चार महीने से हमें वेतन नहीं मिला; पीएम से पैर धुलवाने वाले सफाई कर्मियो की व्यथा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को प्रयागराज पहुंचे जहां उन्होंने पवित्र संगम में डुबकी लगाकर पूजा पूजा-अर्चना की और फिर दुग्धाभिषेक किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने स्वच्छता कर्मियों के पैर भी धोए। प्रधानमंत्री का यह वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने जिन लोगों के पांव धोए उनमें से ज्योति भी एक है। प्रधानमंत्री के हाथों पांव पखारे जाने के बाद से ही ज्योति अभिभूत है। छत्तीसगढ़ के कोरबा की रहने वाली ज्योति ने पीटीआई से बात करते हुए बताया, ‘पीएम के हाथों इतना बड़ा सम्मान (पांव पखारा जाना) पाकर मैं अभिभूत हैं और उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका प्रधानमंत्री ऐसे सम्मानित करेंगे। हमारा इतना सम्मान होगा, हम इतना गर्व महसूस करेंगे, कभी नहीं सोचा था। मैं इस मेले के लिए चार-पांच महीने से यहां काम कर रही हूं।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच सफाईकर्मियों (दो महिला और तीन पुरुष) के चरण धोकर कर उन्हें अंगवस्त्र भेंट किया और कुम्भ मेले में बेहतर साफ सफाई के लिए उनकी सराहना की।
इसके बाद जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने सफाई कर्मियों की तारीफ करते हुए कहा, ‘कर्मयोगियों में प्रयागराज के लोग भी शामिल हैं, नाविक भी शामिल हैं। स्वच्छाग्रही भी शामिल हैं। इन्होंने अपने प्रयासों से कुंभ के विशाल क्षेत्र में साफ-सफाई को पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना दिया। आज मेरे लिए भी ऐसा ही पल है जो भुलाया नहीं जा सकता। आज जिन सफाईकर्मी भाइयों-बहनों के चरण धुलकर मैंने वंदना की है वह पल मेरे साथ जीवनभर रहेगा। जिस जगह पर बीते हफ्ते में 20-22 करोड़ से ज्यादा लोग जुटे हों, वहां पर व्यवस्था करना बड़ा मुश्किल था। लेकिन आप सभी ने साबित कर दिया है कि दुनिया में नामुमकिन कुछ भी नहीं है।’
वहीं प्रधानमंत्री से सम्मानित होने वाले होरी लाल ने कहा, कभी नहीं सोचा था कि प्रधानमंत्री हमारे चरण धुलेंगे। प्रधानमंत्री ने हमारे काम की सराहना करते हुए कहा कि आपने अच्छा काम किया, मेला अच्छा हुआ, कहीं गंदगी नहीं मिली।’ बांदा के नरेश कुमार ने कहा, ‘हमने कभी नहीं सोचा था कि जीवन में ऐसा होगा। हम गंगा माई को इसके लिए धन्यवाद देते हैं।’
‘मोदीजी के पैर धोने से कोई पवित्र नहीं हो गया, चार महीने से हमें वेतन नहीं मिला है’- सफाई कर्मचारियो का कहना है-
अगर पांव धोना ही सम्मान है तो फिर संविधान में संशोधन कर पांव धोने और धुलवाने का अधिकार जोड़ दिया जाना चाहिए.
जब देशभर में सफ़ाईकर्मी सर पर मैला ढोने के लिए मजबूर हैं, गटर में मिथेन गैस से दम तोड़ते रहे तब कुछ नहीं किया. एक दिन अचानक सफाईकर्मियों के पांव धोकरमीडिया में महान बन गए.
समस्या का समाधान भले न हो लेकिन पांव धोकर हेडलाइन बन जाओ. क्या सम्मान का ये तरीका होगा? क्या ये सम्मान की जगह सफाईकर्मियों का अपमान नहीं है?
इलाहाबाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले दिनों सफाई कर्मचारियों के पांव धोने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि प्रधानमंत्री कैमरे के लिए जीते हैं और हर चीज़ को एक इवेंट बनाकर अगले इवेंट के लिए निकल लेते हैं.
बीते पांच मार्च को गांधी ने इन सफाईकर्मियों से जुड़ी एक ख़बर शेयर करते हुए कहा, ‘नरेंद्र मोदी, कैमरे के लिए जीते हैं. कैमरा बंद होने के बाद प्रधानमंत्री ने सफाई कर्मचारियों की समस्या तक नहीं सुनी. इवेंट बनाया और निकल गए, अगले इवेंट के लिए.’
मालूम हो कि बीते 24 फरवरी को नरेंद्र मोदी ने इलाहाबाद में चल रहे कुंभ के दौरान संगम में स्नान किया था. इसके बाद उन्होंने कुंभ मेले में साफ-सफाई का काम देख रहे सफाई कर्मचारियों से बातचीत की थी. इस दौरान प्रधानमंत्री ने पांच सफाईकर्मियों के पैर धोए और पोछे थे. इसके साथ ही उन्हें शॉल भेंट की थी. मोदी से सफाइकर्मियों को वास्तविक कर्मयोगी बताया था.
गांधी ने जो ख़बर शेयर की है उसके मुताबिक प्रधानमंत्री ने जिन सफाईकर्मियों के पैर धोए थे वो फिर से पुराने हालात में काम करने को विवश हैं.
