पं0 तिवारी के आशीर्वाद से नई राजनीतिक पारी – शिवपाल सिंह यादव
पं0 तिवारी के आशीर्वाद से नई राजनीतिक पारी -राजनीति के मंझे हुए खिलाडी # सन् 1955 को बसंत पंचमी के पावन दिन में पिता सुघर सिंह तथा माता मूर्ति देवी के कनिष्ठ पुत्र के रूप में जन्मे शिवपाल सिंह यादव ने नैशनल प्रेसीडेंट बनने के बाद पहला कदम ही भारी भरकम और बहुत ही उम्दा रख दिया जब वह राजनीति के पितामह पंडित नारायण दत्त तिवारी से आशीर्वाद लेने अस्पताल पहुंंच गये-‘ मायावती सरकार के कार्यकाल में 5 मार्च 2012 तक प्रतिपक्ष के नेता के रूप में वह मजबूत और सफल राजनेता साबित हुए,जिनके कडे संघर्ष से समाजवादी पार्टी सत्ता पर आसीन हुई। पूरे उत्तर प्रदेश को उन्होने कदमों से नाप दिया था,जिससे उनकी लोकप्रियता और स्वीकारिता बढ़ती चली गयी। कई बार जेल गये, आन्दोलनों में चोटिल हुए पर जब भी आन्दोलन की घोषणा होती, शिवपाल सिंह यादव प्रथम पंक्ति में खड़े दिखते।
28 सितम्बर २०१८ को नैशनल प्रेसीडेंट के रूप में शिवपाल सिंह राजनीति के प्रकाण्ड विद्वान पं0 तिवारी से आशीर्वाद लेने पहुंचे- शिवपाल सिंह के पीछे जुट रही भारी भीड बहुत कुछ लम्बा संकेत दे रही है, शिवपाल सिंह को दलित, मुस्लिम और पिछड़ों का जबरदस्त साथ मिल रहा है। राजनीति के मंझे हुए खिलाडी शिवपाल सिंह यादव मेनपुरी से अपनी धर्मपत्नी को चुनाव मैदान में उतार कर विरोधियो को हैरान परेशान भी कर सकते हैैै – वह सिद्व कर देगे कि वह राजनीति में भी चाचा है-
राजनीति के मंझे हुए खिलाडी शिवपाल सिंह यादव पर एक्सक्लूसिव रिपोर्ट- हिमालयायूके न्यूज पोर्टल एवं प्रिन्ट मीडिया के लिए चन्द्रशेखर जोशी मुख्य सम्पादक की रिपोर्ट-
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (पीएसपी) के नैशनल प्रेसीडेंट शिवपाल सिंह यादव राजनीति के प्रकाण्ड विद्वान पंडित नारायण दत्त तिवारी जी से आशीर्वाद लेने 28 सितम्बर २०१८ को दिल्ली स्थित अस्पताल पहुंचे, जहां पंडित नारायण दत्त तिवारी जी भर्ती है- जबकि अखिलेश अपने चाचा जिन्होने समाजवादी पार्टी की जडो को सींचा, उनको उपेक्षित कर बसपा सुप्रीमो से आशीर्वाद लेने के लिए गुहार लगा रहे हैं-
समाजवादी पार्टी से अलग होकर शिवपाल सिंह यादव ने नई राजनीतिक पार्टी का गठन कर निर्वाचन आयोग में रजिस्ट्रेशन करा दिया है। अपनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (पीएसपी) बनाने के साथ उसका निर्वाचन आयोग में रजिस्ट्रेशन करा दिया है। शिवपाल यादव 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएसपी के चुनाव चिह्न पर ही अपने प्रत्याशी उतारेंगे। हर सीट पर पार्टी उम्मीदवार उतारेगी।
शिवपाल यादव ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के लिए चुनाव आयोग से कार, मोटरसाइकिल या चक्र के चुनाव चिह्न की मांग की है। शिवपाल का दावा है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे। ये सभी प्रत्याशी पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे। 1989 में चक्र चुनाव चिह्न जनता दल को मिला था। बाद में जनता दल के कई विभाजन हो जाने पर इसे सीज कर दिया गया था। मोटर साइकिल सिंबल की मांग उस समय भी चली थी जब 2017 में सपा के चुनाव चिह्न को लेकर विवाद हुआ था। सपा को साइकिल चिह्न मिल जाने के बाद भी शिवपाल यादव के नए दल बनाने की अटकलें लगाई जा रहीं थी।
सेकुलर मोर्चे के सूत्रों के मुताबिक नए दल का पंजीकरण काफी पहले हो चुका है। इससे संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए शिवपाल सिंह यादव के नजदीकी लोगों की टीम लगी हुई थी। अब नजरें इस पर टिकी हैं कि नव पंजीकृत दल को क्या सिंबल मिलेगा ?
