राष्ट्रपति का हरिद्वार मेंं गंगा पूजन ; गंगा पूजन से अमोघ फल की प्राप्ति
देवभक्ति में रम गये उत्तराखण्ड आकर – राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी – पहले केदारनाथ, फिर गंगा पूजन तथा गंगा आरती- हिमालयायूके न्यूज पोर्टल के लिए चन्द्रशेखर जोशी की विशेष रिपोर्ट (www.himalalayauk.org) UK Leading Digital Newsportal.
शास्त्रों में उल्लेख है कि जीवनदायिनी मॉ गंगा में स्नान, पुण्यसलिला नर्मदा के दर्शन और मोक्षदायिनी शिप्रा के स्मरण मात्र से मोक्ष मिल जाता है। गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है। सभी पापों का क्षय होता है। मान्यता है कि गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। विधि-विधान से किया गया गंगा का पूजन अमोघ फल प्रदान करता है।
गुरूवार को महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने हरकी पेड़ी ब्रहमकुण्ड पर पूरे विधि विधान के साथ गंगा पूजन एवं गंगा आरती की। इस अवसर पर उत्तराखण्ड के राज्यपाल डाॅ0 कृष्णकांत पाल, मुख्यमंत्री हरीश रावत, हरिद्वार सांसद डाॅ रमेश पोखरियाल निशंक भी उपस्थित थे। इसके पश्चात गंगा सभा द्वारा महामहिम राष्ट्रपति को अभिनन्दन पत्र भेंट किया गया। निर्धारित समय के अनुसार राष्ट्रपति ने 6ः00 बजे से 6ः30 बजे तक गंगा पूजन एवं 6ः30 बजे से 6ः37 बजे तक गंगा आरती की।
महामहिम राष्ट्रपति 5ः25 बजे बी.एच.ई.एल हेलिपेड पहुचे। हेलीपेड पर मेयर मनोज गर्ग, अपर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार,गढ़वाल कमिश्नर विनोद शर्मा, आई.जी. गढ़वाल संजय गुंज्याल,जिलाधिकारी हरबंस सिंह चुघ, एस.एस.पी. राजीव स्वरूप एवं अंशुल श्रीकुंज ने राष्ट्रपति एवं अन्य विशिष्ट अतिथियों को स्वागत किया।
गुरूवार को राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने हरिद्वार पहुंचकर हरकी पैड़ी में गंगा आरती में शामिल होकर विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की। इस अवसर पर उत्तराखण्ड के राज्यपाल डा. कृष्णकांत पाल, मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत भी उपस्थित थे।
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी हेलीकाप्टर द्वारा जीटीसी हेलीपेड, देहरादून से बी.एच.ई.एल. स्पोर्टस स्टेडियम, हरिद्वार पर सायं 5.25 बजे पहुंचे। हरिद्वार पहुंचकर राष्ट्रपति श्री मुखर्जी का स्वागत किया गया। इसके बाद वे राज्य अतिथि गृह डामकोटी के लिए रवाना हुए। तत्पश्चात् राष्ट्रपति श्री मुखर्जी श्री गंगा सभा के शताब्दी वर्ष के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने हर की पैड़ी पहुंचकर गंगा पूजन किया साथ ही गंगा आरती में शामिल हुए। गंगा सभा की ओर से राष्ट्रपति श्री मुखर्जी का अभिनन्दन किया गया। इस अवसर पर गंगा स्वच्छता व निर्मलता के लिये राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने अन्य लोगों के साथ शपथ ली।
इस अवसर पर राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने गंगा की प्रतिमा, रूद्राक्ष की माला, शाॅल व सम्मान पत्र व प्रसाद ग्रहण किया।
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्ग लोक से शिवशंकर की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है। इस दिन मां गंगा का पूजन किया जाता है।
कहा गया है कि गंगा को धरती पर लाने भगीरथी का नाम मंत्र से पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही गंगा के उत्पत्ति स्थल को भी स्मरण करना चाहिए। गंगा जी की पूजा में सभी वस्तुएं दस प्रकार की होनी चाहिए। जैसे दस प्रकार के फूल, दस गंध, दस दीपक, दस प्रकार का नैवेद्य, दस पान के पत्ते, दस प्रकार के फल होने चाहिए। अगर आप पूजन के बाद दान देना चाहते है तो दस चीजं का ही दान दें, क्योंकि ये अच्छा माना जाता है, लेकिन जौ और तिल का दान सोलह मुठ्ठी का होना चाहिए। दक्षिणा भी दस ब्राह्मणों को देनी चाहिए। जब गंगा नदी में स्नान करें तब बी दस बार डुबकी लगानी चाहिए।
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