नागपंचमी पर घर के बाहर लिखें इन महान ऋषि का नाम;कभी नहीं होगा सर्प दंश

  पूर्ण पृथ्वी का भार, संभालने वाले शेषनाग व भगवान शिवजी के गले में शोभायमान नाग महाराज को हमारे पूर्वज, देव, दानव व किन्नर सभी पूजते हैं। हिमालयायूके के लिए चन्‍द्रशेखर जोशी मुख्‍य सम्‍पादक की प्रस्‍तुति-

नागपंचमी पर कालसर्प दोष दूर करने के उपाय अगर आप नहीं जानते तो हम आपको कालसर्प दोष दूर करने के उपाय बताएंगे। कालसर्प दोष अगर जिस जातक की कुंडली में होता है। उसे जीवन में अत्याधिक संघर्ष करना पड़ता है। वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं हो पाता चाहें वह नौकरी हो, व्यापार हो या उसका वैवाहिक जीवन। कुंडली में जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं। तब इस दोष का निर्माण होता है। लेकिन नागपंचमी के दिन अगर आप कुछ उपायों को अपनाते हैं तो आप इस दोष से मुक्ति पा सकते हैं। नागपंचमी का पर्व इस साल 2019 (Nag Panchami Festival 2019) में 5 अगस्त 2019 (5 August 2019) को पड़ रहा है।

नागपंचमी 2019 तिथि (Nag panchami 2019 Tithi) 5 अगस्त 2019 नागपंचमी 2019 शुभ मुहूर्त (Nag panchami 2019 Subh Muhurat) पंचमी तिथि प्रारंभ- शाम 6 बजकर 48 मिनट (4 August 2019) पंचमी तिथि अंत- दोपहर 3 बजकर 54 मिनट ( 5 August 2019)

अपनी राशि के अनुसार आपको किस नागदेवता का पूजन करना चाहिए –  मेष : मेष राशि वाले सभी जातकों को अपनी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए नागपंचमी पर विशेष रूप से अनन्त नाग, नागदेवता का पूजन करना चाहिए। इसी प्रकार – वृषभ : कुलिक नाग,
मिथुन : वासुकि नाग,   कर्क : शंखपाल नाग,  सिंह : पद्म नाग,  कन्या : महापद्म नाग   तुला : तक्षक नाग, वृश्चिक : कर्कोटक नाग,  धनु : शंखचूर्ण नाग,  मकर : घातक नाग,  कुंभ : विषधर नाग और मीन राशि वालों को शेषनाग की प्रतिमा की पूजा नाग पंचमी को करनी चाहिए। इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है।

हिमालयायुके न्‍यूज पोर्टल के अनुसार    नागपंचमी पर घर के बाहर लिखें 1 महान ऋषि का नाम, कभी नहीं होगा सर्प दंश, जानिए किस वचन से बंधे हैं नागराज- पिथौरागढ जनपद के अन्‍तर्गत डीडीहाट तहसील के पतेत ग्राम में पहाड की 3 चोटियो पर काली नाग, धुमरी नाग, सुनहरी नाग जी के मदिर है, जहां के पुजारी जोशी, वशिष्‍ठ गौत्र होते हैं, मान्‍यता है कि इन पुजारियो के परिवारो  को कभी भी सर्पदंश  नही होगा, इसके अलावा नाग देवता के और भी रोचक किस्‍से है,

‘आस्तिक मुनि की दुहाई’ नामक वाक्य घर की बाहरी दीवारों पर सर्प से सुरक्षा के लिए लिखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस वाक्य को घर की दीवार पर लिखने से उस घर में सर्प प्रवेश नहीं करता।

