लेफ्टिनेंट कर्नल को साक्षात दर्शन देकर प्राणरक्षा करने वाले श्रीबैजनाथ महादेव
प्राणरक्षा करने वाले श्री बैजनाथ महादेव #चमत्कारिक श्री बैजनाथ महादेव #लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन की प्राण रक्षा करने वाले श्री बैजनाथ महादेव #इंग्लैंड में भी शिव पूजा शुरू कराने वाले ब्रिटिश छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन #हिमालयायूके न्यूज पोर्टल एक्सक्लुसिव
अंग्रेजों ने अपने लंबे शासनकाल में देश में कई चर्च तो बनवाए लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है जिसके लिए माना जाता है कि उसका पुन: निर्माण ब्रिटिशर्स ने करवाया था। ये है मध्य प्रदेश के आगर मालवा का श्री बैजनाथ महादेव मंदिर जिसकी लोगों के बीच आज भी बड़ी श्रद्धा है। माना जाता है कि यहां सच्चे मन से जो भी मांगा जाता है, वो जरूर पूरा होता है। यह मंदिर बाणगंगा नदी के किनारे बना है और इसका इतिहास राजा नल से जुड़ा है।
आगर मालवा की उत्तर दिशा में जयपुर मार्ग पर बाणगंगा नदी के किनारे स्थापित श्री बैजनाथ महादेव का यह ऐतिहासिक मंदिर लिंग राजा नलकालीन माना जाता है। पहले यह मंदिर एक मठ के रूप में था तथा तांत्रिक अघौरी यहां पूजा-पाठ करते थे।
मंदिर का गर्भगृह 11 गुणा 11 फीट का चौकोर है तथा मध्य में आग्नेय पाषाण का शिवलिंग स्थापित है। मंदिर का शिखर चूने-पत्थर का निर्मित है जिसके अंदर और बाहर ब्रह्मा, विष्णु और महेश की दर्शनीय प्रतिमाएं उत्कीर्ण हैं।
करीब 50 फुट ऊंचे इस मंदिर के शिखर पर चार फुट ऊंचा स्वर्ण कलश है। मंदिर के सामने विशाल सभा मंडप और मंडप में दो फुट ऊंची एवं तीन फुट लंबी नंदी की प्रतिमा है। मंदिर के पीछे लगभग 115 फुट लंबा और 48 फुट चौडा कमलकुंड है, जहां खिलते हुए कमल के फूलों से यह स्थल और भी रमणीक दिखाई देता है।
इतिहास में वर्णित है कि वर्ष 1879 में अंग्रेजों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया था। इस युद्ध का संचालन आगर मालवा की ब्रिटिश छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन को सौंपा गया था। मार्टिन युद्ध एवं स्वयं की कुशलता के समाचार आगर मालवा में छोड़ कर गए अपनी पत्नी को नियमित भेजते थे।इस दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब मार्टिन के संदेश आना बंद हो गए। उनकी पत्नी को अनेक शंकाएं सताने लगी। वह एक दिन घोडे़ पर बैठ कर आगर मालवा में घूमने गई तो श्री बैजनाथ महादेव मंदिर से आती शंख ध्वनि और मंत्रों से आकर्षित होकर मंदिर पहुंची।
वहां मंदिर में पूजा-पाठ कर रहे पंडितों से चर्चा की एवं शिव पूजन के महत्व के बारे में पूछताछ की। पुजारी ने कहा भगवान शिव औघरदानी और भोलेभंडारी है। अपने भक्तों के संकट वह तुरंत ही दूर करते हैं। पुजारी ने लेडी मार्टिन से पूछा- बेटी, तुम बडी चिंतातुर लग रही हो क्या कारण है?
