“कांग्रेस को हराओ” : मुलायम ने दिया सपा कार्यकर्ताओं को निर्देश

#मुलायम ने नया दांव मारा#मुलायम ने खुलकर कांग्रेस पर हमला बोला #कांग्रेस की वजह से देश पिछड़ा #मैं जीवन भर कांग्रेस का विरोध करता रहा हूं.#अखिलेश ने राहुल से हाथ मिलाकर यूपी में कांग्रेस को मजबूत होने का मौका दे दिया# कांग्रेस मजबूत होगी तो समाजवादी पार्टी कमजोर होगी# मुलायम ने अपने समर्थकों से उन 105 सीटों पर लड़ने की अपील की है# जहां कांग्रेस उम्मीदवार खड़े हैं #सपा कार्यकर्ताओं से अपील करेंगे कि इस गठबंधन का विरोध करें#

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सवाल उठ रहा था कि नेताजी पहलवानी भूल गए क्‍या. तभी मुलायम सिंह ने नया दांव मारा है. यही वजह है कि मुलायम ने खुलकर कांग्रेस पर हमला बोला और ये तक कह डाला कि कांग्रेस की वजह से देश पिछड़ा हुआ है. अखिलेश को आड़े हाथ लिया. राहुल के मन में चुनाव बाद के गठबंधन की कोई दूसरी खिचड़ी पक रही है जिसे अखिलेश तो नहीं समझ सके लेकिन मुलायम जरूर समझ गए. कांग्रेस के कारण देश पिछड़ा है. मैं जीवन भर कांग्रेस का विरोध करता रहा हूं.
उन्होंने कहा कि सपा के कार्यकर्ताओं और नेताओं का भविष्य अखिलेश ने खराब कर दिया. यूपी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के सीटों के बंटवारे में सपा के कई कार्यकर्ताओं का पत्ता ही कट गया है. कांग्रेस 105 और समाजवादी पार्टी 298 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
अखिलेश युवा हैं और जोश में हैं. अखिलेश को बनी बनाई पार्टी मिली है तो यूपी का ताज भी चांदी की थाली में सज कर मिला था. अखिलेश ने सियासत के वो उतार चढ़ाव नहीं देखे जिन्हें देखने में मुलायम की पूरी उम्र ही गुजर गई. मुलायम ने अपना राजपाट, साइकिल-सिंबल-पार्टी सबकुछ बेटे की जिद के चलते सौंप दिया लेकिन मुलायम की राजनीति का तजुर्बा अखिलेश के हिस्से में अभी नहीं आया है. मुलायम राजनीति के पुरोधा हैं. उन्होंने राजनीति के बनते-बिगड़ते रिश्तों को करीब से देखा है. मुलायम राजनीति के महारथी नहीं होते तो शायद यूपी के सीएम ही नहीं बन पाते. 5 दिसंबर 1989 को मुलायम पहली दफे यूपी के सीएम बने. वक्त का तकाजा देखिये कि मुलायम की बनाई समाजवादी पार्टी के भविष्य पर अब बेटा अखिलेश फैसला कर रहा है. छोटे लोहिया का तमगा रखने वाले मुलायम बेबस दिखाई दे रहे हैं.
मुलायम सिंह को राहुल और अखिलेश का साथ पसंद नहीं है. पांच दशक की राजनीति में मुलायम सिंह कांग्रेस विरोध के प्रतीक रहे हैं. 1967 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर वो सबसे कम उम्र में विधायक बने थे. 1989 में उत्तर प्रदेश के पहली दफे मुख्यमंत्री बने.
मुलायम की सियासत ही सूबे में कांग्रेस विरोध और मुस्लिम-पिछड़ों को साथ जोड़ कर ऊंचाई पर पहुंची है. अगर यूपी में कांग्रेस का किसी ने सफाया किया है तो वो हैं मुलायम सिंह यादव. कांग्रेस के वोटबैंक को मुलायम सिंह ने अपना वोटबैंक बनाया. ऐसे में मुलायम की सियासी नजर में अखिलेश ने राहुल से हाथ मिलाकर यूपी में कांग्रेस को मजबूत होने का मौका दे दिया है. कांग्रेस मजबूत होगी तो समाजवादी पार्टी कमजोर होगी.
मुलायम सिंह यादव ने सपा-कांग्रेस गठबंधन के खिलाफ एक और बड़ा बयान दिया है. मुलायम ने अपने समर्थकों से उन 105 सीटों पर लड़ने की अपील की है जहां कांग्रेस उम्मीदवार खड़े हैं. मुलायम ने रविवार को भी इसी तरह का बयान दिया था. तभी से पार्टी प्रवक्ता दलीलें दे रहे हैं कि ये उनकी व्यक्तिगत राय है.
रविवार को लखनऊ में अखिलेश यादव और राहुल गांधी के रोड शो के फौरन बाद सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने दिल्ली से बड़ा झटका देते हुए गठबंधन को ही सिरे से खारिज कर दिया. मुलायम ने कहा कि वह गठबंधन के खिलाफ हैं और सपा कार्यकर्ताओं से अपील करेंगे कि इस गठबंधन का विरोध करें.
मुलायम ने कहा कि गठबंधन से कार्यकर्ताओं में मायूसी है. वह उनसे कहेंगे कि इस गठबंधन का विरोध करें. गठबंधन को लेकर तल्ख मुलायम ने कहा कि अखिलेश ने हमारी इच्छा के खिलाफ समझौता किया है. मैं शुरू से ही कांग्रेस से समझौते के पक्ष में नहीं था. कांग्रेस के कारण देश पिछड़ा है. मैं जीवन भर कांग्रेस का विरोध करता रहा हूं.
इसके अलावा मुलायम ने टिकट बंटवारे पर भी सीएम अखिलेश को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हमारे जिन लोगों के टिकट कटे हैं, वे अब क्या करेंगे. हमने पांच साल के लिए तो मौका गंवा दिया है. हमारे नेता व कार्यकर्ता चुनाव लड़ने से वंचित रह गए हैं.
दरअसल, मुलायम सिंह यादव की चिंता मुस्लिम वोटों के सपा से बनती दूरी है. 90 के दशक में मुलायम की अगुवाई में सपा ने कांग्रेस से मुस्लिम वोट बैंक छीने थे. यही कारण था कि मुलायम ने कभी भी कांग्रेस से उत्तर प्रदेश में सीधा गठबंधन नहीं किया था.
अखिलेश भले ही राहुल को साइकिल का दूसरा पहिया बताएं या फिर राहुल अखिलेश की दोस्ती को गंगा-जमुना का मिलन कहें लेकिन मुलायम सिंह की नजर में ये दोस्ती बचकानी है जिसकी उमर लंबी नहीं.
मुलायम सिंह ने साफ कह दिया कि बिना इस गठबंधन के भी यूपी में अखिलेश की सरकार बनना तय था.
ऐसे में मुलायम ने पहली गांठ तो बांध ही दी. साथ ही उन्होंने ये भी कह दिया कि वो इस गठबंधन के लिये प्रचार नहीं करेंगे. अखिलेश के लिये ये बड़ा झटका है. अखिलेश ये जानते हैं कि यूपी में मुस्लिम वोट सिर्फ मुलायम के नाम से ही कमाए जा सकते हैं.

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