राहुल ने क्यो लिखा था- ॐ असतो मा सद्गमय
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर लगभग साफ हो गई है , विधानसभा चुनाव परिणाम बता रहे है कि राहुल की भक्ति में दम है# राहुल की भक्ति मेें शक्ति साबित हुई
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गये, कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए राज्य कीयात्रा के दौरान उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से बाल-बाल बच गया था, जिसके बाद अप्रैल में उन्होंने इस तीर्थयात्रा पर जाने की इच्छाजतायी थी. इस तीर्थयात्रा का उद्देश्य भगवान शिव का आशीर्वादप्राप्त करना था , राहुलने टि्वटर पर उपनिषदों से लिया गया संस्कृत का एक ‘श्लोक’ लिखा और उसके साथ कैलाश पर्वत की एक तस्वीर पोस्ट की. कांग्रेस अध्यक्षने अपने ट्विटर वॉल पर लिखा-
ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतम् गमय।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदिर-मंदिर दर्शन को गये. गुजरात, कर्नाटक के बाद राहुल गांधी मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई मंदिरों में माथा टेका. राहुल गांधी के गुजरात में सोमनाथ यात्रा के दौरान विवाद होने पर कांग्रेस ने राहुल की जनेऊ वाली तस्वीर जारी की थी. गुजरात चुनाव में राहुल के मंदिर से सियासत वाले फॉर्मूले से पार्टी को फायदा मिला था. यही वजह है कि कांग्रेस ने राहुल के मंदिर दर्शन यात्रा को कर्नाटक में भी आजमाया, यहां कांग्रेस भले ही सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरकर नहीं आ सकी, लेकिन बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने में कामयाब रही. गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान से ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार बीजेपी के कट्टर हिंदुत्व से मुकाबला करने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रहे हैं. गुजरात में राहुल ने करीब 28 मंदिरों में जाकर माथा टेका था. राहुल गांधी ने चुनावी कैंपेन के दौरान खुद को शिवभक्त भी बताया था. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का मंदिर दर्शन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के आए नतीजों से सफल होता दिख रहा है. राहुल गांधी ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक के बाद एक कई मंदिरों में जाकर दर्शन किए. इससे बीजेपी के हाथ से कांग्रेस और गांधी परिवार को एंटी-हिंदू और मुस्लिमों की पार्टी के रूप में पेश करने का मौका छिन गया.
कांग्रेस राहुल गांधी मंदिर जरूर जाते हैं. गुजरात मेंमंदिरों के दर्शन करने गये, मथुरा गये, बीजेपी के बड़े नेता चुनावअभियान की शुरुआत हमेशा किसी मंदिर से ही करते थे. इस मामले में बीजेपी के वरिष्ठनेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्राएं हमेशा याद आ जाती हैं. लेकिन अब ऐसा लगता हैकि कांग्रेस भी उसी राह पर है. पिछले कई चुनावों से देखा गया है किकांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधीभी चुनावी अभियानशुरू करने से पहले मंदिर जरूर जाते हैं. कांग्रेस को हिंदू विरोधी के रुप में पेश करनेकी रणनीति को राहुल गॉधी ने खण्ड खण्ड कर दी,
कर्नाटक में भी राहुल ने गुजरात की तरह अपनी मंदिर दर्शन की राजनीति को जारी रखा. यानी ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की राजनीति जारी रखी, राहुल गांधी हुलीगेम्मा मंदिर में पूजा के लिए गये. फिर वह लिंगायतों के प्रसिद्ध गवि सिध्देश्वर मठ का दर्शन को गये, हुलीगेम्मा दुर्गा मां का मन्दिर है. राहुल गांधी कलबुर्गी (गुलबर्गा) के ख्वाजा बंदे नवाज़ की दरगाह भी गये
मध्य प्रदेश के दौरे पर राहुल गांधी ने बुंदेलखंड क्षेत्र के दतिया में श्री पीताम्बरा पीठ में दर्शन किया। राहुल ने मध्य प्रदेश में नवरात्र के दिनों में मंदिरों में जाकर दर्शन किये। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन किये।
