देहरादून के अन्तर्गत कई मोटर मार्ग बन्द Top News UK
देहरादून 27 जुलाई 2017, जिला आपदा परिचालन केन्द्र से अपराहन 3 बजे तक प्राप्त सूचना के अनुसार वर्षा के कारण जनपद में लो.नि.वि प्र0.ख0 देहरादून के अन्तर्गत एल.के.डी मोटर मार्ग, कार्लीगाढ सरोना मोटर मार्ग बन्द है। अस्थाई खण्ड लो.नि.वि ऋषिकेश के अन्तर्गत गौहरीमाफी से रायवाला एवं टिहरी फार्म बिढला मन्दिर मोटर मार्ग बन्द है। अस्थाई खण्ड लोे.नि.वि चकराता के अन्तर्गत माख्टा पोखरी ककनोई मोटर मार्ग, चकराता लाखामण्डल मोटर मार्ग, हयो-टगरी से कैंतरी मोटर मार्ग,डाकुटा मोटर मार्ग बन्द है। अस्थाई खण्ड लो.नि.वि सहिया के अन्तर्गत कालसी चकराता मोटर मार्ग बन्द है। पी.एम.जी.एस.वाई निर्माण खण्ड कालसी के अन्तर्गत पीपरा मीनस बाईला मोटर मार्ग, लांघा बिन्हार मोटर मार्ग, जे.पी.आर.आर रेडू मुन्धौल मोटर मार्ग, सावड़ा छाछरा खेड़ा से डुगरी मोटर मार्ग, माख्टी-पोखरी से मर्ब खोरा मोटर मार्ग, कथियान हजाड़ से भूठ मोटर मार्ग बन्द है। पीएमजीएसवाई के नि0ख0 के अन्तर्गत सहस्त्रधारा-चामासारी मोटर मार्ग बन्द है। बन्द मार्गो को जे.सी.बी द्वारा खोलने का कार्य गतिमान है। जिला सूचना अधिकारी देहरादून।
चमोली NEWS
चमोली 27 जुलाई,2017(सू0वि0)
जिला आपदा कन्ट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार 26 जुलाई को 1,282 तीर्थयात्री बद्रीनाथ तथा 395 तीर्थयात्री हेमकुण्ड साहिब दर्शनार्थ पहुॅचे। 26 जुलाई तक 6,66,499 तीर्थयात्री बद्रीनाथ तथा 94,213 तीर्थयात्री हेमकुण्ड साहिब के दर्शन कर चुके है। 27 जुलाई को सायं 4ः00 बजे अलकनंन्दा नदी का जलस्तर 954.98मी0, नन्दाकिनी का 868.19मी0 तथा पिण्डर का 768.75मी0 मापा गया। वही जोशीमठ में 9एमएम वर्षा रिकार्ड की गयी।
चमोली 27 जुलाई,2017 (सू0वि0)
मोटर मार्ग निर्माण कार्यो में वन भूमि हस्तान्तरण के प्रकरणों पर विभागवार समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी आशीष जोशी ने सामजस्य बनाकर सैद्वान्तिक, नोडल, भारत एवं राज्य सरकार स्तर पर रूके प्रकरणों का निराकरण कर निर्माण कार्यो को शीघ्र प्रारम्भ कराने के निर्देश दिये।
जिलाधिकारी ने कहा कि विभाग की शिथिलता के कारण स्वीकृत योजनाओं का लाभ जनता को समय से नही मिल पाता है। इसके लिए सभी अधिकारी समयबद्वता के साथ कार्य कर योजनाओं को निर्धारित अवधि में सभी औपचारिकताऐं पूर्ण करते हुए कार्य प्रारम्भ कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि सड़कों का कार्य समय से पूर्ण हो सके इस बात का पूरा ध्यान रखा जाय। जिलाधिकारी ने अधिकाशं सड़कों के नोडल स्तर पर लंम्बित मामलों को देखते हुए नोडल स्तर पर लंम्बित प्रकरणों के निस्तारण हेतु नोडल अधिकारी से समय लेते हुए शासन स्तर से निस्तारण की कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि कई मामलों में छोटी-छोटी आपत्तियां की वजह से सड़कों के प्रकरण नोडल स्तर से वापस आ रहे हैं जिस कारण मामलों के निस्तारण में अनावश्यक बिलम्ब हो रहा है। उन्होंने निर्देश दिये चैक लिस्ट के अनुसार मामलों को तैयार कर आगे प्रेषित किये जाय। उन्होंने सभी अभियन्ताओं को लंम्बित प्रकरणों में व्यक्तिगत रूचि लेकर उनके निस्तारण में तेजी लाने को कहा। विभागीय स्तर पर लंम्बित वन भूमि के मामलों पर किसी प्रकार की लापरवाही व शिथिलता बर्दाश्त नही की जायेगी।
