बीजेपी ने कांग्रेस की बडी नेता को तोडा
कांग्रेस हाईकमान से अपने भाई को मुख्यमंत्री बनवाने वाली नेता आखिरकार कांग्रेस को अलविदा कहने की तैयारी में लग गयी, अपने पिता की राजनीतिक विरासत के बल पर कांग्रेस में वजन भी मिला, पद भीी मिला- परन्तु संकट के समय कांग्रेस को अलविदा कहने की तैयारी हो गयी- बात हो रही है बहुगुणा खानदान की-
यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी मिशन 265 के साथ उतरने की तैयारी कर रही है. अपने मिशन 265 की शुरुआत कर बीजेपी हर बूथ, हर नेता पर नजर रखे हुए हैं, चार परिवर्तन यात्राओं से 5 नवम्बर से यात्रा शुरू होगी. बीजेपी की ये परिवर्तन यात्राएं यूपी की सभी 403 विधानसभा सीटों से होकर गुज़रेंगी.
वही दूसरी ओर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है. खबर है कि सीनियर कांग्रेस नेता और कभी गांधी परिवार की करीबी रही रीता बहुगुणा जोशी की बीजेपी में शामिल हो सकती हैं. रीता पिछले कई महीनो से कांग्रेस से नाराज चल रही है. लखनऊ के कैंट से विधायक रीता बहुगुणा जोशी को हाल में कांग्रेस में हुए फेरबदल में दरकिनार कर दिया गया था उन्हें पार्टी ने कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी है जिससे वो खफा है.
रीता बहुगुणा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की किसान यात्रा में भी कहीं नजर नहीं आई, माना जा रहा है कि वो नाराज हैं और बीजेपी का दामन थाम सकती है. हालांकि रीता बहुगुणा जोशी ने अब तक इस मामले पर चुप्पी साध रखी है. उत्तराखंड में कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी के साथ आने वाले विजय बहुगुणा ने अपनी बहन के बीजेपी में जाने की खबरों को गलत बताया है. विजय बुहुगुणा ने कहा, ‘ये सिर्फ अफवाहें हैं, इन खबरों में कोई सच्चाई नहीं है. 67 वर्षीय रीता उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हेमवती नदंन बहुगुणा की बेटी और उत्तराखंड के पूर्व सीएम विजय बहुगुणा की बहन हैं. वे कांग्रेस की यूपी प्रदेश अध्यक्ष और महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी हैं. 2014 में उन्होंने लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वे हार गई थीं. राजनीति में आने से पहले वे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री पढ़ाती थीं. रीता बहुगुणा जोशी बसपा अध्यक्ष मायावती के खिलाफ विवादित बयान देने के लिए जेल भी जा चुकी हैं.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पहली परिवर्तन यात्रा की शुरुआत पांच नवम्बर से सहारनपुर से करेंगे. दूसरी परिवर्तन यात्रा को केंद्रीय मंत्री उमा भारती 6 नवम्बर ललितपुर से करेगी. तीसरी परिवर्तन यात्रा जिसकी शुरुआत केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्रा 7 नवम्बर को बलिया से करेंगें. चौथी परिवर्तन यात्रा जिसकी शुरुआत गृह मंत्री राजनाथ सिंह 9 नवम्बर को सोनभद्र से करेंगे. बीजेपी की चारों यात्राओं का समापन 25 दिसंबर को होगा.
इन यात्राओं के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लखनऊ में एक विराट रैली को संबोधित करेंगे. सूत्रों की माने तो बीजेपी की योजना है कि प्रधानमंत्री के हर महीने यूपी के अधिक से अधिक दौरे करें. इससे पहले पीएम मोदी सहारनपुर, इलाहाबाद, गोरखपुर, बरेली में पहले ही रैली कर चुके हैं.
दूसरी तरफ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जातिगत समीकरणों के हिसाब से अपनी चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है. बीजेपी अध्यक्ष ने ठाकुर वोट बैंक को लुभाने के लिए मायावती पर आपत्तिजनक बयान देने वाले दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह को यूपी महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना कर शुभारंभ कर दिया हैं. इससे पहले ब्राह्मण वोट बैंक के लिए शिवप्रताप शुक्ला को राज्यसभा भेजा गया.
बीजेपी नेतृत्व सभी जातियों और सभी समाज के बड़े नेताओं का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में करेगी. जैसे मायावती के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने बुद्ध भिक्षुकों की धम्म चेतना यात्रा को पूरे यूपी में निकलवाई और जिसका शनिवार को समापन अमित शाह की मौजूदगी में कानपुर में होगा. बुद्ध भिक्षुकों की धम्म चेतना यात्रा ने यूपी की 250 विधानसभा सीट पर बीजेपी के लिये दलित वोट के तैयार किया है.
इसी तरह बीजेपी इस चुनाव में भारतीय सेना के द्वारा किये गए पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक का राजनैतिक फायदा लेने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक को राष्ट्र सुरक्षा और राष्ट्रवाद से जोड़कर चुनाव में जायेगी. बीजेपी रक्षामंत्री मनहोर पर्रिकर का आगरा और लखनऊ की तरह पूरे यूपी में सम्मान करा कर चुनाव तक सर्जिकल स्ट्राइक का माहौल बना कर फायदा लेने की भरपूर कोशिश करेंगी.
दूसरी तरफ दशहरा के दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने जयश्री राम का नारा लगा कर अपने हिन्दू वोट बैंक पहले से भी ज्यादा मजबूत करने की शुरुआत कर दी है. विधानसभा चुनाव तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के मुख से इस तरह के नारे सैकड़ों बार सुनने को मिलेंगे.
बीजेपी के सूत्रों की माने तो चुनावों के लिए बीजेपी ने यूपी में 87% बूथ हैं. 2014 के लोकसभा के चुनाव से पहले बीजेपी 37% बूथ पर थी. सूत्रों का ये भी कहना हैं कि सिर्फ अवध में तीनों पार्टियां बराबर हैं. आज़मगढ़ से रुहेलखंड तक बीजेपी की सिर्फ सपा से लड़ाई है. बीएसपी पूरे यूपी में कही भी लड़ाई में नहीं है इस लिये उनके सभी जनाधार वाले नेता एक एक कर मायावती का साथ छोड़कर जा रहे हैं. इन सब के बावजूद पार्टी ने अभी यूपी में मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय नहीं किया है. सूत्रों का ये भी कहना है कि पार्टी समय रहते हुए एक बार फिर से सभी पहलुओं पर विचार करेगी और मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तय करेगी.