एक दिन राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे- किसकी भविष्यवाणी
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देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का एक किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा, ‘जब जवाहर लाल नेहरू वजीर-ए आजम थे, तब उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी से कहा था कि तुम एक दिन देश के पीएम बनोगे.’
आजतक के शो ‘सीधी बात’ में इस हफ्ते जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला शामिल हुए. श्वेता सिंह से बात करते हुए उन्होंने पाकिस्तान और कश्मीर से लेकर मोदी सरकार व बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता तक, हर मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखी. कार्यक्रम में श्वेता सिंह ने जब फारूक अब्दुल्ला से यह पूछा कि संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भाषण और पीएम मोदी को उनका गले लगाना आपको कैसा लगा तो फारूक अब्दुल्ला ने जवाब में कहा कि यह उनका अपना तरीका है. उन्होंने कहा कि हर किसी का अपना अंदाज और अपनी भावनाएं होती हैं. इसी क्रम में कश्मीर के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला ने राहुल गांधी को लेकर एक भविष्यवाणी भी कर डाली. उन्होंने उम्मीद जताई कि राहुल गांधी का भी वक्त आएगा. ऐसा कहते हुए उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का एक किस्सा सुनाया.
अब्दुल्ला ने राहुल गांधी के लिए की गई अपनी भविष्यवाणी का खुलासा किया. उन्होंने कहा कि एक दिन आएगा जब राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. अपनी बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि मुझे इस बात में कोई शक नहीं है कि राहुल एक दिन देश के पीएम बनेंगे. हालांकि, उन्होंने इसके साथ यह भी जोड़ दिया कि यह वक्त कब आएगा, उन्हें पता नहीं है. वो यहां तक कह गए कि जब राहुल गांधी पीएम बनें, शायद तब तक मैं इस दुनिया में न रहूं.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘जब जवाहर लाल नेहरू वजीर-ए आजम थे, तब उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी से कहा था कि तुम एक दिन देश के पीएम बनोगे.’ इसके बाद उन्होंने कहा कि हालांकि मेरी ऐसी पारखी नजर नहीं है. लेकिन साथ ही साथ वो यह भी कह गए कि किसी को ये नहीं पता था नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. इसके बाद फारूक अब्दुल्ला ने राहुल गांधी के लिए की गई अपनी भविष्यवाणी का खुलासा किया. उन्होंने कहा कि एक दिन आएगा जब राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री बनेंगे. अपनी बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि मुझे इस बात में कोई शक नहीं है कि राहुल एक दिन देश के पीएम बनेंगे. हालांकि, उन्होंने इसके साथ यह भी जोड़ दिया कि यह वक्त कब आएगा, उन्हें पता नहीं है. वो यहां तक कह गए कि जब राहुल गांधी पीएम बनें, शायद तब तक मैं इस दुनिया में न रहूं.
लोकसभा चुनावों से पहले संघीय मोर्चा- उमर अब्दुल्ला
जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि 2019 लोकसभा चुनावों से पहले प्रस्तावित संघीय मोर्चा एक बड़ा आकार धारण करेगा और विपक्षी एकता तबतक कामयाब नहीं होगी, जबतक कांग्रेस भाजपा को टक्कर देने में सक्षम नहीं होगी। नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने थिंक फेडरल कॉन्क्लेव से इतर कहा, “हम इस पर चर्चा कर रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में कैसे क्षेत्रीय पार्टी एक साथ आ सकते हैं। निश्चित ही, विपक्षी एकता का कोई भी प्रयास तबतक सक्षम नहीं होगा, जबतक हमारे उम्मीद के अनुरूप कांग्रेस भाजपा से लोहा लेने में सक्षम नहीं होती।”
अब्दुल्ला ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी।
उन्होंने कहा, “संघीय मोर्चे का गठन एक जारी प्रक्रिया है। जैसा कि हम 2019 लोकसभा चुनावों के करीब हैं, मुझे यकीन है कि यह एक बड़ा आकार धारण करेगा। आपने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के कई प्रयास देखे होंगे।”
जम्मू एवं कश्मीर पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की मांग है कि विधानसभा को भंग करना चाहिए और राज्य में पूरी स्थिति को बेहतर बनाने के प्रयास होने चाहिए।
#############शिवराज सिंह चौहान को चैलेंज किया.
कांग्रेस के पूर्व महासचिव और एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह का भोपाल में किया गया पैदल मार्च इन दिनों सुर्खियों में है. कोई इसे दिग्विजय की खिसकती राजनीतिक जमीन से जोड़कर देख रहा है तो कोई इसे दिग्विजय का शक्ति प्रदर्शन करार दे रहा है तो कोई इसे दिग्विजय सिंह की नौटंकी बता रहा है.
