एक स्मार्ट राजनीतिक कदम ;नोट बंद करने का फैसला
फ्रांसीसी अर्थशास्त्री ने कहा #मोदी के भावुक भाषण पर शिवसेना की चुटकी- ‘प्रधानमंत्री मोदी अभेद्य सुरक्षा घेरे में हैं और उन्हें एक मच्छर भी नहीं काट सकता। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खालिस्तानी राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ जंग लड़ी थी जिसके लिए उन्हें कुर्बानी देनी पड़ी।’ ममता बनर्जी का देश की जनता को भिखारी बनाने का आरोप
प्रस्तुति- हिमालयायूके न्यूज पोर्टल
विश्व प्रसिद्ध फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गॉय सोरमन ने मंगलवार को कहा कि भारत सरकार का 500 और 1,000 का नोट बंद करने का फैसला एक स्मार्ट राजनीतिक कदम है, लेकिन इससे भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा. उन्होंने कहा कि ‘अधिक नियमन’ वाली अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार बढ़ता है.
बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की भारी भीड़ जुट रही है, लोग रात से ही लाइन लगाकर खड़े हो गए हैं. ऐसे हालात में पीएम मोदी ने कहा कि समझता हूं कि आपको तकलीफ हो रही है. लोग कालेधन को रोकने के लिए तकलीफ सहने को तैयार हैं.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा ; मैं उनकी माता जी के बारे में कुछ नहीं बोलूंगा।”
नोटंबदी के मसले पर राहुल गांधी ने कहा कि ‘बिना सोचे समझे लिए गया फैसला (विमुद्रीकरण) है, यह सिर्फ एक व्यक्ति की सोच पर आधारित था।’ केंद्र सरकार के इस फैसले से आम आदमी को चोट पहुंची है। पीएम तय करें कि वह कहां खड़े हैं। राहुल ने आरोप लगाया कि ‘बिना सोचे समझे लिए गया फैसला (विमुद्रीकरण) है, यह सिर्फ एक व्यक्ति की सोच पर आधारित था।’ उन्होंंने कहा, ”पीएम ने काले धन के बड़े खिलाड़ियों को बचने का मौका दिया। माल्या और ललित मोदी विदेश में बैठे हैं।” राहुल ने पीएम को निशाने पर लेते हुए कहा, ”दो दिन पहले, पीएम अपने भाषण के दौरान हंस रहे थे, अगले दिन वह रो रहे थे। वह तय कर लें कि करना क्या चाहते हैं।” राहुल ने आम आदमी की व्यथा व्यक्त करते हुए कहा, ”क्या आप बैंक की लाइनों में काला धन रखने वालों को देख रहे हैं, सिर्फ किसान, सरकारी नौकर और आम आदमी दिख रहा है। सरकार के इस फैसले से लोगों को भारी परेशानी हुई है, इसे जल्द ठीक करने की जरूरत है।” सोशल मीडिया पर बीजेपी नेताओं की 2000 के नए नोटों के साथ तस्वीरें आई हैं, उन्हें यह पैसा कहां से मिला। जब पत्रकारों ने मोदी की मां हीरा बा द्वारा मंगलवार को बैंक से नोट बदलवाने पर सवाल किया तो उन्होंने कहा, ”मेरा और नरेंद्र मोदी जी का तरीका अलग है। मैं उनकी माता जी के बारे में कुछ नहीं बोलूंगा।”
दिल्ली विधानसभा में नोटबंदी के खिलाफ प्रस्ताव पेश करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पहली बार कुर्सी पर बैठे किसी प्रधानमंत्री का नाम काले धन के किसी घोटाले में आया है। उन्होंने कहा कि नवंबर 2012 में गुजरात का सीएम रहते हुए मोदी के आदित्य बिरला ग्रुप के लेनदेन के बारे में जानकारी एक लैपटॉप से मिली थी। उसमें ‘गुजरात सीएम-25 करोड़’ लिखा था। केजरीवाल ने कहा कि ”पनामा घोटाले में मोदी जी के कितने दोस्तों के नाम थे, मगर कोई एक्शन नहीं लिया गया। 648 लोगों के स्विस बैंक अकाउंट नंबर तक लिखे हुए थे, मगर कार्रवाई इसलिए नहीं हुई क्योंकि इस लिस्ट के अंदर प्रधानमंत्री मोदी जी के दोस्त हैं।” दस्तावेज सामने रखते हुए सीएम ने कहा, ”आज मैं सबूत लेकर आया हूं। आयकर विभाग ने 15 अक्टूबर 2013 को आदित्य बिरला ग्रुप पर छापेमारी हुई। वापस आने के बाद इनकम टैक्स की अप्रेजल रिपोर्ट में बिरला ग्रुप के अकाउंटेंट ने कहा कि मैं हवाला का पैसा लेकर आता हूं। मेरे बॉस का नाम शुभेन्दु अमिताभ हैं। वे बिरला ग्रुप के एक्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट थे।”
