भाजपा-कांग्रेस का भ्रम चुनाव में टूट रहा है- किसने कहा-
भाजपा-कांग्रेस जो गलतफहमी थी की वह अपने आर्थिक संसाधनों और बडे नेताओं के बल पर चुनाव जीत जायेंगी, उनका भ्रम टूटा #हरीश रावत और भाजपा के नेता सरकार बनाने की जुगत में लग गये दोनों पार्टियों के लिये सत्ता कितनी महत्वपूर्ण है यह इस तथ्य से पता चलता है कि हमारे पडोसी राज्य हिमाचल में ४७ वर्षो में पांच मुख्यमंत्री बने, जबकि उत्तराखंड में सत्रह सालों में एक दर्जन मुख्यमंत्री पैदा हुये www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal)
सोलह साल में उत्तराखंड में सुअर, बंदर और मुख्यमंत्री ही पैदा हुयेः पुश्पेष त्रिपाठी
उत्तराखंड क्रांति दल के केन्द्रीय अध्यक्ष पुश्पेष त्रिपाठी ने कहा है कि राज्य में संपन्न हुये विधानसभा चुनाव का फैसला जो भी आये उत्तराखंड क्रान्ति दल जनता के सवालों को प्रखरता से उठाता रहेगा। इस विधानसभा चुनाव में जहां राश्ट्रीय पार्टियां अपने भारी चुनाव प्रबंधन और स्टार प्रचारकों के माध्यम से लड रही थी वहीं उक्रांद जनता के सवालों को लेकर जनता के बीच गया। जनता ने माना भी है कि क्षेत्रीय ताकतें ही राज्य को सही दिशा में ले जा सकती हैं। यही वजह है कि भाजपा-कांग्रेस जो गलतफहमी थी की वह अपने आर्थिक संसाधनों और बडे नेताओं के बल पर चुनाव जीत जायेंगी, उनका भ्रम टूटा है। चुनाव परिणाम आने से पहले ही मुख्यमंत्री हरीश रावत और भाजपा के नेता सरकार बनाने की जुगत में लग गये हैं। यह इस बात को साबित करता है कि इनके लिये जनता में मुद्दे कोई मायने नहीं रखते। इनका ध्येय सिर्फ सत्ता हासिल करना है, चाहे वह किसी रास्ते से आये। उन्होंने कहा कि इन दोनों पार्टियों के लिये सत्ता कितनी महत्वपूर्ण है यह इस तथ्य से पता चलता है कि हमारे पडोसी राज्य हिमाचल में ४७ वर्शों में पांच मुख्यमंत्री बने, जबकि उत्तराखंड में सत्रह सालों में एक दर्जन मुख्यमंत्री पैदा हुये। असल में राज्य में या तो सुअर, बंदर और जंगली जानवरों की संख्या बढी या फिर मुख्यमंत्रियों की। श्री त्रिपाठी ने कहा कि जनता अगर किसी एक पार्टी को ही जनमत देती है तो वह उक्रांद के लिये अच्छा होगा, क्योंकि हम विपक्ष में रहकर सदन और सडक में इनका विरोध ज्यादा तार्किक और ठोस तरीके से कर पायेंगे।
चुनाव परिणामों से पहले लगाये जा रहे कयासों पर श्री त्रिपाठी ने कहा कि हमारे लिये चुनाव सिर्फ हार-जीत का पैमाना नहीं है। हम इसे जनता के सवालों को उठाने का मंच भी मानते हैं। भाजपा-कांग्रेस के लिये जहां यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और हरीष रावत की प्रतिश्ठा से जुडा है वहीं उक्रांद के लिये पहाड की अस्मिता और जनाकंाक्षाओं को बचाने का सवाल है। इसलिये हमारी लडाई एक चुनाव की नहीं है। यह लडाई तब तक जारी रहेगी जब तक कि जनता को अपने सपनों का राज्य नहीं मिल जाता। उन्होंने कहा कि इस चुनाव जिस तरह भाजपा-कांग्रेस ने पैसा और अपने संसाधन झोंके उससे प्रधानमंत्री के भ्रश्टाचार के खिलाफ चलाई गई कथित मुहिम की पोल भी खुल गई। पहले राश्ट्रीय पार्टियां गांवों में पांच सौ रुपये में अपने दलाल रखती थी अब इनकी कीमत दो हजार रुपये हो गई है। चुनाव के दौरान भाजपा-कांग्रेस की पकडी गये षराब के जखीरे इस बात को साबित करते हैं कि इन दोनों दलों ने हमारी चेतना को कुंद करने के इंतजाम कर दिये हैं। श्री त्रिपाठी ने कहा कि जब ये लोग चुनाव में पैसे और षराब बांट रहे थे तब उक्रांद ने महिलाओं और युवाओं की षराबबंदी की मुहिम में षामिल होने का ऐलान किया। इसके लिये दस रुपये के स्टॉप पेपर पर महिलाओं को लिखकर दिया कि जीतने या हारने पर वे उत्तराखंड को नषामुक्त और जंगली जानवरों से निजात दिलाने का आंदोलन चलायेंगे।