नरेंद्र मोदी मोदी, कैमरे के लिए जीते हैं| कैमरा बंद होने के बाद, प्रधानमंत्री ने सफाई कर्मचारियों की समस्या तक नहीं सुनी। इवेंट बनाया और निकल गए। अगले इवेंट के लिए। हमारे आदिवासी और दलित भाई-बहन संकट में हैं| प्रधानमंत्री की झूठी क़समों और झूठे वादों ने आज उन्हें सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया है। उनके जंगल और जीवन के अधिकार पर निरंतर हमला हुआ है| वन अधिकार छीने जाने से।संवैधानिक आरक्षण में छेड़छाड़ से| मैं पूरी तरह से उनके साथ हूँ|
वही दूसरी ओर सीवर में होने वाली मौतों के ख़िलाफ़ सफाई कर्मचारियों के संगठन ने नई दिल्ली के जंतर मंतर पर किया प्रदर्शन. संगठन ने कहा कि सफाई कर्मचारी का बच्चा सफाई कर्मचारी न बने, उसके लिए सरकार को प्रयास करने की ज़रूरत है.
इलाहाबाद में चल रहे कुंभ मेले के दौरान बीते 24 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगम में डुबकी लगाई और फिर सफाई कर्मचारियों के पैर धोए थे. इस बीच सफाई कर्मचारियों के हक़ और अधिकारों को लेकर लड़ाई लड़ने वाले एक संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सफाई कर्मचारियों के पैर धोने का विरोध किया है.
सीवर में सफाई कर्मचारियों की होने वाली मौतों के ख़िलाफ़ सोमवार को आदि धर्म समाज ‘आधस’ भारत नाम के एक संगठन ने नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया.
प्रदर्शन के दौरान संगठन के प्रमुख दर्शन ‘रत्न’ रावण ने कहा, ‘सफाई कर्मचारियों के पैर धोने की ज़रूरत नहीं है बल्कि उनके पैर कीचड़ से निकालने की ज़रूरत है. उसका बच्चा सफाई कर्मचारी न बने, उसके लिए प्रयास करने की ज़रूरत है.’
उन्होंने दावा किया, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के अहमदाबाद में वाल्मीकि सम्मेलन में कहा था कि सीवर में उतरने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसका मतलब हुआ कि वह सफाई कर्मचारी को सीवर में उतरने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. मैं इसका जवाब में पूरे देश यह कह रहा हूं कि जो कई हजार करोड़ रुपया कुम्भ पर खर्च किया है वह बेवकूफी है. अगर मोक्ष सीवर में है तो घर के बाहर निकलो, सीवर का ढक्कन खोलो और उसमें मोक्ष की प्राप्ति करो. वह हमारे लिए क्यों रखा हुआ है.’
उन्होंने कहा, ‘आप सारे लोग मोक्ष प्राप्त करो. ये लोग जाति के नाम पर सफाई का पेशा हटने नहीं देना चाहते और आज पैर धो रहे हैं वोट बटोरने के लिए.’
दर्शन ने कहा, ‘सफाई कर्मचारियों के वेतन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश सभी राज्यों में लागू नहीं हो पाया है और उन्हें 5000-7000 रुपये मिल रहे हैं. स्कूलों की फीस और दूध के दाम से तुलना करेंगे तो पाएंगे कि उनकी आर्थिक हालत मरने लायक है.’
उन्होंने कहा कि हम इस लड़ाई को अंजाम तक ले जाएंगे. हमारी मांग है कि पहले तो कोई सफाई कर्मचारी सीवर में उतरे नहीं और अगर उतरे तो उसे उचित प्रशिक्षण दिया जाए. उसके लिए सुरक्षा इंतजाम हो, ऑक्सीजन का सिलिंडर हो. सीवर में उतरने से पहले जूनियर इंजीनियर जांच करे और काम खत्म होने तक वहीं रहे. कोटा बनाकर सैनिक स्कूल में उसके बच्चों को दाखिला मिलना चाहिए.
संगठन की ओर जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सीवर में उतरने वाले सफाई कर्मचारी की भूमिका एक सैनिक से भी अहम होती है. जैसे कहीं बम मिलता है तो सेना के बम निरोधक दस्ता बुलाया जाता है. वैसे ही सीवर में भी बम की तरह होता जिसमें केमिकल, ज़हरीली गैस, कांच और लोहे के टुकड़े भी होते हैं.
संगठन ने मांग की है कि सीवर सफाई के दौरान किसी दुर्घटना की स्थिति में एसडीएम से जांच कराई जाए. इसके साथ ही उन्होंने निजी कंपनियों द्वारा सीवर सफाई का काम करवाने पर भी रोक लगवाने की मांग की.
स्वच्छ भारत अभियान पर सवाल उठाते हुए रावण ने कहा कि सफाई कर्मचारियों और सीवर मैन के बिना स्वच्छ भारत अभियान की कल्पना करना भी बेमानी है. संगठन ने भारत सरकार की ओर से चलाए जा रहे स्वच्छ भारत अभियान को नौटंकी, भद्दा मजाक और भ्रष्टाचार बताया.
दर्शन ‘रत्न’ रावण ने कहा, ‘सफाई कर्मचारियों की मौत को दुर्घटना करार दिया जाता है लेकिन सरकारों, राजनीतिक दलों, प्रशासन व पार्षदों की लापरवाही और कर्मचारियों के सीवर में उतरने की बाध्यता हमें मजबूर करती है कि हम इसे हत्या कहें.’
संगठन की ओर से कहा गया कि हमारे राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन इतने अमानवीय हो चुके हैं कि सीवर में रोज़ हो रही हत्या को कभी अपना मुद्दा नहीं बनाया. दर्शन ने इसका कारण जातिवाद को बताया. उन्होंने कहा कि सफाई को पेशे के आधार पर एक जाति पर थोप दिया गया है.