गरूण पुराण के अनुसार नागपंचमी के दिन व्रत रखने से कालसर्प दोष से मुक्ति से मुक्ति मिलती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष बना है। उन्हें तो इस दिन विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। इस दिन महिलाएं अपने घर के बाहर मिट्टी या आंटे से सांप की आकृति बनाकर उन्हें रंगों के द्वारा सजाया जाता है। इसके बाद नाग देवता की विधिवत पूजा की जाती है। नाग देवता को फूल, खीर, दूध आदि का भोग लगाया जाता है। नाग देवता को पंचमी तिथि का स्वामी माना जाता है।सभी पूजा विधि संपन्न करने के बाद सर्प को दूध पिलाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। क्योंकि भगवान शिव का सीधा संबंध नाग देवता से हैं। अंत में भुने हुये चने और जौ को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार यमुना नदी में कालिया नाग अपने परिवार के साथ रहा करता था। कालिया नाग और उसके परिवार के विष से पूरी यमुना नदी विषैली हो गई थी। लोग उस पानी को पीने के कारण बिमार हो रहे थे। एक दिन भगवान कृष्ण और उनके कुछ दोस्त यमुना नदी के किनारे खेल रहे थे।  चानक भगवान कृष्ण की गेंद यमुना नदी में गिर गई। जिसे लेने के लिए भगवान श्री कृष्ण यमुना नदी में कूद पड़े। जब कालिया नाग ने भगवान कृष्ण को दिखा तो उसने भगवान कृष्ण पर हमला कर दिया । भगवान श्री कृष्ण का कालिया नाग से भंयकर युद्ध हुआ। भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को पराजित कर दिया। कालिया नाग को पराजित करने के बाद वह कालिया नाग के ऊपर चढ़ गए । कालिया नाग भगवान श्री कृष्ण का भार नहीं संभाल पा रहा था। अंत में कालिया नाग ने भगवान श्री कृष्ण से श्रमा याचना की और भगवान ने उसे श्रमा कर दिया। भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को यमुना नदी छोड़ने का आदेश दिया साथ ही उसे वरदान दिया कि सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नागपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा और नाग देवता की पूजा की जाएगी।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में जब सारे ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं या सभी नव ग्रह केतु और राहु के बीच में आ जाते हैं। उस समय कालसर्प दोष का निर्माण होता है। इस दोष में लोगों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिन लोगों की कुंडली में इस प्रकार का दोष बनता है। उन्हें न केवल अपनी नौकरी में बल्कि वैवाहिक जीवन, संतान कष्ट, मान- सम्मान आदि सभी चीजों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस दोष का निवारण करना आवश्यक है।

नागपंचमी पर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए अगर आप विधिवत नाग देवता की पूजा करते हैं तो आपको कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाएगी। नागपंचमी (Nag panchami) पर नाग देवता की पूजा का विधान हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा भी की जाती है। नागपंचमी के दिन सापों को भी दूध पिलाया जाता है। माना जाता है कि सावन के महिने में सांप धरती पर अधिक निकलते हैं । ये किसी का अहित न करें । इसके लिए नाग देवता (Nag Devta) की पूजी की जाती है और सांपों को दूध पिलाया जाता है। नागपंचमी का दिन कालसर्प दोष से मुक्ति ( Kaal Sarp Dosh Se Mukti) के लिए भी विशेष माना जाता है। जिसके लिए विशेष पूजा भी की जाती है

 कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) दूर करने के उपायकितने प्रकार के होते हैं कालसर्प दोष (Kitne Prakar ke Hote Hai Kaal Sarp Dosh ) 1.कुलिक कालसर्प दोष 2.वासुकी कालसर्प दोष 3.शंखपाल कालसर्प दोष 4.पद्म कालसर्प दोष 5.महापद्म कालसर्प दोष 6.तक्षक कालसर्प दोष 7.कर्कोट कालसर्प दोष 8.शंखनाद कालसर्प दोष 9.पातक कालसर्प दोष 10.विषाक्तर कालसर्प दोष 11.शेषनाग कालसर्प दोष

नागपंचमी पर कालसर्प दोष के उपाय (Nag Panchami Kaal Sarp Dosh Ke Upay) .नागपंचमी के दिन चांदी के नाग- नागिन का जोड़ा बनवाकर विधिवत पूजा करें। इसके बाद नाग-नागिन के जोड़े को बहते जल में प्रवाहित कर दें। .नागपंचमी के दिन सपेरे को पैसें देकर नाग- नागिन के जोड़े को जंगल में आजाद कराएं।

नागपंचमी के दिन भगवान शिव की पूजा करने के बाद इन मंत्रों का जाप करें। (नागपंचमी मंत्र / नाग मंत्र) ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।। ॐ नवकुलाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात ॐ अनन्तेशाय विद्महे महाभुजांगाय धीमहि तन्नो नाथः प्रचोदयात ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले। ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।। ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:। ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।’ .नागपंचमी के दिन भगवान शिव को विजया, अर्क पुष्प, धतूर पुष्प, फल चढ़ाएं और दूध से रुद्र आभिषेक करें। नागपंचमी के दिन अपने वजन के बराबर कोयला बहते जल में बहाएं।

