UP; गठबंधन के फॉर्मूले पर क्यों अटक गई कांग्रेस
#प्रियंका और डिंपल वाली जुगलबंदी #बिना लड़े हथियार डालने वाली कांग्रेस गठबंधन के फॉर्मूले पर क्यों अटक गई? किन इस खेल के पीछे असली भूमिका प्रियंका गांधी की है. कुछ दिनों पहले राहुल गांधी ने एक सभा में अपना फटा कुर्ता दिखाकर आम लोगों को इम्प्रेस करने की कोशिश की थी। अब ये माना जा रहा है कि राहुल जब इतने बेवस हो चुके हैं, इसी वजह से यूपी में बहन प्रियंका को आगे आना पड़ रहा है। प्रियंका की बदौलत ही ये गठबंधन पूरा हो सका है. प्रियंका की कोशिश है कि सपा-कांग्रेस के गठजोड़ को महागठबंधन के तौर पर पेश किया जाए और देशभर की गैर बीजेपी विरोधी पार्टियों को इस बहाने एकसाथ ला कर 2019 की तैयारी की जा सके. कांग्रेस यहां एक बात भूल रही है कि अखिलेश की दिली ख्वाहिश नेताजी को प्रधानमंत्री बनते देखने की है. खुद मुलायम सिंह भी केंद्र में बड़ी भूमिका की उम्मीद में यूपी की राजनीति का उत्तराधिकारी अखिलेश को पांच साल पहले ही बना चुके थे. इस युवा गठबंधन में सोनिया-मुलायम वाली तल्खी नहीं है बल्कि प्रियंका और डिंपल वाली जुगलबंदी है; www.himalayauk.org (Web & Print Media)
गठबंधन के सस्पेंस से पर्दा हटा. सामने आए अखिलेश-राहुल. युवा जोड़ी के इस्तकबाल में नतमस्तक है कांग्रेस और समाजवादी पार्टी. गठबंधन के दौर में एक नया अध्याय और जुड़ा.
हालांकि इस खिचड़ी में ‘जाट मसाला’ कम है. आएलडी ने हाथ झटक दिया. लेकिन मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाट बनाम मुस्लिम तनाव को देखते हुए समाजवादी पार्टी भी आरएलडी से गठबंधन को हिचकिचा रही थी क्योंकि उसे अपने पारंपरिक मुस्लिम वोटों को खोने का डर था. अब चिंता बीएसपी के लिए और मायावती की सोशल इंजीनियरिंग के लिए है. कांग्रेस के लिए राहत की बात है. यूपी में 27 साल के वनवास के बाद पार्टी इस खुशफहमी में है कि यूपी में सरकार भले ही न बना पाए लेकिन सरकार बनाने की भूमिका में जरूर आ गई है. समाजवादी पार्टी 298 सीटों पर चुनाव लड़ेगी तो कांग्रेस 105 सीटों पर . बड़ा सवाल ये है कि कांग्रेस ने जिस जोर-शोर के साथ यूपी में 403 सीटों पर ताल ठोंक कर चुनाव लड़ने का एलान किया था, वही कांग्रेस बिना लड़े हार क्यों मान गई?
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आने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में लखनऊ सीट पर सबकी नज़र रहेगी अगर सीएम अखिलेश यादव वहां से मुलायम सिंह द्वारा सुझाए उम्मीदवार को खड़ा करते हैं. बीजेपी ने लखनऊ कैंट सीट से रीता बहुगुणा जोशी का नाम आगे किया है जो पिछले चुनाव में यहीं से जीती थीं और उन्होंने कुछ वक्त पहले ही कांग्रेस का दामन छोड़ा है. सपा ने यहां से अभी तक अपने उम्मीदवार को नाम सामने नहीं किया है लेकिन मुलायम सिंह चाहते हैं कि उनकी दूसरी बहू अपर्णा यादव यहां से चुनाव लड़ें.
लेकिन इससे पहले की मुलायम सिंह के दूसरे बेटे प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव, रीता जोशी का सामना करें, उन्हें अपने परिवार के भीतर भी एक लड़ाई को जीतना होगा. गौरतलब है कि मुलायम सिंह ने करीब एक साल पहले ही 2017 के यूपी चुनाव के लिए लखनऊ कैंट से अपर्णा का नाम आगे कर दिया था. यह निर्वाचन क्षेत्र जहां से सपा कभी नहीं जीत पाई है, वहां अपना आधार मज़ूबत करने के लिए अपर्णा काफी मेहनत भी कर रही हैं. लेकिन चुनाव से कुछ वक्त पहले ही मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के बीच हुई अनबन ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की लिस्ट पर बड़ा असर डाला है. अखिलेश यादव ने पहले ही 300 सीटों में से ज्यादातर पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं जहां वह कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है लेकिन लखनऊ कैंट से कौन लड़ेगा यह अभी साफ नहीं हुआ है.
अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के बीच हुई खींचतान में टीम शिवपाल का तगड़ा सदस्य अपर्णा को माना जा रहा है जिन्हें अब पार्टी ने किनारे कर दिया है. अखिलेश के करीबियों का मानना है कि अपर्णा यादव की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं अपने जेठ की जगह सपा का चेहरा बनने की हैं और आगे चलकर वह यूपी मुख्यमंत्री की उम्मीदवार के रूप में भी खुद को देखती हैं.
उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को समाजवादी पार्टी का घोषणा-पत्र जारी किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश नेताजी का इंतजार करते रहे, मगर वह नहीं आए। अखिलेश लगातार फोन पर और सपा नेताओं के संपर्क में रहकर जानने की कोशिश करते रहे कि मुलायम आ रहे हैं या नहीं। उनके पड़ोस मे मुलायम की कुर्सी खाली पड़ी रही। आखिर में उन्होंने आजम खान को मुलायम को मनाकर लाने की जिम्मेदारी सौंपी, मगर वह गए तो लौटे ही नहीं। आखिर में मुलायम की कुर्सी मंच से हटाई गई। मैनिफेस्टो जारी करने के बाद अखिलेश और डिंपल पार्टी कार्यालय से चले गए मगर कुछ ही देर में उन्हें फिर से लौटना पड़ा क्योंकि मुलायम कार्यालय आ गए थे। दोनों के बीच में करीब 40 मिनट तक बातचीत हुई और दोनों को साथ ही निकलते देखा गया। मुलायम रविवार शाम अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाने के लिए तैयार थे, जब सपा और कांग्रेस के गठबंधन का ऐलान हो रहा था। अखिलेश ने पिता से इस बारे में बात की और उन्हें किसी तरह ऐसा ने करने के लिए मनाया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद रात में अखिलेश पत्नी डिंपल समेत मुलायम के घर गए और उन्हें पार्टी का घोषणा-पत्र सौंपा। उन्होंने हाथों में सपा का मैनिफेस्टो लिए मुलायम की फोटो फेसबुक पर शेयर की है। अखिलेश और मुलायम के बीच की कड़ी बने आजम खान भी तस्वीर में नजर आ रहे हैं। अखिलेश ने 16 जनवारी को समाजवादी पर नियंत्रण के लिए चली लड़ाई पिता से जीत ली थी। चुनाव आयोग ने पाया कि 43 वर्षीय सीएम के बाद पार्टी में ज्यादा समर्थक हैं और पार्टी के टूटने की स्थिति में फरवरी-मार्च में होने वाले चुनावों में ‘साइकिल’ चुनाव चिन्ह का प्रयोग करने की इजाजत दे दी।
ईसी के फैसले के बाद से ही पिता-पुत्र के बीच कई बैठकों का दौर चला मगर दोनों सार्वजनिक तौर पर साथ नहीं नजर आए। उन बैठकों के दौरान ही मुलायम ने अखिलेश को उन लोगों के नाम सौंपे जिन्हें वे टिकट दिलाना चाहते थे, इसमें पिता-पुत्र के बीच तल्खियों के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार शिवपाल यादव का नाम भी शामिल था।
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अगर लखनऊ कैंट से अखिलेश उन्हें चुनते हैं – जैसे कि उन्होंने बाकी की सीटों पर भी अपने पिता की पसंद को ध्यान में रखा है और चाचा शिवपाल का नाम जसवंतनगर के लिए दिया है – तो अपर्णा यादव को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ सकता है. रीता बहुगुणा जोशी भी यूपी की राजनीति की रग रग से वाकिफ हैं और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री एचए बहुगुणा जोशी की बेटी हैं. इसके अलावा वह कांग्रेस की राज्य प्रमुख भी रही हैं जिस पार्टी को उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में 24 साल के साथ के बाद छोड़ दिया था. जोशी ने 2012 में हुए यूपी चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के यूपी प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था. राज्य की 403 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ 29 ही जीत पाई थी जिसमें से एक रीता की सीट थी. वह करीब 20 हज़ार से ज्यादा वोटों से जीती थीं. दिलचस्प बात है कि इस बार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस साथ हैं लेकिन रीता जोशी अब बीजेपी में हैं.
अपर्णा के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह किसी भी तरह की रुकावट से परेशान नहीं हैं. लखनऊ कैंट में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था ‘मुझे 100 परसेंट यकीन है कि मुझे इस सीट से टिकट मिल ही जाएगी और मैं यहां से लड़ूंगीं और पार्टी के लिए यहां से जीत दर्ज करवाऊंगी.’
एक बच्चे की मां अपर्णा एक एनजीओ चलाती हैं, उन्होंने मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में पोस्ट ग्रैजुएशन किया है और वह एक प्रशिक्षित गायक हैं. उनके पति प्रतीक, मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बेटे हैं जो रियल एस्टेट और जिम का कारोबार चलाते हैं. हाल ही में उनकी चार करोड़ की लंबौरिगिनी कार के चलते वह सुर्खियों में आए थे..
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