पी०डब्ल्यू०डी० अधिशासी अभियन्ता कार्यकाल की जाँच हेतु निर्देश
टेण्डर घोटाले की जाँच के आदेश .. #टेण्डर घोटाले के मुख्य घोटालेबाज तत्कालीन अधिशासी अभियन्ता श्री राजवंषी के कार्यकाल के समस्त टेण्डर घोटालों की जाँच हेतु अपर मुख्य सचिव श्री ओम प्रकाश को निर्देश # मुख्य सचिव ने दिये ए०सी०एस० को टेण्डर घोटाले की जाँच के आदेश …….अध्यक्ष जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष #विकासनगर क्षेत्रान्तर्गत पी०डब्ल्यू०डी० का सवा दो करोड के टेण्डर का है घोटाला। #समाचार पत्र की मात्र दो-तीन प्रतियाँ करायी प्रकाशित, अन्य पाठकों की प्रतियों में नहीं जारी किया टेण्डर विज्ञापन # विभाग व ठेकेदारों ने दिया कार्य को अंजाम, गिने-चुने तीन-चार ठेकेदारों के इर्द-गिर्द हुआ टेण्डर # पी०डब्ल्यू०डी०, निर्माण खण्ड देरादून के आज तक के समस्त कार्यों की जाँच की माँग की गयी थी मुख्य सचिव से मोर्चा ने।
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देहरादून- जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी०एम०वी०एन० के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि लोक निर्माण विभाग की निर्माण खण्ड, देहरादून इकाई के अन्तर्गत जुलाई २०१७ को विकासनगर क्षेत्रान्तर्गत ०८ कार्यों हेतु २.२५ करोड रूपये मूल्य के टेण्डर आमन्त्रित करने हेतु विभाग द्वारा दो समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी करने का ढोंग रचा। उक्त घोटाले की जाँच कराने को लेकर मोर्चा ने मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह से मुलाकत की थी जिसके आधार पर मुख्य सचिव ने टेण्डर घोटाले के मुख्य घोटालेबाज तत्कालीन अधिशासी अभियन्ता श्री राजवंषी के कार्यकाल के समस्त टेण्डर घोटालों की जाँच हेतु अपर मुख्य सचिव श्री ओम प्रकाश को निर्देश दिये हैं।
नेगी ने कहा कि विभाग व ठेकेदारों की मिलीभगत के चलते प्रसिद्व समाचार पत्र शाह टाईम्स के दिनंाकित ११.०७.२०१७ में कहीं भी उक्त विज्ञापन नहीं छपा, जबकि विभाग द्वारा जो सत्यापित दस्तावेज, उपलब्ध कराये गये हैं उस प्रति में टेण्डर विज्ञापित होना दर्शाया गया है, यानि नाम व रिकॉर्ड के लिए सिर्फ दो-तीन प्रतियाँ ही प्रकाशित करायी गयी।
हैरानी की बात यह है कि चंद ठेकेदारों व विभाग ने मिलीभत कर आठ जॉब क्रमषः २० लाख, ३० लाख, २० लाख, २० लाख, ४२ लाख, ४५ लाख, २४ लाख व फिर २४ लाख अपने मनमाफिक व अपने चहेते ठेकेदारों को आबंटित करा दिये।
नेगी ने कहा कि अगर टेण्डर सभी समाचार पत्रों में इमानदारी के साथ विभाग द्वारा प्रकाशित किये जाते तो निश्चित तौर पर प्रतिस्पर्द्वा के चलते और २० से ४० प्रतिषत न्यूनतम दर पर कार्य आबंटित होते तथा सरकार को लाखों रूपये का फायदा होता, लेकिन विभाग व ठेकेदारों की जुगलबन्दी से लाखों रूपये सरकारी क्षति हुई। उक्त के चलते प्रदेश के सैकडों ठेकेदारों को भी उस कार्य में प्रतिभाग करने से वंचित रह गये। विभागीय भ्रष्टाचार के चलते इमानदारी से कार्य करने वाले ठेकेदार दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। उक्त जाँच होने के उपरान्त ईमानदारी से काम करने वाले ठेकेदारों को भी काम मिल सकेगा तथा भ्रश्टाचार पर लगाम लग सकेगी।
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