राजस्थान विधानसभा चुनाव- सर्वे रिपोर्ट-कौन है भारी ?

भारतीय जनता पार्टी इन विधानसभा चुनावों में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतर रही है. लेकिन विपक्षी कांग्रेस ने किसी भी नेता को भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश नहीं किया है. वर्ष 1998 से 2003 तक कांग्रेस सत्ता में रही और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री रहे और इस बार भी उन्हें ही कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है. राज्य में विधानसभा की 200 सीटें हैं और पिछली बार भाजपा ने इनमें से 120 सीटों पर क़ब्ज़ा किया था जबकि कांग्रेस को महज 56 सीटों पर संतोष करना पड़ा था.
राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव मैदान में अपने-अपने पत्ते खोल दिए हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा के मुख्यमंत्री पद का दावेदार वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ही बताया है। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस में भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को घोषित करने की जोर-शोर से मांग उठने लगी है। प्रदेश कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में पीसीसी चीफ सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत है।

 
इस बार सतारूढ़ भाजपा वसुंधरा राजे के नेतृत्व में पिछले पाँच साल के कामकाज और विकास को मुद्दा बनाकर चुनाव मैदान में उतर रही है. वसुंधरा राजे दिवंगत भाजपा नेता ‘राजमाता’ विजय राजे सिंधिया की बेटी हैं. राजस्थान के धौलपुर राजघराने में ब्याही वसुंधरा राजे ने अपना राजनीतिक जीवन भाजपा की युवा शाखा से शुरु किया था. वो 1985 में राजस्थान विधानसभा के लिए धौलपुर सीट से चुनी गईं और 1989 में लोक सभा के लिए झालावाड़ से चुनी गईं. उसके बाद वो 1991, 1996, 1998 और 1999 में लगातार झालावाड़ से लोक सभा चुनाव जीतीं. उन्हें 1998 में केंद्र सरकार में विदेश राज्यमंत्री बनाया गया और फिर वे केंद्र में कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय में राज्यमंत्री भी रहीं. 8 दिसंबर, 2003 को उन्होंने राजस्थान का मुख्यमंत्री पद संभाला और इस बार भी पार्टी उनके नेतृत्व में चुनाव मैदान में है. लेकिन इन पाँच वर्षों में मुख्यमंत्री का विवादों ने पीछा नहीं छोड़ा है. ऐसे अनेक अवसर आए जब जनता और पुलिस के बीच संघर्ष हुआ और कई लोग गोलीबारी मे मारे गए. राजस्थान ने अपने इतिहास का सबसे गंभीर जातिगत तनाव इस समय देखा गया जब गूजर सड़कों पर उतर आए और अपनी बिरादरी के लिए जनजाति का दर्जा मांगने लगे.इस आंदोलन के दौरान रेलें रुकीं, सड़कें जाम हुईं और जनजीवन पटरी से उतर गया था.
 

वही दूसरी ओर राजस्थान में बीजेपी की स्थिति लगातार कमजोर आंकी जा रही है। वही हिमालयायूके द्वारा कराये गये सर्वे ने चुनाव से पहले ही राजस्थान में भाजपा और वसुंधरा राजे के पराजय की रिपोर्ट दी है। हिमालयायूके के सर्वे में मतदाताओं का कहना है कि इस बार चुनाव में भाजपा की हार हो जाएगी। जयपुर को छोड कर शेष राजस्थान में ५८ प्रतिशत लोगों का मानना है कि सत्ता परिवर्तन होगा। वही हिमालयायूके द्वारा इसके अलावा यह भी सर्वे किया गया कि सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष है और पिछले साढे चार वर्ष से लगातार मेहनत कर रहे हैं, परन्तु हिमालयायूके के सर्वे में ६० प्रतिशत लोगों की पसंद पूर्व सीएम अशोक गहलोत की बताई गई है। पूरे प्रदेश में वसुंधरा राजे विरोधी माहौल तो है परन्तु आवाम गहलौत को ही मुख्यमंत्री बनना देखना चाहता है। सर्वे कितना खरा उतरता है वह तो नवम्बर में ही पता चलेगा लेकिन हिमालयायूके के सर्वे में भाजपा की हार के साथ साथ गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने की बात प्रमुखता से सामने आयी है।
वही कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरा घोषित करने को लेकर अब आर-पार की लडाई छिड गई है। प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की चेतावनी के बावजूद कई नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करने की मांग उठाई है। एआईसीसी सदस्य संजय बापना, हरियाणा गौड ब्राह्मण महासभा के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा, कांग्रेस नेता लक्ष्मण हरितवाल सहित कई नेताओं ने अशोक गहलोत को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने की मांग की है. वहीं विधायक विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस की भलाई इसी में है कि जल्द से जल्द प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करें.