बसंत पंचमी के पावन दिन जन्मे राजनीति के यह मंझे हुए खिलाडी-
शिवपाल सिंह यादव जिनका जन्म: 6 अप्रैल 1955, सैफई, इटावा जिला मे हुआ, शिवपाल सिंह यादव भारत के एक ऐसे राजनेता हैं जो अपने कार्यकर्ताओं के लिए हर समय तत्पर रहते हैं। समाजपार्टी की जडे को सींचने का कार्य उन्होने ही किया, सन् 1955 को बसंत पंचमी के पावन दिन में पिता सुघर सिंह तथा माता मूर्ति देवी के कनिष्ठ पुत्र के रूप में जन्मे शिवपाल सिंह यादव को मानवता के प्रति उदात्त भाव विरासत में मिला। उन्होंने जनसंघर्षों में भाग लेना और नेतृत्व करना अपने नेता व अग्रज मुलायम सिंह यादव जी से सीखा। इनके पिता स्वर्गीय सुधर सिंह अत्यंत सरल हृदय एवं कर्मठ किसान थे एवं माता स्वर्गीय श्रीमती मूर्ती देवी एक कुशल गृहणी थी। वे समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं। मार्च 2017 में सम्पन्न हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में वे इटावा जिले के जसवन्तनगर विधान सभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गये। ये मायावती सरकार के कार्यकाल में 5 मार्च 2012 तक प्रतिपक्ष के नेता भी रहे।
शिवपाल सिंह यादव जिनका जन्म: 6 अप्रैल 1955, सैफई, इटावा जिला मे हुआ, शिवपाल सिंह यादव भारत के एक ऐसे राजनेता हैं जो अपने कार्यकर्ताओं के लिए हर समय तत्पर रहते हैं। समाजपार्टी की जडे को सींचने का कार्य उन्होने ही किया, सन् 1955 को बसंत पंचमी के पावन दिन में पिता सुघर सिंह तथा माता मूर्ति देवी के कनिष्ठ पुत्र के रूप में जन्मे शिवपाल सिंह यादव को मानवता के प्रति उदात्त भाव विरासत में मिला। उन्होंने जनसंघर्षों में भाग लेना और नेतृत्व करना अपने नेता व अग्रज मुलायम सिंह यादव जी से सीखा। इनके पिता स्वर्गीय सुधर सिंह अत्यंत सरल हृदय एवं कर्मठ किसान थे एवं माता स्वर्गीय श्रीमती मूर्ती देवी एक कुशल गृहणी थी। वे समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं। मार्च 2017 में सम्पन्न हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में वे इटावा जिले के जसवन्तनगर विधान सभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गये। ये मायावती सरकार के कार्यकाल में 5 मार्च 2012 तक प्रतिपक्ष के नेता भी रहे।
शिवपाल सिंह यादव ने गांव की प्राथमिक पाठशाला से पूर्व माध्यमिक शिक्षा उत्तम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके पश्चात् हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की शिक्षा के लिए जैन इण्टर काॅलेज, करहल, मैनपुरी में प्रवेश लिया। जहाँ से उन्होंने सन् 1972 में हाईस्कूल तथा सन् 1974 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् शिवपाल सिंह यादव ने स्नातक की पढ़ाई सन् 1976 में के०के०डिग्री कालेज इटावा (कानपुर विश्वविद्यालय) तथा सन् 1977 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बी०पी०एड० शिक्षा प्राप्त की।
शिवपाल सिंह यादव का विवाह 23-मई-1981 को हुआ। इनकी पत्नी का नाम सरला यादव है। शिवपाल सिंह यादव की एक पुत्री डाॅ० अनुभा यादव तथा एक पुत्र आदित्य यादव है।
सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में वे बाल्यकाल से ही सक्रिय रहे। क्षेत्र में घूम-घूमकर मरीजों को अस्पताल पहुँचाना, थाना-कचहरी में गरीबों को न्याय दिलाने के लिए प्रयास करना व सोशलिस्ट पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेना उनका प्रिय शगल था। वे नेताजी के चुनावों में पर्चें बाँटने से लेकर बूथ-समन्वयक तक की जिम्मेदारी उठाते रहे। मधु लिमये, बाबू कपिलदेव, चौधरी चरण सिंह, जनेश्वर मिश्र जी जैसे बड़े नेताओं के आगमन पर उनकी सभा करवाने की भी जिम्मेदारी भी शिवपाल जी के ही कंधे पर होती थी।
सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों में वे बाल्यकाल से ही सक्रिय रहे। क्षेत्र में घूम-घूमकर मरीजों को अस्पताल पहुँचाना, थाना-कचहरी में गरीबों को न्याय दिलाने के लिए प्रयास करना व सोशलिस्ट पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेना उनका प्रिय शगल था। वे नेताजी के चुनावों में पर्चें बाँटने से लेकर बूथ-समन्वयक तक की जिम्मेदारी उठाते रहे। मधु लिमये, बाबू कपिलदेव, चौधरी चरण सिंह, जनेश्वर मिश्र जी जैसे बड़े नेताओं के आगमन पर उनकी सभा करवाने की भी जिम्मेदारी भी शिवपाल जी के ही कंधे पर होती थी।
वे 1988 से 1991 और पुनः 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गये। 1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे। इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तरप्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के भी अध्यक्ष का दायित्व संभाला। तेरहवीं विधानसभा में वे जसवन्तनगर से विधानसभा का चुनाव लड़े और ऐतिहासिक मतों से जीते। इसी वर्ष वे समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव बनाये गये। उन्होंने संगठन को मजबूत बनाने के लिए अनिर्वचनीय मेहनत की। पूरे उत्तर प्रदेश को कदमों से नाप दिया। उनकी लोकप्रियता और स्वीकारिता बढ़ती चली गयी।
समाजवादी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित करने वाले शिवपाल सिंह यादव
प्रमुख महासचिव के रूप में उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को नया आयाम दिया। प्रदेश अध्यक्ष रामशरण दास जी की अस्वस्थता को देखते हुए 01 नवम्बर, 2007 को मेरठ अधिवेशन में शिवपाल जी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया। रामशरण दास जी के महाप्रयाण के पश्चात् 6 जनवरी, 2009 को वे पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष बने। शिवपाल जी ने सपा को और अधिक प्रखर बनाया। नेताजी और जनेश्वर जी के मार्गदर्शन और उनकी अगुवाई में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित हुई।
प्रमुख महासचिव के रूप में उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को नया आयाम दिया। प्रदेश अध्यक्ष रामशरण दास जी की अस्वस्थता को देखते हुए 01 नवम्बर, 2007 को मेरठ अधिवेशन में शिवपाल जी को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया। रामशरण दास जी के महाप्रयाण के पश्चात् 6 जनवरी, 2009 को वे पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष बने। शिवपाल जी ने सपा को और अधिक प्रखर बनाया। नेताजी और जनेश्वर जी के मार्गदर्शन और उनकी अगुवाई में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित हुई।