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि उक्रांद सरकार बनाने के लिये किसी भी पार्टी को अपना समर्थन नहीं देगी। उन्होंने कहा कि भाजपा-कांग्रेस दोनों के ही घोशणा पत्र मे राज्य की बेहतरी के लिये कोई दृश्टि नहीं है। वे इसे लूट का उपनिवेष बनाये रखना चाहते हैं। जल, जंगल, जमीन के सवालों से लेकर बिजली, पानी, सडक, षिक्षा, पर्यावरण, रोजगार, युवा, महिलाओं, राजधानी, परिसीमन, जिलों के निर्माण आदि के बारे में जिस तरह उक्रांद ने अपने दृश्टिपत्र और घोशणा पत्र में स्पश्ट किया है उसे भाजपा-कांग्रेस न तो छू सकती है और न ही उनकी राजनीतिक इच्छाषक्ति है। इसलिये हमने फैसला किया है कि यदि जनता ने हमें नीतियां बनाने लायक जनमत दिया तो हम दस साल में राज्य की तस्वीर बदल देंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो सरकार को इन नीतियों को लागू करने के लिये मजबूर करेंगे। उन्होंने इस बात पर अफसोस व्यक्त किया कि देष के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने चुनावी भाशण में मुजफरनगर कांड के बारे में गलत कोड किया। उन्होंने पिथौरागढ मे ंदिये गये अपने भाशण में कहा कि मुजफरनगर कांड कराने वाली सपा के साथ कांग्रेस गलबहियां कर रही है। तथ्य यह है कि भाजपा-कांग्रेस और सपा तीनों इस कांड की दोशी हैं। जहां मुलायम सिंह यादव ने राज्य आंदोलन के दौरान मुजफरनगर, खटीमा और मसूरी गोली कांड कराये वहीं भाजपा के केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह मुजफरनगर कांड के मुख्य अभियुक्त अनन्त कुमार सिंह को अपना सचिव बनाकर लगातार बचाते रहे। पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूडी के समय बुआ सिंह को राज्य का अतिथि घोशित कर उसका रेड कारपेट स्वागत किया गया। यह वही भाजपा है जिसने अंतरिम सरकार के समय परिसंपत्तियों, परिसीमन और विकल्पधारियों के सवालों को उत्तर प्रदेष के सामने गिरवी रख दिया। इतना ही नह राजधानी गैरसैंण के सवाल को सबसे पहले उलझाने और इस पर अलोकतंात्रिक तरीके से दीक्षित आयोग बनाने का काम भी भाजपा ने ही किया। जहां तक कांग्रेस का सवाल है उनके मौजूदा मुख्यमंत्री हरीष रावत अपने षासनकाल मे ंलगातार लोगों की भावनाओं से खेलते रहे हैं। वे यहां के मडुवा-झंगोरा की बात करते रहे और पहाड की जमीनें लगातार बिकती गई। इस चुनाव में उन्होंने कहा कि मैं मडुवा हूं, जितना कूटोगे उतना निखरूंगा। लेकिन उनसे पूछना चाहते हैं कि जब मडुवा से इतना प्यार था तो चुनाव लडने हरिद्वार और किच्छा जाने की जरूरत क्यों पडी। यह उनके डर को दिखाता है। हरीष रावत के लिये पहाड भावनाओं से खेलने का साधन तो हो सकता है लेकिन वे पहाड की बेहतरी के लिये न तो चिंतित हैं और न उनका यहां से कोई सरोकार है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें भरोसा है जनता हमारे पक्ष में जनादेष देगी और हम पिछली बार से बेहतर परिणाम देंगे।
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