राजस्थान-वसुंधरा की गौरव यात्रा पर कई जगह पथराव- माहौल लगातार विपरीत

HIGH LIGHT; राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए गौरव यात्रा का दूसरा चरण भारी पड़ रहा है. अशोक गहलोत के इलाके जोधपुर संभाग में वसुंधरा की गौरव यात्रा पर कई जगह पथराव हुआ और सभा के दौरान अशोक गहलोत जिंदाबाद के नारे लगते रहे. माहौल लगातार विपरीत : मुख्यमंत्री उखड़ गईं और   ठहरने की बजाय चार्टर मंगवा कर जोधपुर से जयपुर रवाना हो गई। Presented by- हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्‍तराखण्‍ड

राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर राजस्थान का अब सियासी पारा परवान चढने लगा है. आरोप प्रत्यारोप के साथ मैदान में भी चुनावी तैयारियां तेज कर दी है. भाजपा जहां सत्ता बरकरार रखने के लिए राजस्थान गौरव यात्रा निकाल रही है तो वहीं सत्ता परिवर्तन के लिए कांग्रेस संकल्प रैलियां कर रही है. पिछले पांच सालों में हालात काफी बदल चुके हैं. स्थानीय विश्लेषकों की मानें तो मारवाड़ में इस बार किसी प्रकार की लहर नजर नहीं आ रही. जाट-राजपूत समाज में राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जग जाहिर है. साथ ही कुछ छोटी जातियों में भी अपनी उपेक्षा को लेकर नाराजगी है. ऐसे में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए इस बार गौरव यात्रा में पिछले विधानसभा चुनाव से पहले आयोजित परिवर्तन यात्रा के समान उत्साहवर्धक रहने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं.

भाजपा के लिए खतरे की घंटी है. लिहाजा भाजपा ने राजस्थान गौरव यात्रा के तहत यहां खूब माहौल बनाने की कोशिश की. काउंटर में कांग्रेस ने संकल्प रैली का आगाज यहीं से कर दिया. अब देखना होगा कि यह ट्रेंड बरकार रहता है या फिर कुछ नहीं कहानी सामने आती है.

कांग्रेस संकल्प रैली की शुरुआत युवाओं में बेरोजगारी, किसानों की बदहाली, कुशासन और सबसे अहम पार्टी के नेताओं में एकता साबित करने के लिए कर रही है. दोनों पार्टियों की खास औऱ एक कॉमन बात है कि भाजपा और कांग्रेस ने मेवाड़-वागड़ की धरती को चुनावी प्रचार के श्रीगणेश के लिए चुना. क्योंकि दोनों दल अच्छी तरह से वाकिफ है कि राज में रहना है या आना है तो मेवाड़ जीतना जरुरी है. क्योंकि पिछले चार चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो यह बात साफ हो जाती है कि जिसने इस संभाग में 20 या इससे ज्यादा सीटें हासिल की है उसकी सत्ता आई है. लिहाजा कांग्रेस ने मेवाड़ के चितौड़गढ़ के सांवलिया में इसी सोच के साथ संकल्प रैली का आगाज किया. पहली रैली में जुटी भीड़ से कांग्रेस नेता अब खुलकर मेवाड़-वागड़ में रिकॉर्ड तोड़ जीत का दावा इस बार जता रहे हैं.
मेवाड़-वागड़ का महासंग्राम इसलिए यकीनन सियासी नजरिए से काफी अहम है क्यों कि इस अंचल में उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चितौड़गढ़ और राजसमंद सहित कुल छह जिले आते हैं. इनमें से 8 सीटें सबसे ज्यादा उदयपुर की है. और सबसे कम 2 सीट प्रतापगढ़ में है. अन्य चार जिलों में 4 से 5 विधानसभा सीटें आते हैं. यानि टोटल 28 सीटें आती है.
सीटों के लिहाज से सबसे बड़े क्षेत्र मारवाड़ को राजस्थान की राजनीति में भरपूर प्रतिनिधित्व मिला. साथ ही मारवाड़ ने प्रदेश को कई दिग्गज नेता दिए. इनमें नाथूराम मिर्धा, परसराम मदेरणा, खेतसिंह राठौड़, पूनमचन्द विश्नोई, रामसिंह विश्नोई, गंगाराम चौधरी, माधोसिंह दीवान प्रमुख थे. एक समय था जब इन जननेताओं के इशारे पर मारवाड़ के राजनीति की फिजा बदल जाया करती थी. यह मारवाड़ के क्षत्रपों का ही कमाल था जब आपातकाल के पश्चात वर्ष 1977 में कांग्रेस का पूरे उत्तर भारत से सूपड़ा साफ हो गया, लेकिन नागौर में जाट नेता नाथूराम मिर्धा ने अपने दम पर जीत हासिल कर सभी को अपनी मजबूत पकड़ का अहसास करा दिया. मारवाड़ के क्षत्रपों के दम पर ही आपातकाल के पश्चात हुए विधानसभा चुनाव में मारवाड़ की 42 सीटों में से कांग्रेस ने 26 सीटें जीत लीं.
लेकिन एक कहावत है कि बरगद के नीचे घास भी नहीं पनप सकती, इसी तरह इन नेताओं दौर में द्वितीय पंक्ति के नेता पनप नहीं पाए. जिसकी वजह से इनके अवसान के साथ ही क्षत्रपों का दबदबा समाप्त हो गया. क्षत्रपों के नहीं रहने का खामियाजा सबसे अधिक कांग्रेस को उठाना पड़ा. कांग्रेस के पुराने क्षत्रपों ने केवल खुद की जाति को ही साथ में नहीं लिया बल्कि अन्य छोटे जाति समूहों को अपने साथ जोड़े रखा. इसका लाभ उन्हें चुनाव में हमेशा मिलता रहा.
कालांतर में कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने मारवाड़ को अपनी कर्मभूमि के लिए चुना और लगातार इस क्षेत्र से जीतते हुए सूबे के दो बार मुख्यमंत्री रहे. साल 2013 की प्रचंड सत्ता विरोधी और मोदी लहर में गहलोत अपनी सीट तो बचा पाए लेकिन मारवाड़ यानी कांग्रेस के मजबूत गढ़ को भाजपा ने ढहा दिया. मारवाड़ से भाजपा में कोई कद्दावर क्षत्रप नहीं हुआ और भाजपा की राजनीति पहले भैरोसिंह शेखावत और अब मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे के इर्दगिर्द ही घूमती है.