विधानसभा में नेता विरोधी दल
वे मई 2009 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे फिर उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विरोधी दल की भूमिका दी गई। बसपा की बहुमत की सरकार के समक्ष नेता विरोधी दल की जिम्मेदारी तलवार की धार पर चलने जैसा था। उन्होंने इस दायित्व को संभाला और विपक्ष तथा आम जनता के प्रतिकार के स्वर को ऊँचा रखा। वरिष्ठ नेता आजम खान की वापसी के दिन उन्होंने नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा देने में एक पल का भी विलम्ब नहीं किया, जो दर्शाता है कि उन्हें पद से अधिक सिद्धान्त और दलहित प्रिय है। बाढ़-सूखा, भूकम्प जैसी आपदाओं में जाकर मदद करने वालों में शिवपाल आगे खड़े रहते हैं। उन्होंने कई बार गिरफ्तारी दी, पुलिसिया उत्पीड़न को झेला, आम कार्यकर्ताओं के रक्षा कवच बने। यही कारण है कि सोलहवीं विधानसभा में समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान पर साठ फीसदी से अधिक मतों से जीतने वाले एक मात्र विधायक हैं।
कई बार जेल गये, आन्दोलनों में चोटिल हुए पर जब भी आन्दोलन की घोषणा होती, शिवपाल सिंह यादव प्रथम पंक्ति में खड़े दिखते।
उन्होंने समय-समय पर कभी डा0 लोहिया, कभी अशफाक उल्ला खान, कभी चन्द्रशेखर आजाद तो कभी मधु लिमये की जयन्ती और अन्य अवसरों पर लेख लिखकर, छोटी-छोटी पुस्तकें प्रकाशित कर बँटवाकर नई पीढ़ी को गौरवमयी इतिहास से अवगत कराने का कार्य किया है। उनके अब तक दर्जनों लेख दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, जनाग्रह (बंगलुरू), डेली न्यूज एक्टिविस्ट, जन संदेश, कैनविज टाइम्स समेत कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने डा0 लोहिया के कई ऐतिहासिक उद्बोधनों यथा ’’द्रौपदी व सावित्री’’ दो कटघरे आदि को प्रकाशित कर बँटवाया और समाजवादी पार्टी में पढ़ने-लिखने की परम्परा को प्रोत्साहन दिया। वे साहित्यकारों का काफी सम्मान करते हैं। गोपालदास ’’नीरज’’ उदय प्रताप सिंह जैसे साहित्यकार व कवि उन्हें काफी स्नेह करते हैं, जिससे उनकी साहित्यिक अभिरूचि का पता चलता है। विपक्ष के दौरान उन्होंने जन संघर्षों व सामूहिक प्रतिकार के प्रत्येक रण में सेनानी की भूमिका निभाई। कई बार जेल गये, आन्दोलनों में चोटिल हुए पर जब भी आन्दोलन की घोषणा होती, शिवपाल सिंह यादव प्रथम पंक्ति में खड़े दिखते। समाजवादी पार्टी की 2012 में पुनः सरकार बनने के बाद उन्हें लोक निर्माण, सिंचाई, सहकारिता मंत्री की जिम्मेदारी दी गयी, इन विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कई बड़े अधिकारियों व अभियन्ताओं के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की, एक अखबार ने उन्हें ’’कार्यवाही मिनिस्टर’’ तक की संज्ञा दे दी। उनका इतिहास समाजवादी पार्टी का इतिहास है, जन-संघर्षों व सक्रिय करूणा का जीवन-दर्शन है।
