2019 मिशन फतह; संघ ने किया योगी को फ्री हैंड देने का फैसला
HIGH LIGHTS; 2019 मिशन फतह के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सरकार में बैठे लोगों की जवाबदेही तय करने की बात कही है# संघ के शीर्ष नेताओं ने योगी को 2019 चुनाव के लिए प्रदेश में फ्री हैंड देने का फैसला #राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने योगी आदित्यनाथ को ही 2019 में उत्तर प्रदेश से बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने का जिम्मा सौंप दिया#प्रदेश के दलितों और पिछड़ों सहित अलग-अलग जातियों को साधने की पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार की ही होगी#कुंभ को सबसे बड़ा हथियार बनाएगी # संघ ने कुंभ के जरिये हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने की तैयारी का खाका खींचा #संघ ने योगी सरकार को पिछड़ों, दलितों और किसानों की योजनाओं पर जोर देने की नसीहत दी#
“संपर्क फॉर समर्थन” कार्यक्रम के तहत बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की 12 जुलाई को पटना पहुच रहे है. अमित शाह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर मिशन 2019 के लिए बात करेगे. जदयू के अनुसार अमित शाह की नीतीश कुमार के साथ मुलाकात के दौरान दोनों दलों के बीच लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों के तालमेल पर चर्चा भी होगी.
हालांकि, अमित शाह के पटना दौरे से पहले जदयू ने एक बार फिर से ताल ठोकते हुए दावा किया है कि बिहार में नीतीश कुमार ही NDA का चेहरा हैं और गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में हैं.
जेडीयू के कारण बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए में सीटों के बंटवारे पेंच फंसता दिख रहा है। ज्यादा से ज्यादा सीटें लेने को लेकर नीतीश के नेतृत्व वाली जेडीयू ने सीटों के बंटवारे को लेकर बड़ा राजनीतिक दांव चला है।
उसका प्रस्ताव है कि गठबंधन में शामिल चारों पार्टियों क्रमश: भाजपा,लोजपा, जेडीयू और आरएलएसपी को 2015 के विधानसभा में प्रदर्शन के आधार पर सीटें दी जाएं। दरअसल, ऐसा होने पर सबसे ज्यादा फायदा जेडीयू को होना है क्योंकि उसका प्रदर्शन 2015 के चुनाव में सबसे अच्छा रहा था। जेडीयू का तर्क है कि 2015 का विधानसभा चुनाव राज्य में सबसे ताजा शक्ति परीक्षण था और आम चुनावों के लिए सीट बंटवारे में इसके नतीजों की अनदेखी नहीं की जा सकती है। जेडीयू की इस मांग पर भाजपा, राम विलास पासवान की लोजपा या फिर उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी का मानना लगभग असंभव है। अब भी इन चारों पार्टियों के बीच बिहार की 40 सीटों के बंटवारों को लेकर औपचारिक चर्चा होनी बाकी है।
जेडीयू द्वारा दिए जा रहे इस फॉर्मूले को एक भाजपा नेता ने वास्तविकता से परे बताया है। उनका यह भी कहना है कि इस तरह की रणनीति पार्टियां चुनाव से पहले बनाती रहती हैं। भाजपा नेता ने कहा, 2015 में जेडीयू के अच्छे प्रदर्शन का कारण उसका आरजेडी से गठबंधन था। अगर सही ताकत का अंदाजा लगाना है तो 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजे देखिए, जिसमें जेडीयू को मात्र दो सीटें मिलीं और उसके ज्यादातर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि जितनी जल्दी बीजेपी और जदयू के बीच सीटों के तालमेल को लेकर चर्चा पूरी कर ली जाए NDA गठबंधन के लिए उतना ही बेहतर होगा. संजय सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव अब बिल्कुल पास है और ऐसे में गठबंधन में सीटों को लेकर तालमेल हो जाना चाहिए ताकि सभी दलों को पता रहे कि उन्हें कितनी सीटों पर लड़ना है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 22, लोजपा को छह और आरएलएसपी को तीन सीटें मिलीं थीं। इससे पहले 2013 तक जेडीयू-भाजपा गठबंधन में हमेशा जेडीयू ही आगे रहती थी और ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ती थी। जिसमें जेडीयू को 25 तो भाजपा को 15 सीटें मिलती थीं लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली सफलता ने समीकरण बदलकर रख दिए। अब ज्यादा से ज्यादा सीटें लेने के लिए जेडीयू तमाम हथकंडे अपना रही है। इसके अलावा दो अन्य पार्टियों के गठबंधन में शामिल होने के बाद जेडीयू की मुश्किलें और बढ़ गईं हैं।
