नीतीश पर पत्थर बरसे वही यशवंत सिन्हा ने पार्टी नेताओं को उकसाया ?
काफिले पर पत्थरबाजी, बाल- बाल बचे #नीतीश कुमार के काफिले पर शुक्रवार को पत्थर बरसाए गए. बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि मैं पार्टी(बीजेपी) नेताओं और कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों से आगे आकर बोलने के लिए कहूंगा Top Execlusive News; presented by www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले पर शुक्रवार को पत्थर बरसाए गए. दरअसल नीतीश कुमार राजधानी पटना से करीब सौ किलोमीटर दूर बिहार के बक्सर जिले के नंदन गांव में विकास यात्रा की समीक्षा के लिए गये थे. लेकिन गांव के महादलित टोले में लोगों ने सीएम नीतीश के काफिले की गाड़ियों पर हमला कर दिया. महादलितों के इस विरोध के बाद नीतीश कुमार के मिशन 2019 पर सवाल खड़े हो गए हैं.
लालू यादव से गठबंधन टूटने के बाद नीतीश कुमार पहली बार राज्य में किसी तरह की यात्रा पर निकले हुए हैं. यह पहला मौका है जब समीक्षा यात्रा में नीतीश कुमार को इस तरह का विरोध देखना पड़ा. मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल गाड़ियां दनदनाकर भाग रही थीं और पत्थऱबाज पत्थर बरसा रहे थे. अब इस मामले पर जेडीयू का आरोप है कि इस विरोध के पीछे लालू यादव की पार्टी आरजेडी का हाथ है. वहीं जेडीयू के आरोप को खारिज करते हुए आरजेडी का कहना है कि नीतीश कुमार के विकास के दावे की पोल खुल गई है.
2015 में जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब नीतीश कुमार ने बिहार की जनता से सात वादे किये थे. इसमें नल, बिजली और पक्की सड़क देने के वादे किए थे. सीएम नीतीश इन्हीं वादों की हकीकत जानने समीक्षा यात्रा पर निकले हुए हैं. पहले तीन फेज में दो दर्जन जिलों की यात्रा वो कर चुके हैं. कल से बक्सर, कैमूर, सासाराम और भोजपुर की यात्रा पर निकले हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निश्चय वाले फ़ॉर्मूले को अगले चुनाव में जीत का फॉर्मूला माना जा रहा. लेकिन जिस तरीके से महादलित के इलाके में मुख्यमंत्री को विरोध का सामना करना पड़ा उसने नीतीश के मिशन 2019 पर सवाल खड़े कर दिये हैं. विकास की हकीकत क्या है इसका पता जांच के बाद चलेगा. लेकिन ये बात किसी से छिपी नहीं है कि बिहार में विकास के नाम पर कई जगहों से अनियमितता की खबरें पहले भी आ चुकी हैं. महादलित मोहल्ले से नीतीश कुमार के खिलाफ हुई बगावत काफी नुकसान पहुंचा सकती है. बिहार में 22 जातियां दलित समुदाय में शामिल हैं. बिहार में इनकी कुल आबादी करीब 16 फीसदी है. चार फीसदी पासवान जाति को छोड़कर बाकी दलित जातियां महादलित में आती हैं. दलित नेता उदय नारायण चौधरी, श्याम रजक नीतीश कुमार से नाराज बताये जाते हैं.
मोदी सरकार पर ताजा हमला बोलते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि पार्टी के सदस्य और कैबिनेट मंत्रियों को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की तरह निडर हो कर बोलना चाहिए. सिन्हा ने अपनी पार्टी के लोगों को लोकतंत्र के लिए आगे आ कर बोलने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्रियों को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की तरह अपने डर से छुटकारा पाने के लिए बोलना चाहिए. देश के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और कोर्ट में अनियमितताओं के कारण चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से अपने मतभेदों को सार्वजनिक किया था. सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जे चेलामेश्वर ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ‘‘सही नहीं चल रहा ’’ और बहुत सी ऐसी चीजें हुई हैं जो नहीं होनी चाहिए थीं. उनका कहना है कि जब तक इस संस्था को संरक्षित नहीं किया जाता, इस देश में लोकतंत्र जीवित नहीं रहेगा. पूर्व केन्द्रीय मंत्री सिन्हा ने चारों न्यायाधीशों के टिप्पणियों के संदर्भ में दावा किया कि वर्तमान माहौल 1975 से 1977 के आपातकाल जैसा है. उन्होंने संसद के छोटे सत्रों पर भी चिंता जताई. सिन्हा ने कहा कि अगर देश की सर्वोच्च न्यायालय व्यवस्थित नहीं है तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा. कल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चारों जजों ने वो चिट्ठी भी सार्वजनिक कर दी थी जो उन्होंने चीफ जस्टिस को लिखी थी. सात पन्नों की चिट्ठी में कई विवादों का जिक्र किया गया था. चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर मनमाने रवैये का जिक्र किया गया है. चिट्ठी में गुजरात का सोहराबुद्दीन एनकाउंटर को लेकर भी विवाद का जिक्र है. सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले की सुनवाई करने वाले विशेष सीबीआई जज बी एच लोया की संदिग्ध मौत की जांच को लेकर बड़ा विवाद हो गया है. जस्टिस गोगोई ने कहा है कि जजों में विवाद की वजह जज लोया की संदिग्ध मौत का मामला भी है.सिन्हा ने कहा, ‘‘अगर सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीश कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे है तो हमें उनके शब्दों को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हर नागरिक जो लोकतंत्र में विश्वास रखता है, उसे खुलकर बोलना चाहिए. मैं पार्टी(बीजेपी) नेताओं और कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों से आगे आकर बोलने के लिए कहूंगा. मैं उनसे डर से छुटकारा पाकर बोलने की अपील करता हूं.’’ सिन्हा ने कहा कि कोर्ट की हालिया संकट को सुलझाना शीर्ष अदालत का काम है.