समाजवादी सेक्युलर मोर्चे के साथ निकले पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव एक बार जो फैसला ले लेते है,उससे कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं होते हैं। शिवपाल यादव ने कहते है कि रिश्तों की मजबूरियों की बात छोड़िए। राजनीतिक में उतार-चढ़ाव वक्त के हिसाब से आते रहते हैं। नेताजी हमारे आदरणीय हैं और हमेशा रहेंगे। हम उनके आशीर्वाद से राजनीतिक नई पारी खेल रहे हैं। उनका स्नेह हमारे साथ था और हमेशा रहेगा।
शिवपाल यादव अपनी राजनीतिक विद्वता के साथ कहते है कि महाभारत के भीष्म पितामाह का आशीर्वाद पांडवों के साथ था, लेकिन किसी के कारणवश कौरवों के साथ खड़े थे। इसी तरह नेताजी का आशीर्वाद हमारे यानी सेक्युलर मोर्चा (पांडवों) के साथ है, लेकिन वह किसी मजबूरी में समाजवादी पार्टी (कौरव) के साथ खड़े हैं। हम नेताजी (मुलायम सिंह यादव) को संसद में और देश के पीएम के तौर पर देखना चाहते हैं।
शिवपाल यादव अपनी राजनीतिक विद्वता के साथ कहते है कि महाभारत के भीष्म पितामाह का आशीर्वाद पांडवों के साथ था, लेकिन किसी के कारणवश कौरवों के साथ खड़े थे। इसी तरह नेताजी का आशीर्वाद हमारे यानी सेक्युलर मोर्चा (पांडवों) के साथ है, लेकिन वह किसी मजबूरी में समाजवादी पार्टी (कौरव) के साथ खड़े हैं। हम नेताजी (मुलायम सिंह यादव) को संसद में और देश के पीएम के तौर पर देखना चाहते हैं।
शिवपाल यादव कहते है कि नेताजी को लेकर हमारा स्टैंड साफ हैं। यदि वह हमारे मोर्चे से लड़ते तो जिताकर भेजेंगे। समाजवादी पार्टी से भी उम्मीदवार होने पर मोर्चा उनका समर्थन करेगा। हमारा मकसद उनको राजनीति के शिखर पर पहुंचाना रहा है।
चुनावी रण में सबकी ताकत का पता चल जाएगा।
शिवपाल यादव ऐलान करते है कि अखिलेश के साथ मेल मिलाप अब बहुत देर हो चुकी है। मैंने दो साल इंतजार किया कि दिल में कोई मैल न रहे, एक होकर काम करें। पार्टी को मजबूत करें। अपमान भी सहा, लेकिन उन्हें (अखिलेश को) शायद मेरा साथ कबूल नहीं था। अब राहें जुदा हो गई हैं। एकता की गुंजाइश कतई नहीं बची। चुनावी रण में सबकी ताकत का पता चल जाएगा।
संगठन खडा करने में माहिर शिवपाल सिंह यादव
शिवपाल यादव कहते है कि समाजवादी पार्टी पुरानी हैं, लेकिन हमारे खून पसीने के दम पर मजबूती हुई है। पार्टी से लिए लाठी गोली हमने खाई। फिर मेहनत करेंगे, सेक्युलर मोर्चे को मजबूत करेंगे। छोटे दलों का साथ लाएंगे। 40 छोटे दलों से फिलहाल बात हो चुकी है, जल्द राजनीति में बदलाव दिखेगा।
संगठन खडा करने में माहिर शिवपाल सिंह यादव कहते है कि संगठन खड़ा कर रहे हैं। प्रदेश इकाई तय है। मंडल प्रभारी घोषित कर दिए गए हैं। मैं खुद मंडलीय सम्मेलन जल्द शुरू करूंगा। जिला सम्मेलन भी होंगे। विधानसभा क्षेत्र सम्मेलन शुरू हो गए हैं। सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है। बूथ कमिटियों का गठन कर वोटर बनवाने का काम कार्यकर्ता करेंगे।
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Presented by- हिमालयायूके- हिमालय गौरव उत्तराखण्ड www.himalayauk.org
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