नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी -54वां स्थापना दिवस

HIGH LIGHT;  नेहरू पर्वतारोहण संस्थान 14 नवंबर, 1965 को स्थापित किया गया था तथा इसका नामकरण पंडित जवाहर लाल नेहरू,(भारत के प्रथम प्रधानमंत्री), जो पहाड़ों के शौकीन थे,के नाम पर किया गया। यह भारत के प्रमुख पर्वतारोहण संस्थानों में से एक है,जिसने एशिया भर में अपनी पहचान बनाई है # देश-दुनिया में उत्तराखंड का गौरव बढ़ाने का काम किया # 2020 में प्रस्तावित नेशनल स्पोर्ट्स निम में हों, इसके लिए अभी से तैयारियां शुरू # हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्तराखण्ड www.himalayauk.org

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान 14 नवंबर 1964 को स्थापित किया गया था। इसका नामकरण पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था। यह भारत के प्रमुख पर्वतारोहण संस्थानों में से एक है। संस्थान बच्चों और वयस्कों को पर्वतारोहण और अन्य साहसिक पाठ्यक्रम में प्रशिक्षण देता है। यह 1860 के अधिनियम सं या 21 के तहत पंजीकृत है।

उत्तरकाशी में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) 14 नवंबर को अपना 54वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। इस कालखंड में निम ने देश-दुनिया को दर्जनों नामचीन पर्वतारोही देने के साथ ही कई उपलब्धियां भी अपने नाम की हैं। 2013 की आपदा के दौरान रेस्क्यू कार्य और केदारपुरी का पुनर्निर्माण भी उसकी उपलब्धियों में दर्ज है।

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की स्मृति में 14 नवंबर 1964 को उत्तरकाशी में निम की स्थापना की गई थी। तब से अब तक के इतिहास पर नजर डालें तो संस्थान की हर उपलब्धि गौरवान्वित करने वाली है। उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) में अब उत्तराखंड की संस्कृति के दर्शन भी हो सकेंगे. संस्थान उत्तराखंड की पौराणिक संस्कृति को बचाने की जुगत में जुट गया है. निम के प्रांगण में एक ऐसा संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है जहां उत्तराखंड की शिल्पकला और संस्कृति के साथ ही यहां की विरासत को भी नज़दीक से देखा जा सकेगा. यमुनोत्री घाटी की कोटी बनाल शिल्पकला की झलक यहां देखने को मिलेगी. संग्रहालय में सिर्फ उत्तराखंड राज्य की ही नहीं बल्कि मिज़ोरम, आंध्र प्रदेश, लेह-लद्दाख और हिमाचल सहित कई अन्य राज्यों की सांस्कृतिक छटा की झलकियां भी देखने को मिलेंगी.

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की स्मृति में 14 नवंबर 1965 को उत्तरकाशी में निम की स्थापना की गई थी। निम एवरेस्ट और शीशा पांग्मा समेत तीन दर्जन से अधिक चोटियों पर तिरंगा फहरा चुका है। संस्थान में चलने वाले एडवेंचर, बेसिक, एडवांस, सर्च एंड रेस्क्यू तथा मैथड ऑफ इंस्ट्रक्शन कोर्स सहित कई स्पेशल, रॉक क्लाइंबिंग एवं स्कीइंग कोर्स में करीब तीस हजार देशी-विदेशी पर्वतारोही प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स कराने वाला यह एशिया का इकलौता संस्थान है।निम वॉल क्लाइंबिंग की राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के साथ ही एशिया कप की मेजबानी भी कर चुका है। देश-दुनिया के दर्जनों नामचीन पर्वतारोही निम से प्रशिक्षण हासिल कर चुके हैं। इनमें प्रथम भारतीय महिला एवरेस्टर सुश्री बछेंद्री पाल, संतोष यादव, डा. हर्षवंती बिष्ट, सुमन कुटियाल, सरला नेगी, अर्जुन वाजपेई, कृष्णा पाटिल, अरुणिमा सिन्हा, जुड़वां बहन ताशी एवं नुंग्शी जैसे कई प्रख्यात पर्वतारोही शामिल हैं।