हिमालयायुके न्‍यूज पोर्टल के अनुसार   गरुड़ पुराण के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है। राहु को सर्प का मुख और केतु को उसकी पूंछ माना जाता है। जब भी समस्त ग्रह इन दोनों ग्रहों के मध्य में आते हैं तो वह कालसर्प योग कहलाता है। कालसर्प योग शुभ व अशुभ दोनों प्रकार के होते हैं। इसकी शुभता और अशुभता अन्य ग्रहों के योगों पर निर्भर करती है।

हिमालयायुके न्‍यूज पोर्टल के अनुसार ‘आस्तिक मुनि की दुहाई’ नामक वाक्य घर की बाहरी दीवारों पर सर्प से सुरक्षा के लिए लिखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस वाक्य को घर की दीवार पर लिखने से उस घर में सर्प प्रवेश नहीं करता।
इस मान्यता के पीछे एक पौराणिक कथा है। कलियुग के प्रारंभ में जब ऋषि पुत्र के श्राप के कारण राजा परीक्षित को तक्षक नाग ने डस लिया, तो इससे उनकी मृत्यु हो गई। जब यह बात राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय को पता चली तो उन्होंने क्रुद्ध होकर अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए इस संसार से समस्त नाग जाति का संहार करने के लिए ‘सर्पेष्टि यज्ञ’ का आयोजन किया। इस ‘सर्पेष्टि यज्ञ’ के प्रभाव के कारण संसार के कोने-कोने से नाग व सर्प स्वयं ही आकर यज्ञाग्नि में भस्म होने लगे।इस प्रकार नाग जाति को समूल नष्ट होते देख नागों ने आस्तिक मुनि से जाकर अपने संरक्षण हेतु प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर आस्तिक मुनि ने नागों को बचाने से पूर्व उनसे एक वचन लिया कि जिस स्थान पर नाग उनका नाम लिखा देखेंगे, उस स्थान में वे प्रवेश नहीं करेंगे और उस स्थान से 100 कोस दूर रहेंगे।
नागों ने अपने संरक्षण हेतु आस्तिक मुनि को जब यह वचन दिया तब आस्तिक मुनि ने जन्मेजय को समझाया। आस्तिक मुनि के कहने पर जन्मेजय ने ‘सर्पेष्टि यज्ञ’ बंद कर दिया। इस प्रकार आस्तिक मुनि के हस्तक्षेप के कारण नाग जाति का आसन्न संहार रुक गया।इस कथा के अनुसार ही ऐसी मान्यता प्रचलित है कि आस्तिक मुनि को दिए वचन को निभाने के लिए आज भी सर्प उस स्थान में प्रवेश नहीं करते, जहां आस्तिक मुनि का नाम लिखा होता है। इस मान्यता के कारण ही अधिकांश लोग सर्प से सुरक्षा के लिए अपने घर की बाहरी दीवार पर लिखते हैं- ‘आस्तिक मुनि की दुहाई।’

हिमालयायुके न्‍यूज पोर्टल के अनुसार     नागपंचमी के दिन ही शिव मंदिर में 1 माला शिव गायत्री का जाप (यथाशक्ति) करें एवं नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाएं तो पूर्ण लाभ मिलेगा।

शिव गायत्री मंत्र :

ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे, महादेवाय धीमहि तन्नोरुद्र: प्रचोदयात्

ॐ अनन्तेशाय विद्महे महाभुजांगाय धीमहि तन्नो नाथः प्रचोदयात्

ॐ नवकुलाय विद्महे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प प्रचोदयात्

नागपंचमी के दिन नाग महाराज का पूजन करने से नाना प्रकार के कष्ट खत्म हो जाते हैं, इस दिन जिस व्यक्ति को राहु-केतु की दशा या महादशा चल रही हो,

दोष-निवारण के लिए नाग देवता की राशि अनुसार स्तुति कर सकते हैं –

मेष-

ॐ वासुकेय नमः

वृषभ-
ॐ शुलिने नमः

मिथुन-
ॐ सर्पाय नमः

कर्क-

ॐ अनन्ताय नमः

सिंह-
ॐ कर्कोटकाय नमः

कन्या-
ॐ कम्बलाय नमः

तुला-
ॐ शंखपालय नमः

वृश्चिक- ॐ तक्षकाय नमः

धनु-
ॐ पृथ्वीधराय नमः

मकर-
ॐ नागाय नमः

कुंभ-
ॐ कुलीशाय नमः

मीन-
अश्वतराय नमः



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