‘रिलायंस जियो’ ने पीएम को अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया!
सोशल मीडिया में कई लोगों ने यह सवाल उठाया कि ‘रिलायंस जियो’ एक प्राइवेट कंपनी होते हुए देश के प्रधानमंत्री को कैसे अपने ब्रांड एम्बेसडर के रूप में प्रस्तुत कर सकती है?
वही दूसरी ओर
26 मई 2016 को एनडीए सरकार के दो साल पूरा होने के बाद पीएम मोदी ने टीवी चैनलों को इंटरव्यू देना शुरू किया है। 27 जून को उन्होंने टाइम्स नाऊ को पहला इंटरव्यू दिया और अब नेटवर्क 18 के साथ लंबी बात की है। कुछ सवालों पर अलग-अलग मौकों पर मोदी ने बयान दिया है लेकिन कई सवालों पर अब भी उनकी चुप्पी है। उत्तर प्रदेश में भाजपा सांप्रदायिक मुद्दों को हवा दे कर तथा उत्तराखण्ड में अवांछित तत्वों से सत्ता में आने की अनैतिक कोशिश क्यों की गयी? Execlusive: presents by www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal)
रिलायंस इंडस्ट्रीज की तरफ से शुक्रवार को हिंदी और अंग्रेजी के कई दैनिक समाचार पत्रों में ‘जियो सर्विस’ को प्रमोट करने के लिए प्रधानमंत्री की फोटो के साथ फुल फ्रंट पेज विज्ञापन प्रकाशित करवाया गया। इस विज्ञापन की खासियत यह रही कि बड़ी चालाकी के साथ कंपनी ने डिजिटल इंडिया की आड़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘जियो सर्विस’ के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में प्रस्तुत किया। कंपनी की इस चालाकी को लेकर सोशल मीडिया में आलोचनाओं का दौर चल पड़ा। कई लोगों ने यह सवाल उठाया कि ‘रिलायंस जियो’ एक प्राइवेट कंपनी होते हुए देश के प्रधानमंत्री को कैसे अपने ब्रांड एम्बेसडर के रूप में प्रस्तुत कर सकती है।
कॉमेडियन सौरभ पंत ने अपने चिर परिचित अंदाज में ट्वीट किया, ‘नरेन्द्र मोदी रिलायंस जियो को एन्डॉर्स कर रहे हैं। एक प्रधानमंत्री के लिए किसी ब्रान्ड को एंडॉर्स करना शोभा दे रहा है, खासकर मोदी जैसे प्रधानमंत्री के लिए, क्योंकि इसमें रोमिंग फ्री है।’
शबनम हाश्मी नाम की ट्विटर यूजर ने सीधे भारत के राष्ट्रपति को ट्वीट कर दिया और उनसे प्रधानमंत्री मोदी को अपने पद की गरिमा बनाये रखने के लिए कुछ सलाह देने की अपील कर डाली। सुप्रीम कोर्ट के वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया, ‘अंबानी और मोदी:आपसी तालमेल बहुत बढ़ियां है। अब जबकि रिलायंस ने प्रधानमंत्री की फोटो के साथ अखबारों में पूरे पेज का विज्ञापन प्रकाशित करवाया है, तो उसे 11 हजार करोड़ रुपऐ की गैस चोरी के बारे में चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है।’ आप नेता आशुतोष ने भी प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, ‘ रिलायंस ने जियो सर्विस लॉन्च कर दिया। मोदी उसे प्रमोट कर रहे हैं और रिलायंस के न्यूज चैनल्स को इंटरव्यू दे रहे हैं। इससे ज्यादे क्या साक्ष्य चाहिए?’ मानवेन्द्र राणा सिंह ने ट्वीट किया, ‘जब देश के 18 करोड़ कामगार राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर हों और प्रधानमंत्री आज के न्यूजपेपर्स में रिलायंस जियो को लॉन्च कर रहे हों तो सरकार की प्राथमिकता क्या है पता चल जाता है।’ थिंकिंग इंडियन ट्विटर हैंडल ने ट्वीट किया, ‘क्या प्रधानमंत्री मोदी का रिलायंस जियो के फुल पेज विज्ञापन में आना उचित है, जबकि दूसरी टेलिकॉम कंपनियां भी डिजिटल इंडिया को प्रमोट करती ही हैं।’
वही दूसरी ओर
26 मई 2016 को एनडीए सरकार के दो साल पूरा होने के बाद पीएम मोदी ने टीवी चैनलों को इंटरव्यू देना शुरू किया है। 27 जून को उन्होंने टाइम्स नाऊ को पहला इंटरव्यू दिया और अब नेटवर्क 18 के साथ लंबी बात की है। टाइम्स नाऊ को दिए इंटरव्यू में पीएम ने सरकार की पाकिस्तान नीति, एनएसजी में दावेदारी, विदेश नीति आदि मुद्दों के साथ सुब्रमण्यम स्वामी की बयानबाजी और आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के मामले पर जवाब दिए थे। लेकिन कई ऐसे ज्वलंत मुद्दे थे जिस बारे में ना तो अरनब गोस्वामी ने कोई सवाल किया था और ना ही मोदी ने कुछ कहा था। इस वजह से सोशल मीडिया पर लोगों ने इस इंटरव्यू को काफी सॉफ्ट बताया था। इसके लिए एंकर अरनब गोस्वामी की आलोचना भी हुई थी।
इस इंटरव्यू में गौ रक्षकों की दादागिरी, पाठ्यपुस्तकों में बदलाव और सरकारी संस्थानों में नियुक्तियों को लेकर हुए विवाद सहित कई मुद्दों पर सवाल नहीं पूछे गए थे। हालांकि कुछ सवालों पर अलग-अलग मौकों पर मोदी ने बयान दिया है लेकिन कई सवालों पर अब भी उनकी चुप्पी है।
1. 2002 में माया कोडनानी विधायक थी, जब उन्होंने 10,000 लोगों की भीड़ का नेतृत्व किया जिसने 97 लोगों को मार डाला। उन्हें दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा भी सुनाई जा चुकी है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह राजनैतिक तौर पर किसके करीब थीं, उन्हें आपकी तत्कालीन सरकार द्वारा मंत्री बना दिया गया। आपने यह कहकर अपना बचाव करने की कोशिश की कि उस वक्त उनपर कोई मुकदमा नहीं था। मोदी जी, उनके खिलाफ कोई मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया गया? आपकी पुलिस क्या कर रही थी? क्या आपने अदालत का फैसला आने के बाद पुलिस फोर्स की इस कमी को दूर करने की कोशिश की?
