रात में गाय के दूध से करे शिवलिंग का अभिषेक
श्रीं ओंकारेश्वराय नमः सावन: रात में गाय के दूध से करे शिवलिंग का अभिषेक, असाध्य रोग होंगे दूर : रूद्राभिषेक घर से ज्यादा मंदिर में, नदी तट पर, और सबसे ज्यादा पर्वतो पर फलदायी होता है
विशेष आलेख
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श्रावण माह इस महीने में पूजा करने वालों पर शिव सदा मेहरबान रहते हैं। क्योंकि हिंदू धर्म के अनुसार सावन में किया गया शिव का पूजन जल्दी ही शुभ फल प्रदान करता है। मान्यता है कि इस महीने में भोलेनाथ माता पार्वती के साथ भू-लोक का भर्मण करने आते हैं और भक्तों की सभी दुख-मुसीबत को हर लेते हैं। सावन माह में शिव आराधना के कुछ सरल उपाय यदि किसी भक्त द्वारा कर लिए जाएं तो व्यक्ति को कई सारी परेशानियों के हल मिल सकते हैं।
सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ करेंगें कष्ट दूर
2018 में सावन शिवरात्रि गुरुवार के दिन पड़ रही है अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार यह तिथि 9 अगस्त को होगी। बाबा भोलेनाथ शिवशंकर सावन के महीने में उनकी विशेष कृपा बरसती है। इस दिन रुद्राभिषेक करने से भक्त के समस्त पापों का विनाश भोले बाबा कर देते हैं। पंचमुखी रुद्राक्ष की माला लेकर भगवान शिव के मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप करने से तमाम तरह के क्लेश शांत हो जाते हैं। मान्यता है कि श्रावण महीने की शिवरात्रि के दिन जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करते हैं उनके कष्टों का निवारण होता है और मुरादें पूरी हो जाती हैं। 2 शिवरात्रि का बड़ा खास महत्व होता है 1. महाशिवरात्रि और 2. सावन की शिवरात्रि। 2018 में महाशिवरात्रि जा चुकी है और अब सावन की शिवरात्रि आने वाली है। पुराणों के अनुसार शिवरात्रि वाले दिन मनुष्य के सभी पाप क्षमा हो जाते है और उनके वैवाहिक जीवन में सुख शांति आती है ज्योतिषीय दृष्टि के अनुसार सावन का महीना सूर्य के सिंह राशि में प्रवेश करने के साथ प्रारंभ होता है। इसीलिए इस महीने में भगवान शिव का पूजन करना और भी अधिक प्रभावशाली माना जाता है।
शिव महापुराण के अनुसार सृष्टि निर्माण से पहले केवल शिवजी का ही अस्तित्व बताया गया है। भगवान शंकर ही वह शक्ति हैं जिनका न आदि है और न अंत। इसका मतलब यही है कि शिवजी सृष्टि के निर्माण से पहले से हैं और प्रलय के बाद भी केवल महादेव का ही अस्तित्व रहेगा। अत: इनकी भक्ति मात्र से ही मनुष्य को सभी सुख, धन, मान-सम्मान आदि प्राप्त हो जाता है। शिवजी को जल्द ही प्रसन्न करने के लिए शिव पर प्रतिदिन कच्चा गाय का दूध अर्पित करें। गाय को माता माना गया है अत: गौमाता का दूध पवित्र और पूजनीय है। इसे शिव पर चढ़ाने से महादेव श्रद्धालु की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। ज्योतिष में दूध चंद्र ग्रह से संबंधित माना गया है। चंद्र से संबंधित सभी दोषों को दूर करने के लिए प्रति सोमवार को शिवजी को दूध अर्पित करना चाहिए।
‘नम: शंभवाय व मयोभवाय च नम: शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च।।
ईशान : सर्वविध्यानामीश्वर: सर्वभूतानां
ब्रम्हाधिपतिब्र्रम्हणोधपतिब्र्रम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।
तत्पुरषाय विद्यहे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।।
मान्यता है कि जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और उसी से हुई है रूद्रभिषेक की उत्पत्ति. रूद्र यानी भगवान शिव और अभिषेक का अर्थ होता है स्नान करना. शुद्ध जल या फिर गंगाजल से महादेव के अभिषेक की विधि सदियों पुरानी है क्योंकि मान्यता है कि भोलभंडारी भाव के भूखे हैं. वह जल के स्पर्श मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं. वो पूजा विधि जिससे भक्तों को उनका वरदान ही नहीं मिलता बल्कि हर दर्द हर तकलीफ से छुटकारा भी मिल जाता है. साधारण रूप से भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से होता है परंतु विशेष अवसर व विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से महादेव के अभिषेक की विधि प्रचिलत है.