शिवसेना ने मंगलवार (15 नवंबर) को कहा कि बड़े नोटों को समाप्त करने के उनके फैसले से उनकी जिंदगी उस तरह खतरे में नहीं पड़ जाएगी जिस तरह इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को देश के महान लक्ष्यों के लिए संघर्ष करते हुए मार दिया गया था। गोवा में 13 नवंबर को एक समारोह में अपने भाषण में मोदी ने भावुक होते हुए कहा था कि उनके खिलाफ कुछ ताकतें हैं जो उन्हें जीने नहीं देना चाहतीं और नोटबंदी के उनके फैसले को लेकर उन्हें पूरी तरह तबाह कर देना चाहती हैं। मोदी ने कहा था कि वह किसी भी नतीजे को भुगतने को तैयार हैं । उन्हें जिंदा भी जला दिया जाए तो भी वे झुकेंगे नहीं। इस पर शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में लिखा गया है, ‘प्रधानमंत्री मोदी अभेद्य सुरक्षा घेरे में हैं और उन्हें एक मच्छर भी नहीं काट सकता। देश के लिए उन असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों ने कुर्बानी दी है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने खालिस्तानी राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ जंग लड़ी थी जिसके लिए उन्हें कुर्बानी देनी पड़ी।’ शिवसेना ने लिखा, ‘श्रीलंका में शांति रक्षण बलों को भेजने के राजीव गांधी के फैसले पर सवाल उठाए जा सकते हैं लेकिन उन्हें बदले में अपनी जान की कुर्बानी देनी पड़ी।’‘सामना’ के लेख के अनुसार, ‘मोदी ने केवल मुद्रा के नोट बदले हैं, जिसका अर्थ पाकिस्तान पर हमला करना या जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद को भारत खींचकर लाना नहीं है। इसलिए उन्हें आतंकवादियों से कोई खतरा नहीं है। आम आदमी डरा हुआ है।’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी को खुद को सजा देनी चाहिए।’ शिवसेना के मुताबिक लोग चुपचाप और शांतिपूर्ण तरीके से सह रहे हैं और मोदी को अपनी जिंदगी के लिए डरने की जरूरत नहीं है। महाराष्ट्र में और केंद्र में भाजपा नीत सरकारों में भाजपा की सहयोगी होने के बावजूद शिवसेना ने नोटों पर सरकार के फैसले पर सख्त रुख अपनाया है।
विश्व प्रसिद्ध फ्रांसीसी अर्थशास्त्री गॉय सोरमन ने कहा कि राजनीतिक नजरिये से बैंक नोटों को बदलना एक स्मार्ट कदम है. इससे कुछ समय के लिए वाणिज्यिक लेनदेन बंद हो सकता है और अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ सकती है, हालांकि, यह भ्रष्टाचार को गहराई से खत्म नहीं कर सकता. सोरमन ने पीटीआई से साक्षात्कार में कहा, ‘अत्यधिक नियमन वाली अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार बढ़ता है. भ्रष्टाचार वास्तव में लालफीताशाही और अफसरशाही के इर्दगिर्द घूमता है. ऐसे में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए नियमन को कुछ कम किया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जल्दबाजी में संचालन का तरीका कुछ निराशाजनक है. इसके लिए पहले से बताए गए कार्यक्रम के जरिये एक स्पष्ट रास्ता एक अधिक विश्वसनीय तरीका होता. सोरमन ने कई पुस्तकें लिखी हैं. इनमें ‘इकनॉमिस्ट डजन्ट लाई : ए डिफेंस ऑफ द फ्री मार्केट इन ए टाइम ऑफ क्राइसिस’ भी शामिल है.
