योग से मस्ितष्क व चक्रों को जाग्रत, शांत, शक्तिवर्द्धक; स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी
#परमार्थ आश्रम विभिन्न देशाे से आये योग जिज्ञासु #परमार्थ निकेतन आश्रम में संचालित क्रिया योग कोर्स का समापन #विश्व में शांति, स्वच्छता, शुचिता, पर्यावरण तथा परम्पराओं की रक्षा के लिये किया संकल्प #एक ऐसे विश्व का निर्माण करे जहाँ शुचिता बाहर, शचिता भीतर; स्वच्छता बाहर, स्वच्छता भीतर# विश्व में आज भी अनेक परिवारों के पास शौचालय सूविधा उपलब्ध नहीं है# #पीने के लिये स्वच्छ जल का अभाव है #योग के द्वारा स्वयं के मस्ितष्क व चक्रों को जाग्रत, शांत एवं शक्तिवर्द्धक बनाया जाता है #उसी ऊर्जा को विश्व में शांन्ति, स्वच्छता, शुचिता एवं पर्यावरण तथा परम्पराओं की रक्षा के लिये प्रयोग करे#स्वामी चिदानन्द सरस्वती
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२ दिसम्बर, ऋशिकेष। परमार्थ निकेतन आश्रम ऋशिकेश में दो सप्ताह तक संचालित क्रिया योग कोर्स का समापन आज परमार्थ निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष, गंगा एक्षन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाष एलायंस के सह संस्थापक पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के पावन सानिध्य में विभिन्न देशाे से आये योग जिज्ञासुओं ने वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी करके सम्पन्न किया।
१४ दिनों तक चलने वाले क्रियायोग कोर्स में जर्मनी, न्युजीलैण्ड, नीदरलैण्ड, स्वीडन, लन्दन से आये योग जिज्ञासूओं को पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने स्वच्छता, षुचिता एवं पर्यावरण एवं परम्पराओं को सहेज कर रखने का संकल्प करवाया।
विश्व के अनेक देषों से आये योग जिज्ञासुओं को पूज्य स्वामी जी ने सम्बोधित करते हुये कहा, क्रिया योग के द्वारा प्राप्त शक्ति को समाज के कल्याण एवं उत्थान में लगाये। जिस प्रकार योग के द्वारा स्वयं के मस्ितष्क व चक्रों को जाग्रत, शांत एवं शक्तिवर्द्धक बनाया जाता है उसी ऊर्जा को विश्व में शांन्ति, स्वच्छता, शुचिता एवं पर्यावरण तथा परम्पराओं की रक्षा के लिये प्रयोग करे। आज हम सभी को इस ओर मिलकर प्रयास करने की आवष्यकता है। हम सब मिलकर एक ऐसे विश्व का निर्माण करे जहाँ शुचिता बाहर, शुचिता भीतर; स्वच्छता बाहर, स्वच्छता भीतर भी हो। उन्होने कहा कि विश्व में आज भी अनेक परिवारों के पास शौचालय सूविधा उपलब्ध नहीं है; पीने के लिये स्वच्छ जल का अभाव है अतः अपनी सकारात्मक ऊर्जा को जन कल्याणकारी कार्यो में लगाये जिससे सब के लिये सुखद भविष्य का निर्माण हो सके।‘
न्युजीलैण्ड से आयी अरलिन रोज ने अपने अनुभव को व्यक्त करते हुये कहा की ‘योग की विधाओं के साथ परमार्थ गंगा आरती एवं सांयकालिन सत्संग के द्वारा जो दिव्यता की अनुभूति हुयी उसे षब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। उन्होने कहा है इस दिव्यमय वातावरण में हम सभी को पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने लोकमंगल के कार्यो का संकल्प करवाया उस पर हम अपने-अपने देष जाकर अवष्य कार्य करेंगे।‘