240cr Rs; शुगर मिल में पावर प्लांट का औचित्य?
#२४० करोड रू0 जारी#शुगर मिल में पावर प्लांट #भविष्य में सफेेद हाथी सिद्व होगा पावर प्लांट#पावर प्लांट चलाने लायक गन्नेे की उपज ही नही है क्षेत्र में#पावर कारपोरेशन ने अनुमति दी# उत्तराखण्ड राज्य सरकार द्वारा पावर प्लांट लगाने के लिए बाजपुर शुगर मिल के लिए १२० करोड रूपया तथा नादेही शुगर मिल के लिए १२० करोड रूपया की धनराशि अवमुक्त # १२० करोड की लागत से लगाया जाने वाला पावर प्लांट बंद कर दिया जायेगा, या यूं कहे वह चल ही नही पायेगा। चन्द्रशेखर जोशी सम्पादक की रिपोर्ट # www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal)
२४० करोड रूपया बाजपुर तथा नादेही शुगर मिल के पावर प्लांट लगाने के लिए स्वीकृत करने की रिपोर्ट हमारे द्वारा पहली बार प्रकाशित की जा रही है, सूबे के किसी मीडिया संस्थान ने यह खबर अभी तक नही छापी, जबकि पावर प्लांट के लिए धनराशि अवमुक्त करने की कार्यवाही भी शुरू हो चुकी है, पावर कारपोरेशन ने इसकी अनुमति भी दे दी है, तथा उत्तराखण्ड राज्य सरकार द्वारा पावर प्लांट लगाने के लिए बाजपुर शुगर मिल के लिए १२० करोड रूपया तथा नादेही शुगर मिल के लिए १२० करोड रूपया की धनराशि अवमुक्त की जा रही है,
शुगर मिल में पावर प्लांट लगाने के लिए कुछ मानक होते हैं, कुछ नियम होते हैं, जो यह शुगर मिल पूरे नही करती है, परन्तु इसके बाद भी २४० करोड रूपया बाजपुर तथा नादेही शुगर मिल के पावर प्लांट लगाने के लिए धनराशि अवमुक्त करने की कार्यवाही उच्चतम स्तर पर की जा रही है। शुगर मिल में पावर प्लाट का औचित्य क्या है, यह सवाल खडा होता है, क्योंकि पावर प्लाट के लिए निर्धारित मानक ही पूर्ण नही किये जा रहे हैं, ऐसे में पावर प्लाट के लिए धनराशि अवमुक्त करने की कार्यवाही सवालों के घेरे में हैं।
पावर प्लाट लगाने के लिए गन्ना पेराई के एक सत्र में ३५ लाख से ४० लाख कुन्तल गन्ना की पिराई आवश्यक है। पावर प्लांट के लिए बैगास जलाने के लिए इसकी आवश्यकता होती है। शुगर मिल में पावर प्लाट लगाकर टरबाइन चलाकर बिजली बेचने की बात कही जा रही है, परन्तु पावर प्लांट चलाने के लिए बैगास जलाने जब उचित मात्रा में गन्ना ही क्षेत्र में उपलब्ध नही है, तो पावर प्लांट कैसे चलेगा, इस बात को क्यों अंधकार में रखा जा रहा है,
ज्ञात हो कि गत वर्ष चीनी मिल नादेही में कुल गन्ना खरीद मानक से आधी हुई, इसके बाद भी पावर प्लांट लगाया जाना औचित्य से परे है। इससे यह संभावना ज्यादा बलबती हो गयी है कि १२० करोड की लागत से लगाया जा रहा पावर प्लांट कुछ समय बाद ही बंद हो जायेगा। पावर कारपोरेशन ने बिना पडताल किये इसकी शुरूआत कर दी है इससे एक सफेद हाथी चीनी मिल को झेलना पडेगा और चीनी मिल भारी कर्ज में डूब कर बंद होने के कगार पर पहुंच जायेगी।
ज्ञात हो कि वर्ष २०१५-१६ गन्ना पेराई सत्र में २३ लाख ५० हजार कुन्तल गन्ने की ही मात्र पेराई नादेही शुगर मिल में हो सकी। वर्ष २०१४-१५ में २५ लाख कुन्तल गन्ने की मात्र पेराई हो सकी, जबकि १६-१७ में अभी तक करीबन १० लाख कुन्तल गन्ने की पेराई मात्र हो सकी है। गन्ना खरीद सीजन समाप्त होते होते ज्यादा से ज्यादा २० हजार कुन्तल की पेराई ही मात्र संभव है, जबकि पावर प्लांट को सुचारू चलाने के लिए कम से कम ३५ लाख कुन्तल से ज्यादा गन्ना पेराई की आवश्यकता होती है, अगर इतना गन्ना नही मिल पाया तो १२० करोड की लागत से लगाया जाने वाला पावर प्लांट बंद कर दिया जायेगा, या यूं कहे वह चल ही नही पायेगा।
वर्तमान समय में गन्ना उपज के सबसे बडे क्षेत्र जनपद उधम सिंह नगर में गन्ने की उपज में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसे में १२० करोड के दो पावर प्लाट लगा कर २४० करोड रूपया खर्च करना क्या उचित है, शायद उत्तराखण्ड को, या यू कहे उत्तराखण्ड की सरकारी चीनी मिलों को भयंकर कर्जे की दलदल में डालने की एक शुरूआत तो नही? राज्य सरकार गन्ना उत्पादकों को प्रोत्साहन देने के लिए ऐसी कोई विशेष नीति ही नही बनाई है जिससे गन्ना उत्पादक किसान गन्ना बोने के लिए उत्साहित हो, ऐसे में यही जनचर्चा है कि 240 करोड रू0 की लागत से लगाया जा रहे पावर प्लांट राजनैतिज्ञों तथा नौकरशाही केे दिमाग की उपज है जिसमें लाभ दूर दूर तक नही दिखाई दे रहा है-