जोधपुर: मुख्यमंत्री गौरव यात्रा के दौरान जोधपुर के पीपाड़ में सीएम वसुंधरा राजे के भाषण के दौरान हंगामा हो गया था जहाँ कुछ लोगो द्वारा बस पर पथराव भी किया गया इस मामले में पुलिस ने देर रात तक छापेमारी कर अब तक कुल 17 लोगो को गिरफ्तार किया है । पथराव करने वाले लोग समर्थकों की भीड़ में शामिल थे. उस दौरान पुलिस उनको रोकने में असफल रही उस दौरान मुख्यमंत्री सुरक्षा में शामिल एक पुरुष कांस्टेबल ओर एक महिला कांस्टेबल को भी चोटे आयी थी। पुलिस ने पथराव के दौरान बनाये गए वीडियो के आधार पर एफ आई आर दर्ज की थी। पुलिस ने वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर 17 लोगो को गिरफ्तार किया है साथ ही पुलिस ओर फोटोग्राफ ओर वीडियो खंगाल रही है । साथ ही अलग अलग लोगो को थाने बुलाकर पूछताछ की जा रही है । वहीं आपको बता दे कि पुलिस ने अब तक पथराव करने पर 55 लोगों के खिलाफ नामजद मामले दर्ज किए है. मुख्यमंत्री के रथ पर पथराव के बाद से ही पुलिस सक्रिय हो गयी मुख्यमंत्री के जोधपुर रवाना होने के बाद से ही पुलिस ने पूरे पीपाड़ शहर में तलाशी अभियान ओर छापेमारी शुरू कर दी । पुलिस ने कई लोगो से पूछताछ की ओर कइयों को पूछताछ के लिए थाने भी लाया गया । जिसके पश्चात पुलिस ने 17 लोगो को शांति भंग के आरोप में गिरफ्तार किया है उन सभी को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया जहाँ मजिस्ट्रेट ने उन्हें न्याययिक अभिरक्षा में भेज दिया गया । साथ ही पुलिस ने बताया कि उन सभी 17 लोगो पर पथराव करने का भी मामला दर्ज किया गया है।

वसुंधरा सरकार में मारवाड़ को प्रतिनिधित्व मिला, जिसके तहत गजेंद्र सिंह खींवसर, सुरेन्द्र गोयल, पुष्पेंद्र सिंह, अमराराम, कमसा मेघवाल और ओटाराम देवासी को सरकार में मंत्री बनाया गया. वहीं केन्द्र की मोदी सरकार में भी मारवाड़ क्षेत्र से दो मंत्री है. जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत और पाली सांसद पीपी चौधरी को मोदी सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला. यही नहीं मारवाड़ को तीन राज्यसभा सांसद मिले. ओम माथुर, रामनारायण डूडी और नारायण पंचारिया राज्यसभा भेजे गए. लिहाजा भाजपा ने कांग्रेस के हाथ से फिसले मारवाड़ को अपने कब्जे में बनाए रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी.

