न्यायमूर्ति भगवती को भावभीनी श्रद्धांजलि
प्रो.भीमसिंह की अध्यक्षता – स्टेट लीगल एड कमेटी की न्यायमूर्ति भगवती को भावभीनी श्रद्धांजलि
NPP urges President of India to impose Governor Rule in J&K
प्रो.भीमसिंह की अध्यक्षता में स्टेट लीगल एड कमेटी ने अपने मुख्यालय, नई दिल्ली में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री पी.एन भावभीनी को भावभीनी श्रद्धांजलि देने के लिए एक बैठक आयोजित की, जिनका निधन नई दिल्ली में 15 जून, 2017 को हुआ गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय और भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अनेक अधिवक्ताओं ने जंतर मंतर पर बैठकी और भारत में अग्रणी न्यायिक व्यक्तित्व के दुर्भाग्यपूर्ण मौत पर संवेदना व्यक्त की, जिन्होंने जनहित याचिका की अवधारणा को शुरू किया था और भारतीय न्यायिक प्रणाली को पूर्ण दायित्व प्रदान किया था।
स्टेट लीगल एड कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष और वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के वरिष्ठ कार्यकारी सदस्य प्रो.भीमसिंह ने न्यायमूर्ति श्री भगवती की मृत्यु पर गहरा दुख प्रकट करते हुए का कि वे उन्हें कानूनी मार्गदर्शक और कानून न्यायशास्त्र में शिक्षक के रूप में मानते हैं। प्रो. भीमसिंह ने कहा कि यह 1973 में न्यायमूर्ति भगवती ही थे, जिन्होंने उन्हें वकील की वर्दी में आने के लिए मजबूर किया था, जब वे (भीम सिंह) जम्मू-कश्मीर सरकार के रणबीर दंड संहिता (जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता लागू नहीं है) में संशोधन के खिलाफ चुनौती देने के लिए जनहित मामले में स्वयं पेश हुए थे। वे न्यायमूर्ति भगवती ही थे, जिन्होंने भीमसिंह को जनहित याचिका में एक वकील के रूप में सर्वोच्च न्यायालय में पेश होने के लिए कहा था।
प्रो.भीमसिंह ने अपने वकील मित्रों को याद दिलाया कि उन्होंने जनहित क्षेत्र में गरीबों और असहायों की न्याय व अधिकार की रक्षा के लिए न्यायमूर्ति भगवती के आशीर्वाद और सहयोग से 1983 में जम्मू-कश्मीर स्टेट लीगल एड कमेटी का गठन किया था, जिसको वे आज तक जारी रखे हुए हैं। मुख्य न्यायाधीश भगवती, स्टेट लीगल एड कमेटी के सलाहकार बोर्ड के चेयरमैन थे और उन्हीं के अद्वितीय प्रेरणा से इस क्षेत्र में भीमसिंह विश्व के विभिन्न हिस्सों में असहाय और गरीब पीडि़तों के लिए न्याय और अधिकार के कानूनी मंच पर लड़ने के लिए तैयार हुए।
प्रो.भीमसिंह ने आज सुबह न्यायमूर्ति भगवती के निवास का दौरा किया और स्वर्गीय श्री पी.एन.भगवती की पत्नी और उनकी पुत्रियों को शोक संवेदना व्यक्त की।
प्रो.भीमसिंह ने आश्वासन दिया कि वे घर और विदेश में असहाय व समाज के वंचित सदस्यों के लिए अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे और यही वह मिशन है, जो उन्हें जीवन में अपने एक महान कानूनी प्रेरक से विरासत में मिली है। प्रो.भीमसिंह ने सुप्रीम कोर्ट यानि भारत की सर्वोच्च अदालत के दरवाजे दलितों, मजदूरों और बेसहारा पीडि़तों के लिए खोल दिये और न्याय के समुदर को हर एक दीन के घर तक पहुंचाने की पुरजोर कानूनी मदद की। सैंकड़ों अधिवक्ताओं ने श्री पी.एन. भगवती को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
NPP urges President of India to impose Governor Rule in J&K
Prof.Bhim Singh, Chief Patron of National Panthers Party has made a strong appeal to Shri Pranab Mukherjee, the President of India to dissolve the Legislative Assembly in J&K and direct the Governor of J&K to impose Governor Rule without any delay to save J&K from annihilation and chaos so that the innocent people shall be protected.
Prof.Bhim Singh said that the nation is alarmed on the news flooding from Kashmir on the death of innocent people even that of police and security personnel as well as civilians because of the bloody attacks of the undesirable elements who have been infiltrating into J&K from across the border ever since PDP-BJP Govt. took over the reigns of power in the state. Prof.Bhim Singh said that the bloody acts of killing, sabotage and violence are being carried out by the saboteurs who have infiltrated into J&K from across the border.
Prof.Bhim Singh made a strong appeal to the political activists in the state including the members of the Hurriyat Conference to cooperate with the government under Governor Rule so that peace shall return to the state at the earliest.
Prof.Bhim Singh also appealed the leadership in J&K including that of Hurriyat Conference to cooperate with the Governor Rule so that the flood of death and destruction shall stop and people of J&K shall feel safe and secure.
Prof.Bhim Singh also urged the President of India to amend Article 370 of the Constitution of India which is within his command as there is no Constituent Assembly in the State which ceased in 1956 when new Constitution was imposed in the State of J&K. this is in the interest of unity and integrity of the entire nation that Article 370 is amended by the President and present Assembly is dissolved.
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