नरेंद्र मोदी; ग्रहो की अनुकूल चाल से कदमताल- जन्मदिवस विशेष
प्रधानमंत्री पूरा नाम ‘नरेन्द्र दामोदरदास मोदी’ 17 सितंबर २०१८को अपना 69वां जन्मदिन मना रहे हैं। 2019 में चुनौतियां कठिन है
पीएम मोदी की फिल्मों में ज्यादा रुचि नहीं है, लेकिन देवानंद की फिल्में देखने के लिए वह कुछ वक्त जरूर निकाल लेते हैं क्योंकि देवानंद उनके फेवरेट एक्टर हैं.मोदी कहते हैं कि उनके पास फिल्में देखने का वक्त नहीं है, लेकिन उनके पसंदीदा ऐक्टर देवानंद हैं। पीएम मोदी शाकाहारी भोजन करना पसंद करते हैं, वो भी खास उत्तर भारत और गुजराती व्यंजनों वाला। ढोकला गुजराती खिचड़ी आम की चटपटी चटनी खांडवी श्रीखंड उनका पसंद है; चन्द्रशेखर जाेेेशी-की देहरादून से विश्ाेेष प्रस्तुति-
एक आम संघ कार्यकर्ता से लेकर प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने में पीएम मोदी की मेहनत और लगन काबिलेतारीफ है लेकिन इस राजयोग के लिए मोदी की कुंडली और कुंडली में बैठा राजयोग भी काफी हद तक एक बड़ा कारण है। मोदी की कुंडली के शुभ ग्रह उनकेे प्रति अनुकूल वातावरण बनाने में मदद करते रहे, यह बडा महत्वपूर्ण है। नरेंद्र मोदी का जन्म 1950 में 17 सितंबर यानी आज के ही दिन हुआ था। इनके जन्म के समय चन्द्रमा और मंगल दोनों ही कुण्डली के पहले घर में वृश्चिक राशि में बैठे हैं। जबकि ग्यारहवें घर में सूर्य बुध, केतु एवं नेप्चयून के साथ बैठा है। गुरु महाराज चौथे घर में शुक्र और शनि के आमने-सामने बैठे हैं। नरेन्द्र मोदी की कुंडली में लग्न में स्वगृही मंगल से रूचक योग, चंद्र-मंगल से लक्ष्मी योग एवं सूर्य-बुध से बुधादित्य योग बना है। इसके अतिरिक्त प्रजा सुख का कारक ग्रह शनि अपने परम मित्र शुक्र के साथ दशम भाव में स्थित है जो जातक को पराक्रमी, साहसी, तर्क-वितर्क में माहिर होने के साथ ही शीघ्र निर्णय लेने वाला और कुशल प्रशासकीय क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है।
उनके पसंदीदा गाने और फिल्में; प्रधानमंत्री को पिछले युगों पर बनी फिल्में देखने का ज्यादा शौक है। पीएम मोदी की सबसे पसंदीदा फिल्म 1966 में आई ‘गाइड’ है। यह फिल्म आर.के.नारायण के नोवेल पर आधारित है। नरेंद्र मोदी की पसंदीदा गायिका लता मंगेश्कर है। उन्हे 1961 में आई फिल्म ‘जय चित्तौड़’ का गाना ‘हो पवन वेग से उड़ने घोड़े’ काफी पसंद है। साथ ही भारत व्यास का गाना ”तेरे कंधों पे आज भार है मेवाड़ का, करना पड़ेगा तुझे सामना पहाड़ का….हल्दीघाटी नहीं है काम कोई खिलवाड़ का, देना जवाब वहां शेरों के दहाड़ का”। यह गाना भी पीएम मोदी को काफी पसंद है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपना 69वां जन्मदिवस मना रहे हैं. 17 सितंबर 1950 को जन्मे नरेंद्र मोदी का जन्मांक 8 और भाग्यांक 5 है. भाग्यांक 5 की वजह से ही वे 2014 में प्रधानमंत्री बनें. इस सदी का चौदहवां वर्ष उनके लिए बड़ी सफलता लेकर आया है. उस समय उनकी उम्र 65वें वर्ष में थी. इसका योग 2 होता है. अंक 2 उनके लिए सकारात्मक है. इसके अलावा अंक 5, 8 भी उनके लिए सकारात्मक सीरिज में से है. 