योगी को गैर जरूरी श्रेय नहीं दे; पीएमओ ; योगी से भयभीत?
भाजपा नेतृत्व भयभीत #योगी के बढ़ते कद से #प्रधानमंत्री कार्यालय का आदेश- पीएमओ ने सरकार की पब्लिसिटी करने वाले इनचार्ज को भी आदेश दे दिया; यूपी सरकार द्वारा जो भी फैसले लिए जा रहे हैं वे सभी पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल थे। उस मंत्री ने बताया कि घोषणा पत्र में किए गए सभी वादे नरेंद्र मोदी द्वारा पास किए गए थे।
योगी योगी आदित्यनाथ ने रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट की रिव्यू मीटिंग की। योगी ने कहा कि ब्लाॅक लेवल तक कर्मचारियों की बाॅयोमेट्रिक अटेन्डेंस ली जाए। साथ ही 15 जून से पहले सड़कों को सही करने, हैंडपंप लगाने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि गांवों में पानी की सप्लाई की मॉनीटरिंग के लिए हर जिले में कंट्रोल रूम बनाया जाए। यूपी सीएम योगी ने कहा, “हर ग्राम पंचायत में एक बोर्ड लगाया जाए, जिसमें जरूरी इन्फॉर्मेशन के साथ-साथ प्रधानों, सचिवों और रोजगार सेवकों के नंबर लिखे हों। जो काम कराए जा रहे हैं और जो योजानाएं चल रही हैं, उनकी लिस्ट भी इसमें रहे।” “प्रदेश में कहीं भी पीने के पानी की किल्लत नहीं होनी चाहिए। बुन्देलखंड में तालाब बनाए जाएं, उन्हें दुरुस्त किया जाए। इसके लिए स्पेशल प्लान बनाकर, जल्द पानी की मुश्किल खत्म की जाए। रोजगार सेवकों को वक्त पर पेमेंट किया जाए।” योगी ने कई नेशनल और स्टेट लेवल पर चल रही ड्रिंकिंग वाटर स्कीम्स की जानकारी भी ली और कहा कि बुन्देलखंड के साथ-साथ प्रदेश के दूसरे हिस्सों में पाइप पेयजल स्कीम्स को पूरा किया जाए। योगी ने कहा, “मनरेगा में ट्रांस्पैरेंसी लाने के लिए श्रमिकों को आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम से जोड़ा जाए। आवास योजना के 5.73 लाख बेनफिशिएरीज के पास जाॅब कार्ड हो, ताकि 90 वर्क डे का पेमेंट कराया जा सके। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अच्छी योजना है। विकास खंडों की गरीब महिलाओं को इससे जोड़ा जाए।” योगी ने सहकारी समितियों से कहा, “किसानों को समय से खाद एवं बीज दिए जाएं, रेट में ट्रांस्पैरेंसी हो। स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ाने के लिए ब्लाॅक लेवल पर सहकारी ग्रामीण गोदाम बनाए जाएं। किसानों की जरूरत के हिसाब से कोल्ड स्टोरेज भी होने चाहिए। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की उपज की खरीद हो। इस सिस्टम में ट्रांस्पैरेंसी का खास ध्यान रखा जाए और किसानों को इसका फायदा पहुंचे, इसे तय किया जाए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ सभी किसानों तक पहुंचे।” शनिवार को रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट, ओवरऑल रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट, कोऑपरेटिव डिपार्टमेंट और एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट का प्रेजेंटेशन होना था, लेकिन इनमें से तीन डिपार्टमेंट्स का ही प्रेजेंटेशन हुआ।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने साफ किया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को यूपी में लिए जाने वाले फैसलों के लिए गैर जरूरी श्रेय नहीं दिया जाना चाहिए। इसके लिए पीएमओ ने सरकार की पब्लिसिटी करने वाले इनचार्ज को भी आदेश दे दिया है। कूमी कपूर के लेख के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के एक करीबी केंद्रीय मंत्री ने बताया है कि यूपी सरकार द्वारा जो भी फैसले लिए जा रहे हैं वे सभी पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल थे। उस मंत्री ने बताया कि घोषणा पत्र में किए गए सभी वादे नरेंद्र मोदी द्वारा पास किए गए थे। मंत्री के मुताबिक, अवैध बूचड़खानों को बंद करने का वादा भी मोदी ने ही करने को कहा था।
