चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग- पतंजलि योग दर्शन
भारत देश में योग दिवस का एक अपना ही अलग महत्व है। योग भारतीय प्राचीन संस्कृति की परम्पराओं को समाहित करता है। भारत देश में योग का प्राचीन समय से ही अहम स्थान है। पतंजलि योग दर्शन में कहा गया है कि – योगश्चित्तवृत्त निरोधः अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ह्रदय की प्रकृति का संरक्षण ही योग है। जो मनुष्य को समरसता की और ले जाता है। योग मनुष्य की समता और ममता को मजबूती प्रदान करता है। यह एक प्रकार का शारारिक व्यायाम ही नहीं बल्कि जीवात्मा का परमात्मा से पूर्णतया मिलन है। योग शरीर को तो स्वस्थ्य रखता ही है इसके साथ-साथ मन और दिमाग को भी एकाग्र रखने में अपना योगदान देता है। योग मनुष्य में नए-नए सकारात्मक विचारों की उत्पत्ति करता है। जो कि मनुष्य को गलत प्रवृति में जाने से रोकते हैं। योग मन और दिमाग की अशुद्धता को बाहर निकालकर फेंक देता है। योग व्यक्तिगत चेतना को मजबूती प्रदान करता है। योग मानसिक नियंत्रण का भी माध्यम है।
हिन्दू धर्म, बौध्द धर्म और जैन धर्म में योग को आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाता है। योग मन और दिमाग को तो एकाग्र रखता है ही साथ ही साथ योग हमारी आत्मा को भी शुध्द करता है। योग मनुष्य को अनेक बीमारियों से बचाता है और योग से हम कई बीमारियों का इलाज भी कर सकते हैं। असल में कहा जाते तो योग जीवन जीने का माध्यम है। श्रीमद्भागवत गीता में कई प्रकार के योगों का उल्लेख किया गया है। भगवद गीता का पूरा छठा अध्याय योग को समर्पित है। इसमें योग के तीन प्रमुख प्रकारों के बारे में बताया गया है। इसमें प्रमुख रूप से कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग का उल्लेख किया गया है। कर्म योग- कार्य करने का योग है। इसमें व्यक्ति अपने स्थिति के उचित और कर्तव्यों के अनुसार कर्मों का श्रद्धापूर्वक निर्वाह करता है।
भक्ति योग- भक्ति का योग। भगवान् के प्रति भक्ति। इसे भावनात्मक आचरण वाले लोगों को सुझाया जाता है। और ज्ञान योग- ज्ञान का योग अर्थात ज्ञान अर्जित करने का योग। भगवत गीता के छठे अध्याय में बताए गए सभी योग जीवन का आधार है। इनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। भगवद्गीता में योग के बारे में बताया गया है कि – सिद्दध्यसिद्दध्यो समोभूत्वा समत्वंयोग उच्चते।
अर्थात् दुःख-सुख, लाभ-अलाभ, शत्रु-मित्र, शीत और उष्ण आदि द्वन्दों में सर्वत्र समभाव रखना योग है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो योग मनुष्य को सुख-दुःख, लाभ-अलाभ, शत्रु-मित्र, शीत और उष्ण आदि परिस्थितियों में सामान आचरण की शक्ति प्रदान करता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में एक स्थल पर कहा है ‘योगः कर्मसु कौशलम’ अर्थात योग से कर्मो में कुशलता आती हैं। वास्तव में जो मनुष्य योग करता है उसका शरीर, मन और दिमाग तरोताजा रहता है और मनुष्य प्रत्येक काम मन लगाकर करता है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कल यानि 21 जून को है। योग के महत्व को ध्यान में रखते हुए इस दिवस की शुरूआत की गई। लेकिन सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नहीं बॉलीवुड एक्टर और एक्ट्रेसेस भी योग में काफी विश्वास रखते हैं। बॉलीवुड सेलिब्रिटीज अपने बिजी शेड्यूल के बावजूद वह योग के लिए पूरा समय निकालते हैं। ज्यादातर सेलिब्रिटीज डेली रूटीन वर्कआउट के साथ योग भी करते हैं।
शिल्पा शेट्टी, करीना कपूर, बिपाशा बसु जैसे कई सेलिब्रिटीज ऐसे हैं जो रोज योग करते हैं। योग के दम पर ही वह खुद को फिट एंड फाइन रखते हैं। इतना ही नहीं वह लोगों से योग करने की अपील भी करते हैं। 2018 में चौथी बार योग दिवस मनाया जाएगा। जबकि 21 जून 2015 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में भी मनाया गया था।
21 जून को पूरी दुनिया करेगी योग, योग और एक्सरसाइज में क्या है अंतर