अशोक गहलोत को कांग्रेस का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने को लेकर कांग्रेसी खुलकर बयान देने लगे हैं। वही पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने राजस्थान में राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लडने की बात कही गई थी, लेकिन इसके बाद कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने कांग्रेस सीएम पद के दावेदारी पर चेतावनी दी थी। पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया भी कई बार अशोक गहलोत को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने की मांग कर चुके हैं। एआईसीसी सदस्य संजय बापना ने कहा कि पदेश में कांग्रेस की स्थिति काफी ठीक है, लेकिन अशोक गहलोत को नेता घोषित कर देना चाहिए।
हिमालयायूके वेब तथा प्रिन्ट मीडिया के मुख्य सम्पादक चन्द्रशेखर जोशी ने जयपुर में कई दिनो तक गहन सर्वे किया, जिससे यह साफ हुआ कि अशोक गहलौत का पलडा भारी है। जनता उनके द्वारा किये गये कार्यो को याद कर रही है और उनको मख्यमंत्री पद पर देखना चाह रही है।

कांग्रेस ने राजस्थान में किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं घोषित किया है लेकिन अशोक गहलोत इस दौड़ में सबसे आगे हैं. वर्ष 1998 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने पार्टी का नेतृत्व किया था और उन चुनावों में जीत के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद सँभाला था. कांग्रेस इस बार सरकार के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार, फ़िजूल खर्च और सामाजिक तानेबाने को छिन्न-भिन्न करने जैसे मुद्दों पर वोट मांग रही है. अशोक गहलोत जोधपुर के कृषि से जुड़े एक परिवार से हैं. उन्होंने अर्थशास्त्र में एमए किया और फिर एलएलबी की पढ़ाई की. उन्होंने अलग-अलग समय पर कांग्रेस पार्टी और सरकार में विभिन्न प्रशासनिक पदों पर काम किया है. वो 1980 में पहली बार संसद में जोधपुर से चुने गए और फिर 1984 में दोबारा वहीं से निर्वाचित हुए. राजस्थान विधानसभा में वे सरदारपुर चुनाव क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्हें पहली बार 1985 में राजस्थान प्रदेश काँग्रेस समिति का अध्यक्ष बनाया गया. वो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की सरकार में 1982 में केंद्र में पर्यटन उपमंत्री बने और फिर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की सरकार में 1984-85 में भी इस पद पर रहे. राजस्थान में 1989 में उन्होंने गृह मंत्रालय का कार्यभार संभाला. पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सरकार में केंद्रीय कपड़ा राज्यमंत्री रहे. इसके बाद 1994 और 1997 में उन्हें दोबारा राजस्थान में काँग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया. 1998 के विधानसभा चुनावों में जीत के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद संभाला था.

पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री लालचंद कटारिया ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सीएम पद का चेहरा घोषित करने की मांग कर पार्टी नेतृत्व के समक्ष दुविधा उत्पन्न कर दी है । कटारिया ने कहा कि,यदि गहलोत को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया गया तो कांग्रेस चुनाव में जीती हुई बाजी हार जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति है। कार्यकर्ताओं का असमंस दूर करने के लिए गहलोत को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित करके चुनाव लड़ा जाना चाहिए   भाजपा सरकार से लोगों में नाराजगी जबरदस्त है, लेकिन कांग्रेस का नेतृत्व गहलोत के हाथ में होना चाहिए।

प्रस्‍तुति- हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्‍तराखण्‍ड

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CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR

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