लोक निर्माण विभाग, लोनिवि वल्र्ड बैंक, पीएमजीएसवाई एवं आरईएस के विभिन्न डिविजनों के एसजी स्तर पर 02, नोडल स्तर पर 13, सीएफ के 02, डीएफओ स्तर पर 19, यूए 27, परीक्षण में 5, इनप्रन्सिपल के 58 तथा भारत सरकार स्तर पर 5 सहित कुल 131 प्रकरण लम्बित चल रहे है तथा 4 प्रकरणों में फाइनल ऐप्रुबल मिल चुकी है। जिलाधिकारी ने डिवीजनों के अधिकारियों को मामलों में व्यक्तिगत रूचि लेकर परस्यू करने के निर्देश दिये।
इस अवसर पर उप वन संरक्षक एनएन पाण्डेय, उप वन संरक्षक नीतू लक्ष्मी एम सहित लोनिवि गोपेश्वर, गौचर, कर्णप्रयाग, गैरसैंण, थराली व पीएमजीएसवाई के दोनों डिवीजनों के अधिशासी अभियन्ता व आरईएस उपस्थित थे।
वल्र्ड हिपेटाइटिस डे पर चिकित्सकों ने कहा, उत्तराखंड में अपंजीकृत मेडिकल चिकित्सक और नीम-हकीम बढ़ा रहे हैं हेपेटाइटिस द्वारा स्वास्थ्य संबंधी बोझ
देहरादून, 27 जुलाई 2017- जाए तो उत्तराखंड रेड अलर्ट लाइन पर है क्योंकि वहां अपंजीकृत मेडिकल चिकित्सक और नीम-हकीमों की बाढ़ आई हुई जो हिपेटाइटिस की बीमारी फैलाने के खतरे को बढ़ा रही है।
वायरल हिपेटाइटिस, हिपेटाइटिस वायरस बी या सी में से एक के संक्रमण के कारण होता है, जो कि भारत में एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। वायरल हिपेटाइटिस के खिलाफ अभियान का समर्थन करने के लिए, और लोगों के बीच रोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए, देहरादून के चिकित्सकों ने लोगों को रोकथाम और उपचार समाधान पर शिक्षित करने के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया है। सामान्यतः उत्तराखंड राज्य में हाल के वर्षों में और विशेष रूप से देहरादून शहर में हेपेटाइटिस बी की उच्च घटनाएं एक महत्वपूर्ण चिंता रही हैं।
देहरादून के अस्था हॉस्पिटल के कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डा पी.के. अग्रवाल का मानना है कि जब तक असुरक्षित रक्त संक्रमण (अनसेफ ब्ल्ड ट्रांसफ्यूजन), मेडिकल सेट-अप में रक्त के उत्पादों के प्रदूषण (कंटामिनेशन ऑफ ब्लड प्रॉडक्ट इन मेडिकल सेट-अप्स), और वायरस से माता-से-बच्चे के संचरण की उच्च संभावनाएं हैं, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में वायरस के तेजी से फैलने के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण है इस राज्य में अब तक नीम-हकीमों द्वारा बिना चिकित्सा पद्धतियों की जानकारी के इलाज किया जा रहा है। सामान्य आबादी के बीच जागरूकता की कमी से, इनका दबाव ज्यादा बढ़ रहा है।
ष्डॉ अग्रवाल कहते हैं औसतन, हम हर दिन हिपेटाइटिस बी के लगभग पांच-सात रोगियों को देखते हैं, इनमें कुछ नए होते हैं और कुछ फोलोअप कस होते हैं। यह संख्याएं ही हमारे क्षेत्र में हिपेटाइटिस द्वारा उत्पन्न बढ़ते स्वास्थ्य खतरों को दिखाने के लिए काफी हैं,हालांकि हिपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस बी के मुकाबले राज्य में अपेक्षाकृत कम है। सामान्यतः, संक्रमण अधिकांशतरू इस्तेमाल की गई अनस्टेरेलाइज्ड सूई या इंजेक्शन को दोबारा-या बार-बार उपयोग करने से होता है। ग्रामीण और यहां तक कि उप-शहरी क्षेत्रों में, प्रसार दर लगभग 10 प्रतिशत उच्च होने की आश्चर्यजनकरूप रिपोर्ट है। निस्संदेह, अधिकांशतः संक्रमण अनरिजस्टर्ड चिकित्सकों और झोलाछापों के द्वारा बड़े पैमाने पर गैर-वैज्ञानिक अभ्यासों से फैल सकता है।
