जीवन में समस्याएं बढ़ती जा रही है तत्काल इन उपायो से ग्रहो को शांत करें & 25 जुलाई और 9 अगस्त सोम प्रदोष अभिषेक जरूर करे
सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को है। अगर कोई व्यक्ति सोमवार की सुबह पूजा-पाठ नहीं कर पाता है तो वह सूर्यास्त के बाद भी शिव पूजन कर सकता है। शिव पुराण में लिखा है कि शिव पूजा, अभिषेक सूर्यास्त के बाद भी किए जा सकते हैं। महाशिवरात्रि पर रात में ही विशेष शिव पूजा की जाती है। सावन में सुबह पूजा नहीं कर पा रहे हैं तो शाम 6 बजे से शिव जी का पूजन शुरू कर सकते हैं। शिवलिंग पर जल और दूध के अलावा गन्ने का रस भी चढ़ाएं। सभी सुखों की कामना से गन्ने के रस से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद रात में करीब 9 बजे दूसरा पूजन कर सकते हैं। इस पूजन में दही से अभिषेक करना चाहिए। रात 12 बजे तीसरा पूजन करें। उस पूजा में दूध से अभिषेक करना चाहिए। रात में 3 बजे चौथा शिव पूजन करें। इस तरह सोमवार की रात में चार बार की गई शिव पूजा भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाली मानी गई है।
सावन में दो प्रदोष 25 जुलाई और 9 अगस्त को है। 25 जुलाई का प्रदोष सोमवार को होने से इसका काफी अधिक महत्व रहेगा। इसे सोम प्रदोष कहते हैं। इस तिथि पर शिव जी और देवी पार्वती का अभिषेक जरूर करना चाहिए।
जीवन में समस्याएं बढ़ती जा रही है। ऐसे में ज्योतिष शास्त्र में इसके कई उपाय बताएं गए हैं। कई बार ग्रह दोष के कारण जातक हमेशा परेशानियों से घिरा रहता है। ऐसे में नवग्रहों की शांति के लिए उपाय करना चाहिए। इन उपायों को करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव कम होने लगते है। तत्काल इन उपायो से ग्रहो को शांत करें Execlusive Report by Chandra Shekhar Joshi ; Logon www.himalayauk.org (Leading Newsportal & Print Media)
ये महीना 12 अगस्त तक रहेगा। इस बार सावन में चार सोमवार आएंगे। पहला सोमवार 18 जुलाई को, दूसरा 25 को, तीसरा 1 अगस्त और चौथा 8 अगस्त को रहेगा।
स्नान करते समय पानी में मिला लें ये चीजें:
सूर्य
सूर्य ग्रह के प्रभाव से बचने के लिए पानी में लाल रंग के फूल, इलायची, केसर और गुलहठी मिलाकर स्नान करें।
चंद्रमा
चंद्रमा के दुष्प्रभावों से बचने के लिए नहाने के पानी में सफेद चंदन, सफेद फूल, गुलाब जल या शंख में जल भरकर स्नान करें।
मंगल
मंगल के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए नहाने के पानी में लाल चंदन, बेल की छाल या गुड़ मिलाकर स्नान करें।
बुध
बुध के प्रभाव को कम करने के लिए पानी में जायफल, शहद या चावल मिलाकर नहाने से लाभ होता है।
बृहस्पति
जन्म कुंडली में बृहस्पति के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए नहाने के पानी में पीली सरसों, हल्दी और चमेली के फूल मिलाएं।
शुक्र
शुक्र के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए पानी में गुलाब जल, इलायची और सफेद पुष्प डालकर स्नान करना चाहिए।
शनि
पानी में काला तिल, सौंफ, सुरमा या लोबान मिलाकर नहाने से शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
राहु
पानी में कस्तुरी और लोबान मिलाकर स्नान करने से राहु का प्रभाव कम होने लगता है।
केतु
केतु के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए नहाने के पानी में लाल चंदन मिलाएं।
