सावन; अद्भुत संयोग ; भगवान शिव ही रुद्र रुप में सृष्टि का संचालन करेगे, श्रीहरि भगवान विष्णु 4 माह योग निद्रा में, 22 जुलाई 24 सोमवार से, बगुलामुखी पीठ में शिव लिंग समक्ष शिव मंत्र जप का अदभूत महात्‍मय

ऋषि मार्कण्डेय ने लंबी आयु के लिए सावन मास में ही घोर तप कर शिवजी की कृपा प्राप्त की थी, जिससे अल्पायु मार्कण्डेय चिरंजीवी हो गए थे. श्री विष्णु, ब्रह्मा, इंद्र, शिवगण आदि सभी श्रावण में पृथ्वी पर ही वास करते हैं और सभी अलग-अलग रूपों में अनेकों प्रकार से शिव आराधना करते हैं। श्रावण मास में ज्योतिर्लिंगों का दर्शन एवं जलाभिषेक करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।

इस समय मंत्र जप का भी बहुत महत्व होता है. ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जप करने से सभी तरह के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं.  22 जुलाई को सावन का पहला सोमवार हैं, फिर 29 जुलाई को सावन का दूसरा, 5 अगस्त को सावन का तीसरा, 12 अगस्त को सावन का चौथा और 19 अगस्त को सावन का आखिरी सावन सोमवार होगा। इस वर्ष सावन महीने की शुरुआत और समाप्ति दोनों ही सोमवार से हो रही है। सावन माह में शिवरात्रि 02 अगस्त :  श्रावण की चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से अपने निवास के आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक 

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 सावन महीना की गणना दो तरीके से की जाती है। एक संक्रांति के अनुसार और दूसरा पूर्णिमा के अनुसार। पूर्णिमा तिथि के अनुसार, सावन महीना का आरंभ 22 जुलाई 2024 दिन सोमवार से हो रहा है और सावन महीने का समापन 19 अगस्त को होगा। वहीं, संक्रांति के अनुसार, सावन महीना का आरंभ 16 जुलाई से सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने के साथ ही हो जाएगा। पूर्णिमा के अनुसार, सावन में 5 सोमवार होंगे। वहीं, संक्रांति के हिसाब से 4 सोमवार होंगे। बता दें कि मूल रूप से लोग पूर्णिमा के हिसाब से ही सावन का व्रत करते हैं। पूर्णिमा के अनुसार, सावन का आरंभ सोमवार से होगा और समापन भी सोमवार को ही होगा।

. विवाह में आ रही बाधाएं, संतान सुख, धन लाभ, रोग से मुक्ति पाने के लिए सावन सोमवार का व्रत बहुत लाभकारी माना गया है. शिव जी के इस प्रिय मास में विवाहित महिलाएं सौभाग्यवती की कामना के लिए पूरे सावन सोमवार का विधिवत व्रत-पूजन करती है. सावन सोमवार भोलेनाथ को प्रसन्न करने का दिन है. इसमें की गई पूजा-पाठ, नियम शीघ्र फल प्रदान करते हैं. 

समुद्र मंथन भी सावन मास में ही किया गया था. इस दौरान शिव ने हलाहल विष पी लिया जिससे उन्हें पीड़ा होने लगी तब जल अर्पित कर शिव जी की पीड़ा को शांत किया गया था. तभी से शिव जी को जल अति प्रिय है. सावन में जो जलाभिषेक करता है उसके समस्त संकट भोलेनाथ हर लेते हैं.

हिंदू धर्म के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव ही रुद्र रुप में सृष्टि का संचालन करते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी तो सावन के महीने में भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया था। इसलिए भी यह महीना भगवान शिव को अति प्रिय है। इस महीने में की गई पूजा पाठ का व्यक्ति को विशेष फल मिलता है।

श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है और सावन का मंगलवार देवी पार्वती की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है। सावन के मंगलवार को मंगला गौरी यानी माता पार्वती की पूजा का विधान है। मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से महिलाएं रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी पार्वती ने इसी व्रत का पालन कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था और उन्हें पति के रूप में प्राप्त किया था। इसलिए माना जाता है कि मंगला गौरी व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।

सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को पड़ेगा और सावन का अंतिम सोमवार 19 अगस्त को पड़ रहा है. इस साल सावन में कुल 5 सोमवार आ रहे हैं. सावन महीने में पांच सोमवार व्रत होंगे और चार मंगला गौरी व्रत होंगे. वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस समय मंत्र जप का भी बहुत महत्व होता है. ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जप करने से सभी तरह के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. 