लेडी मार्टिन बोली मेरे पति युद्ध में गए है और कई दिनों से उनका कोई समाचार नहीं आया इसलिए चिंतित हूं, इतना कहते हुए श्रीमती मार्टिन रो पडी़। फिर ब्राह्मणों के कहने पर श्रीमती मार्टिन ने लघु रुद्री अनुष्ठान आरंभ करवाया तथा भगवान शिव से अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगी और संकल्प लिया कि उनके पति युद्ध जीत कर आ जाए तो वह मंदिर पर शिखर बनवाएगी। लघु रुद्री की पूर्णाहुति के दिन भागता हुआ एक संदेशवाहक शिव मंदिर पहुंचा। लेडी मार्टिन ने घबराते-घबराते लिफाफा खोला और पढ़ने लगी। पत्र में उनके पति ने लिखा..- ‘हम युद्धरत थे। तुम्हारे पास खबर भी भेजते रहते थे, लेकिन अचानक हमें पठानी सेना ने घेर लिया। ब्रिटिश सेना के सैनिक मरने लगे ऐसी विषम परिस्थिति से हम घिर गए और जान बचाकर भागना मुश्किल हो गया। इतने में देखा कि युद्ध भूमि में कोई एक योगी जिनकी लंबी जटाएं एवं हाथ में तीन नोक वाला हथियार (त्रिशूल) लिए पहुंचे। उन्हें देखते ही पठान सैनिक भागने लगे और हमारी हार की घंडियां एकाएक जीत में बदल गई..।’ पत्र में लिखा था, यह सब उन त्रिशूलधारी योगी के कारण ही संभव हुआ। फिर उन्होंने कहा- ‘घबराओ नहीं, मैभगवान शिव हूं तथा तुम्हारी पत्नी द्वारा शिव पूजन से प्रसन्न होकर तुम्हारी रक्षा करने आया हूं।’
पत्र पढ़ते हुए लेडी मार्टिन ने भगवान शिव की प्रतिमा के सम्मुख सिर रखकर प्रार्थना करते हुए भगवान का शुक्रिया अदा किया और उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़ें। कुछ दिनों बाद जब कर्नल मार्टिन आगर मालवा ब्रिटिश छावनी लौटकर आए और पत्नी को सारी बातें विस्तार से बताई और अपनी पत्नी के संकल्प पर कर्नल मार्टिन ने सन् 1883 में पंद्रह हजार रुपए का सार्वजनिक चंदा कर श्री बैजनाथ महादेव के मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
शिव के इस मंदिर का गर्भगृह 11 गुणा 11 फीट का चौकोर है और इसके बीचोंबीच आग्नेय पाषाण का शिवलिंग स्थापित है। मंदिर में ब्रह्मा और विष्णु जी की प्रतिमाएं भी सुशोभित हैं। मंदिर करीब 50 फुट ऊंचा है और इसके शिखर पर 4 फुट ऊंचा सोने का कलश जड़ा है। मंदिर के पीछे एक कमलकुंड भी है जहां खिलते कमल के फूलों की खूबसूरती देखते ही बनती है। इस मंदिर में महाशिवरात्रि की बहुत धूम रहती है। वहीं चैत्र और कार्तिक के महीनों में यहां भव्य मेले भी लगते हैं।
मध्य प्रदेश के आगर मालवा के श्री बैजनाथ महादेव मंदिर को लेकर कहा जाता है कि पहले यहां एक मठ था जहां तांत्रिक पूजा होती थी। लेकिन 1880 के दौरान एक अंग्रेज दंपत्ति ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था। लेकिन क्यों, इसके पीछे भी एक कहानी बताई जाती है जो भोलेनाथ की सच्चे मन से पूजा करने पर मनोकामना पूर्ति से जुड़ी है। बताया जाता है कि एक अंग्रेज कर्नल मार्टिन अफगान युद्ध पर गया हुआ था और वहां से अपनी कुशलता का संदेश अक्सर पत्रों के जरिए अपनी पत्नी को भेजता था तो आगर मालवा में रहती थीं। कई दिनों के बाद ये पत्र का सिलसिला टूट गया और अनहोनी की आशंका ने मिसेज मार्टिन की सेहत भी खराब करनी शुरू कर दी।
अपने पति की कुशलता कहां से पूछे की उधेड़बुन में एक दिन मिसेज मार्टिन आगर मालवा के बैजनाथ मंदिर के पास से गुजरीं। मंदिर से आती शंख और मंत्रों की आवाज ने उनका ध्यान खींच लिया और उन्होंने अंदर जाकर पुरिहतों को अपनी समस्या बताई। पुजारियों ने उनको ओम नम: शिवाय मंत्र का लघुरुद्री अनुष्ठान करने को कहा। बताया जाता है कि इस अनुष्ठान को करने से पहले मिसेज मार्टिन ने ये मनौती मांगी थी कि उनके पति सकुशल लौट आए तो वह मंदिर का जीर्णोद्धार करवाएंगी। ऐसा बताया जाता है कि अनुष्ठान पूरा होते ही मिसेज मार्टिन के पास उनके पति का खत पहुंच गया और उनको ये पढ़कर हैरानी हुई कि उसमें लिखा था कि कैसे शेर की खाल पहले और हाथ में त्रिशूल लिए एक योगी ने अफगानों की चंगुल से उनके पति को बचाया। पत्र में कर्नल मार्टिन ने लिखा था कि उस योगी ने उनको बताया कि वह उनकी पत्नी की तपस्या और लगन से प्रसन्न होकर उनको बचाने आए हैं। ये कहानी श्री बैजनाथ मंदिर में पत्थरों पर उकेरी हुई है और सभी की श्रद्धा का केन्द्र है।
कर्नल मार्टिन के वापस आने के बाद जब दंपत्ति ने आपस में एकदूसरे की कहानी सुनी तो दोनों के मन में शिव भक्ति जाग गई। बताया जाता है कि उन्होंने 1883 में 15 हजार रुपये देकर मंदिर का रेनोवेशन करवाया और इंग्लैंड जाते समय वहां भी शिव पूजा का वचन देकर गए।
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