डा0 निशंक के कुम्भ फार्मूले को संघ ने जीत का मंत्र माना
HIGH LIGHTS; 2019 मिशन फतह के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने योगी को 2019 चुनाव के लिए प्रदेश में फ्री हैंड देने का फैसला #राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने योगी आदित्यनाथ को ही 2019 में उत्तर प्रदेश से बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने का जिम्मा सौंप दिया#कुंभ को सबसे बड़ा हथियार बनाने का निर्देश संघ ने दिया है # संघ ने कुंभ के जरिये हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने की तैयारी का खाका खींचा #2019 के लोकसभा चुनाव में अभी तक नरेंद्र मोदी जीत के प्रबल दावेदार दिख रहे हैं। लेकिन इसकी उम्मीद कम ही है कि भाजपा 2014 का प्रदर्शन दोहरा पाएगी, जब इसने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर यूपी की 80 में से 73 और बिहार की 40 में से 31 सीटों पर कब्जा जमाया था। # हिमालयायूके न्यूज पोर्टल ब्यूरो एक्सक्लूूूूसिव
कुंभ 2019 की टैगलाइन है चलो, चलो, चलो, कुंभ चलो।
संगम तट पर 2019 में अर्ध कुंभ नहीं बल्कि कुंभ का आयोजन किया जाएगा। यह फैसला उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यजुर्वेद के मंत्र ऊं पूर्णमद: पूर्णमिदं से प्रेरित होकर लिया है। प्रदेश सरकार ने फैसला लिया है कि हर 6 साल में आयोजित होने वाले विशाल धार्मिक आयोजन अर्ध कुंभ को कुंभ कहा जाएगा, जबकि हर 12 साल में होने वाले कुंभ + को महाकुंभ कहा जाएगा। मंगलवार को कुंभ 2019 का लोगो जारी करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ + ने कहा कि वेद का ऊं. पूर्णमदः पूर्णमिदं मंत्र कहता है कि हिंदू धर्म में कुछ भी अधूरा नहीं होता है। सब अपने आप में पूरा होता है। अर्ध शब्द दर्शनशास्त्र के हिसाब से ठीक नहीं है इसलिए वह इस अर्ध शब्द को कुंभ से हटा रहे हैं और अब अर्ध कुंभ नहीं बल्कि कुंभ का आयोजन 2019 में किया जाएगा। आदि शंकराचार्य ने इलाहाबाद, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में कुंभ की शुरूआत की थी। इससे पहले कुंभ का आयोजन इलाहाबाद में 2013 को हुआ था। सीएम ने कहा है कि सभी सरकारी दस्तावेजों, सरकारी विज्ञापनों और होर्डिंग्स में इस लोगो का प्रयोग किया जाएगा ताकि हर व्यक्ति तक आयोजन की जानकारी पहुंच सके।
उत्तराखण्ड में डा0 रमेश पोखरियाल ने अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में सफल कुम्भ मेला आयोजित कर विश्व रिकार्ड बनाया है- आज संघ उसी तर्ज पर चलने जा रहा है- उत्तराखण्ड के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. निशंक बधाई के पात्र- देश एवं दुनियां से डा0 निशंक को सराहना एवं बधाई मिली थी- कुम्भ का सफल आयोजन उत्तराखण्ड सरकार की बड़ी उपलब्धि है। इस बार के कुम्भ मेले में दो अदभुत कार्य हुए एक विष्व हिन्दु कोश धर्म का विमोचन तथा दूसरा गंगा स्पर्श अभियान का शुभारम्भ।’ यह बात गंगोत्री में पूर्व उप-पधानमंत्री एवं भाजपा के वरिश्” नेता लालकृश्ण आडवाणी ने उत्तराखण्ड सरकार द्वारा आयोजित निर्मल गंगा-स्पर्श गंगा कार्पाम के शुभारम्भ अवसर पर कही थी।
निशंक के प्रयासो से यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल कुंभ मेला# विश्व शांति का नोबल पुरस्कार के हकदार है निशंक #यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल कुंभ मेला. #कुंभ मेला को ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ के तौर पर मान्यता मिली # निशंक के भागीरथी प्रयास से कुंभ मेला.यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल # 2021 में होने जा रहे महाकुंभ को लेकर हरिद्वार के सांसद के रूप में डा0 रमेश पोखरियाल निशंक अभी से हरकत में आ गये है, इससे उनकी व्यापक सोच का अंदाजा लगाया जा सकता है, LINK; https://himalayauk.org/kumbh-mela-2021-uniscco/
वही दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 2019 फतह के लिए सरकार में बैठे लोगों की जवाबदेही तय करने की बात कही है. संघ के शीर्ष नेताओं ने योगी को 2019 चुनाव के लिए प्रदेश में फ्री हैंड देने का फैसला किया है. योगी चुनाव की जरूरतों के मुताबिक सरकार के फैसले ले सकेंगे. यही नहीं संगठन में भी कोई भी बड़ा फैसला उनकी सहमति के बिना नहीं लिया जाएगा. सरकार में किसे शामिल करना है और किसे बाहर का रास्ता दिखाया जाना है ये भी योगी चुनावी जरूरतों के हिसाब से खुद तय कर सकेंगे. अब तक ऐसे फैसलों में प्रदेश संगठन और केंद्रीय नेतृत्व की सहमति जरूरी मानी जाती थी.
