भैया जी जोशी के बयान के बाद हंगामा

लगता है 2019 के चुनाव नतीजों के बारे में आरएसएस आश्वस्त नहीं है कि मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाने वाला यह चुनाव बीजेपी की वापसी करेगा। इसलिए आरएसएस 2024 के लिए वैचारिक योजना बनाने में जुट गया है। इसीलिए आज संघ के शीर्ष नेताओं ने अपनी ही सरकार की कड़ी आलोचनाएँ भी कीं। नागपुर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने केंद्र सरकार को आईना दिखाते हुए कहा कि जब सीमा पर युद्ध नहीं हो रहा है तो सैनिक क्यों शहीद हो रहे हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता सुरेश भैयाजी जोशी के राम मंदिर के निर्माण को लेकर दिए गए बयान पर शिवसेना ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. शिवसेना ने आरएसएस पर आरोप लगाया है कि वो बीजेपी के बचाव में उतर गई है.

राम मंदिर कब बनेगा? संघ सर कार्यवाह भैया जी जोशी के कुंभ में दिए एक व्यक्तव्य के बाद विवाद खड़ा हो गया। जोशी ने कहा था कि 2025 में राम मंदिर बन जाने के बाद देश बहुत तेज़ी से आगे बढ़ेगा। सुनिए क्या कहा भैया जी जोशी ने – 


जोशी के इस बयान के बाद हंगामा मच गया। कहा जाने लगा कि संघ ने राम मंदिर निर्माण की तारीख़ 6 साल आगे बढ़ा दी है। बाद में इस पर भैया जी जोशी ने ख़ुद भी सफ़ाई दी कि उन्होंने यह नहीं कहा था कि मंदिर का निर्माण 2025 में शुरू होगा बल्कि यह कहा था कि तब तक मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। जोशी ने आगे यह भी जोड़ा कि अगर मंदिर अभी से बनना शुरू हो तो इतना समय लग ही जाएगा। 
लेकिन बाद में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की प्रेस रिलीज़ में जोशी के बयान को कुंभ से जोड़कर सफ़ाई देने की कोशिश की गई। संघ ने कहा, ‘6 वर्ष के पश्चात 2025 में फिर से कुंभ संपन्न होगा, तब तक भारत के राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक राम मंदिर की भी निर्माण प्रक्रिया पूर्ण होकर राष्ट्र समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ेगा, ऐसा विश्वास भैया जी जोशी ने व्यक्त किया।’

मंदिर निर्माण पिछले 5 दशकों से संघ का सबसे प्रिय और सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है और संघ और बीजेपी ने हर अवसर पर इसे अपने राजनीतिक ब्रह्मास्त्र के तौर पर इस्तेमाल भी किया है। 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक कुछ महीने पहले संघ ने अचानक इस मुद्दे को दुबारा जोर-शोर से उठाना शुरू किया, मोदी सरकार पर मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने का जोरदार दबाव बनाया, सुप्रीम कोर्ट पर भी तीखे हमले किए कि वह जानबूझकर राम जन्मभूमि-बाबरी मसजिद मुक़दमे की तारीख़ टाल रहा है। 

इतना आक्रामक रुख अपना लेने के बाद अचानक संघ का जोश इस मुद्दे पर क्यों ठंडा पड़ गया, इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि इस मामले में मोदी सरकार के ढीले-ढाले रवैये से संघ बहुत नाराज़ है। ख़ासतौर पर नए साल के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब मंदिर निर्माण पर अध्यादेश लाने से साफ़ इनकार कर दिया था, तो उसके तुरंत बाद संघ सर कार्यवाह भैया जी जोशी ने कहा था कि आरएसएस अपने रवैये पर अडिग है कि अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए क़ानून पारित किया जाए। 

तब से अब तक मामला कुछ बढ़ा नहीं है और अचानक भैया जी जोशी की तरफ़ से 2025 की तारीख़ आ जाने से राजनीतिक पर्यवेक्षकों की इस धारणा को बल मिला है कि संघ केवल चुनावी मंशा से ही राम मंदिर का मामला उछालता है।