17 सितंबर 2018 से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उम्र के 69वें वर्ष पड़ाव में प्रवेश कर रहे हैं. इसका योग 6 है. यह शुक्र का अंक है. यह अंक उनके जन्मांक 8 के ग्रह शनि और भाग्यांक 5 के ग्रह बुध का मित्र है. यह अंकों के ग्रहों का अत्यंत सकारात्मक योग है. ऐसे में कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी के लिए 69वां वर्ष हितकर रहने वाला है. हालांकि 6 अंक उनकी पॉजिटिव सीरिज 2, 5, 8 से भिन्न हैं. अतः चुनौतियां भी कम नहीं होंगी. नरेंद्र मोदी के जीवन में 2018 का योग 2 है, जबकि 2019 का योग 3 है. यहां यह स्पष्ट नजर आता है कि वर्तमान सन 2018 नरेंद्र मोदी के लिए 19 की अपेक्षा अधिक शुभ रहेगा. 2019 में चुनौतियां कठिन है- नरेंद्र मोदी के नाम का योग अंक 41 है, जिसका कुल अंक 5 निकलता है और 5 भाग्यांक है. उन्हें हमेशा अपनी क्षमता का पूरा प्रयोग करना चाहिए. उपनाम मोदी का अंक 16 है जिसका कुल अंक 7 निकलता है. यह आरंभिक सफलता के लिए ठीक है
नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले साधक के रूप में जीवन व्यतीत किया था. स्वामी चिदानंद के अनुसार एक बार पीएम मोदी ऋषिकेश स्थित परमार्थ आश्रम आए थे और 10-12 दिन साधनारत रहे. उस दौरान वे सुबह उठते और पद यात्रा करने के बाद पूरे दिन साधना में लीन रहते थे. उन्होंने वहां प्राकृतिक चिकित्सा ली और उसे सीखी भी. उन्होंने बताया कि वो संन्यासी बनना चाहते थे.
उनका जन्म एक मोध-घांची-तेली नामक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले घर में हुआ था। जिसे संविधान में अन्य पिछड़ी जाति का दर्जा प्राप्त है। मोदी घंटों स्कूल की लाइब्रेरी किताबें पढ़ने में बिता दिया करते थे। 1973 में मोदी ने नवनिर्माण आंदोलन में हिस्सा लिया। इस आंदोलन ने कांग्रेस की सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई। इसी आंदोलन में उन्हें जयप्रकाश नारायण के करीब आने का मौका मिला। जेपी उन दिनों भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चला रहे थे।
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मोदी की प्रचलित जन्म की तारीख है, सितम्बर 17, 1950, जन्म समय 11 बजे, स्थान है मेहसाणा- अपने शुभ ग्रहों के चलते ही नरेंद्र मोदी को इतना महत्वपूर्ण पद मिला और साथ ही देश विदेश घूमने का असीमित मौका। अगर ग्रहों की शुभ स्थिति पर गौर करें तो तो हमें दिखता है कि नरेंद्र मोदी की कुंडली में कई शुभ योग बने हुए हैं जो समय समय पर उनके उत्थान के साथ साथ उन्हें परेशानियों और शत्रुओं से भी बचाते हैं। जैसे गजकेसरी योग, मूसल योग, केदार योग, रूचक योग, वोशि योग, भेरी योग, चंद्र मंगल योग, नीच भंग योग, अमर योग, कालह योग, शंख योग तथा वरिष्ठ योग। शनि की बदलौत उनके राजनीतिक जीवन मं कई बड़े उतार चढ़ाव देखने को मिले। शनि राजनीति सन्ता दिलाने वाला ग्रह होता है। शनि मोदी जी की कुण्डली में उनके आत्मविश्वास, जनता का समर्थन, भाई चारा, माता के सुख को देने वाला है।
17 सितम्बर 1950 को बडनगर मेहसाना जिले में पीएम नरेंद्र मोदी का जन्म हुआ नरेंद्र मोदी के पिता का नाम दामोदरदास मूलचंद मोदी एवं माता का नाम हीराबेन मोदी है। पीएम मोदी ने अपनी 10वीं तक की पढ़ाई श्री बी.एन. हाईस्कूल बडनगर से पूरी की थी। पीएम मोदी ने प्री-सायेंस एमएन सायेंस कॉलेज बडनगर से पास किया था। ये 12वीं के समकक्ष माना जाता है। पीएम मोदी ने सन 1967 में एसएससी का एग्जाम पास किया था। उसके बाद पीएम मोदी घर से चले गए थे।पीएम मोदी ने सन 1978 में दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्नातक में प्रवेश लिया और 1980 में अपनी राजनिति विज्ञान में स्नताक की पूरी की थी। पीएम मोदी इस समय आरएसएस के प्रचारक थे। पीएम मोदी ने सन 1983 में गुजरात यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में एमए की डिग्री फस्ट डिवीजन के साथ पास की थी।
