देश के सर्वोच्‍च पद पर गैर राजनैतिक व्‍यक्‍ति की संभावना ?

राष्ट्रपति चुनाव घोषित # तारीखों का एलान# किसी राजनीतिक व्यक्ति के उम्मीदवार बनने की सूरत में विपक्ष फिर अपना विरोध दर्ज कराने की कोशिश करेगा # इस भांप कर प्रधानमंत्री गैर राजनैतिक व्यक्ति को भी उतार सकते हैं, हिमालयायूके ने इसके लिए रतन टाटा के नाम को भी संभावित बताया है #देश के सर्वोच्‍च पद के लिए एनडीए की ओर से राष्ट्रपति की रेस में कौन कौन से नाम हो सकते हैं, विभिन्न मीडिया संभावित नाम बता रही है #14 जून को राष्ट्रपति चुनाव के लिए नोटिफिकेशन शुरू होगा. यानी जून के दूसरे हफ्ते से ही राष्ट्रपति चुनाव की गहमागहमी शुरू होगी. फिलहाल इसके पहले पत्ते खोलने से सत्ताधारी बीजेपी बच रही है.

देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद के लिए चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है. भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने बताया कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए चुनाव आयोग 14 जून 2017, बुधवार को नोटिफिकेशन जारी करेगा. नामांकन की आखिरी तारीख 28 जून 2017 है. मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है. इसके पहले राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. वोटों के गणित के हिसाब से तय लग रहा है कि इस बार सत्ताधारी एनडीए अपनी पसंद के उम्मीदवार को राष्ट्रपति के पद पर बैठाने में कामयाब होगी. फिलहाल एनडीए के घटक दलों के अलावा एआईएडीएमके, टीआरएस और जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन की उम्मीद के बाद सत्ताधारी एनडीए के पास 55 फीसदी वोट हो जाएंगे. विपक्ष अभी भी बीजेपी की बारी का इंतजार कर रहा है. विपक्ष ने दिल्ली में बैठक के बाद ये तय किया है कि पहले एनडीए अपना पत्ता खोले. दरअसल, विपक्ष चाहता है कि एनडीए किसी गैरराजनीतिक हस्ती को राष्ट्रपति के पद के उम्मीदवार बनाने के लिए आमसहमति की कोशिश करे. किसी राजनीतिक व्यक्ति के उम्मीदवार बनने की सूरत में विपक्ष फिर अपना विरोध दर्ज कराने की कोशिश करेगा और राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव भी कराना पड़ेगा.
नामांकन पत्रों की जांच 29 जून गुरुवार को होगी. नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 1 जुलाई शनिवार को है. अगर वोटिंग की जरूरत पड़ी तो 17 जुलाई को वोटिंग होगी और वोटों की गिनती 20 जुलाई को होगी. वोटिंग का समय सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक है.

राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी यह भी रोचक बात है कि सर्वाधिक मत हासिल करने से यहां जीत नहीं मिलती। राष्ट्रपति उसे चुना जाता है, जो मतदाताओं (विधायकों और सांसदों) के मतों के कुल वेटेज का आधा से अधिक हिस्सा हासिल करे। मतलब राष्ट्रपति चुनाव में पहले से तय होता है कि जीतने वाले को कितना वेटेज पाना होगा।

विशेष पेन के जरिए पड़ेंगे वोट
मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने बताया, ”वोट डालने के लिए आयोग विशेष पेन का इंतजाम करेगा. यह पेन निर्वाचन आयोग के अधिकारी द्वारा वोट डालने वाले को दिया जाएगा. सिर्फ इसी पेन से डाले गए वोट को माना जाएगा. इसके अलावा किसी और पेन से डाले गए वोट मान्य नहीं होंगे.”

कोई पार्टी व्हिप जारी नहीं कर सकती
नसीम जैदी ने कहा, ”यह स्पष्ट किया जाता है कि कोई भी राजनीतिकदल अपने सांसदों और विधायकों को राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग के लिए किसी भी तरह की व्हिप जारी नहीं कर सकते. संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय है, इसी भी स्थिति में मतपत्र किसी और को दिखाना संविधान के विरुद्ध है.”

एनडीए की ओर से राष्ट्रपति की रेस में कौन कौन से नाम चल रहे हैं

– केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत
– झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू
– केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू
– आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
– बीजेपी सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री हुकुमदेव नारायण यादव
– लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन

यूपीए की ओर से राष्ट्रपति की रेस में
– एनीसीपी अध्यक्ष शरद पवार
– पूर्व स्पीकर मीरा कुमार
– पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी
– जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव

केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी को शिवसेना, तेलुगू देशम पार्टी, अकाली दल, लोक जनशक्ति पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सहित 14 अन्य पार्टी का समर्थन प्राप्त है. इस तरह उनके सांसदों और विधायकों के वोटों की संख्या 5,37,614 है. इसके बाद भी उनके पास जीत के लिए 11,828 वोट की कमी है. ऐसे में जरूरी है कि बीजेपी को कुछ और छोटे दलों का समर्थन मिले तभी राष्ट्रपति पद के लिए जरूरी वोट हासिल कर पाएंगे और तभी पीएम मोदी अपने पंसद का राष्ट्रपति बनवा पाएंगे.
NDA के पास अभी 410 सांसद और 1691 विधायकों हैं, इनका वोट मूल्य 5 लाख 32 हजार 19 है. राष्ट्रपति बनाने के लिए 17 हजार 422 वोट और चाहिए. वाईएसआर कांग्रेस के पास 17 हजार 666 वोट हैं तो टीआरएस के पास 22 हजार 48 वोट हैं. YSR और TRS ने पहले ही समर्थन का एलान कर दिया है.