आरएसएस ने योगी आदित्यनाथ को पिछड़ों और दलितों को पूरी तरीके से साथ रखने का हुक्म सुनाया है. इसके साथ ही हिंदुत्व को भी धार देने की बात कही गई है जिसके लिए कुंभ का भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा. अगर ये कहा जाए कि बीजेपी यूपी में 2019 का संग्राम जीतने के लिए कुंभ को सबसे बड़ा हथियार बनाएगी तो गलत नहीं होगा.
उत्तर प्रदेश में पार्टी संगठन और सरकार के अलग-अलग ध्रुव होने की खबरें आती रहती हैं. इससे योगी आदित्यनाथ की स्थिति कमजोर हो रही है. संकेत ये जा रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ की न तो संगठन में चलती है और न ही पूरी तरह से सरकार में. रही सही कसर उपचुनावों में बीजेपी की दुर्गति ने पूरी कर दी है. मुख्यमंत्री इस बात को कई बार बीजेपी और संघ के शीर्ष नेताओं के सामने उठा चुके हैं. ऐसे में संघ ने समन्वय बैठक में सबसे बड़ा फैसला योगी को फ्री हैंड देने का किया है.
साल 2019 में होने वाले कुंभ मेले में इलाहाबाद आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। गूगल मैप में कुभ मेले की पूरी जानकारी दी जाएगी। इसके लिए ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया जा रहा है जिसमें कुंभ मेले की हर एक जानरकारी होगी और उसे उपलोड किया जाएगा। सामान्यत: माघ सामान्यत: माघ मेला 700 एकड़ क्षेत्रफल पर लगता है। यह मेला गंगा नदी के किला घाट से लेकर दारागंज के शास्त्री ब्रिज तक लगता है। साल 2013 में कुंभ मेला 1000 एकड़ के क्षेत्र में लगा था। अब माना जा रहा है कि साल 2019 का कुंभ इससे भी बड़े क्षेत्र में लगने वाला है। गूगल मैप पर कुंभ 2019 मेले की पूरी जानकारी होने के कारण इलाहाबाद आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु मेले में भटकने से बचेंगे। हर कोई अपनी लोकेशन गूगल मैप पर देख सकेंगे। सूत्रों की मानें इलाहाबाद शहर का ब्लू प्रिंट दिसंबर तक तैयार हो जाएगा। इसके बाद इसे गूगल मैप के लिए जारी कर दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नगरीय परिवहन प्रणाली के तहत इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि लखनऊ और इलाहाबाद से शुरू की जानेवाली इस योजना के तहत कुंभ में नगरीय बसों का पर्याप्त प्रबंध किया जाए। साथ ही नगरीय परिवहन में पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जाए। साल 2019 में लगने जा रहे कुंभ मेले में नावों के संचालन पर नियंत्रण के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। कुंभ के दौरान हादसों को रोकने के लिए मेला प्रशासन नावों के संचालन पर प्रभावी नियंत्रण रखेगा। मेले में पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मेला प्रशासन सभी नावों की जांच करेगा। मेले के दौरान बीच-बीच में नावों की जांच-पड़ताल भी होगी और नियम तोड़ने वाले नाविकों का लाइसेंस भी रद्द हो सकता है। कुंभ मेले को विहंगम बनाने की तैयारियों में जुटा मेला प्रशासन इस बात पर भी ध्यान दे रहा है कि, इस दौरान कोई अनहोनी न होने पाए। इसके लिए कुंभ के दौरान चलाई जाने वाली नावों की जांच की जाएगी। नाविकों को पहचान पत्र भी जारी करने की योजना है। इसी के मद्देनजर कुंभ मेला अधिकारी विजय किरण आनंद ने नाविक संघ को निर्देश दिया है कि, जो मानक तय किया गया है उसके अनुसार ही नावों का संचालन किया जाए।
स्वामी महेशाश्रम ने आरोप लगाया कि सरकार कुंभ के आयोजन को लेकर तमाम दावे तो कर रही है, लेकिन फिलहाल इंतजामों से जुड़ी किसी ठोस कार्ययोजना को सामने नहीं रखा जा सका है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुंभ की तैयारियों के नाम लापरवाही कर प्रयाग के लोगों को परेशान किया जा रहा है और व्यवस्था के नाम पर सभी काम जानबूझकर लटकाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की नीतियों में सुधार नहीं होता है को दंडी संत आगामी समय में कुछ कड़े फैसले ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन की उदासीनता की स्थिति में कुंभ मेले का बहिष्कार भी किया जा सकता है।
कुंभ मेला अधिकारी ने निर्देश दिया है कि नियमानुसार के सभी नाविकों को लाइफ सेविंग जैकेट पहनना अनिवार्य होगा। हालांकि अब तक हुए आयोजनों में ऐसा हुआ नहीं है। जैकेट कहां से आएंगी और इन्हें कौन खरीदेगा इस पर अभी निर्णय नहीं लिया गया है। जबकि, मेला प्रशासन ने आयोजन के बीच-बीच में इसकी जांच कराने की बात कही है। इलाहाबाद में संगम और यमुना में चलने वाली अधिकतर नावें पुरानी हैं। नियमानुसार नावों की तीन साल में मरम्मत होनी चाहिए या फिर नावों को बदल देना चाहिए। जबकि, ज्यादातर नावें पांच से आठ साल तक पुरानी हैं। ऐसे में दुर्घटनाएं रोकना अपने-आप में एक चुनौती होगी। बता दें कि कुंभ में चलने वाली कुल नावों की संख्या 2600 करीब है जिनमें से 1000 नाव अवैध हैं। कुंभ मेले के लिए जलपुलिस की ओर से करीब 1400 नाविकों को ही लाइसेंस जारी होने की संभावना है।
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