नरेन्द्र दामोदर दास मोदी का जन्म 17.9.1950 में समय 11 बजे सुबह मेहसाना गुजरात में हुआ। मोदी जी की लग्न वृश्चिक है जिसका स्वामी मंगल गृह है जो जन्म कुण्डली में अपने ही भाव अर्थात प्रथम भाव में स्थित है। वर्ष 2016 के अंकों का जोड़ करने पर नौ अंक ज्ञात होता है। अंकशास्त्र के अनुसार नौ अंक का स्वामी मंगल गृह है। अंक विज्ञान के अनुसार नरेन्द्र मोदी की जन्म तिथि 17-09-1950 का मूलांक 8, भाग्यांक 5 और नामांक 5 है। इन तीनों अंको में आपस में मैत्री सम्बन्ध है। पूरा नाम ‘नरेन्द्र दामोदरदास मोदी’ है। हमने यहाँ गणना में इसी नाम को काम लिया है। इनका जन्म का मूलांक 8 बना है 17 से। यहाँ नेतृत्व और सत्ता के प्रतिनिधि पुरुष अंक 1 के साथ स्त्री अंक 7 की युति बन रही है। यह युति अच्छी नहीं होती है। यह स्त्री अंक खराब कर देती है। नरेन्द्र मोदी के यहाँ भी यही हुआ है। इस युति के कारण इनके स्त्री अंक भ्रष्ट हो गये। इसका तात्पर्य यह होता है कि ऐसे जातक को लक्ष्य-प्राप्ति में अपने ही दल के साथी लोगों/साथी दलों के लोगों या स्त्री से बाधा आती है। । यहाँ एक ख़ास बात और। मोदी का मूलांक 8 अंक 6 से मित्रता रखता है। भ्रष्ट अंक 6 से अंक 8 की यह मित्रता और भी गहरी होती है। अतः ऐसे लोग जिनका अंक 6 प्रबल है या जिनका अंक 6 भ्रष्ट है, वे मोदी की प्रधानमंत्री पद की यात्रा में इनके अनपेक्षित रूप से सहयोगी बन सकते हैं।
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ 26.05.2014 को सांय 06:10 बजे नई दिल्ली में ली थी। उस समय तुला लग्न की कुण्डली बनी थी। आपकी कुण्डली में वर्षेश बुध है। बुध आपकी कुण्डली में अपने मिथुन राशि में स्थित है।
यज्ञ का फल मोदी को मिला था-
विगत लोकसभा चुनाव से पूर्व वडोदरा में भाजपा के पीएम उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अब गुजरात में पूजा-अर्चना और हवन-यज्ञ का दौर शुरू हो गया था। शहर के श्री यंत्र मंदिर में 500 किलो मिर्ची की आहुति दी गई थी। शाम के लगभग 4 बजे से शुरू हुआ हवन का यह दौर 6 घंटे तक चला था। मंदिर में संत मंगलदत्त दवे बापजी महाराज द्वारा कहा गया था कि इस यज्ञ का फल मोदी को जरूर मिलेगा और वे भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। उन्होंने बताया कि इस हवन का प्रचलन रामायण काल से चला आ रहा है और इससे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यज्ञ में 30 विद्वान पंडितो ने 6 घंटे तक 500 किलो लाल मिर्च की आहुति दी थी।
इसके अलावा नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की कामना के लिए इलाहाबाद में संगम किनारे हवन और यज्ञ किया गया था। इस मौके पर मोदी की राह में आने वाली हर बाधा को दूर करने और नई सरकार के सफलतापूर्वक काम करने के लिए पूजा-अर्चना की गई थी। लोकसभा चुनाव से पूर्व नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की कामना के लिए इलाहाबाद में संगम किनारे हवन और यज्ञ किया गया था। इस मौके पर मोदी की राह में आने वाली हर बाधा को दूर करने और नई सरकार के सफलतापूर्वक काम करने के लिए पूजा-अर्चना की गई थी।