शिव भगवान को यदि प्रसन्न करना है तो सावन माह में पूरे विधि विधान के साथ उनकी पूजा जरूर करनी चाहिए. इस बार सावन में 5 सोमवार होंगे. इस साल सावन का महीना 29 दिन का है. पहला सावन सोमवार व्रत 22 जुलाई को रखा जाएगा.

पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई को रखा जाएगा. जैसे सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना करना उत्तम फलदायी रहता है वैसा ही मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.  सावन में मंगलवार के दिन मां गौरी की पूजा अर्चना की जाती है. इसे मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है. 

श्रावण मास का सोमवार बहुत ही सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी माना जाता है. सावन के सोमवार का भक्तों को बहुत इंतजार रहता है. इस महीने में भोलेशंकर की विशेष अराधना की जाती है. लोग  भोले शंकर का रुद्राभिषेक कराते हैं.  सावन मास भगवान शिव का सबसे पसंदीदा माह है और इस दौरान यदि कोई श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ भोलेनाथ की आराधना करता है तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है इस महीने भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा होती है. सावन के पावन महीने में शिव के भक्त कावड़ लेकर आते हैं और उस कांवड़ में भरे गंगा जल से शिवजी का अभिषेक करते हैं. 

श्रावण माह में सोमवार के दिन का भी विशेष महत्व होता है. सावन सोमवार व्रत मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इसलिए धार्मिक दृष्टि से सावन सोमवार का विशेष महत्व होता है. इस महीने राशि के अनुसार विशेष उपाय करने शिवजी की कृपा प्राप्त होती है. मंगला गौरी व्रत सुहागन स्त्रियां अपने अखंड सुहाग के लिए धारण करती है.  

सावन के दूसरे मंगलवार को व्रत धारण से ही इसका नाम मंगला और इस दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है. इसलिए गौरी नाम से प्रचलित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस व्रत का खासा महत्व है. माता पार्वती की पूजा अर्चना करना हर स्त्री के लिए सौभाग्यवती भव का आशीर्वाद होता है.  कुंवारी कन्या अगर गौरी व्रत का धारण करती है तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. तथा विवाह में हो रही अड़चन भी दूर हो जाती है.   सुहागन स्त्रियां इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र अर्थात अखंड सौभाग्यवती होने की लालसा में रखती है.

सावन में 5 सोमवार 
साल 2024 में सावन में 5 सोमवार व्रत रहेंगे. इसके अलावा कई विशेष शुभ योग भी आएंगे. ऐसी मान्यता है कि इस माह में किए गए सोमवार के व्रत का फल बहुत जल्दी मिलता है. 

सावन सोमवार की तिथियां

  • 22 जुलाई सोमवार- श्रावण पहला सोमवार 
  • 29 जुलाई सोमवार- श्रावण दूसरा सोमवार 
  • 05 अगस्त सोमवार- श्रावण तीसरा सोमवार 
  • 12 अगस्त सोमवार- श्रावण चौथा सोमवार 
  • 19 अगस्त सोमवार – श्रावण पांचवा  सोमवार 

मंगला गौरी व्रत 2024 तिथि

  • पहला मंगला गौरी व्रत – 23 जुलाई
  • दूसरा मंगला गौरी व्रत – 30 जुलाई
  • तीसरा मंगला गौरी व्रत – 6 अगस्त
  • चौथा मंगला गौरी व्रत – 13 अगस्त

सावन का महत्व (Importance of Sawan)
सावन के महीने का बहुत अधिक महत्व होता है. इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस माह में किए गए सोमवार के व्रत का फल बहुत जल्दी मिलता है. जिन लोगों के विवाह में परेशानियां आ रही हैं उन्हें सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष पूजा करनी चाहिए. भगवान शिव की कृपा से विवाह संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं. इस माह में शिव की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

मां पार्वती को भी सावन अत्यंत प्रिय 
भगवान शंकर को जिस तरह से सावन मास प्रिय है. ठीक उसी तरह से मां पार्वती को भी सावन का महीना अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि सावन महीने में सोमवार के दिन भगवान शंकर की पूजा करने से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है. वहीं सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रकने से मां पार्वती की कृपा से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.

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