एमपी की राजधानी भोपाल में गुरूवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर भारी भीड़ के बीच दिग्विजय सिंह ने जब प्रदेश की राजधानी के टीटी नगर थाने की तरफ कूच किया तो नेताओं और कार्यकर्ताओं में शिवराज सरकार को उखाड़ फेंकने का जोश दिखा. दरअसल सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दिग्विजय सिंह को जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान सतना में देशद्रोही कह दिया जिसको लेकर दिग्विजय सिंह ने मोर्चा खोलते हुए भोपाल में हाजिरी देकर पुलिस को गिरफ्तारी देने की बात कही और शिवराज सिंह चौहान को चैलेंज किया.
दिग्विजय सिंह ने भोपाल में शक्ति प्रदर्शन करते हुए हजारों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तारी देने के लिए थाने पहुंचे. लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज न होने की बात कहकर उन्हें वापस लौटा दिया. लेकिन हजारों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ दिग्विजय सिंह ने इसी बहाने प्रदेश की राजधानी में शक्ति प्रदर्शन किया. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो जिस तरह कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उन्हें नजर अंदाज कर रहा है उसको देखते हुए यह शक्ति प्रदर्शन दिग्विजय ने किया. क्योंकि हाल ही में एआईसीसी की सीडब्ल्यूसी की लिस्ट में दिग्विजय सिंह का नाम नहीं था. इससे पूर्व में भी उन्हें महासचिव पद से भी हटा दिया गया. दिग्विजय सिंह अब मात्र कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा के सदस्य है. जबकि यह भी माना जा रहा है कि सीएम शिवराज सिंह और बीजेपी चौथी बार भी चुनाव जीतने के लिए दिग्विजय सिंह के चेहरे का उपयोग करना चाहते हैं. यही वजह है कि शिवराज सिंह सहित बीजेपी के सभी नेताओं के भाषणों में दिग्विजय सिंह और उनके दस वर्ष के कार्यकाल की बात करना नहीं भूलते. बहरहाल भोपाल में दिग्विजय सिंह के पैदल मार्च को जहां लोग कांग्रेस पार्टी के भीतर अपना स्थान बताने के लिए शक्ति प्रदर्शन बता रहे हैं तो वही 71 साल के दिग्विजय सिंह की खिसकती राजनीतिक जमीन से जोड़कर देखते हैं. जबकि बीजेपी दिग्विजय सिंह को प्रदेश की राजनीति के केन्द्र में रखकर राजनीतिक लाभ लेने की सोच रही है.
############भाजपा-पीडीपी का गठबंधन उनके लिए जहर के घूंट पीने जैसा- महबूबा मुफ्ती
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद पहली बार जनसभा को संबोधित करते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उन्हें शुरू से ही भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर संदेह था। उनके मुफ्ती मोहम्मद सईद ने भी इसका विरोध किया था। लेकिन उन्होंने इसे खारिज करते हुए गठबंधन कर लिया। उनका मकसद राज्य में आधारभूत संरचना का निर्माण नहीं, बल्कि कश्मीरियों की समस्या को दूर करना था। एक साल बाद जब उनके पिता का इंतकाल हो गया और वह मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहती थी। लेकिन अंतत: उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा। वे मार्च 2016 में जम्मू-कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और अगले दो साल तक सत्ता में बनी रहीं, जब तक कि वर्ष 2018 के जून महीने में भाजपा ने अपना समर्थन वापस नहीं ले लिया। हालांकि शुरू से ही इसे विपक्षी अपवित्र गठबंधन कह रहे थे।
पार्टी के 19वें स्थापना दिवस के मौके पर उन्होंने कहा कि भाजपा-पीडीपी का गठबंधन उनके लिए जहर के घूंट पीने जैसा था। इस दौरान उन्होंने काफी दबाव में काम किया। राज्य में एक सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश की। यही वजह रही कि रमजान के महीने में सीजफायर का फैसला लिया गया। महबूबा ने अपने संबोधन के दौरान विराेधियों पर जमकर हमले किए। कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था में गिरावट के जिम्मेवार उमर अब्दुला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस है। उनके वजह से ही प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की समस्य बढ़ी। साथ ही उन्होंने कहा कि हम भाजपा को धारा 370 में किसी तरह की छेड़छाड़ से रोकने में सफल रहें।
पीडीपी प्रमुख कहा कि मेरे प्रयास से ही पीएम मोदी लाहौर गए। मैंने दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने की काफी कोशिश की। आज मैं प्रधानमंत्री से अपील करती हूं कि पाकिस्तान के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान को एक सकारात्मक संदेश भेजें ताकि दोनों देशों के बीच बेहतर रिश्ते हों। हालांकि, इस मौके पर पीडीपी की अंर्तकलह भी खुलकर देखने को मिली। पार्टी के छह विधायक इस स्थापना दिवस समारोह में शामिल नहीं हुए। वहीं, विधायक अब्दुल मजीद ने कुलगाम में अलग से पार्टी का स्थापना दिवस मनाया और कहा कि असली पीडीपी हम हैं।
प्रस्तुति- हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्तराखण्ड
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