जो वह कर रहे हैं, वही करने दो- संघ ने मोदी को दी खुली छुट- संघ के महान नेताओ में दर्ज हुए मोदी
स्वतंत्रता के समय की गई गलती को सुधारा गया; हिमालयायूकेे वेब एण्ड प्रिन्ट मीडिया के लिए विशेष प्रस्तुति- Mail us; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030
, 15 अगस्त को RSS प्रमुख मोहन भागवत ने दुर्लभ तरीके से बेहद उदार शब्दों में अनुच्छेद 370 को हटाकर कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के लिए प्रधानमंत्री की सार्वजनिक रूप से सराहना की. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चुनावी नारे का इस्तेमाल करते हुए RSS के सरसंघचालक ने कहा, “अनुच्छेद 370 इसलिए गया, क्योंकि मोदी है, तो मुमकिन है…”
संघ के एक वरिष्ठ विचारक का कहना है कि कश्मीर (पर फैसले) के साथ मोदी ने अपना नाम हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज कर लिया है. उन्होंने कहा, “अच्छा या बुरा, इतिहास फैसला करेगा, लेकिन संघ के लिए वह अटल और आडवाणी सहित किसी भी अन्य BJP नेता से कहीं आगे निकल गए हैं…” सो, इस वक्त, जो वह कर रहे हैं, वही करने दो…
FILE PHOTO; RSS प्रमुख मोहन भागवत के साथ एक मीटिंग में चन्द्रशेखर जोशी- मुख्य सम्पादक हिमालयायूके लीडिग वेब एण्ड प्रिन्ट मीडिया-
RSS और उससे जुड़े संगठनों के संघ परिवार की तीन बुनियादी इच्छाओं में से एक था कश्मीर को अनुच्छेद 370 के अंतर्गत दिए जा रहे विशेषाधिकारों का खात्मा. इसके अलावा, संघ परिवार की शेष दो इच्छाएं हैं – विभिन्न धर्मों के लोगों को शादी-ब्याह तथा ज़मीन के मालिकाना हक जैसे मुद्दों पर अपने-अपने कानूनों का पालन करने से रोकने के लिए कॉमन सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) को लागू करना तथा अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करना.
प्रधानमंत्री नरेंद्र और उनके शीर्ष सहयोगी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने (RSS प्रमुख मोहन) भागवत तथा उनके नायब भैयाजी जोशी को आश्वासन दिया है कि अनुच्छेद 370 के बाद एजेंडा पर मौजूद अन्य दो इच्छाएं भी मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में मौजूदा कार्यकाल में ही पूरी कर दी जाएंगी. इस वक्त पूरी तरह मोदी के साथ मिलकर काम कर रही RSS ने भी अपने स्वयंसेवकों के व्यापक नेटवर्क के ज़रिये भरपूर चुनावी समर्थन देने और संघ के महान नेताओं में मोदी को स्थान दिए जाने की पेशकश की है (स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने भाषण में मोदी द्वारा संघ के प्रमुख विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जिनका देहांत 1953 में कश्मीर में हुआ था, का ज़िक्र किया जाना मात्र संयोग नहीं था
RSS और मोदी के बीच रिश्ते हमेशा से इतने अच्छे नहीं रहे हैं, क्योंकि मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान मोदी से जुड़े अधिकतर मामलों को पार्टी अध्यक्ष की हैसियत से अमित शाह ही संभालते रहे थे. उन्होंने हर सप्ताह में दो बार भागवत को कॉल करने की आदत डाल ली थी, और संघ के शीर्ष नेताओं से मुलाकात के लिए वह हमेशा उपलब्ध होते थे. अमित शाह हर महीने नागपुर जाया करते थे, ताकि सुनिश्चित हो सके कि वह और भागवत हर कदम के बारे में जानकारी रखते हों, और सरकार का कोई भी कदम संघ के लिए हैरान करने वाला साबित नहीं हो.
अर्थव्यवस्था अब गहरे संकट की ओर बढ़ती नज़र आ रही है, सो, BJP की सोच यह है कि सांस्कृतिक और वैचारिक एजेंडा पर काम करते रहने से उसका बुनियादी मतदाता संतुष्ट रहेगा, और यह भी सुनिश्चित हो सकेगा कि अख़बारों की सुर्खियां सिर्फ बेरोज़गारी और मंदी के बारे में नहीं रहें.
