नीतीश और MODI के बीच खिचड़ी पक चुकी, परोसी जानी बाकी है
राष्ट्रपति चुनाव # सोनिया की बैठक में नहीं गए, मोदी के साथ लंच #अटकलों का बाजार गर्म #सोनिया गांधी के लंच के निमंत्रण को ठुकरा दिया था # नीतीश कुमार ने मोदी सरकार के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला है. लिहाजा सियासी अटकलें तो लगेंगी ही. #नीतीश कुमार दिल्ली पहुंच रहे हैं. इस बार नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोज में शिरकत करेंगे. https://himalayauk.org/
कल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सोनिया गांधी की बैठक में नहीं गए, लेकिन आज वो पीएम मोदी के साथ लंच पर मिल रहे हैं. नीतीश कुमार के इस फैसले के बाद अटकलों का बाजार गर्म है लेकिन नीतीश कुमार की राय कुछ और है.आज नीतीश कुमार पीएम मोदी के उस लंच में शामिल होने वाले हैं जो मॉरीशस के पीएम प्रविंद जगन्नाथ के सम्मान में दिया जा रहा है. लेकिन इससे पहले कल उन्होंने सोनिया गांधी के लंच के निमंत्रण को ठुकरा दिया था. कल सोनिया गांधी की तरफ से बुलाई गई बैठक में विपक्ष के 17 बड़े नेता पहुंचे थे, लेकिन नीतीश कुमार इस बैठक से दूर रहे.
ये सच है कि सोनिया गांधी के लंच में जेडीयू की तरफ से शरद यादव और के सी त्यागी शामिल हुए थे, लेकिन नीतीश के न आने से अटकलों का बाजार गर्म है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या लालू यादव से तनातनी के बीच नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच कुछ खिचड़ी पक रही है ? नीतीश कुमार और बीजेपी की बढ़ती नजदीकियों को राष्ट्रपति चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है. एक तरफ सोनिया गांधी राष्ट्रपति चुनाव के लिए पूरे विपक्ष को लामबंद करने में जुटी हैं, दूसरी तरफ बीजेपी विपक्ष की दरार का फायदा उठाकर अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी है.
नीतीश कुमार इस भोज के बाद प्रधानमंत्री से अलग से भी मुलाकात करेंगे. गंगा की सफाई के मुद्दे पर उनकी प्रधानमंत्री से मुलाकात होने वाली है. इस मुलाकात को भी सियासी गलियारों में काफी अहम माना जा रहा है. नीतीश कुमार बीजेपी विरोध के नाम पर ही अपनी राजनीति बढ़ा रहे हैं. लेकिन, सियासत में संकेतों के बड़े मायने होते हैं. नीतीश कुमार का विपक्षी दलों की बैठक में न जाना इस बात का संकेत है कि नीतीश कुमार बिहार में अपने सहयोगी लालू यादव के साथ मंच साझा करने से कतरा रहे हैं. नीतीश कुमार नहीं चाहते कि लालू की बनी दागदार छवि के साथ वो खड़े दिखें. लिहाजा बिहार में लालू के समर्थन के साथ सत्ता चलाने के बावजूद उनके साथ खड़े नहीं दिखने की कोशिश कर रहे हैं. बीजेपी विरोधी मोर्चा में लालू की बढ़ती अहमियत को लेकर भी शायद नीतीश खुश न हों जिसके चलते सोनिया के भोज से किनारा कर लिए हों.
नीतीश कुमार कह रहे हैं कि सोनिया गांधी की तरफ से दिए गए विपक्षी पार्टियों के लिए भोज में उनके नहीं शामिल होने का गलत मतलब निकाला जा रहा है. लेकिन, उनकी लाख सफाई के बावजूद सियासी अटकलबाजी पर विराम नहीं लग पा रहा है.
