गडकरी का  11 मार्च को   को दिया गया बयान यू ही नही था?

नितिन गडकरी ने 11 मार्च शनिवार को कहा था कि वह प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहते हैं  #पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने शनिवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि  आरएसएस के लोग प्रधानमंत्री मोदी से नाराज हैं। इसलिए वह चाहता है कि 2019 में बीजेपी की सीटें घटें, ताकि नितिन गडकरी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाया जा सके।  Execlusive Article; 

इस बयान के बाद जनचर्चा शुरू हो गयी हैै कि क्‍या केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का  11 मार्च को   को दिया गया बयान यू ही नही था-  इसके पीछे काफी कुछ धुआ तो उठा था, तभी गडकरी को इतना बडा बयान देना पडा था-  हिमालयायूके ने 11 मार्च को लिखा था कि गडकरी का सफाई पेश करने वाला बयान यू ही नही आया होगा, क्‍या था वह बयान-  हिमालयायूके न्‍यूज पोर्टल की एक्‍सक्‍लूसिव रिपोर्ट-  नितिन गडकरी ने  कहा था कि  बीजेपी के सभी सहयोगी अगले आम चुनावों के लिए साथ आएंगे  संभावना जतायी गयी थी कि अगर सहयोगी दल छिटकने लगे तब, वही आज – जब यह बडा बयान आया एक सहयोगी दल ने एनडीए छोड दिया-

 दिलचस्प बात यह है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 11 मार्च शनिवार को कहा था कि वह प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहते हैं और उन्होंने जो भी हासिल किया है उससे वह ‘संतुष्ट’ हैं. बीजेपी के अपने सहयोगियों तेलुगू देसम पार्टी, शिवसेना एवं अकाली दल के साथ तनावपूर्ण संबंधों और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में आवश्यक संख्या पाने में नाकाम रहने पर क्या उन्हें सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुना जाएगा,  बीजेपी नेता ने यह साफ किया  था कि महाराष्ट्र की संस्कृति से उन्हें वैसे तो बहुत लगाव है और दिल्ली में रहने में उन्हें कई परेशानियां भी आईं, लेकिन फिर भी अभी मुंबई लौटने का उनका कोई इरादा नहीं है.   उन्होंने कहा था  कि बदलाव तो नियत है और हर किसी को बदलना ही पड़ता है. 
एक निजी न्यूज चैनल के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मैं संतुष्ट हूं और मैं प्रधानमंत्री बनने का सपना नहीं देख रहा या ना ही मेरी ऐसी कोई ख्वाहिश है. पार्टी ने मोदी को चुना है और मुझे विश्वास है कि उनके नेतृत्व में हम अकेले लड़ेंगे और वर्ष 2019 का चुनाव जीतेंगे.’’ गडकरी के पास पोत परिवहन मंत्रालय है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसे सपने नहीं देखता. मैं अपनी औकात और हैसियत के मुताबिक काम करता हूं. मैंने किसी को भी अपनी तस्वीर नहीं दी है और कभी किसी को अपना बायोडाटा नहीं दिया है ना ही मैंने कहीं अपना कटआउट लगाया है. ना ही कोई मुझे लेने के लिए हवाई-अड्डा आता है. मैं अपनी क्षमता के अनुसार काम करता हूं.’’
उन्होंने विश्वास जताया कि बीजेपी के सभी सहयोगी अगले आम चुनावों के लिए साथ आएंगे. हालांकि यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना उनके साथ बनी रहेगी, उन्होंने गोल-मोल जवाब देते हुए कहा कि राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं होता. शिवसेना सार्वजनिक रूप से अकेले चलने की अपनी मंशा जाहिर कर चुकी है. एक लोकप्रिय मराठी मुहावरा बोलते हुए उन्होंने कहा कि उनमें भले ही खटपट हो सकती है लेकिन बीजेपी के बगैर सहयोगियों के लिए कुछ भी करना संभव नहीं है. 