मोदी और शाह संघ का हिस्सा नहीं हैं, वे ही संघ हैं, और मन की आवाज़ पर काम करने वाले नेता हैं… वे जानते हैं कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना हमें राजनैतिक रूप से लाभ देगा… भारत अब इस सच्चाई को स्वीकार करने से सकुचाता नहीं है कि हम ‘हिन्दू प्रधान देश’ हैं… मूड बदल चुका है… मोदी विचारधारा के अंतर्गत सरकार चला रहे हैं और वक्त आ गया है कि RSS देशभर के सामने आए और सुनिश्चित करे कि हमारे ही मूल्य देशभर में परिलक्षित हों…”
इस वक्त RSS ही देश को चला रहा है, सो, सामने आने की बात पर बहस की जा सकती है. रायसीना हिल के शीर्ष पर स्थित घर (राष्ट्रपति भवन) से लेकर शीर्ष सरकार कार्यालयों और नॉर्थ व साउथ ब्लॉक में स्थित मंत्रालयों तक सब कुछ पूर्व संघ प्रचारकों द्वारा ही चलाया जा रहा है. RSS को समूचे देश में अपनी विचारधारा को फैलाने के लिए अभूतपूर्व फंडिंग हासिल हो रही है. इसके अलावा, पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी जैसे दिग्गज नागपुर स्थित उसके मुख्यालय में आने लगे हैं.
यहां तक कि मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए भाषण में जनसंख्या नियंत्रण का ज़िक्र भी सोच-समझकर लिखी गई स्क्रिप्ट का हिस्सा है. मोदी सरकार ऐसी योजना पर पहले से काम कर रही है, जिसके तहत छोटे परिवारों को लाभ पहुंचाया जाए. तो अब क्या उम्मीद करनी चाहिए…? अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाले कदम उठाए जाएंगे, जिन कदमों को ‘टैक्स टेररिज़्म’ की संज्ञा दी गई, उन पर कदम पीछे नहीं हटाया जाएगा, उद्योगपतियों को समझाया जाएगा कि टैक्स देकर आप अर्थव्यवस्था में योगदान दें. और कॉमन सिविल कोड और राम मंदिर पर बड़े कदम उठाए जाएंगे.
अब राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट रोज़ाना सुनवाई कर रहा है, सो, सरकार को उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले अहम चुनाव से पहले सकारात्मक फैसला आ जाएगा. संसद के दोनों सदनों में यूनिफॉर्म सिविल कोड को पारित कराना सरल है, संभवतः उसी तरीके से, जैसे अनुच्छेद 370 पर किया गया
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा है कि प्रस्ताव में अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से नहीं हटाया गया है. उनका कहना है कि अनुच्छेद 370 तीन भागों में बंटा हुआ है. जम्मू-कश्मीर के बारे में अस्थाई प्रावधान है जिसको या तो बदला जा सकता है या फिर हटाया जा सकता है. अमित शाह के बयान के मुताबिक 370 (1) बाकायदा कायम है सिर्फ 370 (2) और (3) को हटाया गया है. 370 (1) में प्रावधान के मुताबिक जम्मू और कश्मीर की सरकार से सलाह करके राष्ट्रपति आदेश द्वारा संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों को जम्मू और कश्मीर पर लागू कर सकते हैं.
नई व्यवस्था के तहत केंद्र सरकार की कोशिश पंचायतों को मजबूत करना की है जिसके जरिए आम जनता तक पहुंच बनाई जा सके. इसके साथ ही केंद्र शासित प्रदेश होने का लाभ भी वहां के सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा. आपको बता दें कि जम्मू इलाके से धारा 144 हटा ली गई है और कश्मीर घाटी में भी कई इलाकों में जारी पाबंदियों पर ढील दी गई है. अब 19 अगस्त से घाटी के सभी जिलों से कर्फ्यू हटा लिया जाएगा और सभी स्कूल-कॉलेज खुल जाएंगे.