इससे पहले एक खबर आई थी कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के बढ़ते राजनीतिक कद से भाजपा नेतृत्व भयभीत है। बताया गया कि इसके चलते ही अंतिम समय में योगी को दिल्ली नगर निगमचुनाव प्रचार से दूर किया गया था। उससे पहले तक योगी की 19 और 20 अप्रैल को तीन सभाएं और रोड शो तय थे।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद चार राज्यों में भाजपा की सरकारें बनीं लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ही सुर्खियों में छाए रहे। उनके हर कार्यक्रम और घोषणाओं को मीडिया ने हाथों हाथ लिया। योगी का बढ़ती लोकप्रियता से विरोधी दलों से अधिक भाजपा के ही नेता भयभीत बताए जा रहे थे। उत्तर प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव हुए। उसमें भारतीय जनता पार्टी और उसके गठबंधन दल ने मिलकर 325 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठंबधन को हार का मुंह देखना पड़ा था।
योगी से जहां भाजपा का ही भाजपा नेतृत्व भयभीत हुआ हो परन्तु योगी अपनी हर बॉल पर सिक्सर की बैटिंग में रत है, आज प्रदेश में ही नही अपितु देश भर में मुस्लिम महिला हो या अन्य- सबकी जुबान पर योगी ही योगी है, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बढ़ते राजनीतिक कद से भाजपा नेतृत्व भयभीत होता दिख रहा है। इसके चलते ही अंतिम समय में योगी को दिल्ली नगर निगमचुनाव प्रचार से दूर किया गया है। पार्टी ने तय किया है कि अब दिल्ली में भाजपा शासित राज्यों का कोई मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार के लिए नहीं बुलाया जाएगा। योगी की 19 और 20 अप्रैल को तीन सभाएं और रोड शो तय थे। चुनाव अभियान की पूरी कमान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के हाथों में थी। चुनाव अभियान की शुरुआत 25 मार्च को रामलीला मैदान में शाह की जनसभा से हुई थी। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद चार राज्यों में भाजपा की सरकारें बनीं लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही सुर्खियों में छाए रहे। उनके हर कार्यक्रम और घोषणाओं को मीडिया ने हाथों हाथ लिया। योगी का बढ़ती लोकप्रियता से विरोधी दलों से अधिक भाजपा के ही नेता भयभीत हो रहे हैं। भाजपा दिल्ली तीनों नगर निगमों में दस साल से काबिज है। सत्ता में होने से चुनाव में होने वाले नुकसान को खत्म करने के लिए अमित शाह ने सारे मौजूदा पार्षदों के टिकट काट दिए।
चुनाव की घोषणा से पहले बिहार मूल के भोजपुरी गायक और सांसद मनोज तिवारी को दिल्ली का अध्यक्ष बना दिया। भाजपा पूर्वांचल के प्रवासियों (बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड आदि) में पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिए ऐसा किया गया। फिर शाह ने अपने विश्वासपात्र केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, निर्मला सीतारमण और संजीव बालियान को दिल्ली चुना की बागड़ोर सौंप दी। कुछ ही दिनों में पार्टी उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे को श्याम जाजू के साथ दिल्ली का प्रभारी बना दिया। सारे केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा शासित राज्यों के नौ मुख्यमंत्रियों को दिल्ली चुनाव में लगाना तय किया गया। लगातार गर्मी बढ़ने से सभाएं होनी कठिन होने लगी लेकिन पार्टी प्रमुख के आदेश के पालन में वेंकैया नायडू, रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह आदि बड़े नेताओं ने छोटी-छोटी सभाओं को संबोधित किया। मनोज तिवारी, हेमा मालिनी, रवि किशन, परेश रावल जैसे लोकप्रिय कलाकारों ने रोड शो किए। दिल्ली के सभा नेता तो पसीना बहा ही रहे हैं।
आदित्यनाथ के कार्यक्रम अंतिम समय में रद्द कर दिए गए। फिर दिखाने के लिए बाकी मुख्यमंत्रियों के कार्यक्रम भी यह कह कर रद्द कर दिया गया कि इसकी जरूरत नहीं है। भाजपा के सूत्रों ने बताया कि ऐसा योगी का बढ़ती लोकप्रियता के चलते हुआ। माना जा रहा था कि जितने समय योगी दिल्ली चुनाव प्रचार में रहेंगे उतनी देर मीडिया योगी-यागी करती रहेगी। बाद में जीत का सेहरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से अधिक योगी आदित्यनाथ के सिर बांध देगी। ऐसा वातावरण बनता कि भाजपा की जीत में बड़ी भूमिका योगी की है जबकि चुनाव की पूरी रणनीति अमित शाह ने बनाई। वे लगातार उसे संचालित कर रहे हैं। चुनाव अभियान की खुद शुरुआत की। उनको करीब से जानने वाले मानते हैं कि वे आसानी से प्रधानमंत्री के अलावा किसी और को जीत का श्रेय नहीं दे सकते हैं।
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