इस हिसाब से एनडीए के पास अभी 5 लाख 71 हजार 733 वोट हैं. शशिकला की पार्टी AIADMK के 59 हजार वोट भी एनडीए को मिल सकते हैं. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बीजेडी और आम आदमी पार्टी ने फिलहाल पत्ते नहीं खोले हैं.

इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर राष्ट्रपति का चुनाव होता कैसे है? हम आपके लिए राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े उन सभी सवालों के जवाब लेकर आए हैं जो इस वक्त आपके मन में उठ रहे होंगे.

पहला सवाल- सबसे पहला सवाल कब होगा राष्ट्रपति का चुनाव ?
राष्ट्रपति का चुनाव 5 सालों में एक बार होता है, सामान्य परिस्थितियों में आमतौर पर ये चुनाव जुलाई के महीने में होते हैं. चुनाव आयोग जल्द ही राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का एलान करने वाला है. संभवत: जुलाई के दूसरे सप्ताह में राष्ट्रपति का चुनाव हो सकता है.

दूसरा सवाल- राष्ट्रपति को कौन चुनता है ?
राष्ट्रपति में आम जनता वोट नहीं डालती है, जनता की जगह उसके प्रतिनिधि वोट डालते हैं यानि ये सीधे नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष चुनाव हैं. राष्ट्रपति को राज्यों के चुने हुए प्रतिनिधि यानि विधायक, लोकसभा और राज्यसभा के सांसद चुनते हैं. राज्यसभा, लोकसभा विधानसभा के मनोनीत सांसद, विधायक राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डालते हैं.

किस पद्दति से होता है राष्ट्रपति पद का चुनाव?
आपको जानकर खुशी होगी कि हमारे देश में राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका सबसे अनूठा और पारदर्शी है, एक तरह से इसे आप सर्वश्रेष्ठ संवैधानिक तरीका कह सकते हैं. इसमें विभिन्न देशों की चुनाव पद्धतियों की अच्छी बातों को चुन-चुन कर शामिल किया गया है. अपने यहां राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज करता है, इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व वेटेज होता है.

कैसे तय होता है प्रतिनिधियों के वोटो का वेटेज?
लोकसभा और राज्य सभा के 776 सांसदों के कुल 5,49,408 है जबकि पूरे देश में 4120 विधायकों के 5,49, 474 है. इस तरह कुल वोट 10,98,882 है और जीत के लिए आधे से एक ज्यादा यानी 5,49,442 चाहिए.

विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो उसकी 1971 की जनगणना के हिसाब से आबादी देखी जाती है. आबादी को चुने हुए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है, अब जितना रिजल्ट आए उसकों 1000 से भाग किया जाता है. अब जो आंकड़ा हाथ लगता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है. सांसदों के वोटों के वेटेज का गणित अलग है. चुने लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के वोटों का मूल्य फिक्स होता है. एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है.
आखिर राष्ट्रपति का चुनाव होता कैसे है?
राष्ट्रपति का चुनाव 5 सालों में एक बार होता है, सामान्य परिस्थितियों में आमतौर पर ये चुनाव जुलाई के महीने में होते हैं. चुनाव आयोग जल्द ही राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का एलान करने वाला है. संभवत: जुलाई के दूसरे सप्ताह में राष्ट्रपति का चुनाव हो सकता है.

दूसरा सवाल- राष्ट्रपति को कौन चुनता है ?
राष्ट्रपति में आम जनता वोट नहीं डालती है, जनता की जगह उसके प्रतिनिधि वोट डालते हैं यानि ये सीधे नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष चुनाव हैं. राष्ट्रपति को राज्यों के चुने हुए प्रतिनिधि यानि विधायक, लोकसभा और राज्यसभा के सांसद चुनते हैं. राज्यसभा, लोकसभा विधानसभा के मनोनीत सांसद, विधायक राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डालते हैं.

किस पद्दति से होता है राष्ट्रपति पद का चुनाव?
आपको जानकर खुशी होगी कि हमारे देश में राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका सबसे अनूठा और पारदर्शी है, एक तरह से इसे आप सर्वश्रेष्ठ संवैधानिक तरीका कह सकते हैं. इसमें विभिन्न देशों की चुनाव पद्धतियों की अच्छी बातों को चुन-चुन कर शामिल किया गया है. अपने यहां राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज करता है, इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व वेटेज होता है.

कैसे तय होता है प्रतिनिधियों के वोटो का वेटेज?
लोकसभा और राज्य सभा के 776 सांसदों के कुल 5,49,408 है जबकि पूरे देश में 4120 विधायकों के 5,49, 474 है. इस तरह कुल वोट 10,98,882 है और जीत के लिए आधे से एक ज्यादा यानी 5,49,442 चाहिए.

विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो उसकी 1971 की जनगणना के हिसाब से आबादी देखी जाती है. आबादी को चुने हुए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है, अब जितना रिजल्ट आए उसकों 1000 से भाग किया जाता है. अब जो आंकड़ा हाथ लगता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है. सांसदों के वोटों के वेटेज का गणित अलग है. चुने लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के वोटों का मूल्य फिक्स होता है. एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है.

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