बेईमान लोगों को हिसाब देना होगा; पीएम मोदी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार (12 नवंबर) को इस ‘काले’ राजनीतिक निर्णय को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यह आम आदमी के खिलाफ है।
परन्‍तु एक बात नज़र आई. लोग परेशान तो हैं मगर सरकार के फैसले से नाराज़ नहीं है. कहीं से भी बैंकों के बाहर हंगामे या मारपीट की खबरे नहीं आई तब भी जब कई जगहों पर काउंटर समय से पहले बंद हो गए. चार हज़ार की जगह दो हज़ार ही मिला. लोग धीरज के साथ लाइन में हैं. अपनी परेशानी ज़रूर बता रहे हैं लेकिन यह नहीं कह रहे हैं कि सरकार ने ग़लत कर दिया.
काले धन पर रोक लगाने के मकसद से पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों पर बैन करने के फैसले के बाद पीएम मोदी ने पहली बार इस मुद्दे पर लोगों के सामने अपनी बात रखी. पीएम ने जापान के कोबे में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि नोटबंदी से ईमानदार लोगों को डरने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन बेईमान लोगों को हिसाब देना होगा. पीएम मोदी ने कहा कि परेशानी के बावजूद लोग सरकार के इस फैसले से खुश हैं और मुझे आशीर्वाद मिल रहे हैं.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि शादी जैसे पुण्य कार्य को क्यों अपवित्र करना है. लोग चेक से भी पैसे देंगे. वित्तमंत्री की यह बात हैरान कर देने वाली है, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर को देना चाहिए कि मुंह दिखाई और मुंडन के पैसे को औरतें किस खाते में दिखाएं. इसको स्पाष्टी करें-
नोटबंदी के फैसले ने हिन्दुस्तान की करोड़ों औरतों को किस तरह से निहत्था कर दिया है. एक फैसले ने करोड़ों औरतों को अपने ही घर में चोर बना दिया है. किसी के पास दस हज़ार निकला, तो किसी के पास दो लाख. किसी के पास तीन हज़ार निकला तो किसी के पास अस्सी हज़ार. ये औरतों का अपना पैसा होता है, कई साल से बचाए गए, उनके पैसे एक झटके में सरकार और परिवार की निगाह में आ गए.
वही पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि सरकार के ऊंचे मूल्य के नोटों को बंद करने से कालेधन पर अंकुश लगने का दावा बेमानी है बल्कि इससे आम आदमी ही प्रभावित होगा. लोगों को दवा खरीदने, बस और ट्रेन का टिकट खरीदने में और ऑटोरिक्शा का भाड़ा देने में परेशानी हो रही है क्योंकि अब तक चलन में रहे 500 और 1000 के नोट अचानक से बंद कर दिए गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘वे (सरकार) कहते हैं कि बंद किए गए नोटों से जो ज्यादा मात्रा में चलन में थे, आम लोगों को कोई परेशानी नहीं होगी. यह अपने आप में एक मजाकिया बयान है.’’ यहां पत्रकारों से बातचीत में चिदंबरम ने कहा, ‘‘यह कालेधन को कम करने के लिए उठाया कदम नहीं है. मेरी नजर में केंद्र सरकार के इस कदम से सिर्फ आम लोगों को परेशानी होगी.’’

उन्होंने कहा 2012 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने सरकार को 2000 के नोट नहीं जारी करने की सलाह दी थी. बोर्ड का कहना था कि इससे आम लोगों को फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा होगा. चिदंबरम ने कहा, ‘‘इस सलाह को किनारे रखते हुए सरकार ने 500 और 1000 के पुराने नोटों का चलन बंद कर दिया जो बड़ी मात्रा में बाजार में चलन में थे.’’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार (12 नवंबर) को इस ‘काले’ राजनीतिक निर्णय को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यह आम आदमी के खिलाफ है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘इस ‘काले’ राजनीतिक निर्णय को वापस लें जो आम आदमी के खिलाफ है। पूरे भारत के बाजार बर्बाद हो गए, खरीदने की क्षमता खत्म हो गई, लोग दुखी हैं।’ बनर्जी ने कहा कि वह पहले भी ऐसा कह चुकी हैं। उन्होंने कहा, ‘लेकिन जिस तरीके से युवा, बूढ़े और हर कोई पीड़ित है, मैं फिर केंद्र सरकार से अपील करती हूं (निर्णय को वापस लेने की)।’ उन्होंने कहा, ‘यह बड़ा काला घोटाला बन गया है। आम आदमी की कठिनाईयां बढ़ गई हैं और धन शोधन करने वालों को पूरा लाभ मिल रहा है।’
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने बृहस्पतिवार को सभी विपक्षी दलों का आह्वान किया कि ‘केंद्र की गरीब विरोधी सरकार’ के खिलाफ एकजुट होकर काम करें। बनर्जी ने कहा था, ‘हम इस राजनीतिक और वित्तीय अराजकता से मिलकर लड़ें। हम आप सभी के साथ हैं।’ प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा था कि ‘भारत के लोगों को गरीब बनाकर नरेन्द्र मोदी जापान चले गए हैं।’ तृणमूल कांग्रेस ने नोट अमान्य करने के मुद्दे पर राज्यसभा में 16 नवम्बर को चर्चा कराने के लिए नोटिस भी दिया है। इसी दिन संसद सत्र की शुरुआत हो रही है।
लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा है कि इसी दिन पार्टी सदन में स्थगन प्रस्ताव लाएगी। नोट अमान्य करने के मुद्दे पर ममता ने कविता भी लिखी है।

नगदी खत्म – दुकान से अनाज लूट लिया

मध्यप्रदेश में छतरपुर जिले के बमीठा थाना क्षेत्र के बरद्वाहा गांव में ग्रामीणों ने कथित तौर पर नगदी खत्म होने और सरकारी उचित मूल्य की दुकान से पिछले कई माह से अनाज नहीं मिलने से नाराज होकर कल दुकान से अनाज लूट लिया.

बरद्वाहा गांव की सरकारी उचित मूल्य की दुकान के मालिक मुन्नी लाल अहिरवार ने पुलिस को की गई शिकायत में कहा कि ग्रामीणों के पास अनाज खरीदने के लिए नकद राशि नहीं थी, इसलिए ग्रामीणों ने दुकान से अनाज लूट लिया जबकि पुलिस ने लूट की घटना से इंकार करते हुए कहा कि ग्रामीणों और दुकानदार के बीच राशन को लेकर विवाद हुआ था.

बरद्वाहा गांव के सरपंच नोनेलाल ने आरोप लगाया कि ग्रामीणों को चार माह से सरकारी उचित मूल्य की दुकान से अनाज नहीं मिल रहा था. ग्रामीणों ने इस मामले में पुलिस और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन को भी शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. सरपंच ने दुकानदार द्वारा ग्रामीणों पर लगाये गए अनाज लूटने के आरोप का खंडन किया.

पुलिस के सहायक उप निरीक्षक रामकुशल तिवारी ने बताया कि ग्रामीणों को उचित मूल्य की दुकान से पिछले चार माह से राशन नहीं मिल रहा था और ग्रामीण, दुकानदार से पिछले सभी माहों का राशन एक साथ देने की मांग कर रहे थे. जबकि दुकानदार केवल एक माह का अनाज देने के लिए सहमत था. इस बात पर दोनों पक्षों में विवाद हुआ था.

इस घटना का कथित वीडियो भी सोशल मीडिया में प्रसारित हुआ है 

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