सुप्रीम कोर्ट में चुनौती; चैनल को बंद
‘एनडीटीवी’ (NDTV) समूह ने अपने हिन्दी न्यूज चैनल ‘एनडीटीवी इंडिया’ को नौ नवंबर को एक दिन के लिए बंद करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पठानकोट में हुए आतंकी हमले की कवरेज के मामले में सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने एनडीटीवी पर यह प्रतिबंध लगाया है।
‘एनडीटीवी’ ने इन आरोपों का खंडन किया है, और कहा है कि अन्य चैनलों तथा समाचारपत्रों ने भी वही जानकारी दिखाई या रिपोर्ट की थी। इस प्रतिबंध की पत्रकारों और संपादकों ने चौतरफा आलोचना की है। सभी प्रेस काउंसिलों ने इसे 70 के दशक में देश में लागू की गई एमरजेंसी के समान बताया, जब प्रेस की आज़ादी सहित सभी मूल संवैधानिक अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन किया गया था।
‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (Editors Guild of India) ने कहा कि इस आदेश से पता चलता है कि केंद्र सरकार समझती है कि उसे मीडिया के कामकाज में दखल देने और जब भी सरकार किसी कवरेज से सहमत न हो, उसे अपनी मर्ज़ी से किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार है। एडिटर्स गिल्ड का कहना है कि यदि सरकार को किसी मीडिया ग्रुप की कवरेज को लेकर आपत्ति है तो वह कोर्ट में जा सकती है लेकिन इस तरह की मनमानी कार्रवाई गलत है।
वहीं इस प्रतिबंध के बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू का कहना है कि यह निर्णय सरकार ने देश की सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में लिया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न मीडिया ग्रुप द्वारा की जा रही सरकार की आलोचना राजनीति से प्रेरित लग रही है।
बता दें कि साल 2015 में प्रोग्राम कोड में एक नया क्लॉज जोड़ा गया था। इसके मुताबिक ब्रॉडकास्टर्स किसी भी आतंकवादी हमले, सेना के आतंकवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन की लाइव कवरेज नहीं दिखा सकते। साथ ही जब तक ऑपरेशन खत्म नहीं हो जाता तब तक मीडिया कवरेज, सरकार द्वारानियुक्त अफसर की ब्रीफिंग पर आधारित होगी।