श्रावण मास के सोमवार पर शिव पूजन का अत्यधिक महत्व है। सावन के सोमवार सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा की जाती है। सावन में सफ़ेद वस्त्र पहने जाते हैं तथा सफ़ेद फूलों से शिव पूजन भी करने का विधान है। सावन के दूसरे सोमवार परमेश्वर के ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के पूजन का विधान है। 12 ज्योतिर्लिंगों की सारणी में ओंकारेश्वर चौथा ज्योतिर्लिंग है। ओंकारतीर्थ ज्योतिर्लिंग को शिव महापुराण में ‘परमेश्वर लिंग’ कहा गया है। कथानुसार एक बार नारद ऋषि गिरिराज विन्ध्य पर पहुंचे जहां विन्ध्य ने अहंकार वश खुद को श्रेष्ठ कहा परंतु नारद ने विन्ध्याचल से कहा की मेरू पर्वत तुमसे बहुत ऊंचा है। उस पर्वत के शिखरों का विभाग देवताओं के लोकों तक पहुंचा हुआ है। इस पर विन्ध्याचल को बहुत पछतावा हुआ। वह दु:खी होकर मन ही मन शोक करने लगा, विन्ध्याचल सदाशिव की आराधना और तपस्या करने लगा। उसने शिव की पार्थिव मूर्ति (मिट्टी की शिवलिंग) बनाई और छ: महीने तक लगातार उसके पूजन में तन्मय रहा। महादेव ने उस पर प्रसन्न होकर वर मांगने को कहा। विन्ध्य ने कार्य की सिद्धि करने वाली वह अभीष्ट बुद्धि का वर मांगा। महादेव ने आशीर्वाद दिया की वो जिस प्रकार का काम करना चाहे, वैसा कर सकते है। विन्ध्य ने महादेव से यहां स्थिर होकर निवास करने को कहा जिसे महादेव ने स्वीकार किया। ओंकारतीर्थ पर एक ही ओंकारलिंग दो स्वरूपों में विभक्त हो गया। प्रणव के अन्तर्गत जो सदाशिव विद्यमान हुए, उन्हें ‘ओंकार’ नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार पार्थिव मूर्ति में जो ज्योति प्रतिष्ठित हुई थी, वह ‘परमेश्वर लिंग’ के नाम से विख्यात हुई। परमेश्वर लिंग को ही ‘अमलेश्वर’ भी कहा जाता है। सावन के सोमवार पर ओंकारेश्वर के विशेष पूजन व्रत व उपाय से प्रॉफ़ेशन में तरक्की मिलती है। दुर्भाग्य दूर होता है व असाध्य रोगों का सफाया होता है।
यदि घर के किसी सदस्य को असाध्य बीमारी हो तो परिवार का कोई भी सदस्य द्वारा यह उपाय किया जा सकता है। सावन में किसी सोमवार को पानी में दूध व काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन का ही उपयोग करें, तांबे को छोड़कर किसी अन्य धातु का उपयोग न करें। अभिषेक करते समय ‘ॐ जूं स:’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद भगवान शिव से रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें और प्रत्येक सोमवार रात में 9.15 बजे के बाद गाय के सवा पाव कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का संकल्प लें।
हर दिन बदलते हुए ग्रहों की चाल से कभी दिन अच्छा रहता है तो कभी खराब. जानिए इस सप्ताह सूर्य, बुध, राहु और चंद्रमा कर्क राशि में आ जाएंगे। 6 से 12 अगस्त के बीच 6 ग्रह आ जाएंगे आमने-सामने वहीं इन ग्रहों के सामने मकर राशि में मंगल और केतु भी रहेंगे। इस तरह 6 ग्रह आमने-सामने आ जाएंगे। इस हफ्ते ये 6 ग्रह कुछ लोगों के जीवन में अचानक बड़े बदलाव ला सकते हैं। ग्रहों की इस स्थिति के कारण कुछ लोग परेशान रहेंगे वहीं कुछ लोगों को अचानक धन लाभ भी हो सकता है। नौकरी, बिजनेस और सेहत के साथ ही लव लाइफ एवं दाम्पत्य जीवन पर भी इन ग्रहों का शुभ-अशुभ असर पड़ेगा।
अगस्त का महीना ज्योतिषीय दृष्टि से इसलिए खास है कि महीने के पहले ही दिन धन, सुख, वैभव, प्रेम, सेक्स, रिलेशनशिप का कारक ग्रह शुक्र राशि परिवर्तन करके बुध की राशि कन्या में आ रहा है। इससे कन्या राशि वालों के लिए महीने कई मामलों में अच्छा रहने वाला है। इस महीने बुध, मंगल और सूर्य की स्थिति भी बदलेगी।