नितिन गडकरी ने  कहा था कि  बीजेपी के सभी सहयोगी अगले आम चुनावों के लिए साथ आएंगे  संभावना जतायी गयी थी कि अगर सहयोगी दल छिटकने लगे तब, वही आज – जब यह बडा बयान आया एक सहयोगी दल ने एनडीए छोड दिया-
भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राजग से तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) के बाद अब पश्चिम बंगाल के गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने अपना नाता तोड़ लिया है। जीजेएम के प्रमुख एलएम लामा ने कहा कि बीजेपी नेताओं ने गोरखाओं के साथ विश्वासघात किया है। इसलिए अब उनका एनडीए से कोई संबंध नहीं है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने बीजेपी पर गोरखाओं का विश्वास तोड़ने का आरोप लगाया है। जीजेएम प्रमुख एलएम लामा ने बताया कि पार्टी का अब एनडीए से कोई संबंध नहीं है। मोर्चा के लोग बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के बयान से नाराज हैं। उन्होंने कहा था कि जीजेएम के साथ पार्टी का गठबंधन सिर्फ चुनावी गठबंधन है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के बयान पर बोलते हुए लामा ने कहा कि इससे बीजेपी नेताओं के दावों की पोल खुल गई है। जिसमें वह लगातार जीजेएम को अपना दोस्त और एनडीए का सहयोगी बताती रही है। उन्होंने कहा कि दिलीप घोष के बयान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावे की भी हकीकत सामने आ गई है। जिसे वह गोरखाओं के सपने को अपना सपना बताते हैं। जीजेएम प्रमुख ने कहा कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी गोरखाओं के लिए न तो गंभीर है और न ही उनके प्रति बीजेपी नेताओं की कोई सहानभूति है। लामा ने कहा कि 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा की ओर से दार्जिलिंग की सीट उन्हें उपहार स्वरूप दी थी।

 

वही दूसरी ओर बडा बयान देते हुए-  हार्दिक पटेल कहा कि    देश में जवान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन पीएम को जवान की कोई चिंता नहीं है। उनको चिंता है कि राज्य में अपनी सरकार कैसे बनाई जाए। उन्होंने विदर्भ के किसानों से अपील की कि वह आत्महत्या न करें। अपनी आवाज सरकार के सामने उठाएं। पटेल ने आगे बोलते हुए कहा कि क्या हुआ अब तक गुजरात जेल में रहे, आगे महाराष्ट्र जेल में रहना पड़ा तो रह लेंगे। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सत्ता परिवर्तन की बात करने की बजाए, हमें व्यवस्था परिवर्तन के लिए एकजुट होना पड़ेगा।

 हार्दिक पटेल गुजरात विधानसभा चुनाव में हार के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रिय हुए हैं। कांग्रेस प्रदेश इकाई मोदी सरकार के खिलाफ उनका प्रयोग कर रही है। सुधीर ढोणे ने कहा कि ये सम्मेलन विदर्भ में किसानो की आत्महत्या, युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी आदि मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया है।

 सहयोगी दलो से तनातनी के हालात

एनडीए से अलग होने के बाद बीजेपी और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के बीच आलोचनाओं का दौर जारी है. शनिवार को ही बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने टीडीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को चिट्ठी लिखकर उनके इस फैसले को एकतरफा और राजनीति से प्रेरित बताया था. अब नायडू ने भी पलटवार करते हुए शाह की चिट्ठी को झूठ का पुलिंदा बताया है. चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा राजग से तेलुगू देशम पार्टी के अलग होने का ठीकरा उनके सिर फोड़े जाने पर उनकी आलोचना की और कहा कि यह फैसला पूरी तरह से राज्य के हित में लिया गया और इसके पीछे कोई ‘राजनीतिक सोच’ नहीं थी. इस संबंध में शाह के आरोपों को खारिज करते हुये नायडू ने भाजपा अध्यक्ष द्वारा उन्हें लिखे गये नौ पन्नों के खत को ‘झूठ का पुलिंदा’ बताया. यह खत 16 मार्च को नायडू द्वारा भेजे गए उस खत का जवाब है जिसमें उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए से टीडीपी के अलग होने के कारण विस्तार से बताये थे. आंध्र प्रदेश विधानसभा में मुद्दा उठाते हुये नायडू ने कहा, ‘‘शाह ने जो लिखा है वह झूठ का पुलिंदा और अधूरा सच है. यह न सिर्फ अपमानजनक बल्कि आंध्र प्रदेश के लोगों को भड़काने वाला है. इसमें कोई गरिमा नहीं है.’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि खत में इस्तेमाल की गई भाषा ‘एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष जैसी नहीं है.’’ तेदेपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘क्या इसमें कोई गरिमा है? खत विसंगतियों और गलतियों से भरा है. इसमें मेरी गलतियां तलाशने के अलावा आंध्र प्रदेश से जुड़े मुद्दों के समाधान के बारे में कोई बात नहीं है.’’ उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार से पूछा कि क्या उसमें आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 को लागू किये जाने की समीक्षा करने और संसद के समक्ष तथ्यों को रखने की हिम्मत है. नायडू ने यह भी पूछा कि जब नरेंद्र मोदी 10-12 साल मुख्यमंत्री थे तो क्या गुजरात सरकार ने केंद्रीय योजनाओं के लिये तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी की तस्वीरों का इस्तेमाल किया था? केंद्र सरकार की योजनाओं का श्रेय राज्य सरकार द्वारा केंद्र को नहीं दिये जाने को लेकर की जा रही आलोचना के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘क्या उनमें यह कहने की हिम्मत है? क्या वह ऐसी तस्वीरें दिखा सकते हैं.’’

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