कई पर्यवेक्षकों का यह भी मानना है कि संघ वास्तव में मंदिर निर्माण में दिलचस्पी रखता ही नहीं बल्कि वह केवल इस मुद्दे को जीवित बनाए रखना चाहता है। अभी हाल में ऐसा ख़ुलासा अयोध्या-फ़ैजाबाद के वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह ने अपनी किताब में भी किया
शीतला सिंह ने कहा था कि 1986-87 में जब लगभग सभी पक्ष राम मंदिर के निर्माण के लिए समझौते पर तैयार थे तब आरएसएस ने अड़ंगा डाल दिया था और तब राम मंदिर का निर्माण नहीं हो सका। तब ही आरएसएस की योजना थी कि राम मंदिर का मुद्दा चुनाव दर चुनाव बीजेपी के लिए वोट बटोरने की मशीन बनेगा। अतीत ने साबित किया कि राम मंदिर बनाने में सबसे बड़ी बाधा ख़ुद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। वह इस संवदेनशील मुद्दे पर ज़्यादा से ज़्यादा चुनावों में अधिक से अधिक धार्मिक वोट बीजेपी की मतपेटी में डलवाने की कोशिश करता है। 

जब हाल में ही 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए तब एकाएक विश्व हिंदू परिषद और साधुओं के अनाम संगठन और संघ के सभी नेता एकाएक मंदिर निर्माण पर धार्मिक भावनाएँ सेंकने लगे और चुनाव होते ही बयान आए कि अब कोर्ट की सुनवाई की प्रतीक्षा की जाएगी। 

आज जब भैया जी जोशी ने मंदिर निर्माण की नई प्रस्तावित तारीख़ सीधे 5-6 साल बढ़ा दी है तो इसे समझने के लिए किसी रॉकेट साइंस की ज़रूरत नहीं है कि यह 2024 के आम चुनाव की राजनीतिक तारीख़ है। हालाँकि संघ ने इसे कुंभ से जोड़कर बताया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता सुरेश भैयाजी जोशी के राम मंदिर के निर्माण को लेकर दिए गए बयान पर शिवसेना ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. शिवसेना ने आरएसएस पर आरोप लगाया है कि वो बीजेपी के बचाव में उतर गई है.

दरअसल गुरुवार को भैयाजी जोशी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि मंदिर का निर्माण 2025 में होगा और निर्माण के बाद देश प्रगति के नई राह पर आगे बढ़ेगा. जोशी ने कहा, ‘1952 में सोमनाथ मंदिर की स्थापना के साथ देश गति से आगे बढ़ा, 2025 में जन्मभूमि के ऊपर मंदिर बनने के बाद फिर से इस दिशा की ओर गति प्राप्त होने वाली है…अयोध्या के मंदिर निर्माण के बाद देश अगले 150 सालों के लिए पूंजी प्राप्त करेगा.’

शिवसेना ने क्या कहा?

शिवसेना ने भैयाजी जोशी के इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि ‘राम मंदिर के मुद्दे पर आरएसएस, सरकार की ढाल बनकर खड़ी हो गई है. राम मंदिर को लेकर भैया जोशी का बयान एक नया जुमला है. भैया जोशी पहले यह स्पष्ट करें कि 2025 मंदिर निर्माण का काम खत्म करने की तारीख है या शुरुआत की. अगर ये निर्माण पूरा होने की तारीख है तो बताएं कि निर्माण शुरू कब होगा?’

शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा, ‘क्या भैयाजी जोशी यह कहना चाह रहे हैं कि एक बार फिर सरकार चुनकर दे दे, उसके बाद मंदिर बनेगा?’

भैयाजी जोशी के इस बयान से काफी हंगामा खड़ा हो रहा है. इसकी एक वजह ये भी है कि ये बयान आरएसएस के एक नेता की ओर से आया है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब सच में राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा 2025 तक खींचा जाएगा. हालांकि भैयाजी जोशी ने  बाद में कहा कि, ‘मंदिर बने ये हमारी इच्छा है. 2025 तक निर्माण कार्य पूरा होना चाहिए ये हमारी इच्छा है. यह सरकार को तय करना है. 2025 में शुरू करने की बात नहीं की है. अगर राम मंदिर का निर्माण आज शुरू होगा तो पांच वर्षों में बनेगा.’

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