सावन का महीना चल रहा है… और भोलेनाथ के भक्त उनको खुश करने के लिए व्रत और जलाभिषेक कर रहे हैं… लेकिन आज हम कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं जो शायद ही आपको पता हो… कहा जाता है कि अगर व्यक्ति सावन के महीने में अपनी राशि के अनुसार भगवान शिव की आराधना करे तो उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है… मेष राशि वाले लोग सावन के पूरे महीने में भगवान शिव को जल में गुड़ डालकर अभिषेक करें… इसके साथ ही लाल आक के फूल भगवान शिव को अर्पित करें… इससे इस राशि वाले लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं…
गुड हैल्थ के लिए: सफ़ेद शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं।
गुडलक के लिए: सफ़ेद शिवलिंग पर पर चढ़ा सफ़ेद कनेर का फूल जेब में रखें।
विवाद टालने के लिए: पान के पत्ते पर मावा रखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
नुकसान से बचने के लिए: बेलपत्र पर सफ़ेद चंदन लगाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
प्रोफेशनल सक्सेस के लिए: शिवलिंग पर चढ़े चावल किसी गरीब मजदूर को दान करें।
एजुकेशन में सक्सेस के लिए: भोजपत्र पर “ज्ञानेश” लिखकर टेक्स्टबुक के बीच में रखें।
बिज़नेस में सफलता के लिए: वर्कप्लेस में पारद शिवलिंग रखें।
पारिवारिक खुशहाली के लिए: पूजाघर में “ॐ वंशनादाय नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
लव लाइफ में सक्सेस के लिए: शिवलिंग पर 1 सफ़ेद और 1 नीला कनेर का फूल चढ़ाएं।
मैरिड लाइफ में सक्सेस के लिए: पति-पत्नी एकसाथ शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएं।
श्रावण के महीने में भगवान शंकर के पूजन का कितना महत्व है यो तो सब जानते ही होंगे। इस माह में जो भी भोलेनाथ की पूदा पूरी श्रद्धा विश्वास से करता है भोलेनाथ उन पर प्रसन्न होते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि इस माह में श्री कृष्ण की पूजा का भी अधिक महत्व है। खासकर सावन की कृष्ण पक्ष अष्टमी से भादौ की कृष्ण पक्ष अष्टमी अर्थात श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तक जो श्रीकृष्ण की पूजा करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस मास में कान्हा प्रसन्न होकर हर किसी को मनचाहे वर देते हैं। मेष- ॐ विश्वरूपाय नम: का जाप करें।
वृषभ- ॐ उपेन्द्र नम: का जाप करें। मिथुन- ॐ अनंताय नम: का जाप करें। कर्क-ॐ दयानिधि नम: का जाप करें। सिंह-ॐ ज्योतिरादित्याय नम: का जाप करें। कन्या-ॐ अनिरुद्धाय नम: का जाप करें। तुला- ॐ हिरण्यगर्भाय नम: का जाप करें।
वृश्चिक- ॐ अच्युताय नम: का जाप करें। धनु- ॐ जगतगुरवे नम: का जाप करें। मकर- ॐ अजयाय नम: का जाप करें।
कुंभ- ॐ अनादिय नम: का जाप करें। मीन- ॐ जगन्नाथाय नम: का जाप करें।
अगस्त तक रहेगी त्यौहारों की बहार
नागपंचमी और काल सर्प दोष तथा उसके शांति के उपाय – 15 अगस्त , 2018
7 अगस्त कामिका एकादशी व्रत (स्मार्त), 9 अगस्त प्रदोष व्रत, श्रावण, मासिक शिवरात्रि व्रत, मेला श्रावण शिवरात्रि (शिवपुरी, रामबन), 11 अगस्त श्रावण अमावस, हरियाली अमावस, शनैश्चरी अमावस, खंड ग्रास सूर्य ग्रहण-यह ग्रहण भारतीय समयानुसार 11 अगस्त दोपहर 1.32 पर प्रारंभ होकर सायं 5 बजे समाप्त होगा। ग्रहण भारत में कहीं भी दिखाई नहीं देगा,
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