ऐसा होना लाजिमी भी है. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की रणनीति तय करने को लेकर सोनिया गांधी ने भोज दिया. इसमें लालू, ममता, सीताराम येचुरी, अखिलेश और मायावती समेत विपक्ष के बहुत सारे लोग शिरकत कर रहे थे. लेकिन, इसमें नदारद थे बिहार के मुख्यमंत्री और विपक्ष की तरफ से सबसे भरोसेमंद चेहरे नीतीश कुमार. नीतीश की गैरमौजूदगी में उनकी पार्टी की नुमाइंदगी करने के लिए शरद यादव और केसी त्यागी जरूर मौजूद रहे. लेकिन, उनकी मौजूदगी से कहीं ज्यादा नीतीश की गैर मौजूदगी को लेकर चर्चा होती रही. बैठक खत्म होने के बाद भी विपक्ष की तरफ से किसी एक नाम को लेकर सहमति नहीं हो पाई है कि राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार कौन होगा. शायद विपक्ष को अबतक की परंपरा का इंतजार होगा जिसमें पहले सत्ताधारी दल की तरफ से किसी उम्मीदवार के नाम का ऐलान हो या सरकार आम सहमति बनाने की कोशिश करे.
नीतीश कुमार ने कुछ दिनों पूर्व ही ये घोषणा कर दी थी कि राष्ट्रपति चुनाव पर वर्तमान मोदी सरकार को आम सहमति बनाने के लिए पहल करनी चाहिए. शुक्रवार को बैठक में भी इस आशय का प्रस्ताव पारित किया गया. लेकिन नीतीश ने कहा कि महागठबंधन के सभी फैसले का वो आदर करते हैं. लेकिन शनिवार को दोपहर के भोजन के बाद नीतीश कुमार ने माना कि उन्होंने अलग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गंगा नदी में गाद की समस्या पर चर्चा के लिए समय मांगा है और उन्हें सूचना दी गयी है कि ये बैठक शनिवार को भोज के बाद होगी. नीतीश ने कहा कि इस बैठक में उनके साथ बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह भी मौजूद रहेंगे. इस बैठक के एजेंडा को साफ़ करते हुए नीतीश ने कहा कि वो गंगा नदी की गाद को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जिस गंगा की अविरलता की बात कर रही है वो गंगा में गाद के जमा होने तक संभव नहीं. नीतीश चाहते हैं कि केंद्र एक बार फिर इस समस्या के अध्ययन के लिए स्थल के निरीक्षण के लिए एक टीम भेजे.
शनिवार को प्रधान मंत्री मोदी के साथ बैठक पर राजैनतिक अटकलें होंगी, इसपर नीतीश ने सफाई दी कि जब यूपीए की सरकार थी तब भी मॉरिशस के प्रधानमंत्री हों या जापान के प्रधानमंत्री, बिहार के मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें निमंत्रण दिए जाने की परंपरा रही है. लेकिन मॉरिशस के साथ बिहार का भावनातमक लगाव है. वहां की 52 प्रतिशत आबादी का मूल बिहार है. अभी के प्रधानमंत्री बिहार मूल के हैं. इस अवसर पर नीतीश ने कहा कि इसी पृष्ठभूमि में वो जा रहे हैं.
हालांकि राजैनतिक जानकार मानते हैं कि शुक्रवार को अगर सोनिया गांधी के भोज में नीतीश नहीं गए तो उसके पीछे उनका अपना कोई विचार रहा होगा और प्रधानमंत्री के भोज में 24 घंटे के अंदर जाने के लिए उन्होंने सहमति दी है तो उसके पीछे भी उनकी कोई रणनीति जरूर रही होगी.
राष्ट्रपति पद पर उम्मीदवार की चर्चा के लिए बुलाए सोनिया गांधी के लंच में कांग्रेस, बीएसपी, आरजेडी, जेडीयू, एसपी, जेएमएम, टीएमसी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, केरल कांग्रेस, डीएमके, एनसीपी, आरएसपी, एआईयूडीएफ, आल इंडिया मुस्लिम लीग, सीपीएम, जेडीएस, सीपीआई सहित 17 दल शामिल हुए.
बैठक में कांग्रेस अध्य़क्ष सोनिया गांधी के अलावा उपाध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीवी अध्यक्ष शरद पवार, बीएसपी सुप्रीमो मायावती, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, सीपीएम के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा, डीएमके की कनिमोझी, जेडीएल के एचडी देवगौड़ा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एआईयूडीएफ के नेता बदरूद्दीन अजमल, जेडीयू नेता शरद यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अमर अब्दुल्ला, जेडीयू नेता के सी त्यागी, शरद यादव, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव जैसे कई बड़े नेता मौजूद थे.
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