चित्रकूट (सतना) में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधीके गुरुवार को मध्यप्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट स्थित प्रख्यात कामतानाथ मंदिर में दर्शन के साथ हीमध्य प्रदेश का दो दिवसीय दौरा शुरू किया था।भगवान राम 14 साल के वनवास के दौरान मध्य प्रदेशमें जहां-जहां से गुजरे थे, उसे राम वन गमन पथ यात्रा कहा जाताहै। इसकी शुरुआत चित्रकूट से भगवान राम ने की थी। चित्रकूट का सबसे महत्वपूर्ण स्थानकामदगिरि पर्वत माना जाता है। कामदगिरी पर्वत पर स्थित कामतानाथ मंदिर का खासधार्मिक महत्व है।
इस स्थान को लेकर यह भी मान्यता है कि राम ने अपने पिता दशरथ के लिए चित्रकूट में ही श्राद्ध किया था। कहा जाता है कि पितृपक्ष में कामदगिरि दर्शन और परिक्रमा से पूर्वजों की शक्तियां व्यक्ति में निहित हो जाती हैं और उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। राहुल ने यहां पुजा की,
गुजरात में जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने पहुंचे राहुल गांधी; मंदिर पहुंचकर मत्था टेक पूजा-अर्चना की और तिलक लगाया था. द्वारकाधीश मंदिर में माथा टेककर गुजरात चुनाव प्रचार का आगाज किया था;
गुजरात विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर सोमनाथ मंदिर दर्शन के लिए पहुंचे थे. राहुल गांधी ने कंधे पर पूजा की थाली उठाए सोमनाथ मंदिर में भगवान शिव के दरबार में अर्जी लगाई थी. गुजरात चुनाव में राहुल ने मंदिरों की यात्रा कर इस बात को साबित किया है कि उनका झुकाव हिंदुत्व के तरफ भी है.
बीजेपी की हार में बेरोजगारी, किसानों की नाराजगी और भ्रष्टाचार मुख्य कारण रहे लेकिन इसके अलावा कांग्रेस ने बीजेपी को उसके ट्रंप कार्ड हिंदुत्व पर भी बाजी नहीं मारने दी.
पांचों राज्यों के विधानसभा चुनावों के कैंपेन की शुरुआत से लेकर अंत तक राहुल गांधी की टेंपल रन जारी रही. राहुल गांधी चित्रकूट के कमलनाथ मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर भोपाल, दतिया की मां पीतांबरी पीठ और ग्वालियर के गोपाल मंदिर, अचलेश्वर मंदिर और उज्जैन के महाकाल मंदिर पहुंचे. उन्होंने नर्मदा की आरती में भी हिस्सा लिया.
यही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में बेहद कठिन मानी जाने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा भी की थी. इस यात्रा के बाद से राहुल को शिवभक्त कहा जाने लगा. जब राहुल ने चित्रकूट का दौरा किया तो उन्हें रामभक्त भी पुकारा गया.
वहीं, कांग्रेस के मध्य प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने हर गांव में गौशाला बनाने का वादा किया. कांग्रेस पार्टी ने राम गमन वन पथ यात्रा भी शुरू की.
चुनाव के आखिरी दौर में राहुल गांधी के अपना गोत्र बताने पर भी खूब विवाद हुआ. विपक्षी दल अक्सर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के गोत्र पर सवाल उठाते रहते हैं जिसका जवाब राहुल गांधी ने पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में खुद को कौल ब्राह्मण और दत्तात्रेय गोत्र से पूजा कर दिया. इससे पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण बता चुके हैं.
दूसरी तरफ, बीजेपी ने हिंदुत्व के प्रखर चेहरे और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ को सभी चुनावी राज्यों के कैंपेन में उतारा. हालांकि, इस बार बीजेपी का हिंदुत्व कार्ड नहीं चला और राहुल गांधी के मंदिर दर्शन ने कांग्रेस को बीजेपी से आगे लाकर खड़ा कर दिया.
कई विश्लषकों का मानना है कि बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड का जवाब कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व से ही दे सकती है. 2014 में लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस अपनी सेक्युलर की छवि से निकलकर सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ बढ़ती नजर भी आई है.
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