जानी-मानी अर्थशास्त्री और वित्त मंत्रालय की पूर्व प्रधान आर्थिक सलाहकार इला पटनायक ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा अचानक 500 और 1,000 का नोट बंद करने के फैसले के कई उद्देश्य हैं. इससे निश्चित रूप से वे लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे, जिनके पास नकद में कालाधन है. भ्रष्ट अधिकारी, राजनेता और कई अन्य सोच रहे हैं कि वे इस स्थिति में नकदी से कैसे निपटें.’ हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा ऊंचे मूल्य के नोटों को नए नोटों से बदला जाएगा. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि भ्रष्टाचार में नकदी का इस्तेमाल बंद हो जाएगा. पटनायक ने कहा कि इस आशंका में कि फिर से नोटों को बंद किया जा सकता है, भ्रष्टाचार में डॉलर, सोने या हीरे का इस्तेमाल होने लगेगा.
:: ममता बनर्जी का देश की जनता को भिखारी बनाने का आरोप
सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस द्वारा बुधवार को बुलाए गए मार्च में कांग्रेस शामिल नहीं होगी, लेकिन इस प्रदर्शन में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना हिस्सा लेगी. शिवसेना नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर ममता बनर्जी के नेतृत्व में राष्ट्रपति से मुलाकात करेगी. विपक्षी दलों ने मंगलवार को नोटबंदी के मुद्दे पर बैठक की. इस बैठक में कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, एनसीपी, आरजेडी, टीएमसी, जेएमएम, आरएसपी, जेडीयू, बीएसपी और सपा शामिल हुए. बैठक में आम आदमी पार्टी, डीएमके, एडीएमके और बीजेडी जैसी पार्टियां मौजूद नहीं थीं. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल संसद में चर्चा से पहले राष्ट्रपति से मिलने के पक्ष में नहीं हैं, जबिक ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वह बुधवार को राष्ट्रपति से मिलेंगी. मोदी सरकार पर देश में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने का फैसला कर देश की जनता को भिखारी बनाने का आरोप लगाते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह बुधवार को इस मुद्दे पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करेंगी, भले ही अन्य दल उनके साथ जाएं या नहीं. ममता ने नई दिल्ली रवाना होने से पहले कोलकाता में हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘मैं नोटबंदी के मुद्दे पर राष्ट्रपति से मिलूंगी. मैं अपने 40 सांसदों के साथ उनसे मिलने जाऊंगी. मैंने विभिन्न राजनीतिक दलों से बात की है. अगर वे मेरे साथ चलना चाहते हैं, तो अच्छी बात है. अगर नहीं तो मैं अपने सांसदों के साथ ही जाऊंगी. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला मेरे साथ आ सकते हैं.’
इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से मुलाकात को थोड़ा जल्दबाजी बताने वाले कुछ राजनीतिक दलों के बयानों के बारे में पूछे जाने पर ममता ने कहा, ‘यह उनकी मर्जी है. रोगी की मौत से पहले आपको डॉक्टर को दिखाना होता है. रोगी के मर जाने के बाद डॉक्टर को बुलाने का कोई मतलब नहीं है. आपको अभी राष्ट्रपति से मिलना जरूरी है. मैं चाहती हूं कि सभी राजनीतिक दल राष्ट्रपति से मुलाकात करें.’उल्लेखनीय है कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को इस मुद्दे पर एकजुट करने के ममता के प्रयासों को उस समय झटका लगा जब सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा था कि पार्टी देखना चाहेगी कि सरकार इस मुद्दे पर संसद में क्या रुख अपनाती है और किसका क्या रुख रहता है.