बिहार का किला ढहाने में सफल हुए प्रशांत किशोर तो
HIGH LIGHT# नितीश का किला ढहाने में सफल हुए प्रशांत किशोर तो बीजेपी शासित अन्य राज्यो में भी हालात खराब हो जायेगे# बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में लोगों की नजर प्रशांत किशोर पर होगी Execlusive Article# BY: www.himalayauk.org (Uttrakhand Leading Newsportal & Daily Newspaper) Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030## Special Bureau Report
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले नई सियासी खिचड़ी पक रही है। शीर्ष नेताओं स्वीकार कर रहे है प्रशांत किशोर की मदद ज़रूर ली जाएगी क्योंकि वह जेडीयू के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। जिससे वह जदयू और भाजपा को पटखनी देने में कामयाब होगे, राजनीतिक प्रेक्षको का मानना है कि अगर बिहार का किला ढहाने में सफल हुए प्रशांत किशोर तो बीजेपी में मचेगा हडकम्प, बिहार का किला ढहा तो इसका सीधा मतलब यह होगा कि बीजेपी शासित अन्य राज्य भी परिवर्तन की ओर बढेगे, वहां भी बीजेपी को अभी मंथन करना पडेगा, वरना बिहार परिणाम के बाद अन्य राज्य भी हाथ से निकल जाये तो आश्चर्य नही
बिहार में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हो रही रैलियों में उमड़ रही भीड़ और बीजेपी-जेडीयू-एलजेपी गठबंधन की दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद निश्चित रूप से बीजेपी और जेडीयू का नेतृत्व बेहद सतर्क हो गया है।
चुनावी रणनीतिकार और बिहार की राजनीति में उतरने के संकेत दे चुके प्रशांत किशोर इस खिचड़ी को पका रहे हैं। प्रशांत किशोर का बिहार की सियासत में क़दम बढ़ाना इसलिये भी अहम है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी-जेडीयू गठबंधन के लिये चुनावी रणनीति बनाने का काम प्रशांत किशोर ने ही किया था और जीत दिलाई थी। इसलिये प्रशांत बिहार की सियासत से अच्छी तरह वाक़िफ हैं। दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिये रणनीति बनाने वाले प्रशांत का बतौर चुनावी रणनीतिकार ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है। अगर प्रशांत ग़ैर-एनडीए दलों का गठबंधन बनाने में सफल रहते हैं तो निश्चित रूप से यह बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के लिये एक बड़ी चुनौती होगा।
प्रशांत किशोर ने पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था कि वह ‘बात बिहार की’ अभियान लांच करेंगे और इसके जरिये अगले 100 दिनों में एक करोड़ युवाओं तक पहुंचेंगे। प्रशांत किशोर की टीम की ओर से दावा किया गया है कि अभियान को लांच करने के 9 घंटे के भीतर ही 65000-70,000 युवा इससे जुड़ चुके हैं। प्रशांत ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला था और उनसे स्पष्ट कहा था कि गाँधी और गोडसे साथ नहीं चल सकते। किशोर की बिहार के विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक इस बात का साफ संकेत देती है कि वह बिहार में राजनीतिक विकल्प बनने की तैयारी कर रहे हैं।
ख़बरों के मुताबिक़, प्रशांत किशोर ने गुरुवार को बिहार के विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक कर चुनाव से पहले कोई नया गठबंधन खड़ा करने की दिशा में क़दम बढ़ाये हैं। प्रशांत ने बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी और विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी से दिल्ली में मुलाक़ात की है।
बैठक में बिहार के प्रमुख विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का कोई भी नेता शामिल नहीं था। बताया जा रहा है कि प्रशांत ने ऐसा आरजेडी पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत किया है क्योंकि आरजेडी प्रशांत से चुनावी रणनीति बनाने में मदद लेने के ख़िलाफ़ है। आरएलएसपी और हम (सेक्युलर) के शीर्ष नेताओं ने अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि भले ही प्रशांत किशोर सीधे तौर पर उनके साथ शामिल न हों लेकिन इतना तय है कि उनकी मदद ज़रूर ली जाएगी क्योंकि वह जेडीयू के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। आरएलएसपी के नेता ने अख़बार से कहा, ‘हमारे नेता उपेंद्र कुशवाहा ने किशोर का स्वागत किया है। हम एक मजबूत गठजोड़ चाहते हैं और इस बात की अपेक्षा करते हैं कि कांग्रेस इस गठजोड़ का नेतृत्व करे।’ ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, आरएलएसपी के नेता ने कहा, ‘शुरुआती विचार यह है कि ग़ैर-एनडीए दलों का गठबंधन खड़ा किया जाए। अगर आरजेडी अपने अड़ियल रुख पर कायम रहती है और प्रशांत से सहायता लेने का विरोध करती है और इस बात पर भी अड़ी रहती है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे तो नये राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं।’
अख़बार के मुताबिक़, हम (सेक्युलर) के एक विश्वस्त सूत्र ने कहा कि जीतन राम मांझी की यह प्रशांत किशोर के साथ दूसरी बैठक थी। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति या विचार जो एनडीए को हरा सकता है, उसका स्वागत है।
बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में लोगों की नजर प्रशांत किशोर पर होगी. फिलहाल वे किसी पार्टी के लिए रणनीति नहीं बना रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक बिहार में विपक्ष के कई नेताओं ने प्रशांत किशोर से बात की है लेकिन उन्होंने किसी के साथ काम न करने की बात कही है. उधर बिहार के पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में प्रशांत किशोर, ममता बनर्जी के लिए काम कर रहे हैं. कई बार तो ये भी कहा गया कि पीके टीएमसी ज्वाइन कर सकते हैं. सीएए और एनआरसी पर दिए बयानों की वजह से जेडीयू ने प्रशांत किशोर को पार्टी से निष्कासित कर दिया.