एनआरसी खारिज करे- असम की बीजेपी सरकार & ममता बनर्जी ने कहा
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि नेशनल रजिस्टरऑफ़ सिटीजन्स (एनआरसी) के तहत सभी धर्मों के लोग आएंगे, यह पूरे देश में लागू होगा और इसमें हर नागरिक आएगा, चाहे वह कोई हो, किसी भी धर्म या संप्रदाय का हो।
अमेरिका अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) प्रक्रिया पर चिंता जताते हुए कहा कि असम में लंबे समय से रह रहे करीब 20 लाख लोग जल्द ही कहीं के भी नागरिक नहीं रहेंगे. साथ ही आरोप लगाया कि उनकी नागरिकता ‘‘निष्पक्ष, पारदर्शी और सुशासित प्रक्रिया के बिना” समाप्त की जा रही है.
इस मामले में सबसे दिलचल्प मामला असम की बीजेपी सरकार का है। असम के वित्त मंत्री हिमंत विस्व सर्मा ने कहा है कि राज्य सरकार ने केंद्र से कहा है कि वह नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स को खारिज कर दे। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी गृह मंत्री से अपील की है कि वह एनआरसी खारिज कर दें। इस मामले में सबसे दिलचल्प मामला असम की बीजेपी सरकार का है। असम के वित्त मंत्री हिमंत विस्व सर्मा ने कहा है कि राज्य सरकार ने केंद्र से कहा है कि वह नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स को खारिज कर दे। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी गृह मंत्री से अपील की है कि वह एनआरसी खारिज कर दें।
पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने अमित शाह को चुनौती देते हुए कहा है कि वे किसी सूरत में इसे अपने राज्य में लागू नहीं होने देंगी। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि वह धर्म के आधार पर किसी के साथ किसी तरह का भेदभाव कतई नही होने देंगी। राज्य में कुछ लोग हैं, जो एनआरसी लागू करने के नाम पर गड़बड़ियाँ पैदा करना चाहते हैं। मैं साफ़ कर देना चाहती हूं कि हम एनआरसी को कभीभी पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगे। ममता बनर्जी ने कहा, ‘एनआरसी के नाम पर बंगाल में घबराहट पैदा करने के लिए बीजेपी को शर्म आनी चाहिए, अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है। मुझ पर भरोसा रखें, मैं किसी सूरत में इसे बंगाल में लागू नहीं होने दूंगी।’
अमित शाह ने राज्यसभा में बताया कि एनआरसी और नागरिक संशोधन विधेयक अलग-अलग हैं। उन्होंने कहा, ‘एनआरसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि ख़ास धर्म के लोगों को इससे छूट दी जाएगी। एनआरसी सूची में सभी नागरिक आएंगे, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। एनआरसी नागरिकता संशोधन विधेयक से अलग है।’
गृह मंत्री ने कहा, ‘जिन लोगों के नाम एनआरसी सूची में नहीं हों, वे ट्राइब्यूनल में अपील कर सकते हैं। पूरे असम में ट्राइब्यूनल बनाया जाएगा। जो लोग ट्राइब्यूनल में अपील करने का खर्च नहीं उठा सकते, उनके वकील का खर्च असम सरकार उठाएगी।’ उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक की ज़रूरत इसलिए है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में भेदभाव का शिकार हुए हिन्दू, बौद्ध, सिख, ईसाई, जैन और पारसी शरणार्थी भारतीय नागरिकता ले सकें। गृह मंत्री ने राज्यसभा में कहा, ‘हिन्दू, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिलनी चाहिए, जिनके साथ धर्म के आधार पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में भेदभाव किया गया।’
ममता बनर्जी ने कहा, अमित शाह पहले असम की एनआरसी सूची से छूटे हिन्दुओं को जवाब दें, उसके बाद इसे पूरे देश में लागू करने पर सोचें। उन्होंने कोलकाता से तकरीबन 200 किलोमीटर सागरदिघी में एक कार्यक्रम में कहा, ‘कोई भी नागरिकता छीन कर आपको शरणार्थी नहीं बना सकता। धर्म के नाम पर कोई बँटवारा नहीं हो सकता है।’
अमेरिका अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) प्रक्रिया पर चिंता जताते हुए कहा कि असम में लंबे समय से रह रहे करीब 20 लाख लोग जल्द ही कहीं के भी नागरिक नहीं रहेंगे. साथ ही आरोप लगाया कि उनकी नागरिकता ‘‘निष्पक्ष, पारदर्शी और सुशासित प्रक्रिया के बिना” समाप्त की जा रही है. एनआरसी के धार्मिक स्वतंत्रता निहितार्थ पर एक रिपोर्ट में यूएससीआईआरएफ ने कहा कि अद्यतन सूची में 19 लाख लोगों के नाम नहीं हैं. रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई कि किस प्रकार से इस पूरी प्रक्रिया का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है. यूएससीआईआरएफ आयुक्त अनुरिमा भार्गव ने इस मुद्दे पर कांग्रेशनल आयोग के समक्ष इस सप्ताह अपनी गवाही में कहा, ‘‘असम में लंबे समय से रह रहे करीब 20 लाख लोग जल्द ही किसी भी देश के नागरिक नहीं माने जाएंगे. उनकी नागरिकता निष्पक्ष, पारदर्शी और सुशासित प्रक्रिया के बिना” समाप्त की जा रही है.”
भार्गव ने कहा, ‘‘इससे भी बुरा यह है कि भारतीय राजनीतिक अधिकारियों ने असम में मुसलमानों को अलग थलग करने और वहां से बाहर निकालने के लिए एनआरसी प्रक्रिया का इस्तेमाल करने की अपनी मंशा लगातार दोहराई है और अब भारत भर में नेता एनआरसी का दायरा बढ़ा कर सभी मुसलमानों के लिए भिन्न नागरिकता मानक लागू करने पर विचार कर रहे हैं.” यूएससीआईआरएफ प्रमुख टोनी पेर्किन्स ने कहा कि अद्यतन एनआरसी और भारत सरकार के इसके बाद के कदम मुसलमान समुदाय को निशाना बनाने के लिए एक प्रकार से ‘‘नागरिकता के लिए एक धार्मिक कसौटी” तैयार कर रहे हैं. उन्होंने भारत सरकार से उसके सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की अपील की जो संविधान में दर्ज हैं.