न्यायालयों से लगातार मुंह की खा रहे बागी विधायक
उत्तराखण्ड का बजट 21 तथा 22 जुलाई को पास होने से रोकने के लिए कांग्रेस से भाजपा में गये बागी विधायक हर हाल में विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने चाहते थे-
सुप्रीम कोर्ट से उत्तराखंड के नौ विधायकों ने विधान सभा सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति मांगी थी, जिसे विद्वान न्यायाधीशों ने अस्वीकार करते हुए उन्हें सत्र में हिस्सा लेने से अनुमति देने से इंकार कर दिया- न्यायालयों से लगातार मुंह की खा रहे बागी विधायक सूबे में हंसी का पात्र बन कर रहे गये हैं, आम जन में चर्चा होने लगी है कि इनके विधिवेत्ता कैसे लगातार कोर्ट की फटकार खाने खा रहे हैं- www.himalayauk.org (Newsportal)
वही उच्चतम न्यायालय ने अयोग्य ठहराए गए उत्तराखंड के नौ विधायकों को विधानसभा के सत्र में हिस्सा लेने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। विधानसभा का सत्र 21 जुलाई से देहरादून में शुरू हो रहा है।
हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करने वाले 9 बागिया एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा हैं. बागियों को कल से शुरू हो रहे उत्तराखंड विधानसभा के सत्र में भाग लेने की अनुमति नहीं मिली है. इस मामले में अब 27 जुलाई को अगली सुनवाई होगी.
बागियों की ओर से वरिष्ठ वकील सीए सुंदरम पैरवी कर रहे थे. बागी कल से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति मांग रहे थे. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन की पीठ ने हालांकि कहा कि इन विधायकों और भाजपा विधायकों द्वारा दिया गया नोटिस बना रहेगा और विधायकों की याचिका पर उसके फैसले के अंतिम नतीजे पर निर्भर करेगा।
मंगलवार को सभी 9 बागियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी. बागियों ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि 21 जुलाई से उत्तराखंड विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र शुरू हो रहा है. उन्हें भी इस सत्र में शामिल होने का मौका मिलना चाहिए.
देश की सबसे बड़ी अदालत ने बागियों की याचिका को स्वीकार करते हुए बुधवार को सुनवाई करने के लिए कहा था. गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार ने बजट प्रस्ताव सदन के पटल पर पेश करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया हुआ है. 21 जुलाई से शुरू होने वाला उत्तराखंड विधानसभा का सत्र दो दिन चलेगा.
उधर हरीश रावत सरकार से बगावत करने वाले सभी 9 विधायक अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं.
अब सबकी निगाहें एक बार फिर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पर लगी थी. बागियों को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है.
अदालत ने कहा, ‘हम यह कहने को तैयार हैं कि अगर याचिकाकर्ताओं (बागी विधायकों) द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए पेश किये गए प्रस्ताव पर उत्तराखंड विधानसभा किसी भी समय विचार करती है तो वह एसएलपी के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा और क्षेत्राधिकार के मुद्दे समेत याचिका में उठाए गए सारे मुद्दे विचार के लिए खुले हुए हैं।’
पीठ ने इस बीच कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन समेत बागी विधायकों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई पहले करने का फैसला करते हुए इसकी तारीख 28 जुलाई निर्धारित कर दी। विधायकों ने अपनी नई याचिका में शीर्ष अदालत के अरूणाचल प्रदेश मामले में सुनाए गए हालिया फैसले का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि हटाए जाने के प्रस्ताव का सामना कर रहे विधानसभा अध्यक्ष उन्हें अयोग्य नहीं ठहरा सकते।
नैनीताल उच्च न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के फैसले को बरकरार रखा था जिसमें चैंपियन और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा समेत अन्य को अयोग्य ठहराया गया था। विधायकों को अयोग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ दो अपील लंबित हैं।