मोदी का जन्म दामोदारदास मूलचंद मोदी व उनकी पत्नी हीराबेन मोदी के घर मेहसाणा जिले में हुआ। 6 भाई-बहनों के बीच नरेंद्र अपनी माता-पिता की तीसरी संतान थे। युवास्था में नरेंद्र अपने बड़े भाई के साथ चाय की दुकान चलाते थे। लंबे समय तक मोदी ने चाय बेचकर काम चलाया। नरेंद्र मोदी 18 साल की उम्र में मोदी घर छोड़कर चले गए थे। दो सालों तक उन्होंने हिमालय की खाक छानी तथा अज्ञातवास में रहकर घनघोर तपस्या की। पूरा परिवार परेशान रहा कि मोदी कहां गायब हो गये,
प्रत्येक व्यक्ति किसी शुभ कार्य को शुभ समय में प्रारंभ करना चाहता है ताकि वह कार्य सफल, लाभकारी तथा मंगलमय हो। ऐसे अनेक शुभ समय (अवसर) विभिन्न कालांगों तथा वार, तिथि, नक्षत्र आदि के सम्मिश्रण से बनते हैं जिन्हें योग कहा जाता है। इसी प्रकार के शुभ योग प्रत्येक कार्य के लिए आचार्यों ने निर्धारित किए हैं। शुभ योगों की भांति अशुभ योग (कुयोग) भी इन्हीं कालांगों से मिलकर बनते हैं जिनमें शुभ कार्यों का प्रारंभ वर्जित है।
अंकों की यह अवस्था
स्त्री अंकों की यह अवस्था जहाँ निजी जीवन में दाम्पत्य-सुख नहीं लेने देती, वहीं दूसरी ओर करियर में कुछ ऊँच-नीच के बाद लाभ देती है। इन्हीं स्त्री अंकों से सम्बन्धित एक अद्भुत बात का यहाँ उल्लेख करना भी प्रासंगिक रहेगा। नरेन्द्र मोदी के नामांक 9 का वृहदंक 27 इन्हीं स्त्री अंकों से बना है। मोदी के मुख्यमंत्री बनने में इन स्त्री अंकों की हमेशा महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मोदी पहली बार मुख्यमंत्री बने 07-10-2001 में। यहाँ मूलांक 7 व भाग्यांक 2 था। आयु अंक भी 7 था। मोदी दूसरी बार मुखमंत्री बने 22-12-2002 को। यहाँ मूलांक 4 व भाग्यांक 2 तथा राज्य का आयु अंक 7 था। मोदी के तीसरी बार बनने की दिनांक थी 25-12-2007। यहाँ मूलांक 7। आप खुद ही देख लीजिए कि करियर के मामले में मोदी पर इन स्त्री अंकों की किस क़दर कृपा रही है। मोदी अंक पहली बार मुख्यमंत्री बने तब इनका आयु अंक 7 (52 वाँ वर्ष) व राज्य का आयु अंक 6 (42 वाँ वर्ष) था। इनके दूसरी बार मुख्यमंत्री बनते समय इनका आयु अंक 8 (53 वाँ वर्ष) व राज्य का आयु अंक 7 (43 वाँ वर्ष) था। इसी प्रकार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाते समय इनका आयु अंक 4 (58 वाँ वर्ष) और राज्य का आयु अंक 3 (48 वाँ वर्ष) था। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि स्त्री अंक 7 ने मोदी के करियर में तो फ़ायदा ही दिया। हाँ, इतना अवश्य हुआ कि मोदी की सीटें कुछ कम हो गयीं ( 127 से 117 पर आ गयीं)। नरेन्द्र मोदी पर अंक 4 व अंक 8 की कृपा है। अंक 4 के वर्ष 2002 में ही इन्होंने पहली बार चुनावी लड़ाई जीत कर मुख्यमंत्री पद पाया। गुजरात को अंक 4 की दशा वर्ष 2003 में आरम्भ हुई। राज्य को अभी अंक 8 की दशा ही चल रही है। यह दशा वर्ष 2014 तक चलेगी। इस दशा के प्रथम वर्ष 2007 में मोदी ने फिर से चुनावी लड़ाई जीत कर मुख्यमंत्री पद पाया।
घर से बाहर रहने के दौरान उन्होंने हिमालय (जहां वे गुरूदाचट्टी में ठहरे), पश्चिम बंगाल में रामकृष्ण आश्रम और पूर्वोत्तर भारत की यात्रा की. मोदी दो साल के बाद वापस लौट आए, लेकिन घर पर केवल दो सप्ताह ही रुके और वापस चले गए.