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले के बाद कश्मीर घाटी में सुरक्षा की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और गृह सचिव राजीव गौबा श्रीनगर गए. अजीत डोभाल और राजीव गौबा हर जानकारी केंद्र सरकार को दे रहे थे. डोभाल ने घाटी के कई जिलों का दौरा किया और स्थानीय लोगों से मुलाकात की. इसके वीडियो भी जारी किए गए. जम्मू और श्रीनगर में लगातार धारा 144 जारी रही. ऐसे में घाटी के ज़्यादातर शहरों में सड़कों पर सन्नाटा पसर गया. साथ ही बाज़ार भी बंद कर दिए गए. घाटी में बड़ी संख्या में सुरक्षाबल की तैनाती है जो लगातार चप्पे-चप्पे पर नज़र बनाए हुए हैं. वहीं अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाए जाने के फ़ैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती और उमर अब्दुल्ला को गिरफ़्तार किया गया, जो कि अभी तक हिरासत में हैं.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में बांटने के केंद्र सरकार के कदम का समर्थन करते हुए अपनी पार्टी के रुख से अलग राय रखी. उन्होंने कहा कि सरकार ने एक ‘‘ऐतिहासिक गलती” सुधारी है. जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि यह राष्ट्रीय संतोष की बात है कि स्वतंत्रता के समय की गई गलती को सुधारा गया है. उन्होंने कहा कि यह बहुत पुराना मुद्दा है. स्वतंत्रता के बाद कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं चाहते थे कि अनुच्छेद 370 रहे. जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि मेरे राजनीतिक गुरु राम मनोहर लोहिया शुरू से ही अनुच्छेद 370 का विरोध करते थे. मेरे व्यक्तिगत विचार से तो यह एक राष्ट्रीय संतोष की बात है. वहीं द्विवेदी के अलावा दीपेंद्र हुड्डा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अदिति सिंह सहित तमाम नेताओं ने अनुच्छेद 370 हटाने के पक्ष में बयान दिए. वहीं राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जिन लोगों को जम्मू-कश्मीर का इतिहास और कांग्रेस का इतिहास पता नहीं है उनसे मुझे कोई लेना देना नहीं है. वे पहले जम्मू-कश्मीर और कांग्रेस का इतिहास पढ़ लें फिर कांग्रेस में रहें.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर कहा कि व्यक्तिगत तौर पर मैं इस फैसले के विरोध में नहीं हूं. इसके कई फायदे हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसको लेकर संसद द्वारा अचानक लिए गए फैसले से हैरान हूं. आपको बता दें कि कर्ण सिंह, जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह के बेटे हैं.
छह अगस्त को लोकसभा में भी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल और अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव पास हो चुका था लेकिन रात को पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन की खबर आ गई. इसलिए आठ अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नागरिकों को टेलीविजन के जरिए संबोधित किया. उन्होंने कहा कि हमने पूरे देश में एक ऐतिहासिक फैसला किया. आर्टिकल 370 एक ऐसी व्यवस्था थी जिससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हमारे भाई-बहन अनेक अधिकारों से वंचित थे. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोग विकास से वंचित थे, वह समस्या अब दूर हो गई है. पीएम मोदी ने कहा कि सरदार पटेल, श्यामाप्रसाद मुखर्जी और करोड़ों देशभक्तों का सपना पूरा हो गया. यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए नए युग की शुरुआत है. जम्मू-कश्मीर और देश के लोगों को बहुत-बहुत बधाई.
नौसेना ने तत्काल किसी भी अभियान में तैनाती के लिए अपने युद्ध पोतों को हाई अलर्ट पर रखा है. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने वाले और राज्य को दो केंद्र शासित राज्यों में बांटने वाले सरकार के फैसले के बाद पैदा हुई स्थिति को देखते हुए नौसेना ने यह कदम उठाया है. रक्षा सूत्रों ने यह जानकारी दी.
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने से संबंधित राष्ट्रपति के
आदेश को चुनौती देते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका
दायर की है. नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता मोहम्मद अकबर लोन और हसनैन मसूदी की ओर से दायर
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति के आदेश को जम्मू-कश्मीर में ‘‘असंवैधानिक, अमान्य एवं निष्प्रभावी” घोषित करने के संबंध में निर्देश देने का अनुरोध
किया गया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को भी ‘‘असंवैधानिक” घोषित करने का अनुरोध किया है. जम्मू एवं कश्मीर
में कर्फ्यू लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आधा दर्जन याचिकाएं दाखिल की गई
हैं. तीन याचिकाएं राष्ट्रपति के आदेश से अनुच्छेद 370 को संविधान में एक मृत पत्र बना देने के खिलाफ
दाखिल की गई हैं. अन्य याचिकाएं कर्फ्यू और क्षेत्र में उसके परिणाम के संदर्भ में
दाखिल की गई हैं.