जून 2013 की जलप्रलय के बाद केदारनाथ और नंदा देवी राजजात यात्रा शुरू कराना उत्तराखंड सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी। ऐसे में निम ने आगे आकर न सिर्फ इस चुनौती को स्वीकार किया, बल्कि उत्तराखंड के सम्मान से जुड़ी इन दोनों यात्राओं को सकुशल संपन्न कराकर देश-दुनिया में उत्तराखंड का गौरव बढ़ाने का काम किया। पर्वतारोहण के क्षेत्र में निम की उपलब्धियों को देखते हुए बॉलीवुड के लगान फेम निर्माता निर्देशक आशुतोष गोवारीकर भी अपने टीवी सीरियल एवरेस्ट की शूटिंग यहां करने के मोह से नहीं बच पाए। इसी साल दो माह तक निम उत्तरकाशी में शूटिंग के बाद आजकल यह सीरियल स्टार प्लस चैनल पर प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें निम के माध्यम से उत्तरकाशी का नाम देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुंच रहा है। युवाओं में पर्वतारोहण के माध्यम से प्रकृति के प्रति समझ विकसित करने के उद्देश्य से नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की स्थापना की गई थी। बीते सालों में संस्थान ने पर्वतारोहण के साथ ही आपदा प्रबंधन, स्कीइंग आदि साहसिक गतिविधियों में भी स्वयं को सिद्ध किया है।

इस अवधि में निम एवरेस्ट और शीशा पांग्मा समेत तीन दर्जन से अधिक चोटियों पर तिरंगा फहरा चुका है। साथ ही संस्थान में संचालित एडवेंचर, बेसिक, एडवांस, सर्च एंड रेस्क्यू और मैथड ऑफ इंस्ट्रक्शन कोर्स सहित कई स्पेशल, रॉक क्लाइंबिंग एवं स्कीइंग कोर्स में करीब 31 हजार देशी-विदेशी पर्वतारोही प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स कराने वाला तो यह एशिया का इकलौता संस्थान है। साहसिक खेलों के शौकीन हर युवा का सपना होता है कि वह निम से ही उक्त पाठ्यक्रमों का प्रशिक्षण प्राप्त करे। इन सभी पाठ्यक्रमों में वर्ष 2022 तक के लिए ऑनलाइन बुकिंग हो चुकी है।

वर्ष 2013 की आपदा में राहत एवं बचाव कार्य में निम की बड़ी भूमिका रही है। आपदा के दौरान गंगा घाटी से लेकर केदार घाटी तक निम की टीम रेस्क्यू में जुटी रही। साथ ही केदारनाथ में पुनर्निर्माण के चुनौतीपूर्ण कार्य को भी कर्नल अजय कोठियाल के नेतृत्व में निम ने बखूबी से अंजाम दिया। केदारनाथ में निम की टीम ने विपरीत परिस्थितियों में बेहतर काम करके अनूठी नजीर पेश की। भारतीय महिला एवरेस्टर सुश्री बछेंद्री पाल, संतोष यादव, डॉ. हर्षवंती बिष्ट, अर्जुन वाजपेयी, कृष्णा पाटिल, सुमन कुटियाल, सरला नेगी, अरुणिमा सिन्हा, जुड़वां बहनें नुंग्शी व ताशी, पूनम राणा आदि। निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट कहते हैं कि जिस उद्देश्य को लेकर संस्थान की स्थापना की गई थी, उस दिशा में संस्थान पूरे मनोयोग से आगे बढ़ रहा है। अब पर्वतारोहण एक एडवेंचर स्पोर्ट्स बन चुका है, इसलिए निम को इसका केंद्र बनाया जाएगा।

2020 में प्रस्तावित नेशनल स्पोर्ट्स निम में हों, इसके लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। भारत की जो एडवेंचर टीम हो, उसका अभ्यास केंद्र भी निम ही हो। कर्नल बिष्ट के अनुसार पर्वतारोहण से जुड़े एडवेंचर स्पोर्ट्स में अब रोजगार, मेडल व अवार्ड भी जुड़ गए हैं। इसलिए अब पर्वतारोहण महज शौकिया खेल नहीं रहा। इसी वर्ष अक्टूबर में निम की टीम ने गंगोत्री हिमालय की चार अनाम चोटियों का आरोहण किया। इनका नामकरण पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर किया जाना है। इस अभियान का नेतृत्व खुद निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने किया। इस सफलता को लिम्का बुक में दर्ज कराने के लिए भी भेजा गया है।

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