महादलित वोट का नीतीश कुमार पर ऐसा प्रभाव रहा है कि जब उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद इस्तीफा दिया तो महादलित समुदाय से आने वाले जीतन राम मांझी को सीएम बनाया था. ये बात अलग है कि राजनीतिक महत्वकांक्षा की वजह से मांझी ने अपनी अलग राह बना ली.
आज की तारीख में देखें तो नीतीश कुमार के कोर वोट में कई पार्टियों ने सेंध लगा रखी है. मिसाल के तौर पर महादलितों के नेता बन चुके जीतन राम मांझी ने हम नाम की पार्टी बनाई. वहीं दलितों के नेता रामविलास पासवान एलजेपी के मुखिया हैं. इसके अलावा छह फीसदी वोट वाले कुशवाहा जाति के नेता उपेंद्र कुशवाहा आरएलएसपी के प्रमुख हैं. संयोग से ये तीनों ही एनडीए का ही हिस्सा हैं. लेकिन एक जमाने में पासवान का वोट छोड़कर महादलित और कुशवाहा के वोट पर नीतीश कुमार ही नेता हुआ करते थे. आने वाले दिनों में एनडीए के ये सहयोगी नीतीश कुमार के लिए परेशानी का सबब साबित हो सकते हैं.
जहां तक वोट का सवाल है तो बीजेपी से अलग होने के बाद भी नीतीश को 2014 में 16 फीसदी वोट मिले. वहीं लालू यादव के साथ 2015 में लड़ने पर जेडीयू को 100 सीटों पर 16.8 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन लालू यादव से अलग होने के बाद के राजनीतिक समीकरण कुछ और इशारा कर रहे हैं. इसे महज संयोग ही माना जाए कि दलितों का विरोध इससे पहले बीजेपी शासित यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र में हो चुका है. अब बिहार में हुआ है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी विकास समीक्षा यात्रा के दौरान शुक्रवार को बक्सर जिले में थे। वह कैमूर के मोहनियां के अहिनवरां गांव में एक जनसभा को संबोधित करने के लिए पहुंचे थे तभी शिक्षकों ने सीएम को काले झंडा दिखाकर नारेबाजी की। इससे पहले बक्सर के नंदर गांव में उपद्रवियों ने सीएम नीतीश कुमार के काफिले पर पत्थर बरसाए थे। सीएम नीतीश की सुरक्षा में लगे गार्ड ने पत्थरबाजी से उन्हें तो बचा लिया, लेकिन कुछ सुरक्षाकर्मी घायल भी हो गए। जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। गुस्साए लोगों की मांग थी कि सीएम नीतीश कुमार उनके गांव में कुछ देर रुकें और वहां की समस्याएं सुनें। हालात उस वक्त बेहद तनावपूर्ण हो गए, जब नंदन गांव के पास उनके काफिले पर स्थानीय लोगों ने जमकर पथराव कर दिया। जहां एक तरफ नीतीश का विरोध किया जा रहा हैं, वहीं आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अपने व्यक्तित्व की समीक्षा करें। तेजस्वी ने कहा कि जिस दिन से नीतीश कुमार ने समीक्षा यात्रा की शुरुआत की हर जगह, हर समय और हर क्षेत्र के लोग उनका विरोध क्यों और किसलिए कर रहे है। तेजस्वी ने कहा कि आखिर सीएम को बताना चाहिए कि किस असुरक्षा की भावना से ग्रस्त होकर वे गंभीर मामलों को छोड़कर दूसरे मसलों को लेकर राग अलाप रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हुए हमले को महाजंगलराज बताते हुए तेजस्वी ने कहा कि इस पर कोई चर्चा नहीं हो रही, क्योंकि जंगलराज अलापने वाले सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री है। तेजस्वी ने तंज कसा कि विकास समीक्षा यात्रा के दौरान सीएम नीतीश कुमार की सभा में कभी जूते-चप्पल चलते हैं, तो कहीं भीड़ को खदेड़ने पुलिस वालों को हवाई फायरिंग करने की जरूरत पड़ जाती है। देश का सरकारी तंत्र बहुत ही शातिर तरीके से मुख्यमंत्री के विरोध प्रदर्शन को खबर ही नहीं बनने देता है। बिहार में सरेआम एक मुख्यमंत्री पर कुछ लोग पत्थरबाजी कर देते हैं, और इस तरह की स्थिति पर टीवी चैनलों में कोई बहस नहीं होती। नीतीश और सुशील मोदी पर तंज कसते हुए तेजस्वी यादव ने यह भी कहा कि कहीं उन पर हमले इसीलिए तो नहीं हो रहे कि वह सुशील मोदी को अपने साथ विकास समीक्षा यात्रा में लेकर नहीं जा रहे हैं। बता दें कि सीएम नीतीश कुमार पिछले 12 दिसंबर से राज्यव्यापी दौरे पर हैं। उनके इस दौरे का मकसद राज्य सरकार द्वारा पिछले कुछ सालों के दौरान शुरू की गई विकास योजनाओं का जमीनी स्तर पर जायजा लेना है।
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