राज्य सरकार द्वारा 7वें वेतन आयोग लागू करने का फैसला
राज्य सरकार द्वारा 7वें वेतन आयोग लागू करने का फैसला
केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा कर रही हैं। हाल ही में यूपी सरकार ने अपने कर्मचारियों का HRA दोगुना कर दिया था। इसके अलावा राज्य सरकार ने CCA भी बढ़ा दिया था। अब महाराष्ट्र सरकार ने भी अपने कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का फैसला किया है। महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक सैलरी देगी। बढ़ी हुई सैलरी का तोहफा कर्मचारियों को इस दिवाली से मिलेगा। मतलब इस बार दिवाली पर राज्य सरकार के कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन और भत्ते मिलने वाले हैं।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के साथ ही कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत के तौर पर एमएसीपी को नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा स्वीकारना बना था. इससे खास तौर पर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नाराजगी खुलकर सामने आई थी.
महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने राज्य को सरकारी कर्मचारियों (Maharashtra State Employees) के लिए सातवां वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) की सिफारिशें लागू करने का ऐलान किया है. राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार (Sudhir Mungantiwar) ने कहा कि सरकार दिवाली से राज्य के कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों को लागू करेगी. इससे राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में खासी वृद्धि होगी. मुनगंटीवार ने कहा कि सरकार की ओर से राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए यह दिवाली का तोहफा होगा. इस निर्णय से राज्य के 19 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा. बता दें कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को भी केंद्र के कर्मचारियों की तरह सातवां वेतन आयोग दिया जाएगा यह घोषणा फरवरी माह में ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र राज्य राजपत्रित अधिकारी महासंघ के कार्यक्रम में की थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 साल से बढ़ाकर 60 साल करने और पांच दिन का सप्ताह करने के बारे में भी निर्णय प्रक्रिया अंतिम चरण में है.
आखिर कर्मचारी इससे नाराज क्यों हुए. क्या है ये एमएसीपी. एमएसीपी यानी मोडीफाइड एर्श्योड करियर प्रोगेशन. इसके तहत ऐसे केंद्रीय कर्मचारियों का वार्षिक अप्रेजल या इंक्रीमेंट नहीं होगा, जिनका प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं होगा. वित्त मंत्रालय ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन संबंधी अधिसूचना जारी करते हुए कहा था कि अब कर्मचारियों के प्रमोशन और वार्षिक इंक्रीमेंट के संबंधित बेंचमार्क का नया स्तर अब ‘अच्छा’ से ‘बहुत अच्छा’ कर दिया था. बताया जा रहा है कि इस संबंध में सीएजी ने कोई सर्कुलर जारी किया है. अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है.
उल्लेखनीय है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए मंत्रालय ने यह भी कहा था कि पहले की तरह 10 साल, 20 और 30 साल की सेवा से संबंधित मोडीफाइड एर्श्योड करियर प्रोगेशन (एमएसीपी) स्कीम को जारी रखा जाएगा. जिन कर्मचारियों का प्रदर्शन एमएसीपी के लिए निर्धारित बेंचमार्क या पहले 20 सालों की सेवा के दौरान नियमित प्रमोशन के लिए अपेक्षित नहीं पाया जाएगा तो ऐसे कर्मचारियों की वार्षिक इंक्रीमेंट को रोक देने संबंधित सिफारिश को ‘स्वीकार’ कर लिया गया था.
कर्मचारियों की नाराजगी सबसे ज्यादा प्रमोशन के नए मापदंडों को लेकर रही. उनका कहना था कि नए नियमों के लागू होने के बाद किसी भी कर्मचारी को तभी तरक्की मिलेगी जब उसका काम ‘वेरी गुड’ की श्रेणी में आएगा. अब तक “गुड” आने से ही तरक्की का रास्ता खुल जाता था.
वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में प्रमोशन के मापदंड बदलते हुए कहा था कि कर्मचारियों में ऐसी धारणा है कि वेतन में बढ़ोतरी और पदोन्नति स्वाभाविक रूप से होती है. धारणा यह भी है कि करियर में प्रगति (मोडीफाइड अस्योर्ड करियर प्रोग्रेसन-एमएसीपी) को बड़े ही सामान्य तरीके से लिया जाता है, जबकि इसका संबंध कर्मचारी के कामकाज से जुड़ा होता है.
आयोग ने कहा था, इस आयोग का मानना है कि कामकाज के मापदंड को पूरा नहीं करने वाले कर्मचारियों को भविष्य में सालाना बढ़ोतरी नहीं मिलनी चाहिए. ऐसे में आयोग उन कर्मचारियों के वेतन में वार्षिक बढ़ोतरी को रोकने का प्रस्ताव देता है जो पहले 20 साल की सेवा के दौरान एमएसीपी या नियमित पदोन्नति के लिए तय मापदंड को पूरा नहीं करते हैं.
वेतन आयोग ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था, ‘यह लापरवाह और अक्षम कर्मचारियों के लिए प्रतिरोधक का काम करेगा. यह जुर्माना नहीं है, ऐसे में अनुशासनात्मक मामलों में दंडात्मक कार्रवाई के लिए बने नियम ऐसे मामलों में लागू नहीं होंगे. इसे कार्य क्षमता बढ़ाने के तौर पर देखा जाएगा.’ आयोग ने कहा कि ऐसे कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की तय शर्तों पर ही सेवा से मुक्त हो सकते हैं. कर्मचारियों को 10, 20 और 30 साल की सेवा में एमएसीपी मिलता है. आयोग ने इस समय अंतराल को बढ़ाने की मांग ठुकरा दी. केंद्र सरकार के तहत करीब 47 लाख कर्मचारी काम करते हैं.
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