नरेंद्र मोदी 18 साल की उम्र में मोदी घर छोड़कर चले गए थे। दो सालों तक उन्हों ने हिमालय की खाक छानी तथा अज्ञातवास में रहकर घनघोर तपस्या की। पूरा परिवार परेशान रहा कि मोदी कहां गायब हो गये, नरेंद्र मोदी के बड़े भाई सोमभाई बताते हैं कि 18 साल की उम्र में मोदी घर छोड़कर चले गए थे। वे करीब दो साल तक ‘अज्ञातवास’ में रहे। बताया जाता है कि इन दो सालों में वे हिमालय की खाक छानते रहे। हालांकि, किसी को भी अच्छी तरह से यह नहीं मालूम कि इस दौरान मोदी कहां-कहां गए और क्या-क्या किया। नरेंद्र मोदी के बड़े भाई सोमभाई ने एक इंटरव्यू में बताया, ‘मोदी 18 साल की उम्र में दो सालों के लिए गायब हो गए थे। मां और हम सभी इस बात को लेकर परेशान थे कि नरेंद्र कहां चला गया। लेकिन दो साल बाद एक दिन वह घर लौट आया। उसने हमें बताया कि वह अहमदाबाद जाकर हमारे चाचा बाबूभाई की कैंटीन में काम करेगा।’
वडनगर में मोदी के परिवार के पड़ोसी रहे एक शख्स के मुताबिक, ‘नरेंद्र के अज्ञातवास से लौट आने पर घर में उनके निजी जीवन को लेकर कलह होने लगी। इससे नाराज होकर नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर घर छोड़ दिया।’ इसके बाद मोदी अहमदाबाद पहुंचे जहां उनके चाचा बाबूभाई सिटी बस स्टैंड पर कैंटीन चलाते थे। मोदी ने कुछ दिन वहां काम किया। इसके बाद गीता मंदिर के नजदीक चाय का ठेला लगाने लगे। संघ के प्रचारक के मुताबिक, ‘कुछ प्रचारक सुबह की शाखा से लौटते समय मोदी के ठेले पर चाय पीने आते थे।’ धीरे-धीरे मोदी की बातों ने उन पर असर किया। चूंकि, मोदी वडनगर में आरएसएस से जुड़े रह चुके थे, इसलिए संघ के प्रचारकों ने उन्हें संघ के राज्य मुख्यालय में असिस्टेंट के तौर पर काम करने के लिए बुला लिया। यहीं पर मोदी की मुलाकात एक बार फिर से वकील साहब से हुई थी।
इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारियों का दौर चल रहा था और उस वक्त कुछ महत्वपूर्ण कागजात गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ताओं से प्राप्त करने थे. उस दौरान यह जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी को सौंपी गई कि वे किसी भी तरह उन कागजात को पुलिस थाने में पुलिस की हिरासत में बैठे उस नेता से लेकर आएं और वह भी पुलिस बल के सामने. जब नानाजी देशमुख को गिरफ्तार कर लिया गया था, तब उनके पास एक पुस्तक थी जिसमें उनसे सहानुभूति रखने वालों के पते लिखे हुए थे. नरेन्द्र मोदी ने उनमें से प्रत्येक व्यक्ति को ऐसे सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का प्रबंध कर दिया कि उनमें से किसी को भी पुलिस बल गिरफ्तार नहीं कर पाए.