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पूरी दुनिया में 21 जून को मनाया जाएगा। कुछ लोग एक्सरसाइज करके फिट रहते हैं तो कुछ लोग योग करके सेहत को चुस्त-दुरुस्त रखते हैं। एक्सरसाइज और योग दोनों शरीर को स्वस्थ और सेहतमंद रखने का काम करते हैं, लेकिन फिर भी दोनों में जमीन आसमान का अंतर है।
एक्सरसाइज और योग में क्या अंतर है।
योग या योगासन, एक्सरसाइज से बहुत अलग है। इतना ही नहीं शरीर पर इन मायनों में पड़ने वाले असर भी अलग-अलग हैं।
एक्सरसाइज (कसरत) और योग में अंतर
एक्सरसाइज के लिए पर्याप्त जगह और टूल्स की जरूरत होती है जबकि योग किसी भी शांत जगह पर किया जा सकता है।
एक्सरसाइज में सांसें तेज हो जाती हैं जबकि योग में सांस पर संतुलन करना सिखाया जाता है और आसन के अनुसार सांस ली जाती है।
एक्सरसाइज का असर दिखने के लिए इसे तेज गति से करना पड़ता है, जबकि योग धीमी गति से करने पर लाभ पहुंचाता है। एक्सरसाइज करने के बाद व्यक्ति को ज्यादा थकान महसूस होती है, जबकि योग करने के बाद व्यक्ति फ्रेश फील करता है।
एक्सरसाइज करने पर आपका सारा ध्यान वर्कआउट और मशीन पर होता है, जबकि योग से आपको ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलता है। एक्सरसाइज करने से व्यक्ति शारीरिक तौर पर मजबूत होता है, जबकि योग करने से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और भावात्मक रूप से मजबूत होता है। एक्सरसाइज एक उम्र और बीमार व्यक्ति के लिए करना मुश्किल होता है। वहीं योग हर व्यक्ति (बच्चा, जवान, बुजुर्ग, बीमार) कर सकता है।
योगासन करने से पेट से जुड़ी हर समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। पाचनशक्ति से जुड़ी समस्या कब्ज का मतलब पेट के साफ न होने से है। यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन लंबे समय तक इसका इलाज नहीं किया जाए, तो कई अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है।
पेट के साफ नहीं होने के कई कारण होते हैं, जैसे- खाने में पौष्टिकता का अभाव, जंक फूड का अधिक सेवन, मैदे से बनी चीजों का सेवन और कम पानी पीना।
इससे निजात पाने के लिए खान-पान में सुधार के अलावा कुछ यौगिक क्रियाओं का नियमित अभ्यास बेहद जरूरी है। पश्चिमोत्तासन
इसे करने के लिए सबसे पहले जमीन पर दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं।
एड़ियां और अंगूठे दोनों पैरों के आपस में मिलाकर रखें।
लंबी गहरी श्वांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं।
अब श्वास छोड़ते हुए सामने की ओर झुक जाएं तथा दोनों हाथों से पैरों के अंगूठे को पकड़ कर कुछ देर रुकने का प्रयास करें।
माथा या फिर नाक को घुटने पर लगाने का प्रयास करें।
ध्यान रहे कि घुटना जमीन से ऊपर नहीं उठना चाहिए।
कुछ देर अपनी क्षमतानुसार रुकें, उसके बाद वापस आएं।
यह इस आसन का एक चक्र हुआ। कम से कम तीन चक्र का अभ्यास करें।
वज्रासन
इस आसन को खाना खाने के बाद भी किया जा सकता है।
सर्वप्रथम पंजे या एड़ियों के बल बैठें जाएं।
नितंब पंजों को स्पर्श करते हुए होने चाहिए।
कमर और गर्दन बिल्कुल सीधी रखें तथा दोनों हाथ दोनों जांघों पर रखें।
इस अवस्था में कुछ देर रुकें और फिर वापस आ जाएं।
इनके अलावा सूर्य नमस्कार, प्राणायाम में कपाल भांति, नाड़ीशोधन और भ्रस्त्रिका का अभ्यास किया जा सकता है। इन सभी आसनों को करने का सही तरीका पहले किसी योग्य और अनुभवी योगाचार्य से सीख लें तभी इनका अभ्यास करें।
धनुरासन
सर्वप्रथम पेट के बल जमीन पर सीधा लेट जाएं।
अब दोनों पैरों को घुटने से मोड़ लें तथा दोनों हाथों से दोनों पैरों के टखनों या अंगूठों को पकड़ें।
इसके बाद हाथों के सहारे पैरों के घुटने, जांघ तथा धड़ के ऊपरी भाग को कमर तक या फिर यथासंभव उठाने की कोशिश करें।
सांस की गति सामान्य रखें।
इस अवस्था में कुछ देर तक रुकने के पश्चात वापस पूर्व स्थिति में आएं।
यह इस आसन का एक चक्र हुआ। इस आसन का अभ्यास दो चक्र से लेकर पांच चक्र तक किया जा सकता है।
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