1998 में राजस्थान में चुनाव हुए तो कांग्रेस की 30 में से 23 सीटें आई और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बन गए. फिर दो हजार तीन में चुनाव में यहां से भाजपा ने 21 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की. 2008 में भाजपा यहां 6 सीटों पर सिमटकर सत्ता से बाहर हो गई. कांग्रसे ने 20 सीटे लेकर सत्ता हथिया ली. पिछले चुनाव में फिर भाजपा ने 25 सीटें लेकर राज बना लिया. अब संकल्प रैली में जुटी भीड़ और मेवाड़ बागड़ में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस के बढते मिलने के ट्रेंड से कांग्रेस नेताओं के चेहरे खिल गए हैं. लिहाजा मेवाड़ के महाराथी और कांग्रेस नेता सीपी जोशी खुलकर मेवाड़ में इस बार पंजे की मजबूती का दावा कर रहे हैं.
अगर यह ट्रेंड इस बार भी बरकरार रहता है तो जाहिर सी बात है कि भाजपा के लिए खतरे की घंटी है. लिहाजा भाजपा ने राजस्थान गौरव यात्रा के तहत यहां खूब माहौल बनाने की कोशिश की. काउंटर में कांग्रेस ने संकल्प रैली का आगाज यहीं से कर दिया. अब देखना होगा कि यह ट्रेंड बरकार रहता है या फिर कुछ नहीं कहानी सामने आती है.

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा के दूसरे चरण के दूसरे दिन जोधपुर में कई जगहों पर विरोध, हंगामे के बीच शुरू हुई। पीपाड़ में तो देर रात 9:45 बजे गौरव रथ पर पथराव भी कर दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने अशोक गहलोत जिंदाबाद के नारे भी लगाए। इससे पहले दिन में ओसियां में हनुमान बेनीवाल के समर्थकों ने काले झंडे दिखा कर जबर्दस्त हंगामा किया तो वहीं राजपूत समाज की बैठक में नहीं आने से नाराज लोगों ने हाई-वे जाम कर दिया।

पीपाड़ के मंच से तो संबोधन होने के दौरान ही गहलोत समर्थकों ने नारेबाजी करनी शुरू कर दी। भीड़ में से लोगों ने पत्थर उछाल दिए तथा गाड़ियों के कांच फोड़ दिए। माहौल गर्माने के बाद राजे ने सभा खत्म कर दी और जोधपुर एयरपोर्ट पर चार्टर मंगवा लिया। उन्हें रात्रि विश्राम खेजड़ला करना था, परंतु वह जयपुर के लिए निकल गईं। डीआईजी राघवेंद्र सुहासा ने कहा कि पीपाड़ ही नहीं ओसियां में भी सभा शांतिपूर्वक हुई। पीपाड़ में न किसी को पत्थर लगा, न ही किसी ने फेंकते हुए किसी को देखा। सिर्फ बातें आईं थी। कारकेड में शामिल किसी गाड़ी के भी कांच नहीं फूटे। ओसियां में कुछ युवकों ने मुख्यमंत्री के पहुंचने से आधा घंटे पहले हंगामे का प्रयास किया था, उन्हें खदेड़ दिया था।
ओसियां की सभा में भी जबर्दस्त भीड़ थी, परंतु वहां खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल के कई समर्थक काले झंडे लहराते हुए आ गए। मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सभा में घुसने लगे। पुलिस ने लाठियां बजा कर उन्हें खदेड़ा। उसी समय राजपूतों में भी मुख्यमंत्री के खिलाफ गुस्सा पनप गया। मुख्यमंत्री उनकी बैठक में नहीं पहुंची थी। राजपूतों ने नारेबाजी करते हुए स्टेट हाईवे पर टायर जला जाम कर दिया। पुलिस को उन्हें भी खदेड़ कर रास्ता खुलवाना पड़ा।
ओसियां से जब बावड़ी में सभा करने पहुंची तो मुख्यमंत्री के काफिले के पीछे कुछ लोगों ने पत्थर फेंके। एक पत्थर चिकित्सा मंत्री कालीचरण सर्राफ की कार पर भी लगा। बावड़ी की सभा में मुख्यमंत्री ने इसका जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि काले झंडे दिखाने तथा पत्थर फेंकने वालों से घबराने की जरूरत नहीं है।
और पीपाड़ में पथराव : फिर यात्रा पीपाड़ पहुंची। मुख्यमंत्री मंच पर गई तो रियां में पंचायत समिति स्थानांतरण के विरोधी और गहलोत समर्थकों ने नारेबाजी शुरू कर दी। भाषण रुकवाने का प्रयास किया। रथ पर तो पत्थर फेंके ही, कुछ पत्थर मंच की ओर भी उछाल दिए तो माहौल गर्मा गया। मुख्यमंत्री ने रथ से संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस व गहलोत पत्थर ही फेंक सकते हैं, इन्हें जनता सबक सिखाएगी। उसके बाद मुख्यमंत्री उखड़ गईं और खेजड़ला ठहरने की बजाय चार्टर मंगवा कर जोधपुर से जयपुर रवाना हो गई।

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