रहे तो पीएम मोदी इसके समापन के मौके पर मौजूद रहेंगे.
दक्षिण राजस्थान में स्थित अजेय भूमि मेवाड़ का राजस्थान की राजनीति में अलग ही महत्व है. कहा जाता है कि राजस्थान में सत्ता का रास्ता मेवाड़ से ही होकर गुजरता है. जो मेवाड़ जीतता है, वही राजस्थान पर राज करता है. यह आधुनिक लोकतांत्रिक अवधारणा ही नहीं, मध्यकालीन राजपूताना (आज की तारीख में राजस्थान) का शक्ति का केंद्र भी मेवाड़ ही था.

इतिहास के तथ्य तलाशें और मेवाड़ के शूरवीर शासक महाराणा प्रताप की बात करें, तो मुगल बादशाह अकबर भी सारी कोशिशें करने के बावजूद अंत तक मेवाड़ को जीत नहीं पाए. महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और अकबर महाराणा के प्रताप को परास्त नहीं कर पाए. लिहाजा अकबर ने पूरा ध्यान दिल्ली पर केंद्रित कर लिया. सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण राजस्थान के ऐतिहासिक दुर्ग-चितौड़गढ़, कुंभलगढ़ मेवाड़ में ही स्थित हैं.

राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में मेवाड़ का दबदबा तो रहा ही है, यहां के नेताओं का भी राजस्थान की राजनीति में हमेशा से वर्चस्व रहा है. कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी और गिरिजा व्यास मेवाड़ से ही आते हैं. मोहनलाल सुखाड़िया से लेकर हरिदेव जोशी, शिवचरण माथुर ले लेकर हीरालाल देवपुरा और गुलाबचंद कटारिया का राजस्थान की राजनीति में अच्छा खासा असर रहा है. इतिहास इस बात का गवाह है कि हरिदेव जोशी, मोहन लाल सुखाड़िया और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाने में मेवाड़ ने कितना योगदान दिया. साल 1952 से हो रहे चुनावों के परिणाम देखें, तो पलड़ा कांग्रेस का ही भारी रहा. राज्य में सर्वाधिक शासन करने वाले मुख्यमंत्री रहे मोहनलाल सुखाड़िया की कर्मभूमि मेवाड़ रही. वहीं हरिदेव जोशी ने मुख्यमंत्री बनकर वागड़ को सियासी पहचान दी. बीते कुछ वर्षों में ऐसा सियासी उबाल देखने को मिला कि यहां कमल ने पंजे को पीछे छोड़ दिया. आदिवासी अंचल में वनवासियों के बीच खुद को स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने कदम बढ़ाए. बाद में जनसंघ और बीजेपी ने संगठन खड़ा किया.

राणा प्रताप की धरती देती है, तो छप्पर फाड़ कर देती है, लेकिन जब वापस लेती है, तब सब कुछ ले लेती है.
आखिर क्या वजह है कि 200 सीटों वाली विधानसभा में 28 सीटों वाला मेवाड़ इतना महत्व रखता है? राजस्थान के राजनेता भलीभांति जानते हैं कि राणा प्रताप की धरती देती है, तो छप्पर फाड़ कर देती है, लेकिन जब वापस लेती है, तब सब कुछ ले लेती है. साल 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का मेवाड़ से सूपड़ा साफ हो गया और 28 में 26 सीटें बीजेपी के खाते में आ गई. इसी तरह 2008 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मेवाड़ की 28 में से 22 सीटें मिलीं और 96 सीटों पर जीत के साथ अशोक गहलोत सीएम बने. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में पांचों संसदीय सीट कांग्रेस के खाते में थीं, तो वहीं साल 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इससे विपरीत परिणाम देखने को मिले. इससे साफ होता है कि मेवाड़ ने कभी किसी को मिलाजुला बहुमत नहीं दिया, जब दिया स्पष्ट दिया. इसीलिए मेवाड़ से निकला राजनीतिक संदेश पूरे राजस्थान में परिलक्षित होता है. एक बार फिर राजस्थान में सियासी रणभेरी बज चुकी है और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अभियान की शुरुआत मेवाड़ के चारभुजा नाथ मंदिर से आशीर्वाद लेकर की है. लेकिन स्थानीय जानकारों और विश्लेषकों की मानें तो इस बार वसुंधरा राजे की डगर आसान नहीं है.