2. आपकी पार्टी का घोषणा पत्र दावा करता है कि भारत विश्व के सभी हिंदुओं का देश है। जब आपसे इस बारे में पूछा गया, आपने कहा कि हिंदुत्व कोई धर्म नहीं है, जीवन-शैली है और इसके अलग-अलग पहलू हैं। एक भारतीय नागरिक के तौर पर अगर मैं ऐसी जीवन-शैली ना अपनाऊं तो क्या इसका मतलब यह है कि भारत मेरा घर नहीं है?
3. PMO एस्सार टेप्स पर चुप्पी क्यों साधे हुए है जो वाजपेयी सरकार के दौरान पॉलिटिकल-कॉर्पोरेट गठजोड़ का खुलासा करता है?
4. पहलाज निहलानी की नियुक्ति आपकी सरकार की सबसे विवादित नियुक्तियों में से एक रही है। क्या वे सेंसर बोर्ड अध्यक्ष पद के लायक हैं? क्या चेतन चौहान जैसे क्रिकेटर NIFT का प्रेसिडेंट चुने जाने योग्य थे?
5. भारत पिछले कुछ सालों से गायों की ‘रक्षा’ को लेकर दंगे-फसाद और हत्याएं झेलता रहा है, आप इस हिंसा पर एक्शन क्यों नहीं ले रहे हैं? खासकर तब जब आप कह रहे हैं 80 प्रतिशत गौरक्षक फजी हैं?
6. उत्तर प्रदेश में भाजपा सांप्रदायिक मुद्दों को हवा दे रही है। आपके सांसद संगीत सोम, संजीव बालियन, हुकुम सिंह और योगी आदित्यनाथ हिंदुओं की ‘घर वापसी’ की बात करते हैं। क्या आपकी सरकार उनपर लगाम लगाएगी?
7. आपकी पाकिस्तान नीति काम करती नजर नहीं आ रही। पठानकोट हमले की जांच में क्या रुकावटें हैं? साथ ही कश्मीर मुद्दे पर सिर्फ पाकिस्तान पर दोष डाल देना क्या जिम्मेदारी से भागना नहीं है?
8. अगर रघुराम राजन देशभक्त हैं और देशसेवा कर रहे हैं तो PMO ने स्वामी के हमले का जवाब क्यों नहीं दिया और आपकी सरकार ने राजन को दूसरा कार्यकाल क्यों नहीं सौंपा?
9. विजय माल्या और ललित मोदी जैसों को भागने की छूट क्यों दी गई? वह भी तब जब आप डिफॉल्टर्स को लेकर सख्त होने की बात करते हैं?
10. अरुण जेटली ने कहा था कि न्यायपालिका को अपनी ‘लक्ष्मण रेखा’ तय करनी चाहिए। आप न्यायपालिका और विधायिका के बीच मतभेदों को कैसे दूर करेंगे?
11 . आपकी सरकार काले धन के मुद्दे पर सत्ता में आई थी, आम भारतीय अभी तक इंतजार कर रहा है कि उसके खाते में 15 लाख रुपए आएंगे। मगर अभी तक इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हो पाई, वजह क्या है?
12 . देश की आर्थिक प्रगति आंकड़ों पर तो हो रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर उसका असर नहीं दिख रहा। आंकड़ों और हकीकत के इसे फर्क को आपकी सरकार कैसे दूर कर रही है?
13. स्वच्छ भारत अभियान, मेक इन इंडिया और स्मार्ट सिटी जैसी योजनाएं भव्य स्तर पर शुरू हुई थी। लेकिन जमीन पर उनका असर दिखता नहीं है। मानसून की बारिश ने शहरों के ड्रेनेज सिस्टम और सड़कों की पोल खोल दी। ऐसे में सरकार का क्या नजरिया है?
14. आपकी सरकार दावा कर रही है अर्थव्यवस्था सुधार की ओर है। लेकिन दो साल बाद भी नौकरियां नहीं मिल रही हैं?
15. बिहार चुनाव के समय आरएसएस ने आरक्षण पर पुनर्विचार करने को कहा था। आपकी पार्टी और सरकार आरक्षण का समर्थन कर रही है। वहीं आपके सहयोगी रामविलास पासवान और बसपा सुप्रीमो मायावती प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग कर रहे हैं।