नरेंद्र दामोदर दास मोदी। बीजेपी की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और गुजरात के मुख्यमंत्री। बीजेपी के सबसे कद्दावर और लोकप्रिय नेता के तौर पर तेजी से स्थापित होते जा रहे मोदी ने कभी वे दिन भी देखें हैं, जब उन्हें किसी और के कपड़े धोने पड़ते थे और कई कमरों में झाड़ू लगाना पड़ता था। मोदी के आधिकारिक जीवनीकार एमवी कामत ने अपनी किताब ‘नरेंद्र मोदी द आर्किटेक्ट ऑफ मॉडर्न स्टेट’ में मोदी के हवाले से लिखा है, ’1974 में नवनिर्माण आंदोलन के दौरान आरएसएस के अहमदाबाद कार्यालय हेडगेवार भवन में वकील साहब ने मुझे रहने के लिए आमंत्रित किया। वहां वकील साहब करीब 12 से 15 लोगों के साथ रहते थे। मेरा रोजमर्रा का काम प्रचारकों के लिए चाय और नाश्ता बनाने के साथ शुरू होता था। उसके बाद पूरी बिल्डिंग के करीब 8-9 कमरों में झाड़ू लगाता था। मैं अपने और वकील साहब के कपड़े भी धोता था। यह सिलसिला करीब एक साल तक चला। इस दौरान मेरी मुलाकात संघ के कई नेताओं और पदाधिकारियों से हुई।’
मोदी को वकील साहब का मानस पुत्र भी कहा जाता है.
मोदी को आरएसएस के जादू और वकील साहब उर्फ लक्ष्मणराव इनामदार की ट्रेनिंग ने उनको यहां तक पहुंचने में खूब मदद की. राधेकृष्ण और हरि गोविंद की किताब ‘नरेंद्र मोदी : द ग्लोबल लीडर’ के मुताबिक नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के विकास में सबसे अहम योगदान आरएसएस के प्रचारक मराठी भाषी ब्राह्मण लक्ष्मणराव इनामदार उर्फ वकील साहब ने निभाया. कहा जाता है कि वकील साहब ने नरेंद्र मोदी को तपस्वी जीवन की बारीकियां और खूबियां सिखाई, जो तबसे लेकर आज तक हर कदम पर उनके काम आ रही है. इसलिए मोदी को वकील साहब का मानस पुत्र भी कहा जाता है. पीएम मोदी की सफलता के पीछे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हाथ माना जाता है। वैसे पीए मोदी ने एक इंटरव्यू के दौरान लाल कृष्ण आडवाणी को भी अपना राजनीतिक गुरु बताया था। लेकिन आज हालात चाहे जो भी हों।
बीजेपी में मोदी को लालकृष्ण आडवाणी ने ही तैयार किया था। आडवाणी की रथयात्रा के समय भी मोदी ही गुजरात में उसके संयोजक थे और मोदी को गुजरात में मुख्यमंत्री बनवाने में भी आडवाणी की अहम भूमिका रही।
लक्ष्मणराव ईनामदार को गुजरात में आरएसएस कार्यकर्ता ‘वकील साहब’ कहकर पुकारते थे। गुजरात में आरएसएस की जड़ें मजबूत करने का सबसे ज्यादा श्रेय ईनामदार को जाता है। 1958 में दिवाली के दिन गुजरात राज्य का काम देख रहे लक्ष्मणराव ईनामदार ने वडनगर में कुछ बच्चों को ‘बाल’ स्वयंसेवक के रूप में शपथ दिलाई थी। इनमें से एक बच्चा 8 साल का नरेंद्र दामोदर दास मोदी भी था। नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े भाई सोमभाई मोदी के मुताबिक, ‘नरेंद्र हमेशा ही कुछ अलग करना चाहता था। हम लोग स्कूल या घर पर जो कुछ भी करते थे। इसके अतिरिक्त वह कुछ करना चाहता था और संघ की शाखाओं ने नरेंद्र को वह मौका दिया।’