 
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राजस्थान में चुनावी शंखनाद करते हुए शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा और गरीबी, पिछड़ेपन, किसानों की दुर्दशा व बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दों का जिक्र करते हुए जानना चाहा कि उनकी चार पीढ़ियों ने विकास के लिए क्या किया. अमित शाह ने कहा, ‘कांग्रेस हमसे चार साल का हिसाब मांग रही है जबकि जनता उनसे चार पीढ़ियों का हिसाब चाहती है.’ शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की चार पीढ़ियों ने विकास के लिए, गरीबों के लिए कुछ नहीं किया. अमित शाह ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ‘राजस्थान गौरव यात्रा’ को रवाना करने के बाद यहां एक जनसभा को संबोधित किया. उल्लेखनीय है कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने 40 दिन की इस यात्रा के दौरान बीजेपी व मुख्यमंत्री राजे से हर दिन एक सवाल पूछने की घोषणा की है. इसका जिक्र करते हुए शाह ने कांग्रेस पर ताबड़तोड़ आरोप लगाए और कहा कि वे किसी पार्टी या नेता को नहीं बल्कि प्रदेश की जनता को जवाब देने आए हैं. प्रदेश की पिछड़ेपन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने विकास के लिए कुछ नहीं किया जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री वसंधुरा राजे आम जनता तक सुविधाएं पहुंचाने का काम कर रहे हैं. अमित शाह ने कहा,’कुछ कांग्रेसी 40 सवाल पूछने की बात करे हैं जबकि जनता उनसे चार पीढ़ी का हिसाब मांग रही है.’ शाह ने गरीबी,किसानों की दुर्दशा, ओबीसी कमीशन को संवैधानिक मान्यता देने और बांग्लादेशी घुसपैठियों जैसे मुद्दों का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जब 15 तारीख को यहां आएं तो इनका जवाब दें. राजे ने इससे पहले राजसमंद जिले के प्रतिष्ठित चारभुजानाथ मंदिर में पूजा अर्चना की. उन्होंने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ‘राजस्थान गौरव यात्रा’ को झंडी दिखाकर रवाना किया.
 

असम में एनआरसी से 40 लाख से ज़्यादा लोगों के नाम गायब होने के बाद नागरिकता विवाद को लेकर ममता और बीजेपी में जबरदस्त ठनी हुई है. ममता को विपक्ष का चेहरा बनाने की चर्चा हो रही है. इन्हीं चर्चाओं के बीच अमित शाह 11 अगस्त को बंगाल के दौरे पर होंगे.
बीजेपी की ओर से शनिवार को जारी की गई नामों की सूची में 17 विभाग, 17 प्रकोष्ठ और 9 प्रकल्पो हैं. इसमें मीडिया विभाग की भी घोषणा हुई है. सूची के अनुसार शिवकुमार पाठक को प्रदेश प्रभारी प्रकोष्ठ, अशोक तिवारी को प्रदेश प्रभारी, विभाग एवं प्रकल्प, ओम प्रकाश श्रीवास्तव को प्रदेश सह प्रभारी, अनुसूचित जाति मोर्चा, अनुसूचित जनजाति मोर्चा, अल्पसंख्यक मोर्चा और बृज बहादुर को प्रदेश सह प्रभारी, पिछड़ा मोर्चा एवं किसान मोर्चा की जिम्मेपदारी दी गई है. इनके अलावा भी इसमें कई नाम शामिल हैं. बीजेपी मिशन 2019 के तहत लोकसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए उत्तवर प्रदेश में एक सितंबर से चुनावी अभियान की शुरुआत करेगी. इसकी रणनीति क्रांतिधरा मेरठ में पश्चिम यूपी बीजेपी की मीटिंग में पिछले दिनों तैयार कर ली गई है. बीजेपी की रणनीति के अनुसार उसके टार्गेट के अंतर्गत चुनाव में मुख्य तौर पर दलित और पिछड़े लोग रहेंगे. बीजेपी की तरफ से पिछले दिनों हुई बैठक में संगठन की अधिक मजबूती पर जोर दिया गया था. इसमें कहा गया था कि संगठन के प्रकोष्ठों और प्रकल्पों का गठन हर हाल में 31 जुलाई तक और मोर्चों का गठन दो अप्रैल तक करने कर दिया जाए.

वही दूसरी ओर
उत्तर प्रदेश में शरारती तत्वों द्वारा एक बार फिर डॉ अंबेडकर की मूर्ति पर भगवा रंग चढ़ाने का मामला सामने आया है. यूपी के मुगलसराय में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने से एक दिन पहले कार्यक्रम स्थल के पास ही स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को अज्ञात लोगों ने भगवा टीका लगा दिया. साथ ही अंबेडकर की प्रतिमा को पीले रंग के गेंदे के फूल की माला पहना दी.मामला संज्ञान में आते ही जिला प्रशासन के हाथ पांव फूल गए और आनन-फानन में मूर्ति की सफाई करवा दी गई. प्रशासन ने एहतियात के तौर पर मूर्ति स्थल के पास पुलिस बल भी तैनात कर दिया है जिससे दोबारा ऐसा ना किया जा सके.

गौरतलब है कि रविवार यानी पांच अगस्त को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह , यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रेलमंत्री पीयूष गोयल सहित कई अन्य केन्द्रीय मंत्री मुगलसराय जंक्शन के नाम परिवर्तन के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे आ रहे हैं. रेलवे प्रशाशन ने इस कार्यक्रम के लिए बाकले ग्राउंड का चयन किया है. कार्यक्रम स्थल से करीब 100 मीटर की दूरी पर एक SC/ST यूनियन का ऑफिस है, इसी परिसर में डॉ अंबेडकर की प्रतिमा लगी हुई है. इसी प्रतिमा पर अज्ञात शरारती तत्वों ने भगवा रंग का टीका लगाया. स्थानीय बीजेपी के जिलाध्यक्ष ने इसकी निंदा की है, वहीं जिला प्रशाशन का कहना है कि जिन लोगो ने भी ऐसा काम किया है उनकी तलाश की जा रही है. यूपी में जब भाजपा की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ ने सूबे की कमान संभाली तो उसके बाद से मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलने की कवायद शुरू हो गई थी. मुगलसराय जंक्शन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखने की अनुमति केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय ने दे दी है. जिसके फलस्वरूप कल यानी रविवार को मुगलसराय जंक्शन का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगा.

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