क्या मोदी ‘अच्छी खबर’ ला पाएंगे?
‘अच्छी खबर’ के चांस नहीं है- Top Big News; www.himalayauk.org (Newsportal)
क्या मोदी भारतीय आईटी इंडस्ट्री के लिए ‘अच्छी खबर’ ला पाएंगे. हालांकि अमेरिकी प्रशासन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल ‘अच्छी खबर’ के चांस नहीं है. अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप को यह फैसला लिए बहुत वक्त नहीं हुआ है.
उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाली पहली मुलाकात भारत-अमेरिका संबंधों को अगले स्तर पर जाएगी.
(बिल) क्लिंटन प्रशासन से शुरू होकर और बुश एवं ओबामा से होते हुए गत तीन दशकों के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों के आगे बढ़ने का क्रम बरकरार है. दोनों ओर से आने वाले संकेतों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इसका मजबूती से आगे बढ़ना जारी रहेगा.
ट्रंप ने इस साल 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेते हुए वीजा पर अपनी मंशा जाहिर कर दी थी. सत्ता संभालते ही ट्रंप ने सबसे पहले एच-1बी वीजा की फीस 2000 डॉलर से बढ़ाकर 6000 डॉलर कर दी. वहीं एल1 वीजा की फीस 4000 डॉलर तय कर दी. इससे भारतीय आईटी कंपनियों का खर्च बहुत ज्यादा बढ़ गया.
बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ के नाम पर ट्रंप ने पिछले दिनों जो फैसले लिए हैं, उससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं. क्या उन लोगों को दोनों देशों के पीएम और उनके शानदार डिनर से फर्क पडे़गा? हरगिज नहीं! ट्रंप ने एच-1बी वीजा को सख्त बनाकर भारतीय आईटी इंडस्ट्री की नींव हिला दी है. ऐसा नहीं है कि ट्रंप ने अचानक वीजा घटाने या सख्ती बरतने का फैसला किया था. राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ही उन्होंने अपना रुख साफ कर दिया था कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो वीजा पर सख्ती करेंगे.
ट्रंप ने भारतीय आईटी कंपनियों के कर्मचारियों के लिए मिनिमम सैलरी 60,000 डॉलर से बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दिया है. आमतौर पर आईटी कंपनियां भारतीयों को 60,000 डॉलर में नियुक्त करती थीं. अमेरिकी कर्मचारियों की मिनिमम सैलरी ज्यादा होती थी. लेकिन भारतीय और अमेरिकियों के बीच सैलरी का फर्क खत्म होने से साफ है कि कंपनियां भारतीयों का वीजा खर्च उठाने के बजाय सीधे अमेरिकियों को ही हायर करेंगी.
विदेश में कामकाज कर रही आईटी कंपनियों से भारत सरकार को 5 अरब डॉलर का टैक्स मिलता है. वहीं अमेरिका की इकनॉमी में 1 अरब डॉलर का योगदान होता है.
प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच 3 बार फोन पर बातचीत हुई है. यह पहला मौका है जब दोनों आमने-सामने एक दूसरे से बात करने वाले हैं. मोदी को ट्रंप ने व्हाइट हाउस में डिनर के लिए भी आमंत्रित किया था. यह पहला मौका है जब डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस में किसी राष्ट्र प्रमुख के साथ वर्किंग डिनर करेंगे. लेकिन यह सम्मान क्या बेरोजगार भारतीयों का दर्द कम कर सकेगा?
नरेंद्र मोदी की यह यात्रा भारतीय आईटी इंडस्ट्री और उनके कर्मचारियों के लिए काफी अहम है. ट्रंप ने पिछले दिनों वीजा पर जो सख्ती की है उससे इंफोसिस, विप्रो जैसी दिग्गज आईटी कंपनियों को बड़ी तादाद में लोगों की छंटनी करनी पड़ी.
ट्रंप ने इसी साल अप्रैल में एक एग्जिक्यूटिव ऑर्डर के जरिए एच-1बी वीजा में सख्ती करने का फैसला लिया था. ट्रंप के इस फैसले की सबसे तगड़ी चोट भारतीयों पर पड़ी है क्योंकि भारतीय आईटी कंपनियां सबसे ज्यादा इसी वीजा का इस्तेमाल करती हैं. ट्रंप ने कहा था कि अमेरिकी नागरिकों की नौकरी सुरक्षित करने के लिए वे ‘हायर अमेरिकन’ नियम लाएंगे.
अमेरिका में भारत के राजदूत नवतेज सरना ने कहा, ‘हम वास्तव में सोचते हैं कि यह यात्रा संबंधों को अगले स्तर पर ले जाएगी.’ मोदी और ट्रंप ने इससे पहले फोन पर तीन बार बात की है. दोनों व्हाइट हाउस में कई घंटे साथ रहेंगे. इसकी शुरुआत आमने सामने की बैठक के साथ होगी. इसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक, कॉकटेल रिसेप्शन और एक कामकाजी रात्रिभोज होगा जो कि ट्रंप प्रशासन के तहत व्हाइट हाउस के भीतर किसी विदेशी नेता के लिए पहला रात्रिभोज होगा.’
तैयारियों के बारे में जानकारी रखने वाले एक मध्य स्तर के अमेरिकी सूत्र ने कहा, ‘यह ऐतिहासिक होगा, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया.’ सूत्र ने यद्यपि यह नहीं बताया कि यात्रा के परिणाम की प्रकृति क्या होगी लेकिन दोहराया कि वह दोनों देशों को पहले के मुकाबले और नजदीक ले आएगी. साथ ट्रंप के रात्रिभोज के लिए व्हाइट हाउस रसोई की ओर से विस्तृत तैयारियां की जा रही हैं. मोदी और ट्रंप सोशल मीडिया पर सबसे अधिक फालो किये जाने वाले वैश्विक नेताओं में शामिल हैं. दोनों के कुल मिलाकर अपने निजी अकाउंट पर छह करोड़ से ज्यादा फालोवर हैं.
उम्मीद है कि दोनों नेता व्हाइट हाउस में अपनी मुलाकात के दौरान विभिन्न विषयों पर चर्चा करेंगे.
सरना ने पहले एक साक्षात्कार में कहा, ‘मेरा मानना है कि दोनों नेताओं के बीच पहली बार होने वाली आमने सामने की मुलाकात दोनों नेताओं को पूरे भारत..अमेरिका संबंधों पर गौर करने का एक मौका देगी और वे वैश्विक हित के मुद्दों पर विचारों का अदान-प्रदान करेंगे.’ व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने भी कहा, ‘यह यात्रा अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी को मजबूती प्रदान करने का एक मौका होगी जिसे ट्रंप एशिया प्रशांत क्षेत्र और वैश्विक रूप से स्थिरता और सुरक्षा को बढावा देने में एक महत्वपूर्ण साझेदारी के तौर पर देखते हैं.’ अधिकारी ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि उनकी चर्चा व्यापक होगी, जिसमें क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दे शामिल होंगे. इससे हमारी साझा प्राथमिकताएं आगे बढ़ेंगी जिसमें आतंकवाद से मुकाबला, आर्थिक प्रगति एवं समृद्धि को बढावा देना शामिल है.’
अधिकारी ने कहा कि अमेरिका भारत के रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण को सुगम बनाने में बहुत रुचि रखता है. इसके साथ ही वह एशिया प्रशांत क्षेत्र में एक नेता के तौर पर उसकी भूमिका बढ़ाने में मदद करने में भी रुचि रखता है. अधिकारी ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का मानना है कि एक मजबूत भारत अमेरिका के लिए अच्छा है.
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