ग्रहों को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन करें श्री नवग्रह चालीसा का पाठ-
श्री गणपति गुरुपद कमल, प्रेम सहित सिरनाय । नवग्रह चालीसा कहत। शारद होत सहाय।।
जय जय रवि शशि सोम बुध, जय गुरु भृगु शनि राज। जयति राहु अरु केतु ग्रह, करहुं अनुग्रह आज।।
श्री सूर्य स्तुति
प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा,
करहुं कृपा जनि जानि अनाथा।
हे आदित्य दिवाकर भानू,
मैं मति मन्द महा अज्ञानू।
अब निज जन कहं हरहु कलेषा,
दिनकर द्वादश रूप दिनेशा।
नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर,
अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर।
श्री चन्द्र स्तुति
शशि मयंक रजनीपति स्वामी,
चन्द्र कलानिधि नमो नमामि।
राकापति हिमांशु राकेशा,
प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा।
सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर,
शीत रश्मि औषधि निशाकर।
तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा,
शरण शरण जन हरहुं कलेशा।
श्री मंगल स्तुति
जय जय जय मंगल सुखदाता,
लोहित भौमादिक विख्याता।
अंगारक कुज रुज ऋणहारी,
करहुं दया यही विनय हमारी।
हे महिसुत छितिसुत सुखराशी,
लोहितांग जय जन अघनाशी।
अगम अमंगल अब हर लीजै,
सकल मनोरथ पूरण कीजै।
श्री बुध स्तुति
जय शशि नन्दन बुध महाराजा,
करहु सकल जन कहं शुभ काजा।
दीजै बुद्धि बल सुमति सुजाना,
कठिन कष्ट हरि करि कल्याणा।
हे तारासुत रोहिणी नन्दन,
चन्द्रसुवन दुख द्वन्द्व निकन्दन।
पूजहिं आस दास कहुं स्वामी,
प्रणत पाल प्रभु नमो नमामी।
श्री बृहस्पति स्तुति
जयति जयति जय श्री गुरुदेवा,
करूं सदा तुम्हरी प्रभु सेवा।
देवाचार्य तुम देव गुरु ज्ञानी,
इन्द्र पुरोहित विद्यादानी।
वाचस्पति बागीश उदारा,
जीव बृहस्पति नाम तुम्हारा।
विद्या सिन्धु अंगिरा नामा,
करहुं सकल विधि पूरण कामा।
श्री शुक्र स्तुति
शुक्र देव पद तल जल जाता,
दास निरन्तन ध्यान लगाता।
हे उशना भार्गव भृगु नन्दन,
दैत्य पुरोहित दुष्ट निकन्दन।
भृगुकुल भूषण दूषण हारी,
हरहुं नेष्ट ग्रह करहुं सुखारी।
तुहि द्विजबर जोशी सिरताजा,
नर शरीर के तुमही राजा।
श्री शनि स्तुति
जय श्री शनिदेव रवि नन्दन,
जय कृष्णो सौरी जगवन्दन।
पिंगल मन्द रौद्र यम नामा,
वप्र आदि कोणस्थ ललामा।
वक्र दृष्टि पिप्पल तन साजा,
क्षण महं करत रंक क्षण राजा।
ललत स्वर्ण पद करत निहाला,
हरहुं विपत्ति छाया के लाला।
श्री राहु स्तुति
जय जय राहु गगन प्रविसइया,
तुमही चन्द्र आदित्य ग्रसइया।
रवि शशि अरि स्वर्भानु धारा,
शिखी आदि बहु नाम तुम्हारा।
सैहिंकेय तुम निशाचर राजा,
अर्धकाय जग राखहु लाजा।
यदि ग्रह समय पाय हिं आवहु,
सदा शान्ति और सुख उपजावहु।
श्री केतु स्तुति
जय श्री केतु कठिन दुखहारी,
करहु सुजन हित मंगलकारी।
ध्वजयुत रुण्ड रूप विकराला,
घोर रौद्रतन अघमन काला।
शिखी तारिका ग्रह बलवान,
महा प्रताप न तेज ठिकाना।
वाहन मीन महा शुभकारी,
दीजै शान्ति दया उर धारी।
नवग्रह शांति फल
तीरथराज प्रयाग सुपासा,
बसै राम के सुन्दर दासा।
ककरा ग्रामहिं पुरे-तिवारी,
दुर्वासाश्रम जन दुख हारी।
नवग्रह शान्ति लिख्यो सुख हेतु,
जन तन कष्ट उतारण सेतू ।
जो नित पाठ करै चित लावै,
सब सुख भोगि परम पद पावै।
धन्य नवग्रह देव प्रभु, महिमा अगम अपार । चित नव मंगल मोद गृह, जगत जनन सुखद्वार।। यह चालीसा नवोग्रह,विरचित सुन्दरदास । पढ़त प्रेम सुत बढ़त सुख,सर्वानन्द हुलास।।
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