समाज में परिवर्तन नेताओं और नीतियों के बल पर नहीं होता; प्रकाश पंत

हिमालयायूके न्यूज पोर्टल ब्यूरो)
हरिद्वार। प्रदेश के माननीय पेयजल मंत्री श्री प्रकाश पंत ने हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी से नेशनल मिशन फोर क्लीन गंगा के अन्तर्गत 16 मार्च से 31 मार्च तक चलने वाले ’’गंगा स्वच्छता पखवाड़े’’ का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर किया। श्री पंत ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता बनाये रखने की शपथ भी दिलवायी।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में श्री पंत पे कहा कि गंगा स्वच्छता पखवाड़ा मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य गंगा की स्वच्छता को लेकर समाज में जागरुकता लाना है। उन्होंने कहा कि समाज में परिवर्तन नेताओं और नीतियों के बल पर नहीं होता। समाज में परिवर्तन तब होता है जब समाज स्वयं खड़े होने का प्रयास करता है। मां गंगा की निर्मलता एवं स्वच्छता को बनाये रखने के लिए समाज को स्वयं खड़ा होना होगा। उन्होंने कहा कि 1981 में गंगा नदी जल के परीक्षण की चैकाने वाली रिपोर्ट ने गंगा की स्वच्छता को लेकर चिन्ता की लकीरे खीचं दी। जिसकेे बाद गंगा जल की निर्मला एवं स्वच्छता को बनाये रखने के लिए कई एक्शन प्लान बनाये गये किन्तु इन योजनाओं के कोई खास परिणाम नहीं दिखायी दिये। उसके बाद माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने मां गंगा को समर्पित नमामि गंगे योजना की शुरुआत की जिसके अन्तर्गत अनेक परियोंजनाएं एवं कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।

 

श्री पंत पे कहा कि गंगा स्वच्छता पखवाड़ा मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य गंगा की स्वच्छता को लेकर समाज में जागरुकता लाना है। उन्होंने कहा कि समाज में परिवर्तन नेताओं और नीतियों के बल पर नहीं होता। समाज में परिवर्तन तब होता है जब समाज स्वयं खड़े होने का प्रयास करता है। मां गंगा की निर्मलता एवं स्वच्छता को बनाये रखने के लिए समाज को स्वयं खड़ा होना होगा। उन्होंने कहा कि 1981 में गंगा नदी जल के परीक्षण की चैकाने वाली रिपोर्ट ने गंगा की स्वच्छता को लेकर चिन्ता की लकीरे खीचं दी। जिसकेे बाद गंगा जल की निर्मला एवं स्वच्छता को बनाये रखने के लिए कई एक्शन प्लान बनाये गये किन्तु इन योजनाओं के कोई खास परिणाम नहीं दिखायी दिये। उसके बाद माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने मां गंगा को समर्पित नमामि गंगे योजना की शुरुआत की जिसके अन्तर्गत अनेक परियोंजनाएं एवं कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।

 

श्री पंत ने कहा कि गंगा किनारे बसे शहरों और गांवों में जागरुकता लाने के लिए नमामि गंगे योजना चलायी गयी हैं। नमामि गंगे योजना का उद्देश्य गंगा नदी किनारे बसे गांवो को गंगा गावं योजना से जोड़ना, गंगा नदी किनारे बसे वन-उपवन की जैव विविधता बनाये रखना, ठोस अपशिष्ठ प्रबन्धन एवं औद्योगिक कचरे को गंगा नदी में डाले जाने से रोकना है। श्री पंत ने कहा कि गंगा गांव योजना से प्रदेश के 132 गांव जुडे़े हैं। उन्होंने बताया कि 16 मार्च से 31 मार्च तक चलने वाले गंगा स्वच्छता पखवाड़े के अन्तर्गत विभिन्न प्रतियोगिताएं, गंगा निरीक्षण कार्यक्रम, श्रमदान कार्यक्रम, रथ यात्रा, पदयात्रा, जन जागरुकता कार्यशाला आदि कार्यक्रम चलाये जायेगें ताकि बालक, युवा एवं बुजुर्ग सभी इस अभियान से जुड़ सकें। उन्होंने सभी लोगों से गंगा स्वच्छता अभियान से जुड़ने का आग्रह किया।
एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर नेशलन मिशन फोर क्लीन गंगा(एनएमसीजी) भारत सरकार रोजी अग्रवाल ने कहा कि भारत सरकार के सौजन्य से हर वर्ष गंगा स्वच्छता पखवाड़े का आयोजन किया जाता है। यह पखवाड़ा 05 राज्यों के गंगा नदी किनारे बसे 34 स्टेशनों/घाटों पर मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नमामि गंगे योजना के अन्तर्गत उत्राखण्ड राज्य के लिए 18 नये सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्वीकृत हुए हैं जिसकी लागत रुपये 900 करोड़ है। चण्डीघाट सौन्दर्यीकरण का 55 प्रतिशत कार्य हो चुका है जो नवम्बर 2018 तक शतप्रतिशत पूर्ण कर लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे योजना के अन्तर्गत वहृद वृक्षारोपण कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है जिसके अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य में 10 लाख वृक्षों का रोपण किया जा चुका है।
इस अवसर पर मेयर मनोज गर्ग, विधायक आदेश चैहान, प्रोग्राम डायरेक्टर नामामि गंगे उत्तराखण्ड राघव लंगर, जिलाध्यक्ष डाॅ0 जयपाल सिंह चैहान, गंगा सभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम शर्मा आदि उपस्थित थे।

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