लखनऊ: अनूप चंद पांडे होंगे उत्तर प्रदेश के नए मुख्य सचिव की खबरो के बीच उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेताओं के साथ मीटिंग की, इस मीटिंग में यूपी में मंत्रालयों की संख्या 80 से घटाकर 50 करने पर विचार किया गया है। जिस कारण अब उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल में फेरबदल देखने को मिल सकता है। अगर मंत्रिमंडल में फेरबदल हो जाता है तो कई मंत्रियों की कुर्सी चली जाएगी। खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक होने वाले लोकसभा चुनवों के मद्देनजर राम मंदिर समेत कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। वहीं यूपी में हुए लोकसभा के उपचुनावों में हार के बाद राज्य की सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सीएम योगी आदित्यनाथ खास तौर से आरएसएस के महासचिव भैय्याजी जोशी और वरिष्ठ नेता कृष्ण गोपाल से मिलने दिल्ली पहुंचे। दिल्ली में आरएसएस के नेताओं से मिलने के बाद सीएम योगी ने शाम को लखनऊ में भी आरएसएस के नेताओं मुलाकात की। इस मुलाकत में मंत्रिमंडल में फेरबदल और राम मंदिर के मुद्दे पर चर्चाकी गई।
वही दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 2019 फतह के लिए सरकार में बैठे लोगों की जवाबदेही तय करने की बात कही है. संघ के शीर्ष नेताओं ने योगी को 2019 चुनाव के लिए प्रदेश में फ्री हैंड देने का फैसला किया है. योगी चुनाव की जरूरतों के मुताबिक सरकार के फैसले ले सकेंगे. यही नहीं संगठन में भी कोई भी बड़ा फैसला उनकी सहमति के बिना नहीं लिया जाएगा. सरकार में किसे शामिल करना है और किसे बाहर का रास्ता दिखाया जाना है ये भी योगी चुनावी जरूरतों के हिसाब से खुद तय कर सकेंगे. अब तक ऐसे फैसलों में प्रदेश संगठन और केंद्रीय नेतृत्व की सहमति जरूरी मानी जाती थी.
आरएसएस ने योगी आदित्यनाथ को पिछड़ों और दलितों को पूरी तरीके से साथ रखने का हुक्म सुनाया है. इसके साथ ही हिंदुत्व को भी धार देने की बात कही गई है जिसके लिए कुंभ का भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा. अगर ये कहा जाए कि बीजेपी यूपी में 2019 का संग्राम जीतने के लिए कुंभ को सबसे बड़ा हथियार बनाएगी तो गलत नहीं होगा.
उत्तर प्रदेश में पार्टी संगठन और सरकार के अलग-अलग ध्रुव होने की खबरें आती रहती हैं. इससे योगी आदित्यनाथ की स्थिति कमजोर हो रही है. संकेत ये जा रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ की न तो संगठन में चलती है और न ही पूरी तरह से सरकार में. रही सही कसर उपचुनावों में बीजेपी की दुर्गति ने पूरी कर दी है. मुख्यमंत्री इस बात को कई बार बीजेपी और संघ के शीर्ष नेताओं के सामने उठा चुके हैं. ऐसे में संघ ने समन्वय बैठक में सबसे बड़ा फैसला योगी को फ्री हैंड देने का किया है.
राम मंदिर निर्माण को लेकर जहां भाजपा अनेक योजनाये बना रही है वही बाराबंकी में राम मंदिर का मुद्दा पूरी तरह से गरमा गया है. JDU (जनता दल यूनाइटेड) नेता शरद यादव ने बाराबंकी में राम मंदिर के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि राम मंदिर में उनकी कोई आस्था नहीं है, वे केवल जिंदा इंसानों की पूजा करते हैं. प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि उनका काम घंटा बजाना है, इसलिए वे घंटा बजाएं. इनलोगों को संविधान से कोई मतलब नहीं है. राम मंदिर के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है. शरद यादव पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलने बाराबंकी पहुंचे थे. अपने बयानों पर सफाई देते हुए शरद यादव ने कहा कि संविधान में कहीं भी इसका जिक्र नहीं है. जब, संविधान में ही उसका जिक्र नहीं किया गया है तो मैं उनकी पूजा क्यों करूं ? भारतीय संविधान में इन बातों का कोई मतलब नहीं है. केंद्र सरकार के चार साल पूरे होने पर उन्होंने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है. बीजेपी केवल झूठ के खेती करती है और जनता तो ठगने का काम किया जा रहा है. आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर शरद यादव ने कहा कि 2019 में महागठबंधन की जीत होगी. हमारा मकसद हर हाल में बीजेपी को हराना है. अगर बीजेपी को नहीं हराया जाता है तो, संविधान का बचना नामुमकिन है. महागठबंधन का चेहरा कौन होगा, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह लोकसभा चुनाव के बाद तय किया जाएगा.
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