नरेंद्र मोदी के जीवन से जुड़ी एक कहानी पर अक्सर उनके जानने वाले चर्चा करते हैं। हालांकि, यह कितनी सही या गलत है, इसके बारे में कोई पुष्टि नहीं हुई है। कहानी के मुताबिक 12 साल की उम्र में नरेंद्र मोदी ने वडनगर कस्बे में मौजूद तालाब के बीच में स्थित एक मंदिर पर लगे भगवा झंडे को साहसिक तरीके से बदला था। बताया जाता है कि उस तालाब में कई मगरमच्छ थे। मगरमच्छ के डर से जल्दी कोई भी उस तालाब में जाने से कतराता था। इसलिए लंबे समय तक मंदिर पर लगा भगवा झंडा बदला नहीं जा सका और वह पुराना पड़ गया। जब बालक नरेंद्र मोदी को इसकी खबर लगी तो वह बिना मगरमच्छ की परवाह किए तालाब में कूद गया और भगवा झंडा बदलकर ही वापस लौटा।
मोदी ने वडनगर के भगवताचार्य नारायणाचार्य हाई स्कूल में पढ़ाई की। इस स्कूल में मोदी के संस्कृत अध्यापक रहे प्रह्लाद पटेल मोदी को याद करते हुए कहते हैं, ‘वह औसत छात्र था। लेकिन बहस और थिएटर में उसकी गहरी दिलचस्पी थी। मैंने स्कूल में डिबेट क्लब बनाया था। मुझे याद आता है कि नरेंद्र उन छात्रों में था जो रोज बहस में हिस्सा लेते था।’ वडनगर में मोदी के साथी रहे सुधीर जोशी ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, ‘स्कूल में पढ़ाई खत्म होने पर शाम को हम अपनी किताबें घर पर छोड़ सीधे शाखा में पहुंचते थे।’ मोदी के बड़े भाई सोमभाई ने बताया, ‘पिता, माता की मदद और स्कूल में पढ़ाई के बीच नरेंद्र शाखा को सबसे ज्यादा अहमियत देता था। जब नरेंद्र ने नमक और तेल खाना छोड़ने का फैसला किया था तो हमें लगा कि कहीं वह भिक्षा मांगकर गुजारा तो नहीं करेगा।
भूकंप ने मोदी के लिए एक रास्ता बना दिया
नरेंद्र मोदी दिल्ली में रहकर पार्टी के लिए काम कर रहे थे। लेकिन गुजरात में आए 2001 के भूकंप ने मोदी के लिए एक रास्ता बना दिया। 2001 में हुए विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी को 3 सीटों पर हार देखनी पड़ी। जिसके बाद पटेल के खिलाफ आवाजे उठने लगी। माहौल को समझते हुए केशुभाई ने सेहत का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा दे दिया। अब गुजरात के लिए नए चेहरे की तलाश की जाने लगी।
इसके बाद एक दिन नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री आवास के फोन आया और तुरंत मिलने के लिए बुलाया गया। ये फोन किसी और ने नहीं बल्कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। क्योंकि उस वक्त केंद्र में बीजेपी की एनडीए वाली सरकार थी और गुजरात को एक प्रभावशाली नेता की जरुरत थी। जिसके लिए मोदी के नाम पर मुहर लगी।
अटल जी के प्रधानमंत्री आवास पर नरेंद्र मोदी से कई घंटों बातचीत के बाद फैसला हुआ कि उन्हें तुरंत ही गुजरात के लिए जाना होगा और वहां सीएम के तौर पर काम करना होगा। जिसके बाद 2002 के चुनाव में अटल जी का सिक्का काम आया और मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी। इसके बाद 2007 और 2012 के चुनाव में भी मोदी के पक्ष में ही सरकार नहीं लेकिन बाद में बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार के तौर पर उताया और अपने राजनीतिक कॅरियर में सबसे सफल नेता बन गए। व्यक्ति में अगर जज्बा, हुनर और इच्छा शक्ति हो तो वह अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए पहाड़ों पर से भी रास्ता निकाल ही लेता है. देश के वर्तमान प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और देश के 15वें प्रधानमंत्री बने थे.
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