मोदी की आई0ए0एस0 को सलाह- खुद को फाइलों तक सीमित ना रखें
photo caption; The Prime Minister, Shri Narendra Modi interacting with the Additional Secretaries and Joint Secretaries, in New Delhi
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को सलाह दी है कि वे खुद को फाइलों तक सीमित ना रखें, फैसलों का सही प्रभाव देखने के लिए जमीनी स्तर का दौरा करें। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी विज्ञप्ति के अनुसार प्रधानमंत्री से मिलने आये भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान उन्हें यह सलाह दी। मोदी ने भारत सरकार के साथ काम कर रहे 80 से ज्यादा अवर सचिवों और संयुक्त सचिवों के साथ बातचीत की।
प्रधानमंत्री के आईएएस अधिकारियों के साथ पांच अलग-अलग वार्ता सत्र होने हैं जिनमें से यह दूसरा सत्र था। बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को अपने काम को सिर्फ ड्यूटी नहीं समझनी चाहिए, बल्कि इसे देश के शासन में सकारात्मक बदलाव लाने के अवसर के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सरकारी प्रक्रियाओं को आसान बनाने के लिए वह तकनीक और प्रौद्योगिकी का प्रयोग करें। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वह देश के 100 सबसे पिछड़े जिलों पर ध्यान दें ताकि विकास के विभिन्न मानदंडों पर उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर लाया जा सके।
प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान के अनुसार अधिकारियों द्वारा कही गई बातों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने इस पर जोर दिया कि अधिकारी स्वयं को फाइलों तक सीमित ना रखें, बल्कि फैसलों के प्रभावों को समझने के लिए जमीनी स्तर के दौरे करें। इस संदर्भ में उन्होंने गुजरात में वर्ष 2001 में आये भूकंप के बाद पुन:निर्माण कार्य में जुटे अधिकारियों के अनुभवों को सांझा किया। बातचीत के दौरान अधिकारियों ने प्रस्तुति आधारित प्रशासन, शासन में नवोन्मेष या नयापन, कचरा प्रबंधन, नदी और पर्यावरण प्रदूषण, वानिकी, स्वच्छता, जलवायु परिवर्तन, कृषि के क्षेत्र में मूल्य संवद्र्धन, शिक्षा और कौशल विकास पर अपने विचार रखे।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को भारत सरकार में कार्यरत 80 से अधिक अतिरिक्त सचिवों एवं संयुक्त सचिवों के एक समूह से मुलाकात एवं बातचीत की। इस तरह की पांच बैठकों की श्रृंखला में यह दूसरी बैठक थी। बातचीत के दौरान अधिकारियों ने अपने अनुभवों को कार्यनिष्पादन पर आधारित प्रशासन, शासन में नवाचार, अपशिष्ट प्रबंधन, नदी और पर्यावरण प्रदूषण, वन, स्वच्छता, जलवायु परिवर्तन, कृषि, शिक्षा और कौशल विकास में मूल्य वृद्धि जैसे विषयों पर अपने अनुभव साझा किए।
अधिकारियों द्वारा किए गए अवलोकनों का जवाब देते हुए, प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि अधिकारियों को खुद को सिर्फ फाइल तक सीमित नहीं करना चाहिए, बल्कि निर्णय लेने के वास्तविक प्रभाव को समझने के लिए क्षेत्र में जाना चाहिए। इस संदर्भ में, उन्होंने 2001 में हुए गुजरात भूकंप के बाद पुनर्निर्माण के अनुभवों को अधिकारियों के साथ साझा किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को अपने काम को सिर्फ एक कर्तव्य के रूप में नहीं देखना चाहिए बल्कि इसे देश में शासन के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन के अवसर के रुप में देखना चाहिए। प्रधानमंत्री ने उनसे शासन प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने का आग्रह किया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे भारत के 100 सबसे पिछड़े जिलों पर ध्यान केंद्रित करें जिससे की उन जिलों को विकास के विभिन्न मानकों पर राष्ट्रीय औसत स्तर पर लाया जा सके।
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