हेपेटाइटिस सी ट्रांसमिशन तब भी हो सकता है जब दूषित रक्त और रक्त उत्पादों के संक्रमण, दूषित इंजेक्शन का उपयोग, और निडिल स्टिक इंजरीज हों। यह सब कहने के बाद, मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि मजबूत जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान गायब हो रहे हैं, खासकर जब एचबीवी की बात आती है सामुदायिक स्तर पर लंबी अवधि के जन जागरूकता अभियान बहुत जरूरी चीज है, ताकि हिपेटाइटिस का संक्रमण जल्दी से पता चल सके और तुरंत इलाज किया जाए। डॉक्टर कहते हैं, डिस्पोजेबल सुइयों का पुन उपयोग करने जैसी सामान्य रूप से जागरुकता पैदा करने के अलावा, नाई द्वारा असुरक्षित ब्लेड का उपयोग और अनस्टीलाइज्ड सुई का उपयोग,निवारक पारिवारिक स्क्रीनिंग, उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की जांच, और थकावट, भूख की कमी और पीलिया जैसी लक्षणों वाले रोगियों को जमीनी स्तर से बीमारी के जोखिम को खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। रोग के अस्तित्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के अलावा, लोगों को उपचार और टीकों की उपलब्धता के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लिवर के सबसे व्यापक रूप से प्रचलित संक्रमणों में से एक, हिपाटाइटिस हर साल दुनिया भर में हेपाटाइटिस हर साल दुनिया भर में 1ण्5 मिलियन लोगों के करीब होने का दावा करता है। जबकि अमेरिका में, हेपेटाइटिस एक प्रचलित पुरानी वायरस संक्रमणों में प्रचलित है, भारत में हेपेटाइटिस बी और सी इस पैक का नेतृत्व करते हैं, हर साल घातक बीमारियों से लगभग 6 लाख मरीज़ मर जाते हैं।
ऋषिकेश विधान सभा को एक बडी सौगात देगे विधान सभा अध्यक्ष
ऋशिकेष, 27 जुलाई, । विधान सभा अध्यक्ष कैम्प कार्यालय ऋशिकेष।
यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो ऋषिकेश विधान सभा को एक बडी सौगात मिलने वाली है। इस विषय को लेकर उत्तराखण्ड विधान सभा अध्यक्ष एवं ऋषिकेश विधान सभा के विधायक श्री प्रेम चन्द अग्रवाल व श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 यू0एस0रावत ने ऋषिकेश विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्गत छिद्दरवाला में श्री देव सुमन विश्वविद्यालय के शैक्षणिक परिसर की स्थापना हेतु प्रस्तावित स्थल छिद्दरवाला का स्थानीय निरीक्षण किया गया।
विधान सभा अध्यक्ष एवं ऋषिकेश विधानसभा के विधायक श्री प्रेम चन्द अग्रवाल ने कहा है कि श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के शैक्षणिक परिसर स्थापित करने हेतु भूमि के चयन प्रक्रिया के लिए विश्व विद्यालय के कुलपति श्री यू0एस0रावत एवं डा0 एच0 सी0 पुण्डीर व वन विभाग के अधिकारियों के साथ छिदद्रवाला में प्रस्तावित शैक्षणिक परिसर हेतु भूमि का निरीक्षण किया गया।
श्री अग्रवाल ने कहा कि छिद्दरवाला में लगभग 25 एकड भू-भाग उपलब्ध है। जिस स्थान पर शैक्षणिक परिसर स्थापित होना है। जिसके लिए छिद्दरवाला उपयुक्त स्थान है। श्री अग्रवाल ने कहा है कि यदि शासन से श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के शैक्षणिक परिसर को स्थापित करने की अनुमति प्रदान होती है, तो यह .ऋषिकेश विधान सभा के लिए वरदान साबित होगा।
श्री अग्रवाल ने कहा कि छिद्दरवाला क्षेत्र रेल मार्ग, हवाई मार्ग एवं विभिन्न प्रकार के आवगमन के दृष्टि से उपयुक्त स्थान है। उन्होने कहा कि स्थलीय निरीक्षण के पश्चात् श्री देव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डा0यू0एस0 रावत, प्रदेश के मा0 उच्च शिक्षा मंत्री एवं मुख्यमंत्री को अवगत करायेगें। उसके पश्चात् ही शैक्षणिक परिसर की स्थापना हेतु आगे की कार्यवाही होगी।
स्थलीय भूमि निरक्षण के दौरान जिला पंचायत सदस्य श्री देवेन्द्र नेगी, डा0एच0सी0 पुण्डीर, एवं वन विभाग के अधिकारी मौजूद थे।
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